अपनी वाणी में मिठास लाएं | मीठा बोलना कैसे सीखे

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मीठा बोलना कैसे सीखे : दोस्तों कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी से होती है और यह सहीं बात भी है. आप भी अपने रोजाना की दिनचर्या में कई ऐसे लोगों से मिलते होंगे जिनके पास बैठकर उनकी बातें सुनने से ऐसा लगता है. जैसे उनकी वाणी से मोती बरस रहें हो, मानों हम उनकी बातों को पूरा दिन बैठकर सुन सकते हैं.

तो चलिए इस लेख में हम जानते हैं कि अपने वाणी अपने शब्दों को कैसे प्रभावी बनाया जाएँ, और कैसे अपने शब्दों में मिठास लाया जाये जिससे सामने वाला आपकी ओर आकर्षित हो.

जरुरी नहीं है की किसी का मुँह मीठा केवल मिठाई से हो अपितु…… आपकी सुन्दर वाणी ही किसी का मुँह मीठा करने के लिए काफी होता है.

जिस तरह तीर एक बार कमान से निकल जाता है तो वह दुबारा वापिस नहीं आता, ठीक उसी प्रकार वाणी (बोली) भी है जो एक बार आपके मुख से निकल जाता है फिर दोबारा वापिस नहीं आता. इसलिए शब्दों को तोल-मोल कर सोंच विचार कर सरल और मधुर निकालनी चाहिए. 

शब्दों के विषय कहा गया है –

ऐसी वाणी बोलिऐ, मन का आपा खोय 

औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय। 

मधुर वाणी रखने से आपको और सुनने वाले दोनों ला फायदा होता है। 

निति शास्त्र के अनुसार जिस प्रकार के बोल या वाणी को गलत माना गया है और जिसके उपयोग से आपके जीवन में कष्ट और केवल कष्ट होंगे वो यह है 

मीठा बोलना कैसे सीखे

ऐसी वाणी नहीं बोलनी चाहिए 

  • धमंड (अहंकार) से भरा हुआ वाणी। 
  • झूठ बोलना। 
  • कटु बोलना। 
  • दूसरों की निंदा करना। 
  • असंगत बात करना। 

अपने वाणी में अपशब्द का प्रयोग करके कष्ट पाने से अच्छा है कुछ ना बोले मौन रहें. परन्तु बात यह है की मौन रहना तो कोई समाधान नहीं है. अपने बातों और विचारों को रखने के लिए बोलना जरुरी है.

परन्तु आप यह तय कर सकते हैं कि कितना बोलना है, कैसे बोलना है, और क्या बोलना है याद रखिये आपकी वाणी ही आपके व्यक्तित्व की पहचान है। वाणी के संबंध में कहा गया है – अति का भला ना बोलना, अति की भली ना चुप। 

कुछ तरीकों के बारें में नीचे बताया गया है जिससे आप अपने वाणी में मधुरता ला सकते हैं –

क्या बोलें और कैसे बोलें

कहा गया है कि वाणी को धारण करने से व्यक्ति को यश और प्रतिष्ठा प्राप्त होता है। इसी वाणी के वजह से व्यक्ति एक विद्वान् के रूप में पहचाना जाता है। अपने बात को प्रभावशील रखने व अपने वाणी को प्रभावी बनाने के तरीकें –

1. बात करते वक्त आंखों में देख कर बात करें

जब भी आप किसी से बात करें तो eye contact अवश्य बनायें, सामने वाले के आँखों में देख के बात करें ना की इधर-उधर नजर ताकें, नजर ताकने से ऐसा लगता है जैसे आप डरे हुए हैं, और आपके आत्मविश्वास में कमी आ जाती है.

जिससे आप सामने वाले की प्रतिक्रिया को नहीं आंक पाते  बात करते समय आपको यह जानना बहुत जरुरी है कि सामने वाले की प्रतिक्रिया किस प्रकार से हो रही है और फिर उसके हिसाब से अपने बात-चित की दिशा को परिवर्तित करना जरुरी है. 

