सम्प्रेषण क्या है, सम्प्रेषण का महत्व एवं आवश्यकता?

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सन्देश-वाहक यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. सन्देश और वाहन, सन्देश से आशय है समाचार अथवा सुचना और वाहन का तात्पर्य सवारी.

अतः सन्देश वाहन से आशय उस साधन अथवा साधनों से है जिसके माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान को समाचारों, सूचनाओं अथवा संदेशों का प्रेषण किया जाता है.

सम्प्रेषण किसी संगठन की प्रबंध व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग है कोई भी संगठन बिना प्रभावशाली सम्प्रेषण के सुचारु रूप से कार्य नहीं चला सकता, वास्तव में यह संगठन में विचारों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने एवं दूसरे व्यक्ति के विचारों को समझने एवं उस पर अमल करने में सहायता प्रदान करता है.

प्रबंध के विभिन्न कार्यो नियोजन, नियंत्रण, संचालन, अभिप्रेरणा आदि को बिना प्रभावी सम्प्रेषण के संपन्न नहीं किया जा सकता.

सम्प्रेषण क्या है? – what is communication in hindi

सामान्यतः सम्प्रेषण का आशय सुचना अथवा विचारों का लिखित अथवा मौखिक रूप में एक-दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने की प्रक्रिया है. इसके संबन्ध में विभिन्न विद्वानों ने अपनी-अपनी परिभाषा दी हुई हैं. जिसकी सूची आप नीचे देख सकते हैं.

सम्प्रेषण क्या है विभिन्न परिभाषाएं? – definition of communication

श्री एम. ए. एलन जी सम्प्रेषण का परिभाषा देते हुए कहते हैं – सम्प्रेषण उन सभी बातों का योगफल है जो एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के मस्तिष्क में अपने विचार चाहता है. इसमें कहने, सुनने तथा समझने की व्यवस्थित तथा निरंतर प्रक्रिया सम्मलित होती है.

श्री न्यूमैन एवं समर के अनुसार – सम्प्रेषण दो से अधिक व्यक्तियों के बीच तथ्यों विचारों, सम्मतियों तथा संवेगों का विनिमय होता है.

श्री सी. सी. ब्राउन के शब्दों में – संदेशवाहक से आशय एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सुचना हस्तान्तरण से है चाहे उसमे विश्वास हो या नहीं, विनिमय हो या नहीं परन्तु हस्तांतरित सन्देश प्राप्तकर्ता को समझ में आनी चाहिए.

ऊपर दिए गए उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि सम्प्रेषण (communication) एक ऐसी कला है जिसके द्वारा विचारों को संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है तथा उन्हें जानने व समझने का प्रयत्न किया जाता है.

किसी उद्योग में सम्प्रेषण की आवश्यकता व महत्व – need and importance of communication

एवं आवश्यकता

प्रभावशाली सम्प्रेषण व्यवस्था किसी संगठन की प्रबंध व्यवस्था की प्रेरणा है इसके अव्यवस्थित होने की स्थिति में सम्पूर्ण संगठन प्राणहीन शरीर के अतरिक्त और कुछ भी नहीं है. संदेशवाहन की प्रभावपूर्ण पद्धति सन्देश देने वाले तथा प्राप्त करने वाले दोनों ही व्यक्ति को संतुष्ट रखते हुए संस्था के उद्देश्य की पूर्ति में प्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करती है.

यह सर्वमान्य मत है की औद्योगिक संगठन को क्रियाशील करने के लिए प्रभावपूर्ण सन्देशवाहन के समन्वय स्थापित करना असम्भव है. यह व्यवसाय को सुव्यवस्थित एवं सरल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का परिचय देता है. इसके महत्व को नीचे लिखे बातों से समझें

व्यवसाय की सुव्यवस्थित कार्यविधि – Organised Business Procedure

व्यवसाय का पैमाना बढ़ने के साथ-साथ कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हुई जिसके कारण सन्देशवाहन की समस्या जटिल होती गयी, विभिन्न कर्मचारियों को आवश्यक सूचनाएं पहुंचाने एवं उनके विचारों एवं समस्याओं को सुनने के लिए एक ऐसी पद्धति की आवश्यकता का अनुभव हुआ जो विचारों के आदान-प्रदान को सरल एवं प्रभावी बना सके और इस समस्या का समाधान प्रभावशाली सम्प्रेषण व्यवस्था ने ही किया है.

वास्तव में देखा जाये तो यह व्यवसाय को सुव्यवस्थित तरीके से चलाने की एक कार्यविधि है.

