संचार कौशल (Communication Skills) : आज के time पे सभी क्षेत्रो में लगातार बढ़ती हुई कौंशलता की मांग को देखते हुए व इसे बेहतर बनाने के लिए संचार कौशल (communication skills) आवश्यक है.
संचार कौशल को basic तरीके से समझने तथा कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर करने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें.
communication skills को समझने से पहले यह समझना बहुत जरुरी है कि आखिर इसकी आवश्यकता क्यों है –
बेहतर संचार कौशल की आवश्यकता क्यों हैं?
Better Communication Skills की आवश्यकता इसलिए – क्योंकि सार्वजनिक व प्राइवेट क्षेत्र, कम्पनियों, संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग और अनेक संस्थानों में हमेसा से ही उपयुक्त प्रत्याशियों की आवश्यकता रहती है।
और इन पदों में नियुक्ति के लिए केवल शैक्षणिक योग्यता होना ही काफी नहीं है। बल्कि यहाँ आपके व्यक्तिगत गुणों को भी देखा जाता है कि आप किस प्रकार अपने कुशलता से संस्थान को सफल बना सकते हैं,
जिसमे आपके अनुशासन, व्यावहारिक ज्ञान, समूह भागीदारी, व्यापक दृश्टिकोण इत्यादि शामिल हैं और निश्चित रूप से ही इन सभी गुणों के मूल में उत्तम संचार कौशल (Excellent communication skills in hindi) की अहम भूमिका है।
कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व विकास या skills के लिए सामान्यतः अपने दिन का 75% से भी अधिक का समय पढ़ने, लिखने, बोलने, सुनने में बिता देता है, इस नजरिये से देखा जाये तो प्रभावी संचार (effective communication) किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत ही आवश्यक है।
यह आपके उज्जवल भविष्य के लिए बहुत जरुरी है क्योंकि अगर आपमें संचार कौशल नहीं है, आत्म-विश्वास का स्तर कम है, आपकी शारीरिक भाषा अच्छी नहीं है तब आप competition से बाहर हो सकते हैं।
बेहतर communication skills की आवश्यता जरुरी है क्योंकि जिन लोगों को कार्यकारी पद पर नियुक्त किया जाता है उन्हें रोजाना अनेक नए-नए लोगों से मिलना होता है उनसे संपर्क करना होता है।
तब ऐसे में उनकी चयन प्रक्रिया के लिए उनमे भाषा की अच्छी पकड़, गुणवत्तापूर्वक उच्चारण आदि को विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।
तो चाहिए हम बेहतर संचार कौशल (Better communication skills in hindi) के सभी गुणों को सम्पूर्ण रूप से अध्ययन करते हैं जानते है कि आखिर संचार कौशल क्या है.
संचार क्या है? संचार की परिभाषा – Definition of communication skills
दोस्तों आप सायद जानते ही होंगें संचार का मतलब भाव, विचार, जानकारी, अथवा सूचना को दूसरों तक पहुँचाना या स्थान्तरित करना होता है। संचार को अंग्रेजी भाषा में communication कहते है और इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के communis शब्द से हुई है।
जहां communis का मतलब होता है “अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों के साथ बाटना” इस प्रक्रिया में संचार प्रेषित करने वाला तथा संचार प्राप्त करने वाला व्यक्ति दोनों एक दूसरे से प्रभावित होते हैं इसे ही संचार कहा जाता है।
उदाहरण के लिए एक शिक्षक द्वारा बच्चों को पढ़ाना भाषण देना संचार ही है। हालांकि अलग-अलग विद्वानों ने संचार (communication) को अपने-अपने हिसाब से परिभाषित किया है जिनमे से कुछ को आप नीचे देख सकते हो –
Coffin and shaw के अनुसार संचार की परिभाषा –
“संचार आपसी समझ का एक विनिमय है।” (Communication is an exchange of mutual understanding.)
Denis mcquail की संचार कौशल पर परिभाषा –
“संचार वह प्रक्रिया है जो समानता को बढ़ाता है।” (Communication is the process that enhances equality.)
