Material Management : अधिकतर निर्माण कार्यों में वस्तुओं के उत्पादन में सामग्री की कुल लागत प्रायः कुल उत्पादन लागत की 50% से लेकर 70% तक रहती है. यदि सामग्री की लागत में थोड़ी सी कमी की जाये तो उत्पादन लागत में भी काफी कमी संभव हो सकता है.
उत्पादन लागत में कमी होने पर निश्चित रूप से होने वाली बिक्री और लाभ में बढ़ोतरी हो जाती है. सामग्री प्रबंधन (Material Management) के अंतर्गत नियोजन, नियंत्रण, प्रवाह, नियंत्रण, वितरण, सामग्री का क्रय, विस्थापन आदि क्रियाओं को सामिल किया जाता है.
सामग्री प्रबंधन क्या होता है – What is Material Management
सामग्री लागत में कमी करके उत्पादकता बढ़ाने, सामग्री का बेहतर उपयोग करने, पूंजी का सदुपयोग करने के उद्देश्य से सामग्री की आपूर्ति उसके रखरखाव एवं संबंधित सभी कार्यों के समन्वय को सामग्री प्रबंधन (Material Management) कहते हैं.
सामग्री प्रबंधन का क्या उद्देश्य है – What is the Purpose of Material Management
सामग्री प्रबंधन का उद्देश्य – उत्पादन लागत में कमी करने एवं लाभ में वृद्धि करने के लिए सामग्री प्रबंधन लागु किया जाता है. इसलिए औद्योगिक एवं व्यावसायिक उपक्रमों में सामग्री प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है. देखा जाये तो आजकल सामग्री प्रबंधन का महत्व काफी अधिक बढ़ गया है.
सामग्री प्रबंधन (Material Management) के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है –
सामग्री लागत में कमी
सामग्री प्रबंधन की सहायता से सामग्री लागत में कमी होती है. सामग्री लागत में कमी हो जाने से बिक्री बढ जाती है और लाभ में भी वृद्धि होती है. सामग्री लागत में 5% कमी करने पर बिक्री में 35% वृद्धि होती है.
आयात बिल में कमी
सामग्री प्रबंधन की सहायता से आयात सामग्री पर होने वाले विभिन्न खर्चों में कमी होती है. फलतः आयात बिल में कमी हो जाती है.
वांछित गुणवत्ता की सामग्री प्राप्त करना
सामग्री प्रबंधन की सहायता से उद्योगों की उत्पादन जरूरतों के अनुरूप वांछित गुणवत्ता की सामग्री प्राप्त की जा सकती है.
श्रमिकों की दक्षता में वृद्धि करना
श्रमिकों को सामग्री प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर उपक्रम में कार्य करने वाले श्रमिकों की दक्षता में वृद्धि की जाती है.
श्रम समस्या का समाधान करना
सामग्री को लाने ले जाने रखरखाव वितरण आदि की अनावश्यक व अवांछित गतिविधयों को सामग्री प्रबंधन की सहायता से न्यूनतम करना सम्भव हो जाता है. इससे श्रम समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाता है.
क्रय विधि के प्रकार – Types of Purchase Methods
क्रय विधि के निम्न प्रकार है –
मांग के आधार पर क्रय
इस विधि में सामग्री का क्रय उस समय किया जाता है जब सामग्री की आवश्यकता होती है. इस प्रकार का क्रय करके विशिष्ट मांग की पूर्ति की जाती है. क्रय अधिकारी को बाजार की सहीं एवं नवीनतम जानकारी होने के साथ सामग्री की आपूर्ति करने वालों के नाम एवं पते का ज्ञान रहता है. जिससे वह आवश्यक होते ही सामग्री का क्रय कर लेता है.
बैंच में क्रय
इस प्रकार की क्रय विधि में पूरा माल एक बैच में ख़रीदा जाता है. यह विधि तब तक उपयोग में लाई जाती है. जब तक उत्पादन आसमान होता है या बैच में होता है. इस प्रकार के क्रम में पूरा माल एक ही विक्रेता से ख़रीदा जा सकता है. लेकिन विक्रेता को बदला जा सकता है.
अनुसूची क्रय
इस प्रकार का क्रय बड़ी उत्पादन लाइनों में उपयोग किया जाता है. इसमें एक खास सामग्री के लिए आर्डर किया जाता है. और आवश्यकता अनुसार विक्रेता इसकी आपूर्ति करता है.
सट्टे का क्रय
इस क्रय विधि के द्वारा तब क्रय किया जाता है जब अचानक बाजार में माल की कीमत कम हो गई हो लेकिन इस विधि में ख़राब माल आने की सम्भावना बनी रहती है.
एकाकी विक्रेता समझौता
इसमें एक निश्चित समय के लिए कम्पनी व विक्रेता के मध्य समझौता होता है. इस दौरान विक्रेता को बदला नहीं जा सकता इसमें अच्छा माल आने की सम्भावना रहती है.
सामग्री प्रबंधन के कार्य क्या है – What is the function of material management hindi
सामग्री प्रबंध के कार्य सामग्री प्रबंध विभाग द्वारा संपन्न किये जाते हैं सामग्री प्रबन्घ विभाग के अनेक कार्य होते हैं जिनमे से प्रमुख को निचे दर्शाया गया है.
- सामग्री का नियोजन
- सामग्री का नियंत्रण
- स्टोर्स का प्रबंधन
- आधिक्य, क्षय व स्केप का प्रबंधन
- सामग्री का रख-रखाव
- सामग्री का क्रय
- सामग्री आपूर्ति के बेहतर विकल्पों की तलाश
- उत्पादन नियंत्रण
- मूल्य विश्लेषण
- प्रमाणीकरण इत्यादि
आखिर में
हमे पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख…सामग्री प्रबंधन क्या है? (Material Management in Hindi) पसंद आया होगा. कृपया करके इस लेख को अधिक से अधिक Shear करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सके. अगर लेख से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत हो तो Comment Box के माध्यम से हमें अवश्य कहें.
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