Self employment : बेरोजगारी की समस्या को हर व्यक्ति अच्छे से जानता हैं, आज के time पे हर व्यक्ति इतना पढ़ा लिखा है बावजूद इसके वह बेरोजगार बैठा है. जनसंख्या इतनी बढ़ चुकी है, कि हर किसी को रोजगार मिलना लगभग नामुमकिन सा हो गया है.
लेकिन सरकारी रोजगार के भरोसे बैठे रहना यह भी तो अच्छी बात नहीं है.आप अपना खुद का व्यवसाय, बिजनेस धंधा या कुछ ऐसा कार्य तो कर ही सकते है जिससे अच्छी खासी कमाई कर सकें, और अपनी जिंदगी आसान बना सकें.
अब जनसंख्या इतनी बढ़ी भी है, तो हर चीज में निगेटिविटी क्यों देखना. अगर पॉसिटिव तरीके से देखा जाये तो इस भारी जनसंख्या का भी अपना अलग फायदा है. यह सोच एक बिजनेसमैन, एक उद्यमी का होना चाहिए.
क्यों न इस बढ़ती जनसँख्या का फायदा उठाया जाए और खुद का स्वरोजगार खड़ा किया जाये – इस लेख में आप स्वरोजगार के इन्ही तरीकों और स्वरोजगार के फायदे को जानेगें – यह लेख पूरा पढ़िए यह जरूर आपके काम आएगा –
स्वरोजगार क्या है – What is self employment in hindi
स्वरोजगार का मतलब खुद के दम पर कार्य करने से हैं. किसी और की नौकरी ना करते हुए अपना खुद का उद्योग, धंधा, कारोबार, व्यवसाय स्थापित करना और पैसे कमान स्वरोजगार कहलाता है,
कई मामलों में यह छोटा हो सकता है परन्तु ज्यादातर मामलों में स्वरोजगार से अनेक अन्य लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. स्वरोजगार की विषेशताओं में एक यह है कि आप इसमें नौकरी से भी अधिक पैसे बना सकते हैं और अन्य लोगों को काम दे सकते हैं.
स्वरोजगार की आवश्यकता क्यों है – Need of self-employment in hindi
आप अच्छे से जानते है की जनसँख्या इतनी बढ़ी है. अब जनसँख्या बढी है तो जाहिर है नौकरी करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. नौकरी कम है और नौकरी करने वालों की संख्या ज्यादा, इतनी बड़ी जनसँख्या को नौकरी दे पाना तो सरकार के बुते से भी बाहर है.
यह गौर करने वाली बात है कि सरकार भी स्वरोजगार को प्रोत्साहित कर रही है. इसलिए सरकार द्धारा कई छोटे-छोटे course कराये जाते है. साथ ही अनेक प्रकार के स्वरोजगार loan (वित्तीय सहायता) दिए जाते हैं, ताकि स्वरोजगार के अवसर भी बढ़े और हमारी युवा पीढ़ी धन प्राप्त कर सके और अपनी जिंदगी आसान बना सके.
समस्या यह है कि आज हर पढ़ा-लिखा व्यक्ति सरकारी नौकरी चाहता है, अरे भाई ….सरकारी नौकरी के मौके सिमित है। कई सालों तक तैयारी करने के बावजूद किन्ही गिने-चुने लोगों को ही नौकरी मिलती है. परन्तु स्वरोजगार का क्षेत्र तो विशाल है,
आप जिस कार्य में माहिर है वही कार्य कर सकते है. परन्तु कुछ ही लोग है जो स्वरोगार के बारे में सोचते है. ज्यादातर लोगों को यह बात तब समझ में आता है जब वे तक हार जाते हैं और अपनी सारी ऊर्जा ख़तम कर लिए होते हैं तब जाकर कहीं स्वरोजगार के बारे में सोचते हैं.
