ग्लोबल वार्मिंग या भूमण्डलीय तापन क्या है | What is Global Warming in hindi

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Global Warming : पहले की अपेक्षा पृथ्वी का पर्यावरण आज के समय में तेजी से बदला है और यह सब बढ़ती आबादी और उसके क्रियाकलापों के बदौलत है।

ग्लोबल वार्मिंग या भूमण्डलीय तापन में हम इन्ही चीजों को जानेंगे कि आखिर क्या कारण है जो ग्लोबल वार्मिंग इतना बढ़ा है ? ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के क्या दुष्परिणाम हैं ? और किस तरह ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित किया जा सकता है ?

ग्लोबल वार्मिंग क्या है – What is Global Warming in hindi

ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय तापन क्या है – का समान्य अर्थ मनुष्यों के क्रियाकलापों के वजह से वायुमण्डल और धरातलीय वायु के ताप में हो रही बढ़ोतरी. भूमण्डलीय विकिरण सन्तुलन में परिवर्तन तथा उसके कारण स्थानीय, प्रादेशिक और वैश्विक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है।

सरल शब्दों में कहा जाये तो – लगातार पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन तथा विभिन्न ग्रीन हॉउस गैसों के कारण पृथ्वी का बढ़ता तापमान ग्लोबल वार्मिंग या भूमण्डलीय तापन (Global warming) कहलाता है, जो आने वाले समय में हमारे लिए एक बड़ी समस्या व खतरा है।

इसमें होता यह है कि अवशोषित ऊर्जा अवरक्त किरणों के रूप में आंतरिक्ष में परावर्तित होता है। परन्तु कुछ विकिरण वायुमण्डल गैसों द्वारा अवशोषित हो जाता है और इस तरह आने वाली ऊर्जा का पूरा-पूरा भाग अंतरिक्ष में नहीं पहुंच पाता। इन गैसों द्वारा रोकी गई ऊष्मा के कारण वायुमण्डल गर्म हो जाता है और यही कारण है कि पृथ्वी का औसत तापमान 15’C से बढ़कर 18’C हो जाता है।

सौर विकिरण से पृथ्वी की सतह और वायुमण्डल दोनों गर्म हो जाते हैं। आने वाले विकिरण का लगभग एक तिहाई भाग अंतरिक्ष में वापस चला जाता है और लगभग 20% भाग को वायुमण्डलीय गैसें अवशोषित कर लेती है तथा शेष बचे भाग पृथ्वी की सतह पर पहुंच कर अवशोषित हो जाते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ – Meaning of Global Warming

वातावरण में चारो तरह गर्मी और ऊष्मा का बढ़ता हुआ प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है, इसका प्रमुख कारण मनुष्यों द्वारा संसाधनों का दुरुपयोग, जैव ईंधन भण्डारण का हास और वृहद् रूप से भू उपयोग में बदलाव है।

समस्त मानवीय क्रियाओं द्वारा वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड व ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी तथा समतापमण्डल की ओजोन परत का हास ये प्रमुख कारण है भूमण्डलीय पर्यावरण में परिवर्तन लाने के।

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औद्योगिक क्रांति आने के बाद भले ही वायुमण्डल में जल वाष्प की सांद्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा परन्तु ग्रीन हाउस गैसों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। यह इसलिए कि -जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग के कारण व वनोन्मूलन से कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता बढ़ी है

निचले वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के संयोजन में बहुत स्पष्ट बदलाव आया है जिसका प्रभाव बर्फ कोर नमूनों में CO2 को मापने पर प्राप्त होता है तथा साल 1958 से हवाई के मोनालोवा वेधशाला में CO2 को सीधे मापा जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव के क्या-क्या कारण है?

ग्लोबल वार्मिंग के लिए केवल एक ही कारण उत्तरदायी नहीं है बल्कि इसके अनेक मुख्य कारण है जिनकी सूची आप नीचे देख सकते हैं –

ग्रीन हाउस गैसें है ग्लोबल वार्मिंग का कारण?

