व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन पूरी जानकारी

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personal finance management in hindi

पैसा कमा तो हर कोई लेता है पर इसे बचा पाने की कला बहुतों के पास नहीं होता Personal Finance Management पैसे की बचत और इसकी सफलता पूर्वक संचालन को ही दर्शाता है. इस लेख में आप व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन की पूरी जानकारी प्राप्त करेंगें और पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट्स को सरल शब्दों में पूरी तरह समझ पायेंगें

व्यक्तिगत वित्त प्रबन्धन क्या है?

व्यक्तिगत वित्त प्रबन्धन (Personal finance management) का मतलब खुद से सम्बंधित वित्तीय (Financial) गतिविधियों का सफलता पूर्वक संचालन से है. यह विश्वभर में लोगों से जुडी अत्यंत निजी वित्त सम्बन्धी संचालन की प्रक्रिया है. आज दुनिया भर में जिस तरह अविश्वास का माहौल है Financial संचालित सम्बंधित सभी कार्य Personal हो गयी है. और banking के सांथ-सांथ अन्य प्रकार के सभी वित्तीय लेंन देन की सुविधाएँ व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन अर्थात Personal finance management के अंतर्गत आती है। 

वित्तीय प्रबंधन की योजना बनाना – Planning Personal finance management

व्यक्तिगत वित्तीय योजना को हम 6 तरीकों से plan कर सकते हैं, जो आपके लक्ष्य निर्धारित करने में मददगार शाबित होता है। इसके बाद आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आखिर किस वजह से आपको Financial Problem आ रही है। 

  1. सबसे पहले अपने वर्तमान वित्तीय स्थिति का आंकलन करें। 
  2. अपने लिए financial goals बनायें। 
  3. अवसरों का पहचान करना। 
  4. विकल्पों का मूल्यांकन करना। 
  5. अपने financial कार्यों की सूची planing बनायें। 
  6. अपने planing का फिर से मूल्यांकन करें। 

वित्तीय संस्थान – financial institutions

financial institutions उन्हें कहा जाता है इसके साथ ज्यादातर लोग व्यवसाय करते हैं जैसे –

  • ट्रस्ट कम्पनियाँ 
  • बैंक 
  • बीमा कम्पनियां 
  • निवेश कम्पनियां इत्यादि। 

वित्तीय संस्थान हमारे अर्थव्यवस्था में वित्तीय गतिविधियों के लिए सेवाएं देती है    

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बैंकिंग सिस्टम का उपयोग करना – Using banking system

internet और तकनिकी ने भारतीय banking प्रणाली में एक क्रांति सा ला दिया है भारत में ऑनलाइन बैंकिंग का पूरा-पूरा श्रेय कम्प्यूटरों के उपयोग को जाता है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने banking तकनिकी को परिभाषित करने के लिए कई समितियों का गठन किया जो इस तरह हैं –

उद्देश्यगठन वर्षसुझाव
Mechanisation in banking
डाक्टर डी. सी. रंगराजन (चेयरमेन)
1984 सभी मेट्रोपोलिस शहरों में MICR तकनीक ग्रहण की जाये। 
Computisation in banks
डाक्टर डी. सी. रंगराजन (चेयरमेन)
1988 (1) भुवनेश्वर, गुवाहाटी, पटना, जयपुर व तिरुवंतपुरम में आर बी आई के क्लियरिंग हाउस का कंप्यूटाइजेसन प्रचालित हो।
(2) कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई में इंटरसिटी चेकों के लिए राष्ट्रीय क्लियरिंग हाउस।
(3) शाखाओं का कंप्यूटाइजेसन हो। 
technology issues
(payment systems cheque clearing and securities settlements डब्लू एस सराफ (चेयरमेन) –
1994(1) Electronic funds transfer प्रणाली अपनाई जाये।
(2) सभी शाखाओं में MICR सेटअप स्थापित की जाये। 
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बैंक सम्बंधित विभिन्न प्रक्रियाएं – Various bank related procedures

banking system किसी भी देश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। देश की वित्तीय व्यवस्था में bank अहम् भूमिका निभाता है, एक मजबूत और लाभदायी banking प्रणाली कई प्रकार के नुकसान को सहन कर पाने की क्षमता रखता है।

bank savings को जमा करती है और अनेक उत्पादक सेक्टरों में इसका निवेश करती है। इसलिए bank से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियां आपको होनी चाहिए। 