स्वरोगार की आवश्यकता इसलिए – Self-employment is needed
- जब हम नौकरी पाने के प्रयाश से थक-हार जातें है तब।
- जब हम स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते है तब।
- जब अधिक कमाई और पूंजी बनाने की बात आती है तब।
- अपने अलावा और अन्य लोगों को रोजगार देने के लिए, यह बेरोजगारी को दूर करने का अच्छा साधन है।
स्वरोजगार के फायदे, लाभ – Advantages of self-employment in hindi
वैसे तो अनेक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष फायदे हैं स्वरोजगार के आइये कुछ को जानते है – (swarojgar ke fayde)
- आप स्वतंत्र होकर कार्य कर सकते है किसी का कोई भी प्रकार का दबाव नहीं रहेगा।
- लाभ असीमित क्योकि इसमें आप जितना मेहनत करेंगे उतना लाभ होगा कमाई का कोई फिक्स सीमा निर्धारित नहीं है।
- एक दूसरे के संपर्क में आने से व्यापार में अच्छा प्रदर्शन होगा व्यक्तियों से जान पहचान आपके व्यापार के लिए फायदेमंद है।
- नए-नए तरीका, आइडिया का विकास होगा जो सब ले लिए लाभदायक है।
- अपने क्षेत्र में नाम बनाने पैसा बनाने का अवसर मिलेगा।
- बेरोजगारी दर भी कम होगी साथ ही अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए लोगो को आप रोजगार देंगे तो सभी धीरे-धीरे रोजगार हो जाएंगें।
जिस प्रकार हर क्षेत्र में फायदे के साथ-साथ नुकसान या हानि भी होती है ठीक उसी प्रकार स्वरोजगार के फायदे के साथ इसके अपने नुकसान या हानियां भी है नीचे उन्ही की दी गयी है।
स्वरोजगार में हानियाँ, नुकसान – Disadvantages of self-employment in hindi
- कई-कई बार एसी स्थिति हो जाती है, कि आपको अचानक पैसों की व्यवस्था करनी पड़े, तो इसको ध्यान रखना पड़ता है।
- व्यापार के लिए कुशल लोगों की आवश्यकता पड़ती है, अकुशल व्यक्ति के वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- आपको ध्यान रखना होगा की किस चीज की मांग अधिक है, गलत निर्णय से आपके व्यवसाय को हानियाँ हो सकती है।
- सुरुवात में पैसों की कमी से आपके आत्मविश्वास में भी कमी आ सकती है।
अगर आप ऊपर दिए गए इन बातो को आप समझ पाते है तो एक अच्छा व्यवसायी बन सकते है। आइये स्वरोजगार के क्षेत्रो के बारे में जानते है –
स्वरोजगार के क्षेत्र (Scope of self-employment)
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1. शहरी क्षेत्र में स्वरोजगार अवसर
शहरो में गांव की तुलना में व्यवसाय के अधिक मौका है यहाँ उत्पादन करना, बेचना, बाजार, व्यापार आदि सभी प्रकार की व्यवस्था होती है। व्यापार में भले ही पैसा लगाने की समस्या बनी रहती है,
परन्तु देखा जाए तो यह उतनी समस्या भी नहीं है क्यों की कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जिनके नाम मात्र का या बहुत कम ही पैसा लगता है.
