पर्यावरण क्या है? परिभाषा, प्रकार, प्रमुख तत्व, घटक, अर्थ, महत्व

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Environment : पर्यावरण के बिना मावन जीवन मुश्किल ही नहीं अपितु नामुमकिन है, और केवल मानव जीवन ही नहीं बल्कि सारे जीव जंतु पर्यावरण के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते, आज के इस टॉपिक पर्यावरण क्या है? में हम पर्यावरण से सम्बंधित सारी जानकारियां प्राप्त करेंगें और जानेगें कि आखिर पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्व है और यह हमारे लिए क्यों इतना जरुरी है।

पर्यावरण क्या है – What is environment in hindi

पर्यावरण का मतलब हमारे आस-पास के वातावरण से है. यह अनेक तत्वों से मिलकर बना एक समूह है जिसमे सभी तत्व या घटक प्राकृतिक संतुलन में रहते हुए वातावरण का निर्माण करते हैं.

जिसमे मानव जीवन, जीव-जंतु, वनस्पति इत्यादि का विकास क्रम लगातार चलता रहता है. परन्तु इन तत्वों में से एक भी तत्व की कमी आ जाएगी तो, प्राकृतिक क्रिया में रुकावट पैदा हो जायेगा और इसका प्रभाव दूसरे तत्वों पर जरूर पड़ेगा

उदाहरण के लिए अगर पर्यावरण से वनस्पति तत्व बाहर हो जाये, तब आप सोंच ही सकते हैं कि बिना पेड़-पौधों के सभी जीव-जंतुओं और मनुष्य का क्या हाल होगा, इस प्रकार से तो जीवन भी संभव नहीं हो पायेगा.

कई वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को मिल्यू (milieu) नाम से पुकारा, जिसका अर्थ होता है – चारों ओर के वातावरण का समूह। सामूहिक रूप से सभी तत्व आपस में मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं।

तो कइयों ने पर्यावरण के विषय में हैबिटेट (habitat) शब्द का इस्तेमाल किया – जिसका अर्थ है आवास। आवास का तात्पर्य यहाँ पर भौतिक एवं रासायनिक परिस्थितियों जैसे स्थान, स्तर, जलवायु इत्यादि से है।

पर्यावरण का अर्थ क्या है – What is the meaning of environment

पर्यावरण का संधि विच्छेद करने पर हम पाते हैं कि पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है परि + आवरण। जहाँ परि का तात्पर्य हमारे आस-पास से है और आवरण अर्थात घेरा.

इस तरह हम समझ सकते हैं कि पर्यावरण का अर्थ – हमारे आस-पास मौजूद सभी चीजों का घेरा पर्यावरण कहलाता है, पर्यावरण में सजीव व निर्जीव दोनों प्रकार के तत्व शामिल है।

पर्यावरण की परिभाषा – Definition of environment

पर्यावरण को परिभाषित करते हुए अनेक वैज्ञानिकों ने अपनी-अपनी राय दी है जो नीचे दी गई है –

पर्यावरण को परिभाषित करते हुए वैज्ञानिक हर्स कोकवट्स कहते हैं – “पर्यावरण उन सभी बाहरी दशाओं और प्रभावों का योग है, जो प्राणी के जीवन तथा विकास पर प्रभाव डालता है। “

जे एस रॉस के अनुसार पर्यावरण की परिभाषा – “पर्यावरण या वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है”

रोमन हालेण्ड के अनुसार – “पर्यावरण उन सभी बाहरी शक्ति और प्रभाव का वर्णन करता है जो प्राणी जगत के जीवन स्वभाव व्यवहार विकास एवं परिपक्वता को प्रभावित करता है।”

डॉक्टर डेवीज के अनुसार पर्यावरण की परिभाषा – “मनुष्य के सम्बन्ध में पर्यावरण से अभिप्राय भूतल पर मानव के चारों ओर फैले उन भौतिक समूहों से है, जिससे वे हमेसा प्रभावित होते रहते हैं।”

पर्यावरण की परिभाषा में डडले स्टेम्प का कहना है – “पर्यावरण प्रभावों का ऐसा योग है जो किसी जीव के विकास एवं परिस्थितयों के सभी तथ्य आपसी सामंजस्य से वातावरण बनाते हैं।”

पर्यावरण के सम्बन्ध में जे एस रास का कहना है – “पर्यावरण या वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।”