वास्तव में वाणिज्यिक बैंक एक व्यावसायिक फर्म होती है जो जमा (deposit) धन के द्वारा लाभ कमाती है। आज के समय में सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक आफ इण्डिया है और रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया अधिनियम 1934 की द्वितीय सूची में उल्लेखित सभी बैंक शेड्यूल बैंक है।

इसमें सेड्यूल कामर्शियल बैंक तथा शेड्यूल कोऑपरेटिव बैंक शामिल है। शेड्यूल कामर्शियल बैंक भारत में इन पांच समूहों में उनके स्वामित्व और प्रचालन के आधार पर सूची बद्ध हैं। 

  • स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया और उसके सहयोगी 
  • राष्ट्रीयकृत बैंक 
  • निजीक्षेत्र के बैंक 
  • विदेशी बैंक 
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

भारत में अगस्त 2014 में भारतीय जनता पार्टी नीति केंद्रीय शासन ने प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत देशव्यापी बचत खाते खोलने की योजना शुरू की और इस योजना के तहत 10 जनवरी 2015 तक 11.5 करोड़ बचत खाता खोले गए और वह भी शून्य बैलेंस पर।

खाता खोलना (Account Opening in hindi)

किसी भी बैंक में खाता खुलवाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, और form भरना पड़ता है, खाता खुलवाने के लिए सामान्य तौर पर जिन चीजों की आवश्यकता पड़ती है वह है –

  • आधार कार्ड (पहचान पत्र)
  • फोटो पहचान पत्र
  • पेन कार्ड etc 

खाता सामान्यत: दो प्रकार का होता है एक बचत खाता और दूसरा सेविंग खाता, यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा खाता खुलवाते हैं।

खाता का संचालन (operation of account in hindi)

खाता संचालन वह प्रक्रिया है जिसमे ग्राहक समय-समय पर लेनदेन और बैंक के नियमों का पालन करता रहता है, ऐसा ना करने की स्थिति में बैंक खाता को होल्ड कर देता है और आपको फिर से KYC कराना पड़ता है।

वित्तीय लेन-देन (financial transactions in hindi)

किसी भी देश के आर्थिक गतिविधियों में लेन-देन एक सामान्य प्रक्रिया है और यह लेन-देन बैंक के माध्यम से किये जाने पर यह official की श्रेणी में आता है, इसलिए यह सुरक्षित है, और ज्यादातर लेन-देन बैंक के माध्यम से ही किये जाते हैं। 

अगर देखा जाये तो लेन-देन एक सौदा या समझौता गतिविधि होता है जो क्रेता और विक्रेता के बीच भुगतान के तौर पे होता है। यह दो या दो से अधिक कंपनियों व व्यक्तियों के बीच होता है जिसमे वित्तों में परिवर्तन होता है चीजों या सम्पति का एक साथ स्थान्तरण लेन-देन कहलाता है।

डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड (debit card and credit card in hindi)

इसका प्रचलन भारत में जोरो पर है, ये दोनों ही क्रय क्रिया में उपयोग किये जाने वाले माध्यम हैं। इसका मुख्य विशेषता यह है कि इसे सभी उपयोग में ला सकते हैं हालांकि बड़े प्रतिष्ठानों में इसका उपयोग ज्यादा होता है।

यह बात ध्यान रखने योग्य है कि यदि आप अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट या डेबिट कार्ड का उपयोग भारत में कर रहे हैं तो मुद्रा विनिमय नियमों के अनुसार भारी मात्रा में फीस कटौती हो सकती है इसलिए बेहतर यही होगा की देसी कार्ड का उपयोग किया जाये।

धन आहरण (Withdrawal of money)