2. व्यवसाय के क्षेत्र में स्वरोजगार के मौका
देखा जाए तो आप छोटे से छोटे व बड़े-बड़े भी व्यापार कर सकते है जैसे दूकान खोलना, फेरी लगाना, सब्जी भाजी उगाना या बेचना कम से कम पैसे में भी बेहतर कमाई के बहुत सारे तरीके है।
3. घर में व्यवसाय व स्वरोजगार के तरीके
घर में व्यवसाय के बहुत से तरीके है जो निम्न है, आप अपने रूचि के हिसाब से चुन सकते है –
- पेन्टिंग
- पत्रकारिता
- पुस्तक-लेखन
- अनुवादक के रूप में
- लेख-लेखन
- फोटो पत्रकारिता
- कार्टूनिस्ट
- फाइन आर्ट
- भाषा विशेषज्ञ
- व्यवसायिक कला
- डांस और म्यूजिक कम्पोस
- सबसे ज्यादा पॉपुलर प्लेटफार्म youtube और blogging से कमाई कर सकते है।
इसके अलावा – अध्यापन, ब्यूटी पार्लर का कार्य, सिलाई-कढ़ाई, खाना पकाने की कला सीखना आदि बहुत से मौके है….जरुरत है तो आपको कार्य करने की।
4. शिल्पकारो के लिए स्वरोजगार के अवसर
कई जगहों से विभिन्न विषयो में ट्रेनिंग लेने के बाद भी लोग बेरोजगार है, इसका अच्छा फायदा ये है की अपने व्यसाय में ही रोजगार करे, इसमें सरकार द्धारा आर्थिक सहायता (लोन) भी मिलती है, इसके क्षेत्र निम्न है।
- उत्पादन लघु उद्योग।
- बीमा एजेंट के कार्य।
- प्रापॅर्टी डीलर।
- सेयर, सिक्युरिटी डीलर।
- विक्रय एजेंट।
- पत्रकारिता।
- पेन्टिंग कला।
- ब्यूटी पार्लर।
- दुकानदारी व्यापार।
- सेवा।
- फोटोग्राफी, फोटो-पत्रकारिता, कार्टूनिस्ट।
- पुस्तक लेखन, लेख-लेकिन, अनुवादक।
- डांस, गाना म्यूजिक।
- सिलाई-कढ़ाई।
- कारीगरी, मरम्मत कार्य।
स्वरोजगार के तरीके का वर्गीकरण
self-employment का क्षेत्र वैसे तो बहुत बड़ा है, क्योंकि स्वरोजगार के हजारों तरीके हैं परन्तु आप अपने इक्षा के अनुसार अपना पसंदीदा स्वरोजगार चुन सकते है, नीचे स्वरोजगार को 3 वर्गों में बाटा गया है जिसमे से आप अपना मनपसंद चुन सकते हैं – swarojgar ke tarike.
स्वरोजगार के प्राथमिक क्षेत्र (primary fields)
- बीज उत्पादन एवं बिक्री।
- फल उत्पादन।
- बागवानी एवं फूल उगाना।
- मछली पालन (तालाबों आदि ताज़े पानी में)
- काले पानी में मछली व झींगा पालन करना।
- शहद पालन
- मुर्गी पालन करना।
- भेड़-बकरी पालन करना।
- मधुमखी पालन करना।
- फल वाले पेड़ की कटाई-छटाई प्रसिक्षण।
- मशरूम (पुटु) उत्पादन।
- मतस्य बीज उत्पादन एवं पोषण।
- मतस्य एवं झींगा बिज़ एकत्रीकरण।
- सुअर पालन।
- रेसम (कोसा किट) पालन।
स्वरोजगार का द्वितीय क्षेत्र (secondary field)
- माचिस बनाना।
- अगरबत्ती बनाना।
- चमड़ा उत्पादन उद्योग।
- घानी तेल उध्योग।
- गुड़ एवं खांड़सारी उध्योग।
- कत्था गोंद, जंगल से प्राप्त सभी चीजों का उद्योग।
- बेकरी व्यवसाय।
- आतिशबाज़ी बनाना।
- अखाद्य तेल और साबुन बनाना।
- ग्रामीण मुर्गी पालन उद्योग।
- हाथो से निर्मित कागज उद्योग।
- ताड़ से गुड़ बनाना।
- हेंडलूम।
- सूती, ऊनी एवं सिल्क उद्योग।
- चुना पत्थर, चुना उद्योग।
- बांस की वस्तु बनाना।
- लाख निर्माण।
- हेंडीक्राफ्ट।
- घरेलु प्रयोग के बर्तन एवं एल्युमिनियम उद्योग।
- पॉली वस्त्र उद्योग।
स्वरोजगार का तीसरा क्षेत्र (third field)
- कृषि।
- बागवानी।
- पशुपालन।
- यातायात सर्विस।
- बैंकिंग उद्योग के सहायक उद्योग।
- भवन निर्माण।
परियोजना की तैयारी –
स्वरोजगार के लिए प्राथमिक रिसर्च – Research for Self-Employment
व्यापार आयोजना आरम्भ करने के पूर्व पहले ये निर्णय ले लेनी चाहिए की आप किस प्रकार का व्यापार करने के इक्छुक है, फिर उस हिसाब से सूची तैयार कीजिये की कौन सा प्लानिंग फायदेमंद साबित होगा,
पुनः विचार कीजिये की इस व्यापार की क्या क्या मांग है, इस व्यापार को आरम्भ करने में क्या अड़चने आएगी, किस लेबल का कॉम्पटीसन रहेगा, आप हर तरह से इसके लिए तैयार तो है.