टामसन के अनुसार पर्यावरण की परिभाषा जो कि एक शिक्षा शास्त्री हैं – “पर्यावरण ही शिक्षक है और शिक्षा का कार्य छात्रों को उसके अनुकूल बनाना है।”

सी सी पार्क के अनुसार पर्यावरण की परिभाषा – “व्यक्ति एक विशेष समय पर जिस सम्पूर्ण परिस्थिति से घिरा हुआ है उसे पर्यावरण या वातावरण कहते हैं।”

इस तरह से अनेक वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को परिभाषित किया है, पर्यावरण को सीधे और सरल शब्दों में समझ के लिए बस आप यह जान लें कि हमारे आस-पास का सारा वातावरण पर्यावरण है.

Environment in hindi

पर्यावरण के प्रकार – type of environment

पर्यावरण के आधारभूत संरचना को दो भागों में बाटा जाता है –

  • भौतिक पर्यावरण
  • जैविक पर्यावरण

भौतिक पर्यावरण क्या है – What is physical environment

भौतिक पर्यावरण का तात्पर्य भौतिक और प्राकृतिक रूप से बनाये गए कारकों से है, जिस पर सीधा नियंत्रण प्रकृति का होता है मतलब की  इसके निर्माण में मानव कोई हस्तक्षेप नहीं करता इसके अंतर्गत आते हैं –

  • वायुमण्डल
  • स्थलमण्डल
  • जलमण्डल

वायुमण्डल क्या है – what is the atmosphere

आप जानते ही होंगे पृत्वी के चारों तरह एक गैसीय आवरण पाया जाता है, जो हमारे जीवमण्डल का अनिवार्य भाग है वायुमण्डल कहलाता है इसकी उचाई पृत्वी की सतह से 10000 किलोमीटर तक की होती है।

वायुमण्डल में पाए जाने वाले विभिन्न गैसों का मिश्रण –

वायुमण्डलीय गैस मात्रा प्रतिशत वायुमण्डलीय गैस मात्रा प्रतिशत 
नाइट्रोजन78.07%क्रिप्टॉन0.0010%
ऑक्सीजन20.95%मीथेन0.00015%
आर्गन0.93%हाइट्रोजन0.00005%
कार्बन-डाई-ऑक्साइड0.03%नाइट्रस ऑक्साइड0.00005%
हीलियम0.00052%ओजोन0.000007%
नियॉन0.0018%जिनान0.000009%
पर्यावरण में पाए जाने वाले गैसों की मात्रा

वायुमण्डल को हम कई भागों में बाट सकते हैं –

क्षोभमण्डल (troposphere)

क्षोभमण्डल पृध्वी की सबसे निचली परत होती है जो ध्रुवों पर 8 किलोमीटर तथा विषुवत रेखा पर 18 किमी उचाई तक होती है।

समतापमण्डल (stratosphere)

समतापमण्डल मण्डल पर ताप प्रारम्भ में ही रहता है किन्तु 20 किमी के बाद अचानक इसमें परिवर्तन आ जाता है और ऐसा ओजोन गैस के प्रभाव के कारण होता है जो पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर तापमान को बढ़ा देता है।

मध्यमण्डल (mesosphere)

इस मण्डल पर तापमान का अचानक गिरावट होता है इसकी उचाई 50 से 80  किमी तक होती है।

आयनमण्डल (ionosphere)

आयनमण्डल की उचाई 80 से 640 किमी तक होती है और इस मण्डल पर विद्युत आवेशित कणों की अधिकता पाई जाती है।

बाह्यमण्डल (exosphere)

इस मण्डल की उचाई 640 किमी से 1000 किमी तक होती है व इसके बाद वायुमण्डल अंतरिक्ष में विलीन हो जाता है।

स्थलमण्डल – स्थलमण्डल क्या है – what is the lithosphere

पृत्वी के जिस भाग में अधिकांश जीव-जंतु तथा पेड़ पौधे रहते हैं जो जीवन का मुख्य सार है स्थलमण्डल कहलाता है इसमें पठार, खनिज, मृदा, पहाड़, चट्टान इत्यादि आते हैं पृथ्वी का लगभग 29% भाग स्थलमण्डल के अंतर्गत आता है। इसमें शामिल है –

मृदा (soil)

यह पृथ्वी में भूपर्पटी का सबसे ऊपरी भाग है जो मुख्य रूप से खनिज तथा अपघटित कार्बनिक पदार्थो से बनी हुई है जिसमे पेड़ पौधे उगते हैं और कई जीवों का जीवन यापन होता है।

