12 कठोर सीख ताकि जवानी में कदम रखने वालों को पछताना ना पड़े

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12 कठोर सीख ताकि जवानी में कदम रखने वालों को पछताना ना पड़े

काश मै अपने पुराने समय में लौट सकता और कुछ सुधार कर लेता… हाय रे ये काश,

नमस्कार दोस्तों, आज के समय जो बात सबसे सटीक बैठती हैं वह ये है कि – जिंदगी में समय कम है, इसलिए खुद गलती करके सीखने के बजाय दूसरों की गलतियों से सीखना उचित है। 

हम अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से ज्ञान और सीख की बातें सुनते रहते हैं, ये केवल बातें और लेक्चर नहीं होता ये उनके पुरे जीवन का अनुभव होता हैं।

हम रोजाना अपने जीवन में अनेक उपदेश सुनते रहते हैं, पर हमें लगता हैं इसमें नया क्या हैं, इस तरह की बातें तो हम अक्सर सुनते आएं हैं परन्तु हम उन बातों को केवल ऊपरी तौर पर सुनते हैं, अगर उन बातों को गहराई से समझा जाए तो हमारी जीवन की कितनी उलझने सुलझ सकती हैं, और हम ये काश, जैसे पछतावा भरे शब्दों को अपने जीवन से दूर कर सकते हैं।

एक तरफ महत्वपूर्ण शास्त्र है, महाभारत जिसमे हजारों-लाखों बातें किस्से-कहानियों वृतांत और कथा के माध्यम से बताई गयी हैं और इसी महाभारत का एक भाग हैं श्रीमदभगवत गीता जिसमे भगवान् श्री कृष्ण ने बहुत ही गंभीर बात बताई हैं। 

मै ये नहीं कहता की आप रामायण, महाभारत गीता इन सब के बारे में नहीं जानते हैं, या विश्वास नहीं करते, आप बेसक जानते हैं. परन्तु गौर से देखा जाएँ तो कई इसे कथा के रूप में सुन लेते हैं और ऐसा सोचते हैं कि यह तो पुराने ज़माने की बात हैं आखिर भला अब ऐसा क्यों होने लगा। 

जब आप महाभारत गीता पढ़ते हैं तो आप इनमे किस्से कहानियों का विशेष मजा लेते हैं चाहे वह जुआ प्रसंग, महाभारत युद्ध, द्रोपती चीरहरण, इत्यादि हो। फिर गीता के उन उपदेशों को केवल एक लाइन में समेट देते हैं और कहते हैं कि श्री कृष्ण ने तो कहा हैं कर्म किये जा फल की चिंता मत कर, फिर स्वयं के विचार बना लेते हैं कि यह कैसे संभव हो सकता हैं कि कर्म करेंगें और फल की चिंता नहीं करेंगें.

अगर हम कर्म करेंगें तो फल की चिंता तो करेंगें ही। इसके आलावा हमारे पास विदुर निति, शुक्राचार्य निति चाणक्य निति इत्यादि अनेक ग्रन्थ है, जिसमे निति की सारी बातें कूट-कूट कर भरी हुई है परन्तु इसको समझना और इसका पालन करना यह ज्यादातर लोग नहीं करते। 

दोस्तों गलती करना अच्छी बात है क्योंकि इंसान गलती करके ही सीखता हैं और अपने आने वाली जिंदगी को बेहतर बनाता हैं, परन्तु गलती करने पछताने से बेहतर तो दूसरों की गलतियों से सीखकर अपने life में सुधार करना हैं। अपनी life में काश शब्द को आने मत दीजिये क्योंकि एक बार जो समय निकल जाता हैं वह दोबारा लौट कर नहीं आता और रह जाता है तो केवल पछतावा।   

1. क्या वास्तव में ऐसा हो सकता था?