धन आहरण के लिए बैंक में दो प्रकार के तरीके होते हैं पहला नकद और दूसरा चेक के मध्यमम से परन्तु आज के समय में यह काम online भी हो गया है। 

नकद (cash)

इस माध्यम में ग्राहक बैंक द्वारा निर्धारित प्रपत्र को भर कर बैंक द्वारा निर्धारित काउंटर पर जाकर नकद प्राप्त कर सकता है। 

चेक (cheque)

यह एक लिखित प्रपत्र होता है जिसमे कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को नकद ना देकर चेक अर्थात प्रपत्र देता है जिसमे दूसरे व्यक्ति का नाम और अकॉउंट नंबर लिखा जाता है और हस्ताक्षर किया जाता है

जिससे बैंक को यह आदेश मिल जाता है कि वह पैसे दूसरे व्यक्ति के अकॉउंट में ट्रांसफर कर दे। चेक अलग-अलग प्रकार के होते हैं। 

बियरर चेक (bearer cheque in hindi)

यह ग्राहक द्वारा जारी किया गया चेक होता है जिसका भुगतान उस व्यक्ति को किया जाता है जो चेक लेकर bank जाता है। 

आदेशित चेक (Ordered cheque) 

इस प्रकार के चेक में payee के नाम के बाद bearer नाम काट देने से और उसके जगह पर order लिख देने से यह आदेशित चेक बन जाता है। 

रेखांकित चेक (Crossed cheque)

इस प्रकार के चेक में दो समान्तर रेखाएं ऊपर की तरफ बायीं ओर खींच दी जाती है इसे रेखांकित चेक कहते हैं इन रेखाओं के अंदर तथा बाहार कुछ विशेष शब्द लिखे हुए हों या ना हो परन्तु इस चेक का भुगतान बैंक की खिड़कियों पर नहीं किया जाता बल्कि किसी बैंक द्वारा खाते में अंतरित करके ही मिलता है,

यदि आदाता के पास किसी भी बैंक का खाता नहीं है तो उसे चेक को किसी ऐसे व्यक्ति को बेच देना चाहिए जिसके पास बैंक का खाता हो, रेखांकित चेक दो प्रकार का होता है –

साधारण रेखांकन चेक (general crossing cheque)

इस प्रकार के चेक में केवल दो तिरछी रेखाएं खींच दी जाती है और इन तिरछी रेखाओं के बीच में and company or & co शब्द लिख दिया जाता है। 

विशेष रेखांकन चेक (special crossing cheque)

जब समान्तर रेखाओं के बीच में किसी बैंक का नाम लिख दिया जाता है तो इसे विशेष रेखांकन चेक कहते हैं। इस नाम का मतलब यह होता है कि भुगतान उसी बैंक के माध्यम से किया जायेगा। 

यात्री चेक (travellers cheque)

यात्री चेक का ज्यादातर भारतीय बैंकों और बड़े-बड़े होटलों में भुगतान हो जाता है परन्तु इसके भुगतान के लिए छोटे विनिमय कार्यालयों और सामान्य दुकानों में परेशानियां उठानी पड़ सकती है।

यात्री चेकों की बड़े पैमाने व्यापकता और स्वीकार्यता को देखते हुए अमेरिकन एक्सप्रेस जैसे लोकप्रिय ब्रांड को ही खरीदना चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में यात्री चेकों का विनिमय निशुल्क है और यदि कोई आपसे शुल्क मांगता है

तो आपको किसी अन्य कार्यालय में प्रयास करना चाहिए। हालांकि जब से डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड आया है तब से इसका उपयोग कम हो गया है। 

ड्राफ्ट (Draft)

यह किसी बैंक द्वारा अपनी शाखा या किसी दूसरे बैंक अथवा एजेंट के नाम पर लिखा हुआ एक विनिमय पत्र है जिसके द्वारा वह बैंक अपनी शाखा या दूसरे बैंक को एक निश्चित रकम किसी व्यक्ति को या उसकी आज्ञा अनुसार किसी अन्य व्यक्ति को मांगने पर देने की आज्ञा देता है। बैंक में ड्राफ्ट की रकम व कमीशन देकर ड्राफट प्राप्त किया जा सकता है। 

