प्लानिंग या नियोजन क्या है – छोटे व्यापार या उद्योग के लिए नियोजन | what is planning in hindi

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what is planning in hindi

planning in hindi : हमारे जीवन में प्लानिंग अर्थात नियोजन का विशेष महत्व है. बिना प्लानिंग के किसी कार्य अथवा परियोजना में सफल होना मुश्किल है.

छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी कार्यों को करने के लिए नियोजन (planning) की आवश्यकता पड़ती है. छोटे व्यापार व उद्योग को ध्यान में रखते हुए हमने प्लानिंग को बारीकी से समझाया है.

इस लेख – प्लानिंग क्या है? what is planning के माध्यम से हम नियोजन के संबंध में सभी जानकारी सरल रूप जानेंगे इसलिए कृपया करके यह लेख पूरा पढ़ें –

planning meaning in hindi = नियोजन, योजना, आयोजन इत्यादि.

नियोजन क्या है – what is planning in hindi

नियोजन (planning) का तात्पर्य है योजना बनाना, हालांकि नियोजन की अन्य अनेक परिभाषाएं हैं. नियोजन को एक परिभाषाओं में बाँध पाना मुश्किल है.

अनेक विचारकों ने नियोजन (planning) को जिस प्रकार परिभाषित किया है. उसकी सूची नीचे पढ़ें –

नियोजन की परिभाषा – planning definition in hindi

प्रो. एल रोबिन्स के अनुसार – “लक्ष्यों का निर्धारण करके विकल्प का प्रयोग करते हुए कार्य करना ही नियोजन planning कहलाता है. और विकल्प मानव के आर्थिक गतिविधियों का सार है.

भारतीय योजना आयोग के अनुसार नियोजन की परिभाषा – “नियोजन साधनों के संगठन की वह विधि है. जिसके द्वारा साधनों का अधिकतम लाभप्रद उपयोग निश्चित सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है.

नियोजन की धारण के दो प्रमुख अंग है –

  • लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति
  • उपलब्ध साधनों और उनके सहीं बटवारे का ज्ञान

डॉक्टर डाल्टन के अनुसार नियोजन की परिभाषा – “विस्तृत अर्थ में नियोजन से अभिप्राय कुछ व्यक्तियों द्वारा, जिसके अधिकार में कुछ विशेष प्रसाधन हो, निश्चित उदेश्यों की पूर्ति के लिए आर्थिक विकास क्रिया का संचालन करना है”.

प्रो. एच डी डिंकींन्स के अनुसार नियोजन – “नियोजन निर्णय करने की वह प्रक्रिया है. जिसमे सर्वेक्षण के आधार पर एक निर्धारक द्वारा विचारपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं. कि कितना उत्पादन किया जाये, कब और कहाँ उत्पादन किया जाये, तथा इसका वितरण कहाँ हो.

नियोजन की विशेषताएं – Features of planning in hindi

  • पहले से निर्धारित लक्ष्य
  • साधनों का आबंटन तथा उपयोग
  • निर्धारित समय अवधि
  • निरंतर अवधि
  • संरचनात्मक परिवर्तन

नियोजन या प्लानिंग के विभिन्न प्रकार – different types of planning in hindi

नियोजन के अनेक प्रकार हैं जिनकी सूची नीचे दी गई है –

समय या अवधि के आधार पर नियोजन – period based planning in hindi

अवधि के आधार पर नियोजन (planning) को भी विभिन्न भागों में बाटा गया है –

1. अल्पकालिक नियोजन – short term planning in hindi

कम या थोड़े समय के लिए जो नियोजन किया जाता है उसे अल्पकालिक नियोजन कहते हैं इसमें तत्कालिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है. अल्पकालिक नियोजन दीर्घकालिक नियोजन के छोटे से हिस्से के रूप में भी हो सकता है.

2. दीर्घकालिक नियोजन – long term planning in hindi

दीर्घकालीन नियोजन आने वाले भविष्य को ध्यान में रखते हुए लम्बे समय के लिए बनाया जाता है. सुविधा के लिए इस अवधि या समय को छोटे-छोटे भागों में बाटा जाता है.