पुरे विश्वास के साथ तो नहीं कहा जा सकता परन्तु अपने अनुभव के अनुसार यह बताया जा सकता हैं जैसे अगर आप ने कर्ज नहीं लिया होता तो आपको पता कैसे चलता कि कर्ज से किस तरह छुटकारा पाया जाता है।

और आपके जिंदगी में किन-किन वजहों से कर्जा हो सकता है।  यह भी लगता है की गृहस्थी जीवन पूरी तरह सुखी रूप से नहीं चल रही हैं, कभी-कभी लगता है कि आखिर शादी ही क्यों कि परन्तु साथ में यह भी लगता है कि अगर शादी नहीं करता तो यह दो प्यारे-प्यारे बच्चे कैसे होते। 

जिंदगी में ऐसा लगता है मानो अपने साथ हुए सारी घटनाओं एक बार बदल दिया जाएँ और फिर उसी 23 के उम्र से एक नयी शुरुवात की जाएँ, क्या ये मेरे लिए ठीक है, नहीं बिल्कुल नहीं, क्योंकि मैने अपनी गलतियों से सीखा है और मै इन्हे इसलिए लोगों तक पहुँचाना चाहता हूँ ताकि जवानी में कदम रखने वालों के लिए यह एक कठोर सबक साबित हो। 

हाँ मानता हूँ की यहाँ जो बातें बताई गयी है, जरुरी नहीं है कि सभी पे फिट बैठे क्योंकि सबकी अपनी अपनी राय और list होती है. जीवन के नजरिये को लेकर परन्तु हजार कमियों के बाद भी यह लेख इसलिए आपको पढ़ना चाहिए या इसलिए आपके लिए जरुरी है क्योंकि इस list में मैं जिन topic को मै शामिल कर रहा हूँ. वे सामान्य हैं और सभी के साथ घटित होती हैं।

तो क्यों ना इस जानकारी को अपने जवानों तक पहुंचाया जाए जिससे उन्हें बाद में – काश या पछतावे जैसे शब्दों से दूर ही रहना पड़े।   

2. काश मैने खर्च करने पर नियंत्रण किया होता?

पैसे के अहमियत को अब तक मैंने नहीं जाना था और बिना किसी मतलब के व्यर्थ में खर्च किये जाता. मै केवल दूसरों को दीखाने के ही चक्कर में तरह-तरह के कपडे पहनता, स्टाइलिश घड़ियाँ पहनता, बाइक तेज़ी से चलाता।

अब ये सब बातें मुझे वक्त निकलने के बाद याद आयी तब दिमाग कहता कि काश उस समय जरुरत से ज्यादा खर्च नहीं करता तो आज इतना कर्जा नहीं होता।  अब, जब भी मै पैसे खर्च करता हूँ तो हजार बार सोचता हूँ कि क्या वाकई मै मुझे जरुरत है या इसे खरीदना मेरे लिए उपयोगी होगा की नहीं।

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ये आज कि limitation ऐसा है कि काश मै पहले अपने खर्च पर ध्यान दिया होता तो आज बात ही कुछ और होती।   कई-कई बार अपने दोस्तों को व अन्य लोगों को बचत करते देखता तो ऐसा लगता था जैसे ये लोग ऐश करना ही नहीं जानते केवल और केवल बचत कर रहें हैं. परन्तु आज मै गलत साबित हो गया हूँ आज वे लोग ऐश कर रहे हैं और मै कर्जे में हूँ. शायद उनपर कोई कर्ज नहीं है। 

but हाँ मैने भी अब बचत करना सीख लिया है, देर से ही सहीं पर समझ तो आ ही गयी परन्तु यह बात आप लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है क्योंकि आप शायद सहीं वक्त में ये जान जायेंगें। की अनेक बीमारियां और जरुरत बता कर तो नहीं आती इसके लिए आपके पास हमेशा से saving होना जरुरी है।   

3. काश मैने भागना-दौड़ना बंद नहीं किया होता?