प्रतिज्ञा पत्र (promissory note)

प्रतिज्ञा पत्र एक शर्त रहित (बैंक नोट अथवा करेंसी नोट के अतरिक्त) लिखित पत्र है जिसमे उसका लेखक या देनदार एक व्यक्ति विशेष को या उसके आदेश के अनुसार किसी व्यक्ति को, या उसके वाहक को मांगने पर अथवा एक निश्चित time के अनुसार राशि चुकाने का वचन देता है। इसे प्रो-नोट व प्रामिसरी नोट भी कहते हैं। 

प्रतिज्ञा पत्र के प्रकार (types of promissory notes)

साधारणतः एक ही व्यक्ति द्वारा लिखा गया प्रतिज्ञा पत्र साधारण प्रतिज्ञा पत्र कहलाता है और कभी-कभी दो या दो से अधिक व्यक्ति प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर करता है इस तरह के प्रतिज्ञा पत्र के दो प्रकार हैं –

  • संयुक्त दायित्व वाला प्रतिज्ञा पत्र 
  • संयुक्त व पृथक दायित्व वाला प्रतिज्ञा पत्र 

साख पत्र – Letter of credit

विदेशी व्यापारों में लेटर ऑफ़ क्रेडिट्स का उपयोग किया जाता है, माल को बेचने वाला अपने भुगतान को निश्चित करने के लिए आदेश या आर्डर प्राप्त करते समय खरीदने वाले से उसके देश से किसी बैंक का उसके पक्ष में लेटर ऑफ़ क्रेडिट्स की मांग करता है,

लेटर ऑफ़ क्रेडिट्स एक एक प्रकार की बैंकर द्वारा दिया गया गारंटी है कि इस पत्र के शर्तों के अनुसार निर्यातक द्वारा बील भेंजे जाने पर वह उसका भुगतान कर देगा।

मुद्रा विनिमय – Currency exchange

भारतीय मुद्रा अर्थात रूपये का आयत या निर्यात सामान्यतः निषिद्ध है। भारत के केवल वे व्यक्ति जो एक सिमित अवधि के लिए बाहर जा रहे हैं वे ही थोडी मात्रा में अपने साथ धन ले जा सकते हैं, और इसके लिए आपको मुद्रा का विनिमय करना होता है।

आप मुद्रा विनिमय (currency exchange) भारतीय बैंकों या फिर निजी विनिमय कार्यालयों में कर सकते हैं। परन्तु बैंकों की तुलना में निजी विनिमय कार्यालयों में विनिमय दर अच्छा होता है।

और इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि मुद्रा विनिमय का रसीद अपने पास सम्हाल कर रखें क्योकि इसकी जरुरत आपको दोबारा मुद्रा को परिवर्तित करके घरेलु मुद्रा (रुपया) में बदलने के लिए पड़ेगा। 

अपने ग्राहक के विषय में जानने सम्बंधित पंजीयन

kyc शब्द का उपयोग आप अक्सर बैंकों में सुनते होंगे, यह शब्द ग्राहक की पहचान प्रक्रिया के दौरान उपयोग में लाया जाता है, इस प्रक्रिया में बैंक का मुख्य उद्देश्य खाते के असली मालिक की पहचान करना होता है।

ताकि यह पता लगाया जा सके की ग्राहक कौन सा व्यवसाय करता है और उसका कितना व कहां-कहां से लेन देन है उसके लेनदेन व्यापार के मुताबिक है भी कि नहीं, KYC का मकसद आपराधिक गतिविधियों और money लांड्रिंग का पता लगाना है। 

बैंक ग्राहक के पूरी जानकारी के आधार पर उसका विवरण तैयार करता है जिसमे bank पता लगता है कि –