Mr. havland के द्वारा संचार कौशल की परिभाषा के बारे में कहा गया है –
”संचार वह बल है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के उदेश्य से सूचनाओं का स्थान्तरण करता है।”
(Communication is the force by which a person transfers information with the aim of bringing about a change in the behavior of other persons.)
ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों से आप समझ ही गए होंगें की संचार वह प्रक्रिया है जिससे दो या दो से अधिक लोगों के बीच विचारों, प्रतिक्रियाओं एवं तथ्यों का परस्पर आदान-प्रदान होता है।
संचार भी एक कला है यह इस प्रकार होना चाहिए की आपस में सामंजस्य स्थापित हो और जागरूकता उत्पन्न हो।
संचार की आवश्यकता क्यों है – Why need communication skills hindi
जैसा की आपने ऊपर पढ़ा संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अभिव्यक्तियों, संकेतों, व्यवहारों के माध्यम से अन्य लोगों के साथ अपने विचारो का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
एक प्रक्रिया के रूप में संचार हमेसा हमारे जीवन में शामिल होता है, चाहे हम अकेले हों या किसी के साथ में क्योंकि अगर हम लोगों के बीच है तब तो प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे के बातो को सुनते समझते हैं परन्तु अकेले होने पर भी हम कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं,
अपने आप से बाते करते रहते हैं यह भी एक प्रकार का संचार ही है। इसलिए कह सकते है कि लोगों को अपने बातों को रखने के लिए व अपने लक्ष्य को पाने और अपने कार्यों को पूरा करने के लिए संचार की आवश्यकता है।
संचार की विशेषताएं?
आज के समय में एक सामाजिक क्रांति के रूप में संचार की महत्ता काफी बढ़ गयी है लोगों के दिन-प्रतिदिन की उपयोगिताओं को देखकर संचार और इसकी विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है जो निम्न है –
- गतिशीलता : संचार में गतिशीलता पायी जाती है क्योंकि इसमें भेजें जाने वाले और प्राप्त होने वाले संदेश का स्वरुप एवं अर्थ परिवर्तनशील होता है जैसे – “कार्य के प्रति निष्ठावान रहे” एक सन्देश है जो सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों, आद्योगिक जगहों, स्कुल और कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों आदि के लिए अलग-अलग अर्थ रखता है।
- कठिनाइयां : संचार एक अंतःक्रियात्मक प्रक्रिया है इसलिए संचार में अनेक तरह से जटिलता उत्पन्न हो सकती है जैसे – पसंद नापसंद, व्यक्तित्व, प्रेरणा, मनोवृति, व्यवहार के तौर तरीके इत्यादि हैं।
- क्रमबद्धता : संचार एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जैसे एक बच्चे द्वारा बोलने हेतु किया गया प्रयास अनेक चीजों पर निर्भर करता है, उसकी शारीरिक आयु, अभिभावकों का दबाव, घर का माहौल, बुद्धि क्षमता इत्यादि।
संचार का मुख्य कार्य?