जलमण्डल (hydrosphere)

पृथ्वी का लगभग 71% भाग जल से घिरा हुआ है परन्तु जीवमण्डल में जल सभी जगह बराबर मात्रा में नहीं है हर जगह असमानता है। लवणों के आधार पर जल को तीन भागों में बाटा गया है।

  • अलवणीय जल
  • समुद्रीय जल
  • खारा जल

जैविक पर्यावरण क्या है – What is biological environment

इस पर्यावरण की उत्पत्ति जीव-जंतु तथा मानव द्वारा होती है इसमें मानव एक सम्पूर्ण घटक है। इसको हम जीव पर्यावरण तथा वनस्पत्ति पर्यावरण के अंदर लेते हैं। सभी जंतु अपने सामान विभिन्न सामाजिक समूह व संगठन की रचना में लगातार काम करते रहते हैं जिसे सामाजिक पर्यावरण कहते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसके कारण वह सामाजिक, भौतिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा रहता है।

पर्यावरण के सूचक

पर्यावरण के निम्न सूचक हैं –

  • जलवायु परिवर्तन की घटनाएं तथा भू ताप में बढ़ोतरी
  • मृदा अपरदन तथा पारिस्थतिकी-तंत्र के असंतुलित होने की घटनाएं
  • कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उत्पादन से बढ रही प्रदूषण की समस्याएं
  • क्लोरो फ्लोरो कार्बन के अत्यधिक उत्सर्जन से ओजोन परत का क्षीण होना।
  • रासायनिक प्रदूषणों के अधिक उपयोग से हो रहे जल प्रदूषण में वृद्धि।

पर्यावरण का अध्ययन क्षेत्र – Field of study of environment

इसके अंतर्गत –

  • पारिस्थतिकी तंत्र और परिस्थतिक तंत्र
  • जीवमण्डल के घटक
  • पर्यावरण प्रकोप
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरण विकास
  • स्थिर विकास तथा जीवमण्डल

पर्यावरण के प्रमुख तत्व – Elements of the environment

आप जान ही गए होंगे की पर्यावरण अनेक तत्वों का समूह है और हर एक तत्व का अपना एक महत्व है। अगर बात की जाये पर्यावरण के तत्वों के प्रकार की तो पर्यावरण के तत्व को दो भागों में बाटा जा सकता है –

  • जैविक तत्व और
  • अजैविक तत्व

पर्यावरण के अजैविक तत्व (paryavaran ke tatva)

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paryavaran ke tatva

1. पर्यावरण के तत्व – प्रकाश

प्रकाश की जरुरत हर व्यक्ति भली भाती जानता है, हरे पौधों को इसकी आवश्यकता भोजन बनाने के लिए पड़ती है पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से अपना भोजन बनाते हैं और इस हरे पौधे पर सभी प्राणी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहते हैं। सभी जीवों के लिए सूर्य से आने वाला प्रकाश ही ऊर्जा का अंतिम स्त्रोत है।

2. पर्यावरण के तत्व – वर्षण

वर्षण के कई रूप हैं जैसे – वर्षा, कोहरा, हिमपात, ओलावृष्टि इत्यादि यह एक महत्वपूर्ण कारक है जिससे सभी प्राणी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं हालांकि पृथ्वी के सभी जगहों पर वर्षण सामान नहीं हो सकता यह अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है।

3. पर्यावरण का तत्व – आद्रता व जल

वायु में नमी (आद्रता) का होना कई जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, तथा मनुष्यों के लिए जरुरी है कुछ प्राणी तो ऐसे हैं जो केवल रात में ही संक्रिय होते हैं क्योंकि रात में आद्रता अधिक होती है।

4. पर्यावरण का तत्व – वायुमण्डलीय गैस

स्थलीय जीवों के लिए आक्सीजन तथा कार्बनडाई ऑक्साइड सीमाकारी कारक नहीं होते वायुमण्डल में इन दोनों गैसों की भरपूर मात्रा पायी जाती है।

5. पर्यावरण का तत्व – तुंगता

अलग-अलग उचाईयों पर वर्षण तथा तापमान दोनों में भिन्नता पाई जाती है, वर्षण आमतौर पर उचाई के साथ बढ़ता जाता है लेकिन चरम इकाइयों पर यह कम हो सकता है तापमान प्रायः 2-3 अंश प्रति हजार फिट पर घटता जाता है।

