मूल या मौलिक अधिकार क्या है (बेसिक जानकारी) | What is fundamental rights in hindi

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fundamental rights in hindi

Fundamental rights : संविधान नामक दस्तावेज सरकार की शक्तियों पर अंकुश लगाकर एक ऐसी प्रजातान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना करती है. जिसमे सभी व्यक्तियों को कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं.

संविधान में उन अधिकारों को सूचीबद्ध किया गया है. जिन्हे सुरक्षा की आवश्यकता थी और यही मौलिक अधिकार कहलाए. मौलिक अधिकार इतने महत्वपूर्ण हैं कि संविधान ने स्वयं यह सुनिश्चित किया है. कि सरकार भी इसका उलंघन ना कर सके. भारत का संविधान 6 मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है.

मूल या मौलिक अधिकार क्या है – What is a fundamental rights

मौलिक अधिकार भारतीय संविधान द्वारा जनता को प्रदत वह अधिकार है. जिसे public या सरकार कोई नहीं छीन सकता (यह अमेरिका के संविधान से लिया गया है) मौलिक अधिकार (fundamental rights) संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक वर्णित किया गया है.

मौलिक अधिकार कुछ विशेष परिस्थति में..थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति द्वारा छिना जा सकता है. जैसे आपातकाल की स्थिति में etc.

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मौलिक अधिकार का अर्थ – Meaning of Fundamental Right

वे अधिकार जो व्यक्ति के जीवन जीने के लिए मौलिक तथा अनिवार्य होने के कारण संविधान द्वारा लोगों को प्रदान किये जाते हैं. तथा जिन अधिकारों में राज्य द्वारा भी हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, मूल अधिकार कहलाता है.

मौलिक अधिकार (fundamental rights) व्यक्ति के बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं. भारत में इसे अमेरिकी सविंधान से अपनाया गया 1931 के कांग्रेस के करांची अधिवेशन में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में मूल अधिकारों की घोषणा की गई मूल अधिकारों को न्यायलय द्वारा मुलभुत ढांचा माना गया.

मौलिक अधिकार की परिभाषा – Definition of fundamental right hindi

भारतीय संविधान ने जनता को कुछ अधिकार प्रदान किया है जिसे मौलिक अधिकार कहते हैं. यह संविधान पुस्तिका में भाग (3) के अंतर्गत आर्टिकल 12 से 35 के बीच में लिखा गया है. मौलिक अधिकार भाग 3 को मैग्नाकार्टा के नाम से जाना जाता है.

नोट : मैग्नाकार्टा ब्रिटेन की अवधारणा है. वहां के राजशाहियों द्वारा मजदूरों को कुछ अधिकार दिए गए थे जिसे मैग्नाकार्टा कहा गया. इसी वजह से मौलिक अधिकार fundamental rights भाग 3 को मैग्ना कार्टा कहा जाता है.

मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं – What are the fundamental rights

भारतीय संविधान के प्रारम्भ में मूल रूप से 7 मौलिक अधिकार (fundamental rights) प्रदान किये गए थे. परन्तु 44 वें संविधान संसोधन 1978 के द्वारा संपत्ति के अधिकार को हटा दिया गया इसे अनुच्छेद 300 (A) के तहत क़ानूनी अधिकार बना दिया गया. वर्तमान में मौलिक अधिकारों की संख्या 6 है.

  1. समता या समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  5. संस्कृति व शिक्षा का अधिकार
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार

1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18) – Right to equality

समता का अधिकार से तात्पर्य है कि देश के कानून के समक्ष सभी व्यक्ति सामान है. अर्थात भारत देश का कानून धर्म, लिंग, जाति, रंग और मत के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करता.

किसी को भी सार्वजनिक स्थलों जैसे – अस्पताल, कुआं, दुकान, स्कुल, कॉलेज, मंदिर, हॉटल, पर्यटन स्थल, दर्शनीय स्थल इत्यादि में जाने से व इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता, अस्पृश्यता अर्थात छुवा-छूत मानना भी एक दण्डनीय अपराध है. संविधान ने अस्पृश्यता को पूरी तरह समाप्त कर दिया है.

समानता के अधिकार के उदाहरण – एक गरीब व्यक्ति और एक अमीर व्यक्ति अगर दोनों के द्वारा सामान अपराध किया गया हो. तो दोनों एक ही सामान दण्ड के आरोपी होंगे. क्योंकि न्याय सबके लिए एक सामान होगा चाहे वह अमीर हो या गरीब…. यही समानता का अधिकार है.

  • अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समता एवं विधियों का सामान संरक्षण
  • अनुच्छेद 15 : धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान पर विभेद का प्रतिषेध
  • अनुच्छेद 16 : लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता (सामान अवसर देना)
  • अनुच्छेद 17 : अस्पृश्यता का अंत
  • अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत

2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22) – right to freedom

स्वतंत्रता का अधिकार से तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं है कि हम जैसा चाहें वैसा करें बल्कि स्वतंत्रता का मतलब चिंतन, अभिव्यक्ति और कार्य करने की स्वतंत्रता से है.

इसे इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है कि… बिना किसी की स्वतंत्रता को नुकसान पहुचाये कानून व्यवस्था को बिना ठेस पहुचाये प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी स्वतंत्रता का आनंद ले सकता है.

