सुचना प्रबन्धन पद्धति को संक्षेप में समझें | Management Information System

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Management Information System : सुचना प्रबंधन पद्धत्ति को संक्षिप्त में एम. आई. एस. (MIS) कहते हैं. प्रबंधन को कार्य कुशलता पूर्वक चलाने हेतु उद्योग या उपक्रम के संगठन का संबंध बाहरी वातावरण के संपर्क में रखना अति आवश्यक होता है. इस तरह के संपर्क स्थापित करने के लिए संचार वाहन (Communication) की आवश्यकता होती है.

प्रबन्ध सूचना पद्धति संचारवाहन में एक कड़ी (Link) के रूप में कार्य करती है. जो प्रबंधन को सरल व गतिशील बना देती है.

सूचना का एकत्रीकरण, समाकलन, विश्लेषण, तुलना, वितरण व प्रेषण करने वाली पद्धति को सूचना प्रबंध पद्धति

कुशल प्रबंधन में भी एम. आई. एस. (MIS) काफी काम आती है. इसके द्वारा नवीनतम सुचना प्राप्त की जाती है. अतः जो निर्णय लेना होता है. वह नवीनतम सूचना पर आधारित होता है. इस वजह से निर्णय अधिक भरोसेमंद व कारगर शाबित होता है. क्रियात्मक अनुसंधान (Operational Research) जो मैनेजमेंट का एक खास विषय है. निर्णय लेने के वैज्ञानिक तरीकों पर आधारित होता है. इसमें तकनीकों द्वारा कार्य विश्लेषण किया जाता है.

सूचना प्रबंधन पद्धति विशेष आवश्यकताओं के लिए बनायीं जाती है. इसमें प्रतिदिन की सूचनाएं जैसे – मासिक प्रतिवेदन, सूचनाएं जो शामिल नहीं है. विशेषतया क्रांतिक बिंदुओं पर और सूचनाएं जो भविष्य के लिए आवश्यक है. शामिल की जा सकती है.

सुचना प्रबंधन पद्धत्ति को डिजाइन करने के लिए किसी विशेष दिशा निर्देश व विधियों की आवश्यकता नहीं होती है. इसको उसी प्रकार डिजाइन किया जा सकता है. जैसे की अन्य पद्धत्तियों को डिजाइन किया जाता है.

इलेक्ट्रानिक उपकरण उपलब्ध आंकड़ों को तेज गति से एवं कम खर्च में प्रोसेसिंग कर सकते हैं. एक कम्प्यूटर उपलब्ध सूचनाओं को विधिपूर्वक प्रोग्रामिंग करके विश्लेषित कर प्रबंधकों को उपलब्ध करा देता है. वास्तव में, उपलब्ध आंकड़ें तब तक सूचना नहीं बन सकते जब तक की उनकी प्रोसेसिंग करके उन्हें सूचना देने लायक ना बनाया जाये।

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कम्प्यूटर का प्रबंधकों पर प्रभाव – Impact of Computer on Managers

संगठन में प्रत्येक चरण पर विभिन्न सूचनाओं की आवश्यकता होती है. अतः संगठन के विभिन्न चरणों के प्रबंधकों पर प्रभाव भी अलग-अलग पड़ते हैं.

सुपरवाइजरी चरण पर क्रियाएं सामान्यतः उच्च प्रोग्रामेबल एवं बारम्बार होने वाली होती हैं. परिणामतः इस चरण में कम्प्यूटर का उपयोग भी विस्तृत होता है. कार्यक्रम निवारण प्रतिदिन का नियोजन एवं नियंत्रण इसके कुछ सामान्य उदाहरण हैं.

मध्य चरण के प्रबंधक विभाग प्रमुख एवं संयत्र प्रबंधक होते हैं जो सामान्यतः प्रबंधन एवं समन्वयन के लिए जिम्मेदार होते हैं. लेकिन जो जानकारियां एवं सूचनाएं इनके लिए आवश्यक होती हैं. वे उच्च स्तर के प्रबंधकों को भी उपलब्ध होती है. इस कारण कुछ व्यक्ति सोचने के लिए मध्य चरण के प्रबंधकों की आवश्यकता कम्प्यूटर ने कम कर दी है अन्य व्यक्ति घोषणा करते हैं की इसकी भूमिका विस्तृत हो गयी है एवं बदल गयी है.

उच्च स्तर के प्रबंधक संगठन के नियोजन एवं निति निर्धारण के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होते हैं. इसके अतरिक्त वे कंपनी के दिशा निर्देशन के लिए भी जिम्मेदार होते हैं.

उच्च स्तर के प्रबंधकों के कार्यों को आसानी से निर्धारित नहीं किया जा सकता है. उच्च स्तर के प्रबंधक कम्प्यूटर का उपयोग सामान्यतः उपलब्ध सूचनाओं को नियंत्रित एवं संसोधित करने के लिए करते हैं उन सूचनाओं का उपयोग निर्णय लेने में किया जाता है. कम्प्यूटर इस स्तर के प्रबंधकों के कार्य को उतना प्रभावित नहीं करता जितना की निम्न स्तर के कार्य को प्रभावित करता है.


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आखिर में

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