Mushroom Farming : बहुत कम लागत पर करें मशरुम का बिजनेस, होगी बेहतरीन कमाई

You are currently viewing Mushroom Farming : बहुत कम लागत पर करें मशरुम का बिजनेस, होगी बेहतरीन कमाई

Mushroom Farming Business in Hindi : मशरूम जिसे फुटू या पीहरी भी कहा जाता है. यह बहुत ही पौष्टिक, रोगरोधक, स्वादिष्ट तथा विशेष महक के कारण आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण आहार है. बिना पत्तियों, बिना कलिकाओं और बिना फूल के भी फल बनाने की दृष्टि में मशरूम एक बहुमूल्य वस्तु है जिसका उपयोग भोजन के रूप में, टॉनिक के रूप में, औसधी के रूप में इत्यादि में किया जाता है. इस लिहाज से देखा जाये तो Mushroom Farming का बिजनेस एक बेहतरीन Profit वाला Business है.

मशरूम क्या है? – What is Mushroom hindi

मशरूम एक तरह का पौधा है जो छत्ते के सामान संरचना का दिखाई देता है. यह अनेक मामलों में गुणकारी पौधा है. इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं पोषक तत्व मौजूद होते हैं. मशरूम का निर्माण फफूंद से होता है.

भारत में मशरूम कहा-कहा पाया जाता है?

मौसम की अनुकूलता एवं सघन वनों के कारण भारतवर्ष में पर्याप्त प्राकृतिक मशरूम निकलता है. ग्रामीण जन इसका बड़े चाव से उपयोग करते हैं. उनकी मशरूम के प्रति विशेष रूचि है. इसलिए इन क्षेत्रों में व्यावसायिक स्तर पर उत्पादित आयस्टर एवं पैरा मशरूम की अधिक मांग है. कृषि विश्वविद्यालयों में हुए अनुसन्धान कार्य से यह निष्कर्ष निकल गया है. की इस क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर चार प्रकार के मशरूम उगाये जा सकते हैं.

मशरूम के प्रकार – Types of Mushroom

  • आयस्टर मशरूम (प्लूरोटस प्रजाति)
  • पैरा मशरूम (फुटू) वोल्वेरियेला प्रजाति
  • सफ़ेद दूधिया मशरूम (केलोसाइबी इंडिका)
  • सफ़ेद बटन मशरूम (अगेरिकस बाइस्पोरस)
Mushroom Farming Business

आयस्टर मशरूम का बिजनेस कैसे शुरू करें – how to start oyster mushroom business

  • 100 लीटर पानी में 7.5 ग्राम बाविस्टिन दवा एवं 125 मिली लीटर फार्मेलिन को अच्छे से मिला देते हैं.
  • 12 किलो गेहू भूंसा या धान की पैरा कुटटी को भिगोने के पश्चात पालीथीन शीट में दश से बारह घंटे के लिए ढँक देते हैं.
  • उपचारित भूसे/पैरा कुटी की टोकनी या जाली के ऊपर पलट दें जिससे पानी पूरी तरह निकल जाये निधारी गयी पैरा कुट्टी को साफ़ पालीथीन शीट पर 2 से 3 घंटे के लिए फैला देते हैं.
  • उपचारित भूंसी/पैराकुटी भीग कर 40 किलो हो जाती है. इस पैराकुट्टी में 3% की दर से बिजाई करते हैं.
  • चार किलो बिजाई किये भूंसे को 5 किलो छमता की पॉलीथिन में भरकर नाइलॉन रस्सी से बांधकर थैली के निचले भाग पर सूजे द्वारा 2 से 3 छिद्र कर दिया जाता है.
  • बैग रखने 24 घंटे पहले कमरों को 2% फार्मेलिन से उपचारित करें, उपचारित कमरे में बीजयुक्त थैलों को रेक पर रखें लगभग पंद्रह से बीस दिन में कवक जाल फैल जाता है. कवक जाल फैलें हुए थैलों से पालीथीन हटा दिया जाता है. फिर नाइलन रस्सी से बांधकर इन बंडलों को रैक में लटका दिया जाता है.
  • बिना पालीथीन के बंडलों पर साफ़ पानी से हल्का छिड़काव करें एवं कमरे का तापमान 24 से 28 डिग्री तक एवं आद्रता 85 से 90% तक बनाये रखें, प्रकाश के लिए 3 से 4 घंटों के लिए खिड़कियों को खोल दे या ट्यूबलाइट को 4 से 6 घंटे तक चालू रखें
  • मशरूम कलिकाएं 2 से 3 दिन में बन जाती है. जो 3 से 4 दिन में तोड़ने योग्य हो जाती है.
  • मशरूम की कलिकाएं जब पंख की आकर की हो जाये तब इन्हे मरोड़कर तोड़ लिया जाता है.
  • दूसरी फसल पहली तुड़ाई के 6 से 7 दिन बाद तैयार हो जाता है. एवं तीसरा फसल तुड़ाई के सात दिन बाद तैयार हो जाता है.