3. निश्चित अवधि नियोजन – fixed term planning in hindi

इस प्रकार के नियोजन में योजना की कोई निश्चित निश्चित अवधि नहीं होती. यह अवधि कुछ भी हो सकती है.

4. अनवरत नियोजन – continuous planning in hindi

इस प्रकार के नियोजन में योजना धारा के सामान प्रवाहित रूप में चलती रहती है. एक निश्चित समय अवधि के बाद कुछ अवधि और जोड़ दी जाती है. जिससे की परिस्थतियों के अनुसार आवश्यक परिवर्तन किया जा सके.

प्रोत्साहन मूलक नियोजन – incentive planning in hindi

इस प्रकार के नियोजन में सरकार मौद्रिक एवं गैर मौद्रिक सुविधाएं देकर लक्ष्य की पूर्ति हेतु प्रयत्न करती है. प्रोत्साहन या प्रेरणा से उन्ही क्षेत्रों में उत्पादन होता है. जिनमे आवश्यकता होती है. इससे साधनों का स्वतः ही उचित वितरण होता है.

भौतिक नियोजन – physical planning in hindi

इस प्रकार के नियोजन planning में योजना के लक्ष्यों को भौतिक इकाइयों में व्यक्त किया जाता है. योजना आयोग के अनुसार “भौतिक नियोजन वह प्रयत्न है जिसके द्वारा विकास संबंधी प्रयत्नों को साधनों के वितरण एवं वस्तुओं की उपलब्धि के रूप में प्रकट किया जाता है.

वित्तीय नियोजन – financial planning in hindi

वित्तीय नियोजन में भौतिक लक्ष्यों को मुद्रा में व्यक्त किया जाता है. इस प्रकार के नियोजन में यह अनुमान लगाया जाता है. कि भौतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कितना व्यय किया जायेगा. तथा आवश्यक धनराशि कहाँ से आएगी.

मुख्य एवं अनुरूपक नियोजन – main and analog planning in hindi

प्रारम्भ में बनाई गयी योजना को मुख्य नियोजन कहते हैं. कई बार मुख्य योजना में कुछ कमी रह जाती है. अतः किन्ही कारणों से मुख्य योजना में परिवर्तन आवश्यक हो जाता है. ऐसी स्थिति में सुधार के लिए जो योजना बनाई जाती है. उसे अनुरूपक योजना कहते हैं.

पूंजी प्रधान एवं श्रम प्रधान नियोजन – capital intensive and labor intensive planning hindi

जब नियोजन में प्रमुख साधन के रूप में पूंजी को अधिक महत्व दिया जाता है. तो इसे पूंजी प्रधान नियोजन planning कहते हैं. ठीक इसका उल्टा यदि पूंजी के जगह श्रम का अत्यधिक उपयोग किया जाए तो उसे श्रम प्रधान नियोजन कहते हैं.

स्थिर एवं गतिशील नियोजन – static and dynamic planning in hindi

स्थिर नियोजन का तात्पर्य ऐसे नियोजन से है जिसमे आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन नहीं किये जा सकते अर्थात ऐसे नियोजन में लोच का आभाव होता है. इसके विपरीत गतिशील नियोजन में आवश्यकता के अनुरूप परिवर्तन किये जा सकते हैं.

रचनात्मक एवं विस्थापन नियोजन – constructive and displacement planning hindi

रचनात्मक नियोजन में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रचनात्मक गतिविधयों को ध्यान में लिया जाता है. जबकि विस्थापन नियोजन में विद्यमान व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता है. इसमें आमूलचूल परिवर्तनों का रास्ता अपनाया जाता है.

नियोजन का महत्व – importance of planning in hindi

नियोजन के महत्व को नीचे दिए गए लेख के माध्यम से समझा जा सकता है –

1. तेजी से विकास के लिए

चूंकि नियोजन में भविष्य में किये जाने वाले क्रियाकलापों का पूर्व निर्धारण होता है. अतः निर्णय लेने में ना तो अधिक विचार करना होता है और ना ही अधिक समय लगता है. अतः उपक्रम का विकास तीव्र गति से होता है.