स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्ति को 6 आधारभूत स्वतंत्रता के लिए छूट देता है

  • प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों को स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त कर सकता है.
  • शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के एकत्रित होकर जनसभा कर सकता है.
  • संस्था या संघ बना सकता है.
  • स्वतंत्रतापूर्वक भ्रमण कर सकता है या भारत के किसी भाग में जा सकता है.
  • भारत के किसी भी भाग में रह या बस सकता है.
  • भारत में कहीं भी नौकरी अथवा व्यापार कर सकता है.

नोट : अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू काश्मीर में भी यह नियम लागु होता है.

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इन अधिकारों के अलावा शिक्षा के अधिकार, दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार भी है. प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार है परन्तु कुछ परिस्थिति में स्वतंत्रता पर भी प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं. क्योंकि असीमित स्वतंत्रता अव्यवस्था का कारण बन सकती है इसलिए राज्य को इन अधिकारों को रोक लगाने की शक्ति प्राप्त है.

  • अनुच्छेद 19 :अभिव्यक्ति अर्थात बोलने की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 20 : अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
  • अनुच्छेद 21 : प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
  • अनुच्छेद 22 : कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और निरोध से संरक्षण
  1. गिरफ्तारी का कारण पूछने का अधिकार
  2. 24 घंटे के अंदर अपराधी को न्यायपालिका में उपस्थित कराना होगा (आवागमन का समय नहीं जोड़ा जाता)
  3. अपराधी को मनपसंद वकील रखने का अधिकार

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24) – right against exploitation

शोषण का तात्पर्य है किसी व्यक्ति के मज़बूरी का गलत फायदा उठाना जैसे – उचित मजदूरी ना देना, etc. शोषण के विरुद्ध अधिकार महिलाओं, गरीबों और बच्चों को शोषण से बचाने का लक्ष्य निर्धारित करता है.

भारत का संविधान (The constitution of India) मनुष्यों के खरीदने और बेचने पर प्रतिबन्ध लगाता है. बेगार तथा बंधुआ मजदूरी पर भी प्रतिबन्ध लगाता है.

संविधान कहता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखाना, खदानों और अन्य खतरनाक जगहों पर काम नहीं कराना चाहिए. इसलिए किसी भी व्यक्ति पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए यह अधिकार आवश्यक है.

  • अनुच्छेद 23 : मानव के दुर्व्यापार और बालात श्रम का प्रतिषेध
  • अनुच्छेद 24 : कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) – right to religious freedom

भारतीय संविधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है. भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है. प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार पूजा, उपासना और प्रचार करने का अधिकार है.

सरकार के लिए सभी धर्म एक सामान है किसी भी धर्म को एक दूसरे से कम ज्यादा नहीं आँका जायेगा

  • अनुच्छेद 25 : अन्तःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 26 : धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 27 : किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता (धार्मिक कार्यों के लिए चंदा, टैक्स)
  • अनुच्छेद 28 : कुछ शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता

5. संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) – Right to Culture and Education

भारत का संविधान यह मानता है कि “विविधता हमारे समाज की मजबूती है” अतः अल्प संख्यकों को अपनी संस्कृति बनाये रखने का मौलिक अधिकार प्राप्त है.

भाषाई या धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी भाषा लिपि और संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार है. साथ ही ये शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित और संचालित कर सकते हैं. शिक्षण संस्थाओं को वित्तीय अनुदान देने के मालमे में भी सरकार भेदभाव नहीं करेगी.

नोट : यह अधिकार केवल अल्पसंख्यकों को दिया गया है.

  • अनुच्छेद 29 : अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का संरक्षण
  • अनुच्छेद 30 : शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार

याद रखें कि अनुच्छेद 31 संपत्ति का अधिकार को 330 (A) के तहत क़ानूनी अधिकार बना दिया गया है.

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6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) – right to constitutional remedies

नागरिकों को अधिकार देना ही पर्याप्त नहीं है. यह देखना भी उतना ही जरुरी है सरकार हमारे अधिकारों की रक्षा और सम्मान करें, यदि किसी व्यक्ति को मौलिक अधिकार नहीं दिए जाते या बिना किसी कारण सरकार उसके विरुद्ध शक्ति का अन्यायपूर्ण प्रयोग करती है.

तो ऐसी स्थिति में संविधान प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार देता है कि वह अपने अधिकारों को लागु करवाने के लिए उच्च न्यायलय या उच्चतम न्यायालय जा सकता है.

नोट : बाबा भीमराव अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों का अधिकार को संविधान की आत्मा कहा है

अनुच्छेद 32 : के तहत न्यायालय 5 रिटों को जारी कर सकता है.

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण
  • परमादेश
  • प्रतिषेध
  • उत्प्रेषण
  • अधिकार पृच्छा

हमारे मौलिक कर्तव्य – our fundamental duty in hindi

भारतीय नागरिक के रूप में हमारे कई सारे कर्तव्य है जिन्हे हमें सहृदय पालन करना चाहिए –

  • संविधान का पालन करना हमारा कर्तव्य है.
  • देश भक्ति की भावना को जन-जन तक पहुँचाना चाहिये
  • सभी नागरिकों में आपसी भाईचारा बनाये रखना चाहिए
  • देश के विकास में सभी की सहभागिता हो
  • स्वयं अनुशासन का पालन करना चाहिए और दूसरों को भी सीखाना चाहिए
  • राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्र गान का सम्मान करना चाहिए
  • देश की एकता, अखंडता, और प्रभुता को बनाये रखना चाहिए
  • सभी धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं का आदर करना चाहिए
  • देश की संस्कृति और धरोहर की रक्षा करना चाहिए

आखिर में

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