सभी प्रकार के संचार का एक निश्चित उदेश्य होता है जिसमे भावनाओं, इक्षाओं इत्यादि का परस्पर आदान-प्रदान होता है संचार का मुख्य कार्य व उदेश्य निम्न है –
- कोई भी व्यक्ति संचार के माध्यम से अपनी भावनाओं, विचारों आदि के विषय में जानने और उसे जांचने तथा स्वयं के बारे में दूसरों के विचार, भावना का पता लगाने का प्रयास करता है।
- स्वयं के सम्बन्ध में दूसरों की राय जानकर व्यक्ति दूसरों के साथ संचार स्थापित करके अपनी पहचान बनाने की कोशिस करता है। इस प्रकार का संचार कौशल व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास और उसके सफलता के लिए सहायक होता है।
- संचार के माध्यम से दो या उससे अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है जिससे एक दूसरे के प्रति कल्याण की भावना व आपसी सहयोग से विकास की योजना बनता है।
- संचार मजबूत सामाजिक संबंधों का नीव डालता है।
- संचार के माध्यम से व्यक्ति विचार आदान-प्रदान के कारण निर्णय लेने में, चिंतन, निर्माण और योग्यता में कुशल हो जाता है।
संचार की प्रक्रिया – Communication process
संचार एक आवश्यक मानवीय प्रक्रिया है जिसकी सहायता से मनुष्य अपने भावों, संवेगों, विचारों, प्रेरणाओं आदि को एक दूसरे को सम्प्रेषित करता है, अगर संचार ना हो तब व्यक्ति मरे हुए के सामान हो सकता है
क्योंकि हम एक सामाजिक प्राणी हैं और सामाजिक प्राणी होने के नाते अपनी सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संचार की आवश्यकता होती है।
इसलिए यह हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग है, संचार के द्वारा ही लोगों के बीच परस्पर प्रेम और भाईचारा का सम्बन्ध पनपता है। मनुष्यों में संचार की एक अलग ही कला होती है
जो हमें पशुओं से अलग बनाती है संचार या सूचनाओं के आदान-प्रदान के अनेक साधन हैं जैसे – टी.वी. समाचार पत्र, रेडियो, इलेक्ट्रानिक मेल, वायस मेल, फैक्स, इंटरनेट इत्यादि इन सभी माध्यमों का उपयोग कर हम संचार को सशक्त बनाते हैं।
संचार के तत्व या तरीके – Elements or methods of communication skills
- सन्देश स्त्रोत : सन्देश की पहल प्रायः एक स्त्रोत से शुरू होती है यह स्त्रोत किसी व्यक्ति की आंतरिक इक्षा होती है जो कि सन्देश प्रेषण की शुरुआत करता है यह जरुरी नहीं है कि स्त्रोत स्वयं सन्देश भेजने वाला व्यक्ति ही हो।
- सन्देश : सन्देश वह विचार व अभिव्यक्ति है जिसे संचार स्त्रोत द्वारा प्रेषित किया जाता है। कोई भी सन्देश लिखित, अलिखित, व मौखिक, अमौखिक दोनों तरह के हो सकते हैं।
- माध्यम या चैनल : जिसके माध्यम से सुचना और संदेशों को दिखाया जाता है।
- विसंकेतन : भेजा गया सन्देश किसी लक्ष्य व प्राप्तकर्ता की ओर निर्देशित होता है परन्तु प्राप्तकर्ता तक पहुंचे से पहले संकेत एवं प्रतीकों का विसंकेतन करना जरुरी है ताकि प्राप्तकर्ता सन्देश के अर्थ को भली भाती समझ सके।
- प्राप्तकर्ता : जो व्यक्ति संदेशों को प्राप्त करता है उसे प्राप्तकर्ता कहते हैं।
- फीडबैक (प्रतिक्रिया) : यह अंतिम और महत्वपूर्ण क्रिया है जैसे कोई नेता भाषण देता है तब ताली बजाकर हम फीडबेक देते हैं जिससे नेता को यह पता चल जाता है कि हम उसके बातों से किस हद तक सहमत हैं। इसी तरह हम स्कूल में शिक्षक के द्वारा पढ़ाये जाने के बाद अगर हमें समझ आता है या नहीं भी आता है तो अपना सिर हिलाकर अपना फीडबेक देते हैं।
संचार के प्रकार – Types of communication skills
जैसा की आप जानते हैं संचार हमारे जीवन का अति आवश्यक अंग है, संचार मुख्यतः 2 प्रकार के होते हैं
- मौखिक संचार
- अमौखिक संचार
मौखिक संचार क्या है, परिभाषा – Definition of oral communication skills