न्यूनतम मूल्य पर अधिकतम उत्पादन – Maximum Production on Minimum Cost

उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह भी आवश्यक है की कर्मचारियों में किसी प्रकार का भ्रम अथवा मतभेद ना हो सभी में परस्पर सतभावना होनी चाहिए, उत्पादकता में वृद्धि हेतु कर्मचारियों को यह स्पष्ट बता देना चाहिए की प्रत्येक को क्या कार्य करना है.

एवं कार्य के निष्पादन के लिए उन्हें आवश्यक निर्देश भी देने चाहिए इस कार्य में सन्देशवाहन की आवश्यकता होती है जो अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण होना चाहिए.

प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण व्यवस्था कर्मचारियों एवं प्रबंधक के बीच की खाई को पाटने में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है. और उनके मन में एक दूसरे के प्रति विपरीत विचारधाराएं समाप्त करके अच्छी वातावरण उत्पन्न करती है. इससे कर्मचारी संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपना हार्दिक सहयोग प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप संस्था में कम लागत पर अधिक उत्पादन सम्भव हो जाता है.

प्रबंधकीय क्षमता में वृद्धि – Increase in Managerial Efficiency

प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण व्यवस्था के द्वारा प्रबंधकीय क्षमता का विकास बड़ी तीव्रगति से होता है क्योंकि इसके द्वारा कर्मचारी जो भी विचार सुझाव एवं कठिनाइयां प्रबंधकों के सामने रखते हैं, उन्हें प्रबंन्धक अच्छी प्रकार से समझकर उचित समाधान खोजने का प्रयत्न करते है जिससे उनकी विभिन्न समस्याओं को निपटाने की क्षमता में तीव्र गति से विकास होता है.

पारस्परिक सहयोग में वृद्धि – Promotion in Co-operation

प्रभावपूर्ण सन्देशवाहन व्यवस्था प्रबंध एवं कर्मचारियों के बीच की खाई को पाटने के लिए एक पुल का कार्य करती है. इस व्यवस्था के द्वारा दोनों पक्षों को अपनी बात कहने तथा दूसरे की बात सुनने अथवा समझने का अच्छा अवसर प्राप्त होता है जिससे दोनों के बीच फैली गलतफहमियां दूर होने लगती है. और पारस्परिक सहयोग की भावना का विकास होता है.

विभिन्न विभागों में समन्वय – Co-ordination among different departments

बड़ी-बड़ी संस्थाओं में सम्पूर्ण कार्य को विभिन्न विभागों में विभक्त कर दिया जाता है. ये सभी विभाग अपनी-अपनी क्रियाओं के लिए स्वतंत्र होते हैं. परन्तु सबका उदेश्य संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति करना होता है. और इसके लिए इन सभी विभागों में समन्वय की स्थापना अत्यंत आवश्यक है.

नियोजन की सफलता इसी बात पर निर्भर करती है की जो भी योजना बनायीं जाये वह पूर्ण हो जाये और योजना की पूर्ति अथवा उसका कार्यान्वयन काफी सीमा तक सन्देशवाहन की प्रभावपूर्णता पर निर्भर करता है. विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने के लिए प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण व्यवस्था अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है.

कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि – Increase in Employees Morale

प्रभावपूर्ण सन्देशवाहन व्यवस्था कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि करती है इससे संस्था के प्रबंधकों में कर्मचारियों का विश्वास बढ़ने लगता है. वे उपक्रम के कार्यों को अपना स्वयं का कार्य समझने लगते हैं एवं संस्था की कोई भी हानि उन्हें स्वयं की हानि प्रतीत होती है.

प्रभावपूर्ण सन्देशवाहन उद्योग की जीवनदायिनी शक्ति होती है. एक ही संगठन के अंतर्गत सुगमतापूर्वक काम करने के लिए यह आवश्यक हो जाता है की संदेशवाहन की प्रणाली ऐसी हो जिससे की वो आदेशों को स्पष्ट समझ सके, उसका पालन कर सके तथा अपनी बात को भली प्रकार समझा सके.

भावपूर्ण नेतृत्व की स्थापना – Establishment of Effective Leadership

प्रभावपूर्ण नेतृत्व की स्थापना के लिए ऐसी अनुयायिओं की आवश्यकता होती है जो अपने नेता के आदेश पर कुछ भी करने के लिए तैयार हो, एक उपक्रम में प्रबंधक यह स्थिति केवल उसी समय प्राप्त कर सकते हैं जब वे अपने कर्मचारियों के विस्वास पर विजय प्राप्त कर ले. एक अच्छी संचार व्यवस्था (communication system) इस कार्य के लिए बड़ी महत्वपूर्ण सिद्ध होती है.

क्योंकि इसके द्वारा कर्मचारियों एवं प्रबंधकों को एक दूसरे के विचार जानने व समझने का अच्छा अवसर प्राप्त होता है. एवं किसी प्रकार की ग़लतफ़हमी होने की सम्भावना नहीं होती.

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