व्यापार, उद्यम, के लिए प्लानिंग – Business, Enterprise, Planning business plan
किसी भी व्यापार की आरंभिक चरणों में एक व्यापार आयोजना भी जरुरी है, आपकी व्यापार आयोजना यह रेखांकित करती है की आप, क्या व्यापार आरम्भ करेंगे, आरम्भ में कितनी धन की आवस्यकता होगी,
आपको व्यापार को चलाने में किस प्रकार की सुविधाओं की आवस्यकता होगी आपको कितने स्टाफ की जरूरत होगी और सुरु के 3 साल राजस्व प्रोजेक्शन का आकलन आदि.
आपकी व्यापार आयोजना आपकी व्यापार का ब्लूप्रिंट होता है की आप कैसे व्यापार को बनाना चाहते है. यह आपको मार्गदर्शन प्रदान करती है, की आपको कितने निवेश की आवश्य्कता है, इससे आप निवेशको के समक्ष रखकर उसमे रूचि रखने वालो को निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सकते है.
स्वरोजगार के लिए वित्तीय प्रबंधन – Financial management
व्यापार आरम्भ करने के पूर्व आपको अपने वित्तीय प्रबंधन के प्रति आस्वस्त होना होगा। आप अपनी आरम्भिक पूंजी की आवश्यकता पूर्ति के लिए व्यापार आयोजना का अनुसरण करे निवेशको से आग्रह करने के पूर्व यह सुनिश्चित करे की आप अपने स्तर में कितना नगद निवेश कर सकते है, आप अपने घर से मैनेज करके वित्तीय सांझेदारी आदि तरीके अपना सकते है.
स्वरोजगार हेतु शासकीय योजनाए – Governmental plannings for self-employment
बेरोजगारों को प्रोत्साहित करने तथा सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने अनेक योजनाए लागू की है जैसे जिनकी सूची आप नीचे देख सकते हैं –
शिक्षित बेरोजगार यूवको के लिए स्वरोजगार (SEEUY)
इस योजनाए की विशेसता निम्न है
- वह व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 35 वर्ष के बिच हो हाई स्कूल उन्तीर्ण हो और किसी औद्योगिक संस्थान से प्रशिक्षण ले लिया हो।
- व्यक्ति की पारिवारिक आय एक साल में 10000 से ज्यादा न हो।
- व्यक्ति को उद्योग सेवा स्थापित करने के लिए क्रमसः 35000 रुपए, 25000 रूपये, 10000 तक का लोन दिया जाता है, इस लोन पर 10% से 13.5% वार्षिक दर से ब्याज लिया जाता है।
- लोन पर 25% अनुदान भी दिया जाता है।
- इस योजना में 30% स्थान अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखे जाते है।
- इस योजना के अंतर्गत हर साल 2.5 लाख बेरोजगारों को स्वरोजगार प्राप्त कराने का लक्ष्य रखा गया है।
शहरी गरीब के लिए स्वरोजगार कार्यक्रम (SEPUP)
इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त 1986 से की गयी है इसमें बड़े छोटे सहर जिनकी जनसंख्या 10000 से ज्यादा है शामिल किये गए है। इसकी विशेसता निम्न है –
- व्यक्ति के पास जहा वह रह रहा हो वहा का 3 वर्ष का स्थाई निवास होना चाहिए । रासन कार्ड भी होना चाहिए।
- परिवार की आय 7200 प्रति वर्ष से ज्यादा न हो।
- यह लाभ प्रति 300 व्यक्ति में एक ही व्यक्ति ले सकता है।
- इसमें लोन की सीमा
- प्रति परिवार अधिकत 5000 रूपये है।
- प्रोजेक्ट की कीमत 5000 से अधिक नहीं होना चाहिए।
स्वरोजगार के लिए प्रधानमन्त्री रोजगार योजना (PMES)
पढ़े लिखे शिक्षित बेरोजगारो के लिए स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 1993 को प्रधान मंत्री रोजगार योजना की शुरुआत की गयी थी। इस योजना की प्रमुख विशेषताये निम्न है।
