पारिस्थितिक-तंत्र क्या है – बेहतर research के साथ सम्पूर्ण जानकारी

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ecosystem in hindi

पारिस्थितिकी तंत्र क्या है? इसका जवाब है कि पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना है Eco और System. जिसमे Eco का अर्थ होता है घर व system का तात्पर्य है व्यवस्था.

इसका मतलब हुआ घर जैसी व्यवस्था को हम ecosystem कहते हैं जिसमे सभी के लिए कार्य, भोजन और जीवन यापन करने का एक चक्र बना होता है – लेख पूरा पढ़कर आप इसे अच्छे से समझ पाएंगे। 

परिस्थितिकी तन्त्र क्या है? – What is the ecological system in hindi

पारिस्थितिकी तंत्र वह तंत्र है जिसमे जीवमण्डल में होने वाली सभी प्रक्रियाएं शामिल होती है इसमें मानव भी एक घटक के रूप में शामिल है जो कभी परिवर्तक के रूप में कार्य करता है तो कभी बाधक के रूप में कार्य करता है।

अपने बनावट और अपने काम के हिसाब से जीव समुदाय एवं वातावरण एक तंत्र के रूप में कार्य करता है इसी को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं। 

प्रकृति स्वयं एक विस्तृत और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसे हम जीवमण्डल (biosphere) के नाम से जानते हैं। सभी जीव समुदाय और पर्यावरण के इस सम्बन्ध को पारिस्थितिकी तंत्र का नाम सबसे पहले ए.जी. टान्सले ने सन 1935 में दिया था।

उन्होंने हमारे सवाल पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं? के जवाब को एक लाइन में परिभाषित करते हुए लिखा है कि “पारिस्थितिकी-तंत्र वह तंत्र है, जिससे पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक कारक अन्तर्सम्बन्धित होते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा हिंदी में – ecosystem definition

पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) जलमंडल, स्थलमंडल एवं वायुमंडल का जैविक तथा अजैविक घटकों के साथ पारस्परिक संबंध पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है यही ecosystem definition है। हमारी पूरी पृथ्वी एक पारिस्थितिकी तंत्र हैं।

पारिस्थितिकी और पारिस्थितिक-तंत्र में अंतर – Ecology and ecosystem differences in hindi

आमतौर पर लोग पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी-तंत्र में कोई अंतर नहीं समझते जो कि सरासर गलत है। वास्तव में पारिस्थितिकी-तंत्र पारिस्थितिकी के अंदर का एक अध्ययन क्षेत्र है। 

इन दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से जानने के लिए दोनों की अलग-अलग परिभाषा को जानना भी बहुत ही जरुरी है। ऊपर आपने पारिस्थितिकी-तंत्र को तो सह परिभाषित समझ लिया अब देखते हैं पारिस्थितिकी क्या है?

पारिस्थितिकी (what is ecology)

समान्य रूप से वह विज्ञान है जिसमे एक तरफ सभी जीवों और उसके भौतिक पर्यावरण का अध्यन किया जाता है तथा दूसरी तरफ विभिन्न जीवों में परस्पर सम्बन्ध या यूँ कहे की एक श्रृंखला के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हुए संबंधों का अध्ययन करते हैं। 

आज के समय में पारिस्थितिकी की संकल्पना को अधिक फैले हुए क्षेत्र तक कर दिया गया है। अभी के समय में इसका क्षेत्र इतना व्यापक हो गया कि इसके अंतर्गत पौधो और जंतुओं तथा उनके पर्यावरण के बीच के अन्तर्सम्बन्धों के साथ ही मानव समाज तथा उसके भौतिक पर्यावरण के बीच की अन्तः क्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है। 

पारिस्थितिक-तंत्र – what is ecosystem

वह इकाई जो किसी निश्चित क्षेत्र (जगह) के सभी जीव समुदाय को शामिल करती है तथा भौतिक पर्यावरण के साथ इस प्रकार की क्रिया करती है कि तंत्र के अंदर ऊर्जा प्रवाह द्वारा सुनिश्चित पोषण संरचना, जैविक विविधता तथा खनिज चक्र सब साथ-साथ चलता है पारिस्थितिकीय-तंत्र या पारिस्थितिक-तंत्र कहलाता है। 