जब मैं छोटा था तो बहुत खेलता कूदता था, जाहिर है आप भी. खैर collage जाने के बाद मेरा खेलना कूदना थोड़ा कम हो गया क्योंकि मुझे लगने लगा की केवल पढाई ही ज्यादा जरुरी है. कैरियर बनाना है.

फिर भी दोस्तों के साथ थोड़ा बहुत टहलना कूदना हो ही जाता था but अभी थोड़ा सा चलने या कूदने से स्वाश फूलने लगता है। और पेट में चर्भी बढ़ रहा है. तब लगता है कि काश थोड़ा बहुत भाग-दौड़ में एक्टिव रहता तो आज शरीर फीट होता।   

4. काश मै स्वाद की जगह गुणवत्ता पर जोर दिया होता?

धीरे-धीरे आखिर कार बात समझ में आ ही गयी की केवल घर पर बैठे रहने से ही शरीर मोटा नहीं हुआ है. बल्कि ये तो स्वाद को ज्यादा अहमियत देते हुए जो खाया उसका असर है।

मेरा सोच हमेसा से ये रहा की जब की जब हमारे लिए एक से बढ़कर एक खाने की चीजे हैं बाजार की अच्छी-अच्छी खाने की वस्तुओं को छोड़कर कौन घर का दाल भात खाएं। अगर बाजार की ये तली भुनी चीजें आपको आगे चलकर तकलीफ देगा और आपकी कमर, कमर ना होकर कमरा हो जाएगा तब आपको लगेगा कि काश इससे अच्छा तो घर का दाल भात था।

खैर जब जागों तब सवेरा मैने अपनी life को सुधारने का डिसीजन ले लिया है और व्यायाम करना और अच्छा हेल्दी खाना अपने जीवन में शामिल कर लिया है।   

5. काश मै नशे की लत में ना पड़ा होता?

दोस्तों की संगती कहो या खुद का शौक, आज से कुछ सालों पहले जब मै शराब और सिगरेट का नशा किया करता था तो लगता था की यही जन्नत है, इससे ज्यादा आनंद किसी चीज में नहीं हो सकती कभी कभी लगता कि मुझे tension बहुत है नशा के बगैर जी नहीं पाउँगा परन्तु वक्त बिता और मैने इस आदत को छोड़ने की ठान ली,

हालांकि शुरू-शुरू में बहुत ज्यादा दिक्कत परेशानी आयी पर हिम्मत करके मैने इन सब को पार किया और आज जब मै इस नशा सेवन के बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि कितना ज्यादा स्वास्थ्य और पैसा मैने इसमें बर्बाद कर दिया अगर इन सब चक्करों में नहीं पड़ता तो आज हालात क्या से क्या होता. परन्तु ये होना भी जरुरी था ताकि दूसरों को इससे बचने की सलाह दे सकूँ। but मै अपने लिए बहुत खुश हूँ कि मैने बहादुरी दिखाते हुए ये सब छोड़ दी।   

6. अपना काम मुझे सबसे कठिन लगता था?

एक time ऐसा था जब मुझे अपना काम बहुत ज्यादा कठिन लगता था. काम करने में मन ही नहीं लगता था. हालांकि काम करता जरूर था परन्तु बड़े ही बेबस मन से काम किया करता।

मेहनत का कोई भी काम मुझे अच्छा ही नहीं लगा, जो भी काम किया उसे जबरजस्ती ही किया परन्तु अब सोंच अलग है. अब लगता है मेरी काम ही तो मेरी पहचान है और जो भी हूँ जो तरक्की मुझे मिली है वो मुझे मेरे काम की ही बदौलत मिली है। 

तो अगर उसी समय मै मेरे काम को बे मन से करने के बजाय मन लगा कर किया होता तो आज सफलता की तरह कितना कदम आगे बढ़ गया होता।  खैर, अभी भी देर नहीं हुई है और मै अब मन लगाकर काम करता हूँ परन्तु दोस्तों जो समय बीत गया वह वापस तो नहीं आ सकता है।   

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7. काश मैने सारा लेन-देन पूरी तरह से लिखा पढ़ी करके किया होता?