पैरा मशरूम का बिजनेस कैसे शुरू करें – how to start para mushroom business

  • धान पैरा के 1.5 फिट लम्बे एवं 1/2 फ़ीट चौड़े बंडल तैयार करें इन बंडलों को चौदह से 16 घंटों तक 2% कैल्शियम कार्बोनेट युक्त साफ़ पानी में भिगोते हैं इसके पश्चात पानी निथार कर इन बंडलों के ऊपर गर्म पानी डालकर पैरा को निर्जीवीकृत किया जाता है.
  • उपचारित बण्डल से पानी को निथार दिया जाता है तथा एक घंटे बाद 0.5 प्रतिशत की दर से बीज मिलाया जाता है.
  • बीजयुक्त बंडलों को अच्छी तरह से पॉलीथिन शीट से ढंका जाता है. (6 से 8 दिन के लिए) इस समय कमरे का तापमान 32 से 34 डिग्री बनाये रखा जाता है.
  • कवक जाल फैल जाने के बाद पालीथीन शीट को हटाया जाता है. तथा बंडलों में हल्का पानी का छिड़काव किया जाता है इस दौरान कमरे तापमान 28 डिग्री से 32 डिग्री तथा 80% तक नमी बनाये रखते हैं.
  • पैरा मशरूम की कलिकाएं 2 से दिन 3 दिन में बनना प्रारम्भ हो जाता है.
  • चार से पांच दिन के भीतर मशरूम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है.

इस तरह शुरू करें दूधिया मशरूम का बिजनेस – Start milky mushroom business like this

  • फार्मेलिन 135 मिली एवं 7.5 ग्राम बाविस्टिन दवा को 100 लीटर पानी में अच्छे से मिलाएं
  • दवा मिश्रित पानी में 12 से 14 किलो गेहूं भूषा या पैरा कुटी भिगोये और पॉलीथिन शीट से ढँक दें
  • 8 से 10 घंटे बाद भीगे हुए उपचारित भूंसे को टोकनी या लोहे की जाली में ढँक कर अतरिक्त पानी को निथार लिया जाता है.
  • निथारे गए भूसे को साफ़ जगह पर पालीथीन के ऊपर छायादार जगह में 2 घंटे के लिए फैला दिया जाता है. जिससे अतरिक्त नमी हवा से सुख जाये
  • भीगे भूंसे का वजन लगभग 40 किलो हो जाता है इसे दस भाग में विभाजित कर लिया जाता है.
  • पांच किलो छमता की थैली में भूंसे को 4 प्रतिशत दर से परत विधि द्वारा बिजाई करते हुए भरें एवं नायलॉन रस्सी से थैली का मुँह बाँध दें एवं थैली निचले हिस्से में सूजे से 4, 5 छिद्र बना लें
  • थैली रखने के 24 घंटे पहले कमरों को 2% फार्मेलिन से छिड़काव करें बीजयुक्त थैली को 28 से 32 डिग्री तापमान पर रख दें लगभग 22 से 25 दिन में फफूद थैली में फैल जाता है इसे स्पानिंग कहते हैं.
  • कवक जाल फैले हुए बेगों को कोसिंग मिटटी (5 से 6 दिन पहले खेत की मिटटी एवं रेत 1:1) को 2% फार्मेलिन में उपचारित करने के बाद 4-5 से.मी परत चढ़ाएं इस दौरान कमरे का तापमान 28-30 डिग्री बनाये रखें.

अन्य पढ़ें

आखिर में

हमे पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख… Mushroom Farming Business पसंद आया होगा. कृपया करके इस लेख को अधिक से अधिक Shear करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सके. अगर लेख से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत हो तो Comment Box के माध्यम से हमें अवश्य कहें.

अगर आप रोजाना इसी तरह के उपयोगी आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं तो हमारे टेलीग्राम ग्रुप और जीमेल को सस्क्राइब कर ले जिसका लिंक नीचे दिया हुआ है. पढ़ने के लिए और हमारे घंटों की मेहनत को सफल बनाने के लिए – धन्यवाद.

This Post Has One Comment

  1. Prakash

    Information

Leave a Reply