6. पर्यावरण का तत्व – अक्षांश

जैसे-जैसे हम विद्युत रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे सूर्य का कोण भी सामान्यतः छोटा होता जाता है जिससे औसत तापमान गिरता जाता है।

7. पर्यावरण का तत्व – ऋतुपरक परिवर्तन

चुकि पृथ्वी अपने अक्ष पर झुकी हुई है इसलिए जब विद्युत रेखा से आगे बढ़ते जाते हैं तब वर्ष के दौरान सौर विकिरण का कोण बदलता जाता है। इससे मौषम में परिवर्तन आता है और ऋतुएँ बनती है जैसे- शीत, बसंत, ग्रीष्म तथा शरद।

8. पर्यावरण का तत्व – जल

जल पृथ्वी पर पाया जाने वाला एकमात्र अकार्बनिक तरल पदार्थ है, जो कि संसाधन, परिस्थिति, या आवास के रूप में काम आ सकता है. पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा सामान रहती है जबकि यह एक स्थान से दूसरे स्थान जाता रहता है।

9. पर्यावरण का तत्व – उच्चावच

भू-आकर या उच्चावच पर्यावरण का एक अति महत्वपूर्ण तत्व है आप जानते हैं कि पूरी पृथ्वी की धरातल सब तरफ एक बराबर नहीं है। कही पठार तो कही मैदान और कही पर्वत अलग-अलग जगहों पर मिटटी की गुणवत्ता भी भिन्न-भिन्न होती है।

10. पर्यावरण का तत्व – वायु

हवाओ का सम्बन्ध वायुभार तथा तापमान से होता है हवाएं उच्च वायुभार से निम्न वायुभार की दिशा में चलती है विश्व में सालभर चलने वाली व्यापारिक, पछुआ व ध्रुवीय हवाएं है तो दूसरी तरफ मौषम के साथ परिवर्तित होने वाली मानसूनी हवाएं है

इसके अलावा स्थानीय हवाएं और चक्रवात भी चलते हैं ये सभी हवाएं जलवायु अर्थात तापक्रम वर्षा आदि को प्रभावित करती है तथा इनका प्रभाव वनस्पति और मानव पर भी होता है।

पर्यावरण के जैविक तत्व (Biological elements of the environment)

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ऊपर आपने पर्यावरण के अजैविक तत्वों के बारे में जाना इसके अलावा पर्यावरण के जैविक तत्व के अंदर भी दो घटक आते हैं परपोषी और स्वपोषी

1. स्वपोषी तत्व : जीव, हरे पौधे कुछ खास जीवाणु और सैवाल जो सूर्य के प्रकाश की उत्पत्ति में सरल अजैविक पदार्थों में अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं ऐसे जीव जो स्वयं अपना भोजन बना सकते हैं स्वपोषी अथवा प्राथमिक उत्पादक कहलाते हैं।

2. परपोषी तत्व : वे सभी जीव जो अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते एवं अन्य जीवों से अपना भोजन प्राप्त करते है परपोषी या उपभोक्ता कहलाते हैं।

पर्यावरण पर मनुष्य का प्रभाव – Impact of man on environment

मानव का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को 2 रूपों में बाटा गया है –

1. पर्यावरण पर प्रत्यक्ष प्रभाव – Direct impact on the environment

इसमें मनुष्य अपने किये गए कार्य के परिणामों को जानता है और जानते हुए भी लगातार पर्यावरण को प्रभावित करता रहता है इसके उदाहरण है – नाभिकीय कार्यक्रम, निर्माण व उत्खनन, भूमि उपयोग में परिवर्तन इत्यादि।

2. पर्यावरण पर अप्रत्यक्ष प्रभाव – Indirect impact on the environment

इसके अंतर्गत उन परिणामो को लिया जा सकता है जिन्हे पहले से सोचा नहीं गया होता उदाहारण के लिए औद्योगिक विकाश हेतु किये जाने वाले इसमें हम केवल अपने आधुनिक जरूरतों को देखते हैं

इसके वजह से पर्यावरण को जो नुकसान होगा यह हम नहीं सोचते। ये पारिस्थितिक तंत्र में ऐसे परिवर्तन ला देते हैं जो मानव जीवन के लिए घातक होता है।