मौखिक संचार का तात्पर्य ऐसे संचार से है जिसमे भाषा का उपयोग होता है। भाषा संचार का सबसे अधिक प्रभावशाली और शशक्त माध्यम है। संचार के लिए लिखकर या बोलकर इसका उपयोग किया जा सकता है।
मौखिक संचार को दो भागों में बांटा जा सकता है लिखित व वाचिक (बोलकर) लिखित संचार के उदाहरण – पत्र, आवेदन, ई-मेल, नोट। व वाचिक में मुँह से बोले गए संचार जैसे – भाषण, सुझाव, टेलीफोन बातचीत इत्यादि।
Aमौखिक संचार क्या है इसकी परिभाषा – Definition of non-linear communication skills
इसमें हाव-भाव, शारीरिक स्थति, नेत्र-संपर्क, शारीरिक गति, भौतिक दुरी इत्यादि का उपयोग किया जाता है। संचार की यह तरीका भी बहुत प्रभावशाली होता है इसे शारीरिक भाषा (Body language) भी कहते हैं।
इस संकेत का उपयोग बोली जाने वाली भाषा के साथ-साथ किया जाता है जैसे विद्यालयों में शिक्षक पढ़ाते-पढ़ाते अपनी उँगलियों से इशारा कर-कर के समझाते हैं। मौखिक संचार के मुख्यतः 8 प्रकार हैं –
- मौखिक अभिव्यक्ति
- पराभाषा
- शारीरिक हाव-भाव
- नेत्र-संपर्क
- प्रॉक्सीमिक्स
- शारीरिक मुद्रा एवं गति
- रंग-रूप
- स्पर्श संचार
बेहतर प्रभावशाली संचार – Better effective communication skills
बेहतर प्रभावशाली संचार का मतलब होता है कि आप दो या दो से लोगों के बीच एक बेहतर सम्बन्ध स्थापित करें अपनी skills से एक गजब का छाप छोड़ जाये जिससे लोग आपको पहले ही मुलाकात में याद रखें।
प्रभावशाली संचार के सिद्धांत – Principles Effective communication skills
विद्वानों में संचार के 3 सर्वप्रमुख तत्व सन्देश, माध्यम, संप्रेषक को लेकर मतभेद है क्योंकि किसी ने सन्देश को मुख्य माना है किसी ने माध्यम को और किसी ने संप्रेषक को, आइये इसके बारे में जानते हैं
प्रथम सिद्धांत – सन्देश संचार का प्राण है और यह समस्त जनसंचार प्रक्रिया का भी केंद्र बिंदु है, अगर सन्देश अच्छा है तो माध्यम व सम्प्रेषण के कमजोर होने के बावजूद यह लोगों के हृदय में अपना स्थान बना लेगा और ठीक इसका उल्टा अगर सन्देश कमजोर हो और माध्यम व सम्प्रेषण अच्छे हो फिर भी सन्देश को प्रभावी नहीं बनाया जा सकता।
द्वितीय सिद्धांत – इसके अनुसार माध्यम को महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि माध्यम ही सन्देश है, इसके बिना संचार कार्य असंभव है।
तृतीय सिद्धांत – इसके अनुसार सम्प्रेषक (सूचनादाता) को मुख्य माना गया है क्योंकि अगर वक्ता चाहे तो अपने ज्ञान बुद्धि और चतुराई का प्रयोग करके बेकार से बेकार सन्देश को रोमांचक व मजेदार बना सकता है।
प्रभावशाली संचार के लिए कुछ नियम – Some rules for effective communication skills
बेहतर कम्युकेशन स्किल के लिए कुछ बेस्ट टिप्स –
- आपके सन्देश या वाक्य में एक निश्चित उदेश्य होना चाहिए जो स्पष्ट रूप से वर्णित हो।
- संचार के लिए उपयुक्त (best) तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए।
- आप कोशिस करें की एक ही प्रकार का संचार उपयोग करके के बजाय एक से अधिक संचार का उपयोग करें जैसे स्कूल में पढ़ाते हुए टीचर बोलने के साथ-साथ इसारा करके समझाती है।
- संचार को इंट्रेस्टिंग और हास्यप्रद बनायें।
- फीडबैक (प्रतिक्रिया) पर भी विशेष ध्यान दें।
- सामने वाले के बातों के साथ-साथ उसके शारीरिक प्रतिक्रिया पर भी ध्यान दें और इशारों को समझे।
- और अंत में सबसे जरुरी बात एक अच्छा सुनने वाला ही एक अच्छा वक्ता हो सकता है इसलिए बातों को प्रभावी ढंग से सुनें तभी प्रभावी तरीके से बोल सकते हैं।
संचार के लिए शारीरिक भाषा – body language in communication skills
बॉडी लैंग्वेज का तात्पर्य किसी भी भावना को उसकी स्थिति व गतिविधियों के माध्यम से व्यक्त करने से है। उदाहरण के लिए सामान्य रूप से साक्षात्कार के माध्यम से व्यक्ति के शारीरिक भाषा body language को मापा जाता है