पारिस्थितिक-तंत्र के प्रकार – Types of ecosystems

पारिस्थितिक-तंत्र को दो प्रमुख भागों में बाटा गया है 

  • जीवोम 
  • आवास 

जिसमे –

जीवोम वह क्षेत्रीय इकाई है जिसके तहत पाए जाने वाले जीव-जंतु व वनस्पति का समूह और उनके कार्य शामिल है। 

आवास का मतलब उस स्थान या जगह से है जहाँ जीव रहता है। वैसे तो प्रकृति में अनेक प्रकार के पारिस्थितिक-तंत्र कार्य में हैं जैसे – जलवायु, मृदा, वनस्पति, जल और स्थल ये आपस में अनेक भिन्नताएं रखते हैं इसके अलावा भी मानव ने पर्यावरण का उपयोग करके नवीन पारिस्थितिक-तंत्रों का विकास किया है। आइये पारिस्थितिक-तंत्र के सामान्य प्रकारों को जानते हैं।   

1. प्राकृतिक पारिस्थितिक-तंत्र (Natural ecosystem)

प्राकृतिक पारिस्थितिक-तंत्र इस प्रकार का तंत्र है जिसमे मनुष्य का कोई भी योगदान नहीं होता जैसे – स्थलीय पारिस्थितिक-तंत्र, जलीय पारिस्थितिक-तंत्र, घास क्षेत्र, मरुस्थल इत्यादि।  जिसमे जलीय पारिस्थितिक-तंत्र के दो प्रकार हैं 

  • शुद्ध जलीय : नदी, झरना, झील, तालाब, दलदल। 
  • सागरीय जल : सागरीय तटीय, उथला सागरीय भाग 

2. कृतिम/अप्राकृतिक पारिस्थितिक-तंत्र – Unnatural ecosystem

इस पारिस्थितिक-तंत्र को मनुष्य अपने बुद्धि, तकनिकी, और वैज्ञानिक स्तर का उपयोग करके पारिस्थितिक-तंत्र विकसित करता है, जैसे – कृषि फसल क्षेत्र, चरागाह, नगर इत्यादि। 

3. तालाब की पारिस्थितिक-तंत्र – Pond ecosystem

तालाब की खाद्य श्रृंखला में जीवधारियों का क्रम – pond ecosystem in hindi को विस्तार से जानिए.

तालाब का पारितंत्र – pond ecosystem
उत्पादक — प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता — द्वितीयक श्रेणी का उपभोक्ता — तृतीयक श्रेणी का उपभोक्ता — उच्च मांसाहारी .
शैवाल ~ जलीय पिस्सू ~ छोटी मछली ~ बड़ी मछली ~ बगुला, बतख, सारस .
हरे पौधे ~ कीड़े-मकोड़े ~ मेंढक ~ साँप ~ बगुला, सारस।   
pond ecosystem

4. घास का पारिस्थितिक-तंत्र – Grass ecosystem

घास के खाद्य श्रृंखला में जीवधारियों का क्रम  घास ~ कीड़े-मकोड़े ~ चिड़िया ~ बाज पक्षी ~ गिद्ध।   

पारिस्थितिक-तंत्र की मूलभूत विशेषताएं – Basic features of the ecosystem

  • इसकी संरचना ऊर्जा, जैविक, और अजैविक इन तीनो मुलभुत संघटकों द्वारा होती है। 
  • पारिस्थितिक-तंत्र में सौर्यिक ऊर्जा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। 
  • यह एक क्रियाशील इकाई है। 
  • पारिस्थितिक तंत्र की एक तरह से मापक इकाई भी है यह छोटे पैमाने पर भी हो सकता है और बड़े पैमाने पर भी उदाहरण के लिए किसी पेंड को ले सकते हैं या पेंड के एक हिस्से को या फिर पुरे-पुरे जीवमंडल को भी। 

पारिस्थितिकीय कारक – Ecological factors i

सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर पारिस्थितिकीय कारक क्या है? तो इसका उत्तर है जीवधारियों के संरचना और कार्यों पर प्रभाव डालने वाला वातावरण का प्रत्येक भाग पारिस्थितिकीय कारक कहलाता है, इसे चार वर्गों में बाटा गया है।   

1. जलवायवीय कारक (Climatic factors in hindi)

जिसके अंतर्गत प्रकाश, तापमान, जल, वर्षा, वायु, वायुमण्डल की विभिन्न गैसें इत्यादि शामिल है।   

2. स्थलाकृति कारक (Topographic factors in hindi)

इसके तहत उचाई, ढलान, ढलान की मात्रा, ढलान की दिशा, खुलाव इत्यादि आते हैं।   

3. मृदीय कारक (Edaphic factors in hindi)