ग्रीन हाउस गैस ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु में बदलाव का सबसे प्रमुख कारण हैं यह सूर्य से प्राप्त ऊष्मा को अपने अंदर सोख लेती है जिससे पृथ्वी का वातावरण लगातार गर्म होता रहता है, जिसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस को माना जा सकता है।

इसके अलावा नाइट्रस ऑक्साइड और क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसे अन्य गैसें भी है जो पृथ्वी का तापमान को बढ़ाने तथा global warming के लिए जिम्मेदार हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस

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इस गैस को ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्यादा उत्तरदायी माना जाता है, कार्बन डाई-ऑक्साइड प्राकृतिक व मानवीय दोनों रूप से उत्सर्जित की जाती है हलांकि मानवीय रूप से इसका उत्सर्जन कही ज्यादा है आकड़ों की माने तो अद्योगीकरण के बाद कार्बन डाई-ऑक्साइड की मात्रा में 30% की बढ़ोतरी हुई है।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तर दायी मीथेन गैस

देखा जाये तो मीथेन गैस को कार्बन डाई-ऑक्साइड से अधिक ग्लोबल गैस के रूप में माना जाता है परन्तु कार्बन डाई-ऑक्साइड की तुलना में इसकी मात्रा कम है।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी क्लोरो-फ्लोरो कॉर्बन गैस

एयर कंडीशनर और रेफ़्रिजरेटर में मुख्य रूप से उपयोग किया जाने वाला यह घातक ग्लोबल वार्मिंग गैस है।

प्रदूषण के वजह से ग्लोबल वार्मिंग – Global warming due to pollution

लगातार हर क्षेत्र में बढ़ता हुआ प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है आज के समय में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमे प्रदूषण ना बढ़ा हो हम अपने सुख सुविधाओं के लिए निरंतर अद्योगीकरण में लगे हुए है

परन्तु अपनी सुविधाओं के चक्कर में हम खुद का कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं जिसकी भरपाई करना मुश्किल हैं, हमें ये बातें समझनी चाहिए।

प्रदूषण के प्रकार जो global warming हानि पंहुचा रहे हैं

  • जल प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण

इन सभी प्रदूषणों को विस्तार से पढ़ें – प्रदूषण क्या है ?

इत्यादि प्रदूषक हैं जो पर्यावरण में कई विषाक्त गैसों का निर्माण करते हैं जिनसे भूमण्डलीय तापन (global warming in hindi) बढ़ता है।

बढ़ता हुआ औद्योगीकरण क कारण ग्लोबल वार्मिंग

यह बात तो सभी जानते हैं कि जितना अधिक अद्योगीकरण होगा उतना ही अधिक प्रदुषण भी क्योंकि औद्योगीकरण से बड़े पैमाने पर प्रदुषण उत्सर्जित होता है जो भूमण्डलीय तापन (Global warming) को प्रभावित करता है, प्रदूषणों के रूप इस प्रकार है –

  • उद्योग से उतसर्जित विषैला गैस
  • उद्योग से निकला दूषित जल
  • प्लासटिक्स
  • विषाक्त धुँआ
  • खतरनाक रसायन, इत्यादि

जनसँख्या में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग (भूमण्डलीय तापन) का सबसे अधिक प्रतिशतता बढ़ती हुई जनसँख्या है, जैसा की आप जानते हैं मनुष्य द्वारा ही सबसे अधिक कार्बनिक पदार्थ उत्सर्जित किया जाता है, तो जितना अधिक जनसख्या होगा उतना ही अधिक कार्बनिक पदार्थ व प्रदुषण। अगर विस्तार से देखा जाये तो बढ़ती जनसँख्या से ग्लोबल वार्मिंग कई प्रकार से प्रभावित होता है।