  • ग्राहक का बिजनेस और खाता खोलने का कारण 
  • फण्ड का स्त्रोत 
  • मासिक संभावित मासिक निकासी 
  • किसी ग्राहक के खाते की रकम और उसके व्यवसाय में तालमेल ना होना इस स्थिति में अतरिक्त विवरण की मांग 
  • कहीं खाते का इस्तेमाल मनीलांड्रिंग आतंकवादी व आपराधिक गतिविधयों के लिए तो नहीं हो रहा। 
  • वर्तमान में हो रहे आर्थिक धोखा-धड़ियों को ध्यान में रखकर KYC में सख्ती बरतनी आवश्यक है। 

बैंक में पंजीयन के लिए जरुरी दस्तावेज

  • KYC आवेदन-पत्र उपयुक्त प्रारूप में 
  • पासपोर्ट size फोटो 
  • पेन कार्ड की फोटो कॉपी 
  • पहचान पत्र (आधार कार्ड)
  • ड्राइविंग लाइसेंस 
  • निवास प्रमाण पत्र, एवं अन्य जरुरी। 

ATM (Automatic teller machine in hindi)

यह एक ऐसा दूरसंचार नियंत्रित और कंप्यूटर कृत मशीन है जो ग्राहकों को वित्तीय हस्तान्तरण की सुविधा प्रदान करता है। हस्तान्तरण की इस प्रक्रिया में ग्राहक को केशियर, बैंक क्लर्क इत्यादि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

ए टी एम के उपयोग से सम्बंधित कुछ सावधानियां

आज के समय में ATM का उपयोग किस तरह हो रहा है यह तो आप जानते ही हैं, परन्तु एटीएम का इस्तेमाल अगर सुरक्षित ढंग से नहीं किया गया तो यह एक बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकता है तो आइये एटीएम से सम्बंधित कुछ सावधानियों को जानते हैं 

  • अगर आप रात में atm का इस्तेमाल कर रहें है तो अकेले ना जाएँ। 
  • पैसे निकालते हुए इस बात का ध्यान अवश्य रखें की कोई संदेहजनक व्यक्ति आपके आस-पास तो नहीं है। 
  • ज्यादा पैसे निकालने तो तब किसी सुरक्षित जगह का atm इस्तेमाल करें। 
  • atm का उपयोग करते हुए अपने पिन कोड सुरक्षित रखे किसी दूसरे व्यक्ति को ना दिखाए 
  • atm से पैसे निकालने के बाद अच्छी तरह से चेक कर लें। 
  • आपना रसीद अवश्य रखे और एक बार चेक करें। 
  • ए टी एम पिन का नंबर याद रखे और किसी सुरक्षित जगह पर लिखकर रख लें। 
  • पिन डालते हुए अपने दूसरे हाँथ से नंबर छुपा कर रखें। 

ATM से सम्बंधित कुछ जानकारियां

पॉपुलर सेवाएं (popular services)

नकदी निकासी के अलावा अन्य कई सुविधाएँ atm पर मौजूद हैं –

  • खाता सम्बंधित जानकारी 
  • नकदी जमा (लिफाफा द्वारा)
  • नियमित बील भुगतान 
  • मोबाईल के लिए रिचार्ज वाउचर खरीदना 
  • पिन चेंज करना 
  • विवरण देखना, etc 

नकदी आहरण की सीमा

बैंकों ने अपने ग्राहक के लिए नकदी आहरण की सीमा निर्धारित कर रक्खी है बैंक द्वारा जब कार्ड जारी किया जाता है तब उस कार्ड के लिए एक सीमा निर्धारित कर दिया जाता उस सीमा से अधिक पैसे नहीं निकाले जा सकते।

सेवा प्रभार

रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया के अनुसार सुरुवात के 5 लेन देन निशुल्क है इसके बाद के लिए बैंक ने कुछ चार्ज रखे हैं।   

व्यक्तिगत जोखिम और बीमा

आज के दौर में मानव जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि हर कदम जोखिम से भरा हुआ है इसलिए लोगों के साथ-साथ शासन को भी इस बात की चिंता है जिसको मद्दे नजर रखते हुए शासन स्तर पर बीमा की व्यवस्था की गयी है। 