इसमें खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, शैवाल, मृदा जल, मृदा वायु, मृदा जीव, मृदा अभिक्रिया आदि शामिल है।   

4. जैविक कारक (Biotic factors in hindi)

जैविक कारक के अंतर्गत सुक्ष्मजीव, जीवाणु, कवक, चरने वाले पशु, सहजीवी, परजीवी, अधिपादप, मृतोपजीवी कीटभक्षी पौधे इत्यादि शामिल हैं। 

पारिस्थितिकी वर्ष 1869 में अर्नेस्ट हैकल नाम के प्राणी वैज्ञानिक ने Oe kologie के रूप में Ecology शब्द का प्रयोग किया उसके अनुसार वातावरण तथा जीव समुदाय के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं। जिसके अंतर्गत जीवधारियों के रहने के स्थानों या उन पर पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।  

भारत देश में प्रमुख पारिस्थितिक-तंत्र – Major ecosystem in India

भारत और इसके आस-पास के देशों सहित भारतीय उपमहाद्वीप में निम्नलिखित सात पारिस्थितिक-तंत्र पाए जाते है –

  • जलोढ़ मैदानी 
  • उष्ण मरुस्थलीय 
  • समुद्रतटीय 
  • पठारी 
  • उत्तरी-पूर्वी 
  • पहाड़ी-पठारी 
  • मैदानी-पठार 

पारिस्थितिकी विज्ञान की सखायें – Branches of ecological science

पारिस्थितिकी विज्ञान को दो भागो में बाटा गया है।   

1. आत्म पारिस्थितिकी : इसके अंतर्गत एक व्यक्तिगत पौधे अथवा जंतु की एक व्यक्तिगत जाति और उसके वातावरण से संबंधों एवं प्रभावों का अध्ययन आत्म पारिस्थितिकी के अंतर्गत आता है।   

2. समपारिस्थितिकी : एक ही जगह या स्थान पर पाए जाने वाले सभी पादप एवं जंतु समुदायों का उनकी रचना एवं व्यवहार और उनके स्थान के वातावरण से संबंधों के अध्ययन को समपारिस्थितिकी कहा जाता है और इसे तीन उपविभागों में बाटा जाता है जो नीचे दिया है –

  • समुद्राय पारिस्थितिकी : किसी एक स्थान-विशेष पर पाए जाने वाले सभी जाति के जीवधारियों जैसे पादप, जंतुओं, जीवाणुओं व कवक इत्यादि की आबादी द्वारा बने जैव समुदाय तथा उसके वातावरण से संबंधों का अध्ययन किया जाता है। 
  • आबादी पारिस्थितिकी : इसके अंतर्गत किसी स्थान विशेष पर एक ही पादप अथवा जंतु जाति विशेष की सम्पूर्ण आबादी तथा इसके वातावरण के सम्बन्धो एवं प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। 
  • पारिस्थितिक-तंत्र पारिस्थितिकी : किसी स्थान विशेष के पारिस्थितिक-तंत्र के जीवीय एवं अजीव घटकों के पारस्परिक संबंधों तथा इन घटकों के माध्यम से पारिस्थितिक-तंत्र में ऊर्जा के प्रवाह तत्वों के चक्रीकरण तथा खाद्य जाल आदि का अध्ययन पारिस्थितिक-तंत्र पारिस्थितिकी के अंतर्गत किया जाता है। (कुछ पारिस्थितिकीशास्त्रियों ने पारिस्थितिकी विज्ञान को आवास स्थान के आधार पर भी वर्गीकृत किया है।)

जलीय पारिस्थितिकी –

  1. स्वस्छ जल पारिस्थितिकी
  2. समुद्री जल पारिस्थितिकी

स्थलीय पारिस्थितिकी –

  1. घासस्थलीय पारिस्थितिकी
  2. मरुस्थल पारिस्थितिकी
  3. वन पारिस्थितिकी
  4. फसल स्थान पारिस्थितिकी

पारिस्थितिकी नीच – Ecological niche in hindi

पारिस्थितिकी नीच शब्द का सबसे पहले प्रयोग ग्रीलेन्स ने 1971 में किया था इसका तात्पर्य यह है कि विभिन्न प्रकार की जातियों में उप-जातियों का विवरण उदाहरण के लिए ब्लॉगिंग में ही देख लीजिये, मै एक blogger हूँ और मै मल्टी नीच पे लेख लिखता हूँ ठीक इसके विपरीत मै एक ही नीच में लिखू जैसे हेल्थ एक नीच है। ठीक उसी प्रकार विभिन्न प्रकार के जातियों में अलग-अलग जाति अलग अलग नीच होता है।   

