टालमटोल की आदत और इसके फायदे | टालमटोल की आदत से छुटकारा कैसे पाएं?

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क्या आप में भी है टालमटोल का आदत | कैसे पाएं टालमटोल की आदत से छुटकारा

हर व्यक्ति अपने रोजाना की जिंदगी में कितने ही बार चीज़ों का टालमटोल करता है, आखिर टालमटोल या टालना होता क्या है, इसका साधारण सा उत्तर है आज का काम को कल पर टाल देना या कल के भरोसे छोंड़ देना। 

अगर आप में यह टालमटोल की आदत है तो यह जान लीजिये की आप अपने इस टालमटोल के आदत से स्वयं का तो नुकशान करते ही हैं. साथ ही साथ अपने घर-परिवार के लोगों, अपने मित्रों, अपने office के दोस्तों (सहकर्मियों) इन सभी का भी नुकसान करते हैं। 

इतना तो आप स्वयं जानते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करना है या विजय होना है तो आपको इस टालमटोल की आदत को दूर करना होगा। हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है की जो आज अपने जीवन में विजय हासिल कर लिए है या सफल हो गएँ है उन्हें टालमटोल करने की इक्षा नहीं हुई होगी, परन्तु उन्होंने अपने इस टालमटोल के आदत पर काबू पाया और आज सफल हैं।

उन्हीने कभी भी इस टालमटोल की इक्षा को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया और सफलता को प्राप्त किया।

टालमटोल का मनोविज्ञान क्या है ?

आइये यह जानते हैं की आखिर क्या है टालमटोल का मनोविज्ञान, यह आसानी से समझा जा सकता है की टालमटोल करने वाला व्यक्ति आलसी प्रवृति का होता है वह अपने आलस्य के कारण हर काम को तुरंत करने के बजाय कल पर टालता रहता है। क्या ये सहीं है, नहीं यह पूरी तरह सही नहीं है वो कैसे चलिए जानते हैं – टालमटोल करने वाले व्यक्तियों में एकाग्रता का आभाव होता है, तो कई बार ऐसे लोग कुछ विशेष या खास करने के सोंच में होते हैं। 

और अनेक बार ऐसा होता भी है की वे अपने काम में बहुत अधिक सफल हो जाते हैं और उन्हें पता होता है की वे अपना काम बेहतर तरीके से व बहुत कम समय में पूरा कर सकते हैं. इसलिए ऐसे व्यक्तियों को परिणाम से डर भी लगता है और वे निर्णय लेने के बजाय निर्णय लेने की झंझट को टाल देना बेहतर समझते हैं.

इसके अलावा अन्य चीज़ों को टालमटोल करने वाले व्यक्ति की खास बात यह होती है की वह अंतिम-अंतिम समय काम को last मिनट में करके बहुत खुस होता है। (अर्थात एक कार्य को करने में अपना पूरा तन-मन लगा देने के वजह से दूसरे कार्य को करने में टालमटोल करना)

परन्तु जैसा भी हो एक बार जो समय चला गया तो फिर वह दुबारा लौट कर नहीं आता इसलिए टालमटोल करना अच्छी बात नहीं है यह आपके जीवन आपके कॅरियर के लिए नुकशानदायक है। 

क्या आपमें भी है टालने की प्रवृति (आदत)?

यह जानना बहुत ही आवश्यक है की आपके अंदर भी किसी कार्य को टालमटोल करने की आदत है कि नहीं क्योकि जिस तरह किसी रोग के उपचार के लिए रोग को समझना आवश्यक है उसी प्रकार टालमटोल पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने रोजाना की दिनचर्या को समझना अति आवश्यक है।

टालमटोल की आदत का परीक्षण ऐसे करें

निचे दिए प्रश्नों का उत्तर आप (हाँ, नहीं, पता नहीं) में दें –

  • आप कोई भी कार्य करने से पहले असफलता के नतीजे को सोचकर डरते है क्या। 
  • आप किसी कार्य के बारें में यह सोचते है की यह बहुत जरुरी काम है इसलिए इसे सोंच समझ कर, ध्यान और लगन से करना चाहिए। 
  • क्या आप किसी कार्य को सिर्फ इसलिए टाल देते हैं क्योकि आपको उस कार्य के परिणामों से सामना करना पड़ेगा। 
  • क्या आप कोई भी कार्य को एक निश्चित time table पर पूरा करने के लिए plan बनाते हैं। 
  • क्या आप अगर जरुरत पड़ता है तो सिर्फ काम चलाऊ काम करेंगे या फिर कोई ऐसा काम ठान लेंगें और उसे किये बिना चैन की सांस नहीं लेंगें। 
  • क्या आपको ऐसा लगता है की आप किसी दबाव या किसी प्रकार की तनाव में बेहतर कार्य कर सकते हैं। 

इससे आप पता लगा सकते हैं की कभी-कभी टालमटोल जरुरी है. परन्तु यह स्वभाव का हिस्सा बन जाये तब यह असफलता का भी कारण बन जायेगा. यह बिल्कुल इस प्रकार है – जैसे न्यूटन की प्रथम गति का नियम – कोई व्यक्ति विरामअवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगा, जब तक उसके आंतरिक बल उसे कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करते.