शहरीकरण से Global warming को नुकसान

शहरीकरण में भी तेज़ी से वृद्धि हो रहा है, रोज नए-नए बिल्डिंगे और इमारते बनाये जा रहे हैं, लोग गावों को छोड़कर शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जितना बड़ा महानगर होता है

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वह उतना ही अधिक अपशिस्ट पदार्थ व कचरा उत्सर्जित करता है इसके अलावा शहरीकरण के लिए पेड़ों और जंगलों की भी बड़ी मात्रा में कटाई होती है, अत्यधिक अपशिष्टों के कारण भूमि भी प्रदूषित होती इस तरह गांव के अपेक्षा शहर बड़ी मात्रा में Global warming के लिए जिम्मेदार हैं।

जंगलों की लगातार कटाई से ग्लोबल वार्मिग प्रभावित हैं

कार्बन डाई-आक्साइड गैस जो ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी है इसे ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन देने का काम पेड़-पौधे करते हैं। वैसे भी कार्बनडाई ऑक्साइड का उत्सर्जन इतना अधिक हो गया है और जंगलों व पेड़ों की संख्या कम है।

उस पर भी लगातार पेड़ों की कटाई यह हमारे लिए बेसक विनाश का कारण है. क्योंकि अगर ऐसा ही चलता रहा तो तापमान इतना बढ़ जाएगा व ग्लेशियर पिघलकर समुद्र से मिलने लगेंगे

इससे समुद्र के जल में बढ़ोतरी होगा और भू स्थल समुद्र में डूबने लगेंगे, समुद्रों के किनारे बसे सारे शहर डूब जायेंगे तब वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से सारे जीव समाप्त हो जायेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन छिद्र – Ozone hole due to Global warming hindi

ओजोन छिद्र भी ग्लोबल वार्मिग के लिए उत्तरदायी है, अन्टार्टिका में बड़े पैमाने पर ओजोन छिद्र हुए हैं जिनसे सूर्य की पराबैगनी किरण सीधे हमारे पर्यावरण पर प्रवेश करती है और भू परत द्वारा इस किरण को सोख लेने के वजह से तापमान में वृद्धि होती है।

ओजोन परत के हास के लिए मुख्य रूप से क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस उत्तर दायी है जो रेफ्रीजरनेटरों और एयर कंडीशनरों के स्तेमाल के वजह से उत्पन्न होते हैं।

इसके अलावा खेतों में फसल को नुकसान को बचाने के लिए भारी मात्रा में कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है यह भी ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) का एक कारण है।

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ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले प्रभाव – Effects of global warming in hindi

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पर्यावरण के सभी घटकों पर पड़ता है जो इस प्रकार से हैं –

ग्लोबल वार्मिंग का जलवायु पर प्रभाव

कार्बन डाई ऑक्साइड व अन्य गैसों के सांद्रता बढ़ने से ग्रीन हाउस प्रभाव में बढ़ोतरी हुई है जिस कारण वैश्विक तापमान भी बढ़ा है अगर तुलना की जाये तो वर्ष 1860 ईस्वी से आज का तापमान 0.3′ से बढ़कर 0.6′ हो चूका है।

साथ ही उत्तरी गोलार्ध में वर्षा, शरद और ठण्डी में भी वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन और अंतर्सरकारी चैनल के अनुसार अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2100 तक पृथ्वी के औसत तापमान पे 1.4’C से 5.8’C की बढ़ोतरी होगी हालांकि यह आकड़ा अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होगा।

जैसे टुंड्रा जीवोंम के उष्णकटिबधीय वर्षा वन की तुलना में अधिक तापमान हो सकता है। इसके अलावा सूखा, बाढ़ आदि समस्याओं में भी वृद्धि हो सकती है।

जलवायु बदलाव के कारण रोगों का भी मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा खासकर रोगवाहक और जलीय रोगाणु के बदलाव से।

ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र सतह का बदलाव

पहले की अपेक्षा समुद्रतल में तेज़ी से परिवर्तन हुए है 1990 की तुलना में 20 वी सदी में यह परिवर्तन 0.88mm बढ़ने की उम्मीद है। समुद्र तल के बदलाव के लिए कई कारण हैं जिसमे सबसे महत्वपूर्ण है उष्मीय फैलाव इसके अलावा –

  • हिमखंडो/हिमनदों का पिघलना
  • अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड के पट्टियों का पिघलना
  • स्थानीय जल भंडार में परिवर्तनं

ग्लोबल वार्मिंग व समुद्र तल के परिवर्तन से नुकसान (Dmage from Global warming)

  1. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की लगभग 40% जनसँख्या समुद के तटीय भागों में 60 किलोमीटर के दायरे में रहती है। अब ऐसे में समुद्र लत में बढ़ता हुआ पानी तथा तेज़ी से उठती लहरें इन बस्तियों और शहरों को डुबाने के लिए काफी होंगी जो एक बहुत बड़ा नुकसान होगा।
  2. समुद्र का बढ़ता खारा पानी, स्वस्छ जल को प्रभावित करेगी जिससे भविष्य में जल संकट का खतरा होगा।
  3. समुद्र किनारे के महाद्वीपों, टापुओं, मॉरिशस, मालदीव इत्यादि समुद्र में दुब जायेंगे।
  4. अगर समुद्रीय तट के विभिन्न पर्यटक स्थल डूब जायेंगे तो इससे जान-माल के साथ साथ बड़ी मात्रा में रोजगार का भी नुकसान होगा।
  5. समुद्रीय पारिस्थतिकी तंत्र पर कार्य करने वाले सभी जीवों का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जायेगा, मछली पर निर्भर रहने वाले मछुवारों के जीवन पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
  6. एक बड़ा भू-भाग जलमग्न हो जाने के वजह से उपजाऊ जमींन, पेड़ पौधे व अन्य कई चीजों का बहुत मात्रा में नुकसान होगा।

ग्लोबल वार्मिंग से प्रजातियों के जीवन शैली पर प्रभाव

समुद्र किनारे या हिमखण्डों में रहने वाली प्रजाति व जीव-जंतुओं को अपने स्थान से दूसरे स्थान पलायन करना होगा। जिससे उनके जीवन शैली में काफी प्रभाव पड़ेगा।

एक अलग वातावरण से दूसरे वातावरण वातावरण में स्वयं को ढालना इतना आसान नहीं होता उदहारण के लिए हिमखंडों में पायी जाने वाली ध्रुवीय भालुओं के लिए किसी अन्य गर्म वातावरण में रह पाना आसान नहीं होगा।

ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य उत्पादन पर प्रभाव

तापमान में वृद्धि होने से पौधों संबंधित कई रोगों और खरपतवार में भी वृद्धि होती है, इसके कारण फसल का उत्पादन घट जाता है तापमान में कम वृद्धि से फसल उत्पादन बढ़ता है परन्तु इसके विपरीत तापमान में वृद्धि उत्पादकता कम कर देती है।

कार्बन डाई-ऑक्साइड के लाभदायक उर्वरक के इस्तेमाल के बावजूद भूमंडलीय तापन (global warming in hindi) से खाद्य उत्पादन गिर जायेगा और इससे पुरे विश्व में खाद्य समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

ग्लोबल वार्मिंग व ओजोन छिद्र (Global warming and ozone hole)