पारिस्थितिक-तंत्र के घटक – Constituents of an ecosystem in hindi

सभी पारिस्थितिक-तंत्र की संरचना दो प्रकार के घटक से होती है –

  • जैविक घटक 
  • अजैविक घटक 

1 # जैविक घटक (Biologic constituents in hindi) : इसे 3 भागों में विभक्त किया जा सकता है जो नीचे दिया गया है 

  1. उत्पादक 
  2. उपभोक्ता 
  3. अपघटक 

उत्पादक : इसमें वे सभी जीव आते हैं जो अकार्बनिक पदार्थो के सहयोग से स्वयं का भोजन तैयार या निर्माण करते हैं, उदाहरण के लिए पौधा सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से अपने लिए भोजन बनाते हैं।   

उपभोक्ता : इसमें स्वपोषित घटक द्वारा तैयार किया हुआ भोजन दूसरे जीव द्वारा प्रयोग में लिया जाता है, वह जीव जो प्रयोग में लेता है उपभोक्ता कहलाता है व उपभोक्ता 4 प्रकार के होते हैं –

  • प्राथमिक उपभोक्ता : इसमें शाकाहारी जंतु या परजीवी आते हैं जो सीधे उत्पादकों का भोजन करते हैं जैसे – हिरन, गाय, बकरी, खरगोश। 
  • द्वितीयक उपभोक्ता : इसमें प्रायः मांशाहारी जंतु आते हैं जो प्राथमिक उपभोक्ता को खाते हैं जैसे – मेढक, बिल्ली, सियार, मछली, लोमड़ी। 
  • तृतीयक उपभोक्ता : वे उपभोक्ता जो द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं को अपना भोजन बनाते हैं जैसे – सर्प – मेढक को खा जाता है। चिड़िया – मछली को खा जाता है। 
  • चतुर्थ उपभोक्ता : इसमें वे उपभोक्ता आते हैं जो अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को खा जाते हैं परन्तु इन्हे कोई नहीं खाता जैसे – शेर, बाज। 

अपघटक – Decomposer in hindi

अपघटक या मृतजीवी, अन्य परपोषी जीव हैं, जिसमे प्रमुख रूप से बैक्टीरिया तथा कवक होते हैं पोषक के लिए मृत कार्बनिक पदार्थो का अपरदन पर निर्भर करते हैं, जो भरे हुए उपभोक्ता को साधारण भौतिक तत्वों में विघटित कर देता है तथा फिर से वायुमंडल में मिल जाते हैं ज्यादातर अपघटक शुक्ष्मदर्शी होते हैं और वे सभी विषमपोषी प्रकृति के होते हैं तथा कुछ अपघटकों में अपमार्जक होते हैं।   

2# अजैविक घटक (Dead constituents in hindi) : अजैविक घटक को तीन भागों में बाटा गया है जो निम्न हैं –

  1. जलवायु तत्व 
  2. कार्बनिक पदार्थ 
  3. अकार्बनिक पदार्थ 

जलवायु तत्व : इसमें सूर्य के प्रकाश, तापक्रम, वर्षा इत्यादि आते हैं।   

कार्बनिक पदार्थ : इसके अंतर्गत मृत पौधों और जंतुओं के कार्बनिक यौगिक जैसे – प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, तथा वसा और इसके अपघटन द्वारा उत्पादित पदार्थ जैसे यूरिया इत्यादि।    

अकार्बनिक पदार्थ : इसके अंतर्गत जल विभिन्न प्रकार के लवण जैसे कैल्शियम पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन और सल्फर इत्यादि तथा वायु की जैसे जिसमे – आक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, हाइट्रोजन तथा अमोनिया इत्यादि शमिल हैं। 

खाद्य श्रृंखलाएं – Food series in hindi

किसी पारिस्थितिक-तंत्र में खाद्य श्रृंखला विभिन्न प्रकार के जीवधारियों का वह क्रम होता है जिससे जीवधारी कभी भोजन के रूप में तो कभी भक्षक के रूप में सम्बंधित रहते हैं और यह प्रक्रिया निरंतर चलती ही रहती है। 