- अभ्यर्थी की आयु 18 वर्ष से 35 वर्ष की बीच होनी चाहिए।
- हाई स्कूल पास हो और किसी औद्योगिक संस्थान से प्रशिक्षण ले चूका हो।
- इसमें एक अभ्यर्थी को ज्यादा से ज्यादा 100000 रूपये तक दिया जाता है जिसमे 14% ब्याज की दर लागु होगी।
- अगर ऋण को समय रहते चूका दिया जाए तो 7500 रूपये की छूट भी मिलती है।
- इससे आप कोई भी बिजनेश, व्यवसाय, व्यापार आरम्भ कर सकते है।
- यह ऋण आपको, जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से राष्ट्रीय कृत बैंको द्धारा प्राप्त होगा।
- आपको यह ऋण 3 वर्ष से 7 वर्ष के बीच में चुकाना होगा।
- अभ्यर्थी की आय 40000 रूपये से अधिक न हो।
स्वरोजगार के लिए ट्राईसेम योजना (TRYSEM)
भारत सरकार ने यह योजना जुलाई, 1979 में प्रारम्भ की थी। इसका उद्देश्य युवको को स्वरोजगार के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना है, इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 2 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। और प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम 40 व्यक्तियों को यह प्रशिक्षण दिया जाना तय है।
- इसका लाभ आप तब उठा सकते है, जब आप गरीबी रेखा से निचे गुजर-बसर कर रहें है जैसे कृषि मज़दूर, देहाती कारीगर आदि।
- आपकी आयु 18 वर्ष से 35 वर्ष होनी चाहिए।
- इसमें आपको ‘ग्राम सेवक प्रशिक्षण केंद्र ‘ कृषि व अन्य विश्व विद्यालय, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आदि से दिया जाएगा। और इसमें तकनिकी ज्ञान के अतरिक्त आपको ऋण, बाजार, कच्चेमाल की पूर्ति और डिज़ाइन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण के बाद एक प्रोजेक्ट फाइल प्रदान किया जाएगा, जिसमे सहकारी संस्थाओ, राज्य स्तरीय विभागों से ऋण प्राप्त करने एवं कच्चा माल प्राप्त करने, तैयार माल बेचने आदि से सम्बंधित जानकारी दी जायेगी।
- आपको 800 रूपये की व्यवसाय सम्बन्धित औजार की टूल नीशुल्क दी जायेगी।
- प्रशिक्षण अवधि में आपको 300 रूपये प्रतिमाह की छात्र वित्ति दी जायेगी।
- आपके द्धारा निर्मित सामग्री जब बाजार में बिकने लगती है और उस पर लाभ होने लगता है तो लाभ की 25% धनराशि आपको प्रोत्साहन प्रदान की जाती है।
- ट्राईसेम प्रशिक्षण की अवधि कुछ माह की होती है।
स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना (Swarna jayanti swarozgar yojana)
गरीब लोगों के लिए इस योजना को सहरी क्षेत्रो में 1 दिसम्बर 1997 को सुरु किया गया, इसके तहत –
- 50000 रूपये की परियोजनाओं को ऋण दिया जाता है।
- कुल लागत का 15% या 7500 अनुदान दिया जाता है।
- ऋण को 3 वर्ष से 7 वर्ष के बिच में चुकाना होता है।
- अभ्यर्थी की वार्षिक आय 20206 रूपये से अधिक ना हो।
- अभ्यर्थी कम से कम 3 साल से वहा निवास करता हो।
- 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चूका हो।
अंतिम शब्द
आशा है की आपको हमारा यह लेख – स्वरोजगार क्या है? स्वरोजगार के तरीके, स्वरोजगार के फायदे उसके लिए सरकारी ऋण (loan) लोन की पूरी जानकारी (Knowledge of self-employment in hindi) पसन्द आये,और आपके काम आये.
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