मैनपाट छत्तीसगढ़ का अजूबा | मैनपाट में बहता है उल्टी दिशा में पानी

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मैनपाट छत्तीसगढ़ का अजूबा

आज मै आपको ऐसी जगह के बारे में बताने वाला हूँ, जो वाकई में किसी आश्चर्य से कम नहीं है. यहाँ तक के अगर इसे दुनिया का आठवा अजूबा कहा जाए तो कुछ गतल नहीं होगा।

इस जगह का वातावरण माहौल इतना अच्छा है. की आपको एक बार यहाँ की यात्रा जरूर करनी चाहिए, friend’s मै बात कर रहा हूँ. छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले प्राकृतिक सुन्दरता और अजूबो से भरा जगह – मैनपाट, सरगुजा का जो कि भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। 

मैनपाट कहा पर स्थित है?

छतीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में अंबिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर की पर छतीसगढ़ का शिमला मैनपाठ स्थित है। यह विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र तल से उचाई 3781 फ़ीट है इसकी लम्बाई 58 किलोमीटर और चौड़ाई 12 से 15 किलोमीटर है.

यहाँ जाने के दो रास्ते हैं एक अंबिकापुर सीतापुर रोड से होकर जाता है, और दूसरा रास्ता ग्राम दरिमा से होकर जाता है. मैनपाट प्राकृतिक सुंदरता से भरा पूरा जगह है.

मैनपाठ कैसे बना तिब्बत शरणार्थियों का स्थान?

मैनपाट को छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहा जाता है, इसका इतिहास यह है, साल 1962 में तिब्बत पर चीनी कब्जा हुआ और वहा के धर्म गुरु दलाई लामा सहित लाखो तिब्बती लोगो का निर्वासन के बाद भारत सरकार ने उन्हें अपने यहाँ सरण दिया।

तथा उन्हें तिब्बत के मिलते जुलते वातावरण मैनपाट में बसाया जहा, जहा तिब्बती शरणार्थी तीन पीढ़ियो से जीवन यापन कर रहे है. मैनपाट को इसी वजह से भारत का “छोटा तिब्बत” भी कहते है।

यहाँ तिब्बतियों की बड़ी जनसँख्या, उनकी सभ्यता संस्कृति परम्परा रहन सहन पूरी तरह विकसित हो चुकी है जो बहुत ही मनोहर है. यहाँ के स्थानीय बासिंदों का भी बंदिशों का खासा असर देखने को मिलता है.

यहाँ तिब्बत शरणार्थियों की जीवन शैली सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है, मैनपाट में तिब्बतियों के 7 कैंप है, इन कैंपो में 60 के दशक के तिब्बतियों के छोटे-छोटे घर बने हुए है।

इनके घर के सामने लहराते झंडे मठ मंदिर बहुत ही सुहावने और मनमोहक होते है जो अनायास ही तिब्बत की याद दिलाते है, उनके लिए सेन्ट्रल स्कूल और और सिविल अस्पताल की भी व्यवस्था उनके ही दौर में की है।

उनके स्वास्थ संस्कृति शिक्षा का इस तरह ध्यान रखा गया है की, उन्हें आज भी तिब्बत से आने के बाद एसा महसूस न हो की वे अपनी संस्कृति और सभ्यता से दूर है।  

मैनपाट में पर्यटक स्थल के विकास का काम तेज़ी से चल रहा है

मैनपाट में घूमने लायक अच्छी-अच्छी जगह

  • सरभंजा जल प्रपात
  • टाइगर पॉइंट
  • मछली पॉइंट
  • बौद्ध मन्दिर
  • मेहता पॉइंट आदि दरसणीय स्थल है
  • उल्टा पानी और दलदलीय है (आश्चर्यजनक जगह 

दुनिया का आठवा अजूबा – मैनपाट का उल्टा पानी

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मैनपाट का उल्टापानी सच में अजूबा से भरा है यहाँ पानी उल्टी दिशा में बहती है अर्थात नीचे से ऊपर की ओर धारा प्रवाहित होती है. और तो और यहां बाइक नीचे ले जाने के लिए जोर लगाना पड़ता है और ऊपर चढान की तरफ आसानी से चढ़ जाता है. एसे करिश्माई जगह पर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए.

अजूबा से कम नहीं मैनपाट का दलदलीय

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यह भी अपने आप में अचरज से भरा हुआ एक जगह है, यहाँ की जमीन दल-दल की तरह हिलता है ,फर्क इतना है की आप इसमें jump कर सकते है, ये बहुत जोरो से हिलता है, परन्तु धसता नहीं है.

यहाँ आने वाले सभी पर्यटक यहाँ जम्प करके धरती के हिलने का मज़ा लेते है, ऐसे मनोरंजक जगह का आनन्द लेने के लिए आपको एक बार जरूर जाना चाहिए.

यह जगह तिब्बती लोगों की जीवन और बौद्ध धर्म के आकर्सण का केंद्र है. एसे अमूल्य पर्यटन स्थल की खूबसूरती बनाये रखने के लिए यहाँ की सरकार भी पूरा कदम उठा रही है, वह जाने से आपलो पता चलेगा की इतनी सुन्दर पिकनिक स्पोट वाली जगह अभी भी सुन्दरता से सहेजा हुआ क्यों है.

मैनपाट सराब से अभी भी बचा हुआ है. यहाँ इंग्लिस व देसी किसी भी प्रकार का मदिरा दूकान नहीं है. यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, समुद्र तल से उचाई, मनमोहक जगह, और ठंडी के दिनों में पड़ने वाली बर्फ शिमला की याद दिलाता है. वैसे तो यहाँ हर मौसम का मजा लिया जा सकता है. पर ठण्ड और बरसात के दिनों में यहाँ की सुन्दरता अपने चरम पर होती है.

यहाँ का मौसम इतना अच्छा है की गर्मी के दिनों में व पुरे मौसम यहाँ सैलानी आते ही रहते है. हरी-हरी घास और ऊंची नीची पहाड़ियों से ढका यह जगह, सभी तरफ नदियों नालो का कल कल बहाव दिल को सुकून देती है.

ठण्डी के दिन सफ़ेद बर्फ का चादर ओढ़े हरी हरी-घास बरसात में झर-झर नदिया और गर्मी में ठंढक देती हवाएं, पक्षियों की चहचआहट बहुत ही आनंद से भरा होता है.

मैनपाट जाने का रास्ता भी बड़ा मज़ेदार हो जाता है रास्ते थोड़े खतरनाक और मस्ती भरे लगने लगते है. मैनपाट पहुंचना तो आसान है परन्तु वहां पहुंचकर एक परेशानी यह है की यहाँ कई अच्छी-अच्छी पर्यटक जगहों पर बोर्ड नहीं लगाया गया है. फलस्वरूप नए सैलानियों को सभी जगह पहुंच पाने में परेशानी होती है.

मैनपाट में ढहरने के लिए भी अच्छी व्यवस्था है, यहाँ टूरिस्ट आते ही रहते है और यहाँ हर रेंज व बजट में रुकने का व्यवस्था उपलब्ध है, मैनपाट ता टूर आप अगर कभी मैनपाट जाना हुआ तो लम्बे टूर पे निकले क्यों की आस पास के जगहों को आनंद लेके घूमे जो जल्दबाज़ी में संभव नहीं है। 

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