हालाँकि इसमें हंसना, मुस्कुराना, चिल्लाना इत्यादि सभी में कॉमन है परन्तु घबराहट, उतेज़जना, गर्व करना, हर्ष, उल्लाश, संतोष ये सभी अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हैं।
संचार में रूकावट होना – Communication interruption
दोस्तों मेरे सांथ तो ऐसा कई बार हुआ है और यकीनन आपके सांथ भी हुआ होगा की कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि आपने जो बात कही है लोग उसका दूसरा या गलत अर्थ समझ लेते हैं।
और उन्हें गलतफहमी हो जाती है, ऐसा इसलिए कि हमारे द्वारा कही गयी बातें, हमारे भाव, विचार व धारणाये आदि व्यक्ति तक सफल रूप से नहीं पहुंच पाता। संचार में रुकावट के अनेक कारण हैं जैसे – शोरगुल, वातावरण, ज्ञान, शिक्षा इत्यादि।
संचार में रुकावट के कारणों को क्रम से जानते हैं – interruption in communication skills
व्यक्ति द्वारा बोली गयी शब्द या भाषा
अगर शब्द व भाषा का उपयोग व उच्चारण अच्छा से ना हो तब संचार में रुकावट जैसी समस्या पैदा होती है। इसके अलावा शब्दों का अलग-अलग जगह पर भिन्न-भिन्न प्रकार के अर्थों का होना भी बेहतर संचार में रुकावट पैदा करता है
उदाहरण के लिए कहीं पर तेज बोला गया है तब इसका अर्थ अच्छी गति से है साथ ही साथ तेज शब्द का उपयोग चालक और कपटी के लिए भी किया जा सकता है।
अनेक भाषाओँ के प्रयोग से मुख्य सन्देश का भाव खो जाना
कई-कई बार ऐसा होता है कि हम सामने वाले व्यक्ति को सन्देश के मुख्य भाषा में ना बताकर अपने भाषा ज्ञान के हिसाब से या सामने वाले के भाषा ज्ञान के आधार पर बताते हैं जिससे सन्देश का मुख्य भाव छिप सा जाता है।
एकाग्रता की कमी – पूर्व व्यस्तता
इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है कक्षा में अध्ययन करते विद्यार्थी, जब शिक्षक द्वारा कोई भी विषय पढ़ाया जा रहा हो और विद्यार्थी मानशिक व्यस्तता में हो उसका ध्यान किसी अन्य चीजो पर हो तब संचार के मुख्य भाव उस तक नहीं पहुंच सकते और बेहतर संचार संभव नहीं हो पायेगा।
संचार के सम्बन्ध में अधिक चिंता
संचार प्रक्रिया का बेहतर ना हो पाने का एक कारण संचार सम्बंधित चिंता भी है।
एक साथ अनेक सूचनाओं का प्राप्त होना
यह बात तो आप खुद ही जानते हैं कि एक बार में ही अति कर दिया जाये चाहे वह कोई सा भी काम हो तो वह गड़बड़ हो जाता है। अगर एक साथ अनेक सूचनाएं दी जाये तब व्यक्ति कंफ्यूस हो जायेगा और बेहतर संचार कौशल (Better communication skills in hindi) में रुकावट होगा।
सन्देश भेजने वाला और सन्देश प्राप्त करने वाला के बीच अविश्वास
अगर दोनों के बीच विश्वास की कमी हो तब संदेश का मुख्य भाव का अनुभव कर पाना मुश्किल होगा।
वातावरण से संचार कौशल पर प्रभाव
वातावरण का भी संचार सन्देश पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे अधिक ठंढ, गर्मी इत्यादि। अगर आप गतिशील अवस्था में भी किसी को सन्देश दोगे तो सन्देश का मूल भाव समझने में कठिनाई हो सकती है।
प्रभावी ढंग से बोलना – Speaking effectively
दोस्तों बोलने की कला व बोलचाल का प्राचीन काल से ही हमारे जीवन में महत्व रहा है हलाकि वक्त के सांथ-सांथ आगे बढ़ते हुए हमारे बोलचाल की शैली परिवेश में विशेष बदलाव आता गया है और हमारी वाक्-कला का महत्व भी उतना ही बढ़ता जा रहा है।
आज वाक्-कला का महत्व इतना है की बिना इसके ज्ञान के डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, प्रोफ़ेसर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, राजनेता इत्यादि कोई भी सफल नहीं हो सकता कहा भी गया है “एक कुशल वक्ता एक अच्छा श्रोता भी होता है“.