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  1. वायुमण्डल में ओजोन की माप साल 1957 में ब्रिटिश दक्षिण ध्रुव सर्वेक्षण दल ने आरम्भ की थी, वर्ष 1985 में पता चला की दक्षिण ध्रुव प्रदेश के ऊपर बसंत ऋतू में ओजोन का पर्याप्त मात्रा में हास होता है।
  2. आकड़ों के अनुसार ओजोन की सांद्रता वर्ष 1970 में 300DU से घटकर वर्ष 1984 में 200DU पहुंच गयी थी। यह वर्ष 1988 में थोड़ी बढ़कर 250DU हुई परन्तु 1984 में कम होकर 88DU हो गयी। इस तरह वर्ष 1970 के दशक के बीच में ओजोन सांद्रता में लगातार गिरावट होने लगी ओजोन सांद्रता में इस हास को ओजोन छिद्र कहा जाता है।
  3. आर्कटिक समतापमंडल बसंत में जल्द गर्म व ठण्डा हो जाता है जिससे सूर्य की रोशनी के क्रांतिक अतिव्याप्ति का समय कम हो जाता है, जो ओजोन हास् के लिए अनुकूल परिस्थति है।
  4. समतापमण्डल में पराबैगनी विकिरण ओजोन का प्रकाश विच्छेदन करता है और O3 को O2 और O में तोड़ देता है जो जल्द ही फिर से जुड़कर O3 बना देता है इस क्रिया में पराबैगनी किरणों में ताप के रूप में ऊर्जा निकलता है, इस प्रकार ओजोन के निर्माण एवं विघटन में संतुलन स्थापित हो जाता है।
  5. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का उपयोग सेविंग क्रीम, हेयर स्प्रे, पेंटों, कीटनाशकों के पैकेजिंग में प्रयोग होने वाले स्प्रेकणों में नोदन के रूप में होता है, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन अग्निशामकों के रूप में प्रयोग होते हैं जबकि अन्य क्लोरीन यौगिक विलायकों के रूप में और ड्रायक्लीनिंग में उपयोग किया जाता है।
  6. क्लोरो फ्लोरो कार्बन जब एक बार वायुमण्डल के ऊपरी भाग में पहुंच जाता है तो यह समतापमण्डलीय ओजोन अणुओ को तेज़ी से नष्ट करता है।

ओजोन हास् के प्रभाव

ओजोन की सांद्रता में कमी के कारण पराबैगनी विकिरण अधिक मात्रा में पृथ्वी पर पहुँचता है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य, जानवरों, पौधों सूक्ष्म जीवों, अन्य पदार्थों तथा वायु गुणवत्ता के लिए हानिकारण होते हैं। इसके अलावा मनुष्यों तथा जानवरों के स्वास्थ्य पर, स्थलीय पादपों पर, जलीय पारितंत्रों पर तथा पदार्थों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

ग्लोबल वार्मिंग से हमारे जीवन पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग से केवल मानव जीवन ही नहीं अपितु पूरा पृथ्वी और पृथ्वी के सारे जीव जंतु प्रभावित होंगे global warming in hindi आने वाले भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है जिसको सहीं समय पर नहीं समझा गया तो प्रत्येक जीव पृथ्वी से समाप्त हो जाएंगे हालाकिं थोड़ा देर से ही सहीं परन्तु कई बिमारियों और परेशानियों से झुझते हुए कष्टों से भरकर यह जीवन समाप्त हो जाएगी।

ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय – Measures to avoid global warming

ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के लिए सरकारी और गैर सरकारी अर्थात निजी तौर पर कई सारे कदम उठाये जा रहे हैं परन्तु यह बड़े पैमाने पर नहीं हो पा रहा है लोगों में इसके प्रति जागरूकता बिल्कुल ना ही के सामान है।

क्योंकि कोई भी व्यक्ति ग्लोबल वार्मिंग (global warming in hindi) के इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है, जो आने वाली समय में एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी।

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के लिए प्रयास

ग्रीन हाउस गैसों को अवशोषित करने हेतु 44,000 करोड़ रूपये की लागत से “ग्रीन इण्डिया मिशन” प्रस्ताव लाया गया था, जिसके तहत सन 2020 तक 20 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल को वनीकरण के तहत लाया जाना था।