2. संतुलित विकास

दीर्धकालिक योजनाओं को सर्वेक्षण व पर्वानुमान के अनुसार बनाया जाता है. साथ ही इसमें भविष्य में होने वाले परिवर्तनों के लिए भी स्थान दिया जाता है. अतः उपक्रम का संतुलित विकास होता है.

3. पूंजीनिर्माण की उचित दर

नियोजन उपक्रम में अनियोजित उपक्रम की तुलना में पूंजीनिर्माण की दर ऊँची होती है, साधनों के अनुकूल उपयोग से उत्पादन बढ़ता है. इससे आय व बचत में वृद्धि होती है. जिसका उपयोग पूंजी के रूप में किया जा सकता है.

4. निर्णय एवं कार्य में समन्वय

अनियोजित प्रक्रिया के अंतर्गत लिए गए सभी निर्णय पूर्णतः भ्रामक एवं अविवेकपूर्ण होते हैं. एक अनियोजित उपक्रम की तुलना में ऐसे वाहन से की जा सकती है जिसमे ड्राइवर नहीं है.

परन्तु मोटर में बैठा हुआ प्रत्येक यात्री अपनी इक्षा और शक्ति अनुसार मोटर के स्टेयरिंग को घुमाने का प्रयत्न करता है. भले ही उसके परिणाम कुछ भी क्यों ना हो.

5. दूरदर्शिता पूर्ण निर्णय

नियोजित संचालन में भविष्य के बारे में पहले से ही अनुमान लगा लिया जाता है. नियोजनकर्ता की दृष्टि सदैव आगे ही रहती है. इसलिए निर्णय दूरदर्शिता पूर्ण होते हैं.

6. साधनों का अधिकतम उपयोग

नियोजन का अर्थ ही सर्वोत्तम चुनाव है. प्रत्येक उद्यमी अपने सिमित साधनों से अधिकतम उपयोगिता प्राप्त करना चाहता है. जोकि नियोजन के माध्यम से ही संभव है.

7. साधनों का आबंटन

नियोजित प्रक्रिया में साधनों का आबंटन प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है. इससे साधनों का उपयोग आवश्यकताओं के अनुसार ही किया जाता है. इसमें साधनों के अपव्यय पर भी नियंत्रण रहता है.

लघु उद्योग में नियोजन के चरण – Stages of planning in small scale industry

लघु उद्योग में planning के निम्न चरण होते हैं –

  • औद्योगिक/व्यावसायिक गतिविधि का चयन.
  • बाजार संभावनाएं जानने के लिए सर्वेक्षण करना.
  • इकाई के लिए उपयुक्त स्थापना स्थल का निर्णय करना.
  • इकाई का प्रस्तावित पंजीयन.
  • इकाई के लिए कार्य स्थल प्राप्त करना अथवा भूमि आबंटन करवाना.
  • भवन से संबंधित नक्शा तैयार करना.
  • विद्युत विभाग से विद्युत प्रदाय हेतु सहमति प्राप्त करना.
  • पानी की व्यवस्था.
  • मशीनरी तथा उपकरणों से संबंधित कोटेशन प्राप्त करना.
  • विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करना.
  • विभिन्न संस्थाओं से प्रमाणपत्र एवं लायसेंस प्राप्त करना.
  • ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करना.
  • मार्जिन मनी हेतु व्यवस्था.
  • निर्माण कार्य प्रारम्भ करना.
  • मशीनरी हेतु आर्डर प्लेस करना.
  • विद्युत कनेक्शन प्राप्त करना.
  • मशीनों की स्थापना तथा कच्चेमाल की व्यवस्था करना.
  • वाणिज्यिक स्तर पर उत्पादन प्रारम्भ करना.
  • स्थायी पंजीयन
  • इकाई का मिलने वाली विभिन्न सुविधाएं प्राप्त करना.

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आखरी शब्द

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