संचार कौशल को video के माध्यम से समझें – Understand communication skills in hindi through video
प्रभावशाली ढंग से कैसे बोलें – communication skills hindi tips
- एक अच्छा वक्ता यह हमेसा पता होना चाहिए की वह क्या बोलने वाला है या क्या बोलना चाहता है, उसे कोई भी प्रकार की उलझन की दशा में नहीं होना चाहिए।
- श्रोता को भी वक्ता की बातों पर रूचि होनी चाहिए।
- अगर श्रोता कोई सवाल करता है तब वक्ता के पास उसका जवाब तुरंत होना चाहिए।
- वक्ता को जो बोलना है उसके मुख्य हेडलाइन को लिख कर रख लेना चाहिए ताकि भूलने का चक्कर ना रहे।
- बोलते समय संचार के विभिन्न माध्यमों को अच्छी तरह जांच लेना चाहिए ताकि संचार में कोई रुकावट पैदा ना हो।
- आपका भाषण प्रभावशाली हो ताकि सुनने वाला प्रभावित हो सके।
- संचार के लिए भाषा प्रमुख होता है इसलिए बहुत ही सरल व सहज भाषा का उपयोग करें ताकि श्रोता (सुनने वाला) आपकी बातों को सरलता से समझ सके।
- अपने बातों में आवश्यकता के अनुसार उदाहारण, कहावत इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए।
- अंत में यह की वक्ता जिस भी विषय में बोलने वाला है उसका बार-बार अभ्यास करें।
श्रोता (सुनने वाला) के लिए tips ताकि प्रभावी ढंग से सुन सके
श्रोता के बिना संचार की प्रक्रिया असंभव है क्योंकि सुनने वाले तक पहुंच कर ही संचार की क्रिया पूर्ण और सफल होती है। संचार में एक दूसरे को सुना जाता है यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे दो या दो से अधिक लोग अपने विचारों और बातों का आदान-प्रदान करते हैं।
प्रभावशील श्रोता से सम्बंधित tips
- श्रोता हमेसा सतर्क रहे और सामने वाले (वक्ता) की बातों पर रूचि रखे।
- वक्ता को बीच में ना टोंके उसके बातों को विस्तार से सुने फिर अंत में अपना प्रश्न करें।
- वक्ता से नेत्र-सम्पर्क बनाये रखें।
- वक्ता की बातों पर अपनी राय व फीडबैक दें।
दोस्तों संचार कौशल (communication skills in hindi) का अंतिम मूलमंत्र यह है कि आप घबराये नहीं हलाकि आपका असहज महसूस करना स्वाभाविक है परन्तु ऊपर लिखे लेख को पढ़कर व इसे उपयोग में लाकर आप अपने संचार कौशल को बेहतर कर सकते हैं।
आखिर में
इतना कहना चाहूंगा आपने यह लेख संचार कौशल क्या है? (what is communication skills in hindi) को विस्तार से पढ़ा।
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