बात-चित (वार्तालाप) का मतलब शब्दों द्वारा अपना प्रभाव बनाना होता है, इसलिए जब भी बात करें सामने वाले के आँखों में देखते हुए बात करें। याद रखिये ही मुख से शब्द निकलते हैं और आँखों से भाव – और जहां शब्द और भाव मिल जाये वहां प्रभाव अवश्य छोड़ता है.

2. बोलने से ज्यादा जरुरी है सामने वाले की बातों को गौर से सुनना 

जिस तरह एक अच्छा reader ही एक अच्छा writer होता है. उसी प्रकार एक अच्छा वक्ता भी वही बन सकता है जो अच्छा श्रोता हो। आप अगर किसी से कुछ कहना चाहते हैं तो पहले उसके बात को सुनने के लिए भी तैयार रहिये.

कही ऐसा ना हो जाये की आप अपने मन की भड़ास निकालने के लिए जोश ही जोश में होंस खो बैठे और कुछ ऐसे बोल जाये जो सामने वाले को पसंद ना आये, और एक बार बोल जो शब्द बोल दिया वो वापस आने वाला तो है नहीं.

इसलिए पहले शांत दिमाग से अच्छे से सुनिए फिर फिर किसी निष्कर्ष पर पहुँचिये, दोस्तों याद रखिये आपका सबसे बड़ा धन वाणी है सो इसे सोंच समझ कर खर्च कीजिये। तभी आपका और आपके वाणी का सम्मान होगा और इसका वजन बढ़ेगा.

3. आप जो भी बोले उन शब्दों में सच्चाई हो 

हमेसा सच बोले, जुठ बोल कर हम कई बार अपनी खुशिया पा लेते है पर उन खुशियों से हमे आनंद या आत्म संतुष्टि नहीं होती और यह ज्यादा दिन टिकता भी नहीं है.

इसलिए हमेसा सच बोले, हालांकि सच्चाई के रास्ते में सुरुवात में कठिनाइयां आएँगी परन्तु अपने शब्दों के प्रति आपकी सच्चाई देर से ही सहीं रंग लाएगी जरूर. 

आपके शब्द आने वाले आने वाले समय में आपके भविष्य निर्धारण करती है क्योकि आप जो भी बोलते या करते है आगे चलकर उसका result मिलता है कहा नहीं गया है – जैसा बोंवोगे वैसा काटोगे. आपका शब्द ही आपको परिवार, दोस्तों, office आदि जगहों पर पहचान दिलाता है.

4. आप जो भी बोले उसमे नम्रता और मिठास हो 

अपने शब्दों (वाणी) में मिठास लाइए क्योंकि अगर आप किसी से कड़वी बाते करते हैं या आपकी वाणी खराब है, आपमें बात करने की तमीज नहीं है, तो लोग धीरे-धीरे करके आपसे कटना स्टार्ट कर देते हैं. आपसे दूर होने लगते हैं, और दूर ही रहना पसंद करते है. 

जब भी आप किसी व्यक्ति से मिले तो पुरे जोश और होश के साथ उससे बात करें, बात करते वक्त उसके आँखों में देखे, सामने वाले की रूचि को भांपे और बात करने के लिए ऐसे topic का चुनाव करें जो सामने वाला को अच्छा लगे और वह आप से प्रभावित हो और ऐसा करते वक्त इधर-उधर ना ताके और बिना हिचकिचाए अपने शब्दों को रखे.

इससे सामने वाला प्रभावित होगा और लगातार आपकी बात सुनने के लिए उत्शुक होगा.

अंत में यह जरुरी बात ध्यान रखे की अनावश्यक बातों से बचे केवल जरुरी topic पर ही बात करे, और मौन धारण ना करे इससे सामने वाला आपकी कमजोरी मान सकता है.

अंतिम शब्द 

आशा है की आपको हमारा यह लेख अच्छा बोलने की कला सीखें, अपनी वाणी में मिठास लाएं, प्रभावी बोलने की कला पसंद आये, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे share जरूर करें और हमारे Facebook page को जरूर follow करें अगर हमारे लिए कोई सुझाव हो तो comment करें – धन्यवाद,

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