हम लोग जवानी में अपने आप को सबसे बड़े होशियार समझते हैं, और जब खुद कमाना start करते हैं तब सामान बेचने-खरीदने व मोल-भाव करने में लापरवाही बरतते हैं और कई-कई बार तो बिना किसी गारंटी के अपनी चीजें दे देते हैं और बाद में सामने वाले से पैसे नहीं आते तब हमको समझ आता है।

अनेकों बार ऐसी चीजे खरीद लेते हैं जिसमे गुणवत्ता नाम की चीज ही नहीं होती. और कमाल की बात यह की एक दो नहीं अनेकों बार ऐसे करते हैं. बिना लिखा-पढ़ी के सौदा करके कई बार मुझे नुकसान उठाना पड़ा।

अब जिन्होंने पैसे उधार लिया वे हंस कर देखते हैं और मै मन ही मन सोचता हूँ कि मै तो बेवकूफ बन गया । खैर जो गया सो गया पर आगे आने वाले time के लिए मै सावधान हूँ और बेहतर यही होगा की आप मेरी गलती से इस चीज को सीख लें।   

8. काम के दौरान मेरे दोस्त बनें, काश उन्हें मै ज्यादा समय दिया होता?

कई जगहों पे मैने काम किया, कई चीजे खरीदी, कई बार अच्छे-अच्छे लोगों से मिला और कई बार बुरे लोग भी मिले, कई बार तनाव बहुत बढ़ जाता था, मै सोचता था इन सब लोगों का कोई महत्व नहीं है और अपने आप को तनाव से मुक्त करने के लिए अलग थलग रहता।

अब तो यह हालत हो गयी है की दोस्त के नाम पर मेरे साथ  बचपन के 2, 4 दोस्त ही रह गएँ है. जिनसे मुलाकात भी अब अचानक ही होता है। अब अहसास होता है कि जो खाली समय मेरे पास था उसमे मै दोस्तों रिश्तेदारों से मिलता जुलता, उनके साथ वक्त बिताता तो ज्यादा अच्छा था। 

चलों कोई बात नहीं पर अब मै लोगों के साथ सहज होकर उन्हें मित्र बनाने की कोशिस करता हूँ. नए-नए लोगों से बाते करना मिलना जुलना करता हूँ।   

9. काश मै अपने शौक को पूरा कर सकता?

बचपन में हम लोगों के कुछ शौक होते हैं. हर व्यक्ति का अपना एक अलग शौक होता है किसी को panting का किसी singing का इत्यादि-इत्यादि, मेरा भी बचपन से शौक था panting का पर बाद में अनेक कारणों से मेरा यह शौक अधूरा रह गया।

अब जब मै सोचता हूँ की काश मै एक घंटा time निकालकर रोज panting कर लेता तो आज कितना अच्छा पेंटर होता, इसलिए दोस्तों जिन चीजों में आपकी रूचि है और जिन चीजों से आपको सचमुच खुसी मिलती है उसे थोड़ा सा time निकालकर अवश्य करें ताकि आपको बाद में पछताना ना पड़े।   

10. काश मैने टी.वी देखकर अपना इतना समय बर्बाद नहीं किया होता?

मुझे पहले t.v देखने का बहुत ज्यादा शौक था दिन भर टी वी के सामने गड़ा रहता फिर भी कम था रात को भी देर तक मूवी देखा करता। अब लगता है की मैने अपना कितना ज्यादा अपना कीमती वक्त इन बनावटी टी. वी. सीरियलों में दिया जो मेरे किसी काम का नहीं है दोस्तों वास्तव में टी.वी सीरियल देखना आपके time का सबसे बड़ा नुकसान है खैर मैने तो यह आदत छोड़ दी अब आप की बारी है।   

11. काश इस छोटी सी बात को समझ लेता की मेरी खुशी महत्वपूर्ण है?