जोखिमों के कुछ प्रकार –

  • अचानक किसी दुर्घटना का हो जाना। 
  • वित्तीय बाजारों, प्रोजेक्ट फैल हो जाना। 
  • क्रेडिट जोखिम 
  • प्राकृतिक आपदाएं 
  • इत्यादि 

बीमा (personal finance management in hindi)

बीमा का मतलब एक लिखित संविदा के रूप में कहा जा सकता है जिसमे एक पक्ष दूसरे पक्ष को एक निश्चित राशि जिसे प्रीमियम कहते हैं देता है। और बदले में अचानक हुए नुकशान व क्षतिपूर्ति के लाभ का पात्र होता है।

कोई व्यक्ति या व्यवसायी जो अपनी जीवन संपत्ति का बीमा कराता है बीमित कहलाता है और वह कंपनी जो बीमा करती है बीमाकर्ता या बीमा कंपनी कहलाती है। 

टर्म इंश्योरेंस (term insurance)

इसमें व्यक्ति के जीवन के जोखिम को लेकर निश्चित अवधि के लिए बीमा सुरक्षा देती है इसमें पॉलिसी के अवधि के दौरान धारक की मृत्यु हो जाने पर उसके परिवार को बीमा की रकम मिलती है।

अगर पॉलिसी धारक पूरी उम्र जीवित रहता है तब उसे कोई रकम नहीं मिलता टर्म इंश्योरेंस का मकसद सुरक्षा प्रदान करना है इसलिए इसका प्रीमियम बहुत कम होता है। 

endowment policy 

यह पॉलिसी भी टर्म इंश्योरेंस की तरह होती है इसमें पॉलिसीधारक को अवधि पूरा होने पर सर्वाइवल बेनिफिट प्रदान करती है, यह एक निश्चित समय अवधि के लिए होती है और समाप्त होने पर व्यक्ति को पॉलिसी का जमा बोनस मिलता है।

अगर किसी कारणवस पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो उसके नॉमिनी को बीमा की रकम अदा की जाती है इनडाउमेन्ट पॉलिसी के प्रीमियम का निवेश बीमा कम्पनिया सरकारी सेक्टरों जैसे कम जोखिम वाले स्थानों में करती है।

होल लाइफ पॉलिसी (Whole life policy in hindi)

इसके नाम के अनुसार ही यह पॉलिसी पुरे परिवार को सुरक्षा देती है और आश्रितों को रकम देती है परन्तु पॉलिसीधारक के जीवित रहते कोई लाभ नहीं मिलता। 

मनी बैक पॉलिसी (Money back policy)

यह जीवन बीमा उन लोगो के लिए है जो जोखिम से सुरक्षा के साथ ही निश्चित समय अंतराल में भुगतान भी चाहते हैं यह पॉलिसी निचित अवधि के लिए की जाती है

और धारक को सम एश्योर्ड का भुगतान पॉलिसी के अवधि के दौरान ही मिलता और पॉलिसी के दौरान अगर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब बीमा की राशि उसके परिवार को मिलती है।     

यूनिट लिंक्ड बीमा योजना (unit linked insurance plan)

इसमें बीमा सुरक्षा के फंड जैसे निवेश का लाभ भी मिलता है इसमें जोखिम के हिसाब से विकल्प चुना जा सकता है क्योंकि इसमें अनेकों option है।     

पेंशन योजना (Pension plan in hindi)

बीमा कंपनियों के पेंसन प्लान में आप नौकरी के दौरान नियमित प्रीमियम देकर रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन ले सकते हैं इसमें एक बार में भी भुगतान किया जा सकता है और पेंशन की तिथि आप अपने अनुसार चुन सकते हैं।

हालांकि बाजार में अनेकों बीमा कम्पनिया है परन्तु बेहतर कंपनियों का चुनाव करना थोड़ा मुश्किल है, इसके लिए आप फाइनेंस एडवाइजर की सलाह ले सकते हैं।   

आखिर में

बस यही कहूंगा की अपने मेहनत से कमाए हुए पैसे को सही और सुरक्षित जगह लगाए, आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट हिंदी में (What is Personal Finance management in hindi) पसंद आये व आपके काम आये

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