कुछ जीव केवल एक ही प्रकार के आहार करते हैं और इसलिए वे एक ही खाद्य श्रृंखला के के सदस्य होते हैं और अन्य जीव अलग-अलग प्रकार के भोजन ग्रहण करते हैं इस तरह वे प्राथमिक, दृतीयक, तृतीयक आदि खाद्य श्रृंखला से जुड़े हुए होते हैं। 

खाद्य जाल – Food web in hindi

खाद्य श्रृंखला पारिस्थितिकी-तंत्र (ecosystem in hindi) में होने वाले खाद्य अथवा ऊर्जा प्रवाह का केवल एक ही पहलु प्रस्तुत करता है और उससे यह अर्थ निकलता है कि जीवों में एक सीधा सरल शेष अलग सम्बन्ध होता है जो पारिस्थितिकी-तंत्र में सायद कभी होता है। प्रकृति में खाद्य श्रृंखला हमेसा एक सीधी कड़ी में नहीं होता है। 

पारितन्त्र के अंदर अनेक परस्पर सम्बंधित खाद्य श्रृंखला हो सकती है मतलब कि एक खाद्य श्रृंखला के जीवधारियों का सम्बन्ध दूसरे खाद्य श्रृंखलाओं के जीवधारियों से हो सकता है, इसे ही खाद्य जाल कहा जाता है।  वातावरण (प्रकृति) में 2 प्रकार का खाद्य जाल पाया जाता है। 

  1. अपरद खाद्य जाल 
  2. चारण खाद्य जाल 

पारिस्थितिक-तंत्र की उत्पादकता – Ecosystem productivity in hindi

किसी भी Ecosystem productivity में स्वपोषीत हरे पौधे द्वारा प्रति समय इकाई से संचयित या स्थिर ऊर्जा या फिर जैविक पदार्थो की सकल मात्रा को पारिस्थितिकी-तंत्र उत्पादकता कहते हैं।

सामान्य रूप से देखा जाये तो पारिस्थितिक-तंत्र ही उत्पादकता का अर्थ होता है स्वपोषित पौधों द्वारा सूर्य के माध्यम से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर स्वपोषण करना जिसे प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है।  किसी भी पारिस्थितिक-तंत्र की उत्पादकता 2 कारकों पर निर्भर करती है 

  1. स्वपोषी प्राथमिक उत्पादकों की सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्षमता। 
  2. पोषण स्तर एक में प्राथमिक उत्पादकों हेतु सौर्यिक ऊर्जा की मात्रा की सुलभता। 

प्राथमिक उत्पादक का दो रूपों में मापन किया जाता है –

  • सकल प्राथमिक उत्पादक 
  • शुद्ध प्राथमिक उत्पादक 

पारिस्थितिकी-तंत्र का कार्यात्मक स्वरूप – Functional nature of ecosystem hindi

पारिस्थितिक-तंत्र हमेसा क्रियाशील रहता है, जिसे इसमें कार्यात्मक स्वरुप की संज्ञा दी जाती है। कार्यात्मक स्वरूप के अंतर्गत ऊर्जा प्रवाह पोषकता का प्रवाह एवं जैविक तथा पर्यावरणीय नियमन सम्मलित होता है जो सामूहिक रूप से प्रत्येक तंत्र को परिचालित करता है। यह सभी क्रिया एक चक्र के रूप में चलती है जिसे जैव भू-रासायनिक चक्र कहा जाता है।

पारिस्थितिकी-तंत्र को video के माध्यम से समझें

FAQ

पारिस्थितिक तंत्र क्या है समझाइए?

पारिस्थितिक तंत्र का तात्पर्य एक दूसरे से निर्भरता पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणी एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं जैसे हिरण अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों पर निर्भर रहता है और ठीक उसी प्रकार शेर अपने भोजन के लिए हिरण पर निर्भर रहता है यही एक दूसरे पर निर्भरता पारिस्थितिक तंत्र कहलाता है।

इकोसिस्टम को हिंदी में क्या कहते हैं?

इकोसिस्टम (ecosystem) को हिंदी में पारिस्थितिक तंत्र कहा जाता है।

ecosystem को हिंदी में क्या कहते हैं?

ecosystem को हिंदी में पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं।

ecosystem definition in hindi

पूरी पृथ्वी एक खाद्य श्रृंखला से जुडी हुई है जिसमे सभी सजीव एवं निर्जीव दोनों शालिम है यही definition of ecosystem है।

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अंतिम शब्द 

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