मै अपने काम में इतना ज्यादा व्यस्त हो गया कि दिन रात उसी में लगा रहा, केवल काम और काम काम करना अच्छी बात है परन्तु दिन रात उसी में लगे रहना खुद के लिए जरा सा भी time नहीं देना यह तो गलत बात है।

कई बार तो परेशानियां इतनी बढ़ जाती की मै हतास व निराश हो जाता. हर बार लगता की इस समस्या से पार पाना तो असंभव है. हर समय चिड़चिड़ापन मन को दुखी कर देता था।  परन्तु जब मैने एक दिन सोंचा कि ये क्या हुआ समस्याएं तो आई और चली गयी इसका मतलब तो यह है कि समस्याएं आती और जाती रहती है.

मुझे केवल अपने विचारों में सकारात्मक दृश्टिकोण लाना है। मेरे पास तो ऐसे हजारों बातें हैं जिन्हे सोंच कर मै खुश हो सकता हूँ तो क्यों मै उन 2. 4 बातों को लेकर परेशान रहूं जो मेरे पास है ही नहीं।

दोस्तों simple सा फंडा है कि खुश रहना और दुखी रहना मन की स्थिति हैं। इसलिए मैने तो अपने life में इसे अपना लिया अब आप की बारी है।   

12. काश मै अपनी जिंदगी को पिक्चर की तरह रिवाइंड करके देख सकता?

शुरू से ही मेरी याददाश्त इतनी मजबूत नहीं थी. कई बार मै काम की बातें भूल जाया करता था. और इसी के कारण मुझे अनेक दिक्कतें और परेशानियां आई. मैने कुछ अच्छे-अच्छे पलों को ना तो लिख कर रखा ना फोटो के रूप में सहेजा।

अब दिमाग तो इतनी सारी यादों को स्टोर करके नहीं रख सकता इसलिए अब सोंचता हूँ की काश मैंने अपने जीवन के प्रत्येक यादगार पल को लिखकर या फोटो खींचकर रख लेता तो अच्छा होता। 

खैर अब उन पलों को वापस तो नहीं लाया जा सकता परन्तु अपने अन्दर बदलाव जरूर लाया जा सकता है और अपने बुढ़ापे के समय इन यादगार पलों को देखकर खुश हुआ जा सकता है। 

दोस्तों इतना पढ़ने के बाद भी आप यदि मेरी इन गलतियों को दोहराते हो तो पछतावा ही मिलेगा।   

Conclusion :

गलतियां तो सभी लोग करते हैं परन्तु उन गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए, हम जवानी में किसी के सलाह को नहीं मानते और अपने हिसाब से अपनी life बिताते चले जातें है। हालांकि हम कोई गैर जिम्मेदार और बुरा व्यक्ति नहीं हैं परन्तु जो बातें हमें दूसरों के द्वारा ठोकर खाने के बाद बताई जाती है, उन्हें अपने जीवन में उतारना भी बहुत जरुरी है। 

मै कोई बहुत बड़ा व्यक्ति नहीं हूँ, आप ही की तरह जिंदगी से प्यार करने वाला साधारण सा व्यक्ति हूँ, मेरी सलाह है कि आप गलतियों को दोहराये नहीं किसी भी सलाह पर थोड़ी देर विचार अवश्य करें।   

आखिर में :

आशा करता हूँ कि आपको हमारा यह लेख 12 कठोर सीख ताकि जवानी में कदम रखने वालों को पछताना ना पड़े,, पसन्द आये और लेख से आपको कुछ ना कुछ सीखने को मिले, इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ अवश्य shear करें और रोजाना बेहतरीन आर्टिकल पाने के लिए हमारे टेलीग्राम और फेसबुक पेज से अवश्य जुड़ें, अपनी कोई भी प्रतिक्रिया आप हमें comment box के माध्यम से बता सकते हैं – धन्यवाद। 

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