देश में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और वन क्षेत्र पर नजर रखने हेतु इसरों द्वारा सन 2012 में उपग्रह प्रक्षेपित किया गया था। फिर सन 2013 में एक और उपग्रह प्रक्षेपित किया गया जो वन क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए था।

भूमण्डलीय तापन से बचने व रोकथाम के लिए अन्य प्रयास

  • जीवश्म ईंधन का उपयोग कम करके तथा उसके स्थान पर – पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, आदि का उपयोग कर global warming को कम किया जा सकता है।
  • वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक गैसों का उचित निपटारा करके।
  • अत्यधिक प्रदुषण फैलाने वाले तथा वायुमण्डल को गर्म करने वाले वाहनों के उपयोग में पाबन्दी लगाकर।
  • सरकारी रूप से उन चीजों पर पाबन्दी लगाकर जिनसे ओजोन परत को हानि पहुँचती है।
  • रेफ्रीजरनेटरों और एयरकंडीशनरों का उपयोग कम से कम करके।
  • पेड़ों की कटाई पर रोक लगाकर व भारी मात्रा में पेड़ लगाकर।
  • नष्ट ना होने वाली तथा पर्यावरण को नुकशान पहुंचाने वाली चीजों को दोबारा उपयोग में लाकर।
  • बिजली का बचाव करके व बेमतलब की बिजली खर्चने के बजाय खिड़की दरवाजे और सूर्य के प्रकाश का अधिक से अधिक उपयोग करके।
  • ईंधन के लिए स्वस्छ माध्यम का उपयोग करके।
  • खेतों में नाइट्रोजन खादों का उपयोग करके।
  • गर्म पानी का उपयोग जितना हो सके कम करके।
  • जनसँख्या में वृद्धि सभी समस्याओं का जड़ है इसलिए जनसँख्या के प्रति विशेष जागरूकता अभियान चलाकर, व हम दो हमारे दो अभियान का पालन करके।

FAQ

प्रश्न : ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

उत्तर : क्लोरो फ्लोरो कार्बन तथा अन्य गैसों के कारण पृथ्वी का बढ़ता हुआ तापमान ग्लोबल वार्मिग कहलाता है.

प्रश्न : ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके चार दुष्प्रभाव लिखिए?

उत्तर : तूफान, सूखा पड़ना, बाद आना, जंगलों में आग लगाना इत्यादि ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव है.

प्रश्न : ग्रीन हाउस गैसें कौन कौन से हैं?

उत्तर : क्लोरो फ्लोरो कार्बन, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन इत्यादि अनेक गैस है, जो ग्रीन हॉउस प्रभाव गैसें हैं.

प्रश्न : तापमान बढ़ने का कारण क्या है?

उत्तर : तापमान बढ़ाने वाली गैसों जैसे – कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन, मीथेन, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि तापमान बढ़ने का कारण है.

ग्लोबल वार्मिंग को video के माध्यम से समझें – understand global warming through video

निष्कर्ष

यह पृथ्वी और पर्यावरण हमारी अमूल्य धरोहर है, हमें कोई हक़ नहीं है की हम इसका दोहन करें यह तो हमारे लिए एक बेसकीमती तोहफा है, जिसे सुरक्षित रूप से हमें अपने आने वाली पीढ़ी को सौपना है।

आज पर्यावरण में जो भी समस्याए चल रही है वह सब हम इंसानों के बदौलत ही है क्योंकि बिना कुछ किये तो समस्याएं आती नहीं है।

खैर जो हुआ उसे हम बदल तो नहीं सकते परन्तु थोड़ी समझदारी दिखाते हुए अपने गलतियों को तो सुधार सकते हैं इसलिए दोस्तों जागरूक बने और जागरूकता फैलाएं, हम सब मिलकर पर्यावरण को बचाये क्योंकि – अगर पर्यावरण नहीं तो हम नहीं।

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