टालमटोल की आदत के प्रकार

जब होगा तब देखा जायेगा (आग लगने पर कुंआ खोदने वाले व्यक्ति)

इस प्रकार के लोगों की मानसिकता यह होती है की पहले से ही tension क्यों लेना जब काम सर पे आएगा तब देखा जायेगा, ऐसे व्यक्तियों का तकिया कलाम होता है “अंत भला तो सब भला” ये व्यक्ति अंत समय में काम करने को बांकी समय का सदुपयोग समझते हैं। ये कितनी भी कठिनाइयों को पार करते हुए अंत समय में काम करते है ऐसा करके इन्हे रोमांच और मज़ा आता है। आप इन व्यक्तियों में से है तो आपको आपका काम भारी और गंभीर नहीं लगता और आप कोई time table की परवाह नहीं करते। 

  • ऐसे लोगों को रोमांच अच्छा लगता है, जैसे छूटती हुई ट्रेन को भागकर पकड़ने से रोमांच मिलता है। 
  • आपको अपने इन्जॉयमेंट के साथ काम के प्रति हमेशा मोटिवेट होना चाहिए। 
  • अपनी time table set कीजिये। और सहीं समय पर काम को पूरा करने का प्रयास कीजिये। 

कहीं गलती ना हो जाये ऐसा हर पल सोचने वाले व्यक्ति

ऐसे लोग हमेसा काम को इस लिए टाल जाते हैं क्योकि ये अंत में होने वाले परिणाम से डर जाते हैं. उन्हें हमेसा डर लगा रहता है की कहीं हम असफल ना हो जाये, इस सोंच के वजह से वे प्रयास ही नहीं करते।

एक बात और है की ऐसे व्यक्ति स्वयं को दूसरों के नजरिये से जाचते है over analyse करते है और दुनिया भर का वाद विवाद करते हैं। ऐसे लोग हमेसा तनाव में रहते है क्योकि ये हरपल काम की फ़िक्र और जिक्र करने में लगे रहते हैं।   

आप क्या करें : आपका ध्यान असफलता पर अधिक रहता है और आपको असफल होना किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है आप हर चीज के बारे में जरुरत से ज्यादा सोचते हैं आप अपने खुद के भरोसे पर कुछ नहीं करते आपको कोई सलाह दें तब आप कुछ करें, इन सब को सोंचकर आप कुछ कर नहीं पाते हैं। 

  • आप हमेसा फेलियर से ना डरें सफलता असफलता आंकना बाद की प्रक्रिया है पहले अपने कार्य को करने की कोसिस तो करें।  
  • जब भी मन में दुविधा हो तो यह बात याद रखें कि जीवन में जितना दुःख फेलियर या असफलता से नहीं होता, उससे कही ज्यादा दुःख कार्य को करने की कोसिस ही नहीं करने से होता है। 
  • आप time table बनायें और उसके हिसाब से काम करने की कोसिस करें, उसके बाद भी जब समय बच जाये तो वह कार्य करें जिसे आप छोड़ दिए थे अपने जरुरी काम को पूरा करने के चक्कर में। 

क्या करें क्या ना करें में उलझे रहने वाले व्यक्ति 

ऐसे लोग निर्णय ही नहीं लेते, ऐसे व्यक्ति सिर्फ इसलिए कार्य नहीं करते क्योकि ये कार्य में कोई समझौता करना नहीं चाहते ये चाहते है की हम best से best result दें।

इस सोंच में जब तक उस कार्य को करने में कुशल ना हो जाये पारंगत हाशिल ना कर लें तब तक उस कार्य को हाँथ ही नहीं लगाएंगे, और इस चक्कर में वे कार्य को टालना बेहतर समझते हैं, फिर तो गलत करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। 

ऐसे व्यक्ति को क्या करना चाहिए 

  • आप अपने कामों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाट लें इससे आपका काम आसान हो जायेगा। 
  • हमेसा कम्फर्ट जोन में रहना सही नहीं है, थोड़ा रिस्क तो लेना ही चाहिए, इसका एक अलग ही मज़ा है। 
  • आप किसी कार्य को best करना चाहते हैं अपने काम में 100% result देना यह सही बात है पर अगर इस चक्कर में की कोई गलती ना हो जाये मै कोशिस ही नहीं करूँगा, जब पूरी तरह से कुशल हो जाऊंगा तभी करूँगा, यह सोंचना भी तो गलत है क्योकि हमें कोसिस करते रहना चाहिए तभी तो हम सीख पाएंगे और 100% result दे पाएंगे। 

conclusion 

जीवन में टालमटोल ना करें क्योकि, अगर हम किसी कार्य की सुरुवात करते है तो हमारे मेहनत और प्रयास से वह कार्य खुद बेहतर हो जायेगा। वैसे भी अगर कल के चक्कर में आप किसी काम को छोड़ देते है तो समय निकल जाने के बाद उस कार्य को पूरा करने का कोई मतलब भी नहीं निकलता, इसलिए कभी कभार टाल मटोल करें परन्तु इसे अपनी आदत ना बना लें।    

अंतिम शब्द 

आशा है की आपको हमारा यह लेख क्या आप में भी है टालमटोल का आदत, टालमटोल की आदत से कैसे बचें, टालमटोल का मनोविज्ञान क्या है (tal matol ki aadat se kaise bachen) पसन्द आये, और आपके काम आये.

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This Post Has 2 Comments

  1. PRATEEK

    प्रणाम सर ..
    एक बेहतरीन लेख के लिए बधाई ..

    टालमटोल की आदत .. यह एक ऐसा विषय है जिसको लेकर कई लोग न सिर्फ त्रस्त रहते है वरन अपने आस – पास के लोगों को भी परेशान करते है .. आपका यह विस्तारपूर्वक लिखा गया लेख टालमटोल की आदत के लिए आवश्यक हर पहलु पर प्रकाश डालता है .. आशा है आप इसी तरह आगे भी विभिन्न विषयों पर अपना अनुभव एवं ज्ञान साझा करते रहेंगे ..
    भविष्य के लिए शुभकामनाएं

    धन्यवाद

  2. satyajeet singh

    आपके प्यार भरे शब्दों के लिए धन्यवाद प्रतीक जी

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