आन्तरिक पर्यावरण का रख-रखाव – Maintenance of internal environment

आतंरिक पर्यावरण के अंतर्गत घर के रख-रखाव से समझा जा सकता है अगर घर के अंदर साफ-सफाई मरम्त इत्यादि रखा जाता है तब यह स्वस्छ आतंरिक पर्यावरण कहलाता है।

घरों में समस्या दूषित वायु, रोगाणु, कीटाणु, जीवाणु इत्यादि से आते हैं यहाँ तक की रेडान जैसी खतरनाक गैस भी घरों में समस्या उत्पन्न करती है। आतंरिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  • नमी
  • धूल
  • आद्रता
  • वातायन

पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियां

इस लेख को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे की पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्व है अगर पर्यावरण नहीं तो हम नहीं कोई जीवन नहीं यह हम भली भाति जानते हैं कि पर्यावरण का जिस प्रकार दोहन कर रहे हैं इसका दुष्प्रभाव हम पर ही पड़ेगा बावजूद इसके हम इंसान समझने वाले नहीं है

पर्यावरण के विषय में हम केवल नारा व भाषण देना बस जानते हैं पर्यावरण के प्रति अपनी जुम्मेदारियों से तो हम कोसो दूर हैं। हम इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद भी क्यों इन चीजों को समझ नहीं पाते कि पर्यावरण अगर स्वस्छ है तब हम स्वच्छ हैं

भले ही हम हजारों भयंकर बीमारी के चपेट में आ जाये परन्तु हमारी अक्ल ठिकाने कभी नहीं आएगी। हम अपने और अपने आने वाली पीढ़ी का नुकसान करते ही रहेंगे।

पर्यावरण से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  • प्रश्न : पर्यावरण क्या है पर्यावरण के प्रकार?

    उत्तर : हमारे आस-पास व चारों ओर के वातावरण को पर्यावरण कहते हैं. पर्यावरण के प्रमुख दो प्रकार है (1) प्राकृतिक पर्यावरण (2) मानवनिर्मित पर्यावरण.

  • प्रश्न : पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

    उत्तर : पर्यावरण का हमारे जीवन में महत्व इतना है कि हम इसके बिना जीवित नहीं रह सकते अपितु पर्यावरण के बिना कोई भी जीव जंतु व प्राणी जीवित नहीं रह सकता.

  • प्रश्न : पर्यावरण के मुख्य घटक कौन कौन है?

    उत्तर : पर्यावरण के प्रमुख घटक – जलमण्डल, स्थलमण्डल, वायुमण्डल तथा जीवमण्डल है.

  • प्रश्न : पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

    उत्तर : बढ़ता हुआ प्रदूषण और औद्योगीकरण, संसाधनों का दुरपयोग, अम्ल वर्षा, ऊर्जा का दुरपयोग इत्यादि पर्यावरण को प्रभावित करते हैं.

  • प्रश्न : पर्यावरण के लिए क्या खतरा है?

    उत्तर : लगातार बढ़ता हुआ प्रदूषण जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, मानवीय क्रियाकलाप इत्यादि पर्यावरण के लिए खतरा है.

अंतिम शब्द :

दोस्तों अभी भी वक्त है पर्यावरण का जितना दोहन हुआ है उन्हें हम वापस तो ठीक नहीं कर सकते परन्तु अपने जिम्मेदारियों को समझ कर पर्यावरण के लिए इसकी भरपाई जरूर कर सकते हैं इसलिए पर्यावरण को स्वस्छ रखे साफ रखे हमेसा पेड़ लगाते रहें।

उम्मीद है की आपको यह लेख पर्यावरण क्या है ? पर्यावरण का अर्थ व परिभाषा क्या है ? (what is environment in hindi) पसंद आया होगा

अगर जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर shear करें ताकि पर्यावरण के महत्व को वे भी अच्छे से समझ पाए और नई-नई ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए हमारे टेलीग्राम ग्रुप से अवश्य जुड़ें जिसका लिंक निचे दिया हुआ है – धन्यवाद

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This Post Has 2 Comments

  1. satyajeet singh

    पर्यावरण उन सभी चीजों को बोला जाता है जो हमारे आस पास है, मनुष्य भी इसका हिस्सा है. हर एक चीज पर्यावरण है जैसे मिट्टी, लकड़ी, घास, बकरी, पशु इत्यादि।।।। जीवन ही तो पर्यावरण है,, इसलिए यह आवश्यक है.

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