बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ टिप्स | बच्चों का बचपन कैसे सवारें

You are currently viewing बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ टिप्स | बच्चों का बचपन कैसे सवारें
बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ टिप्स

जीवन का सबसे आनंदमय समय बचपन होता है इसलिए बच्चों को अपने बचपन का आनंद लेने दीजिये। बच्चों की परवरिश से जुड़े अनेक बेहतरीन आर्टिक हमने लिखे हुए हैं, उसी कड़ी में यह अगला लेख बच्चों की परवरिश से जुडी tips आप पढ़ेंगे और हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी शाबित होगा। 

जरा सोचिये की आप बच्चों पर पढाई के लिए जरूर से ज्यादा दबाव तो नहीं डाल रहें है। जिसकी वजह से आपके बच्चों का बचपन छिन रहा हो। बेशक हर माता-पिता चाहता है कि उनके बच्चें जीवन में उनसे कहीं ज्यादा प्रगति करें और उचित शिक्षा प्राप्त करे और एसा सोचना जरुरी भी है।

परन्तु यह भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि पढाई के बोझ तले कहीं बच्चों का बचपन तो नहीं छीन जा रहा है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि बच्चों के विकास के विकास के लिए कुछ विशेष कदम उठायें जाय।

तो चलिए इस लेख में बच्चों की परवरिश से जुडी कुछ टिप्स बच्चों का बचपन कैसे सवारें, के बारे में जानते हैं। 

बच्चों को सिखाये कि वे अपने बड़ो का आदर करें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें 

आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम बहुत से जरूरी कामो को करने के लिए पीछे छोड़ देते है, उनमे से सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, अपने बच्चो को सही संस्कार देना। जितनी शिक्षा आज के समय में जरूरी है, उतना ही बच्चो के अंदर संस्कार का भी होना बहुत जरुरी है। 

बच्चो के साथ-साथ युआ पीठी को भी भारतीय संस्कृति, आचरण, व्यवहार, बड़ो का आदर सम्मान आदी से अवगत होना बहुत ही जरुरी है, अच्छे संस्कार से ही लोगो का व्यक्तित्व निखरता है। बड़े बुजुर्गो को प्रणाम करना, उनके पैर छूना हमारी संस्कृति में श्रेष्ठ माना गया है।

हमारे गुरुजन को प्रणाम करने की प्रथा सदा से चली आ रही है। यह भारतीय संस्कृति में अभिवादन, सम्मान व्यक्त करने का तरीका है।  प्रातः काल उठने के बाद बच्चो को घर के बड़े, माता-पिता व अपने गुरु भगवान् के पैर छूने चाहिए, पैर छूते समय दोनों हांथो से या दाहिने {right} हाँथ से पैरो के अंगूठो को छूकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। 

यदि सास्टांग प्रणाम नमस्कार कर उनका आशीर्वाद लिया जाए तो सर्वोत्तम होता है। 

यह एक योग आसन की क्रिया का हिस्सा है। पैर छूने से कमर और पैर का व्याम भी हो जाता है, और यह पैर व कमर को मज़बूती देता है। 

एसा मन जाता है की जब हम अपने से बड़े जनो का गुरु, माता-पिता भाई आदि का आशीर्वाद लेते है, तो इससे अच्छे गुण और व् हमारे बच्चों के विचारो में भी परिवर्तन होता है, साथ ही हमारी बुद्धि भी उन्ही की भाती प्रखर हो जाती है। साथ ही एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

अपने बच्चो के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आपको उनकी शिक्षा दीक्षा, अच्छी आदतों तथा नैतिक मूल्यों के साथ-साथ इन संस्कारो को बचपन से ही उनके अंदर डालना चाहिए, तभी वे अच्छे श्रेष्ठ व्यक्ति बन सकेंगे और आपको ही अपना मार्गदर्शक और आदर्श मानेगे। 

पढाई को बोझिल नहीं बनाए

बच्चों के लिए परीक्षाएं साप्ताहिक टेस्ट आवश्यक है पर याद रखिये की उन सब से कहीं ज्यादा आवश्यक है कि आपका बच्चा कहीं दबाव में तो नहीं है। कई शोधों से साबित है कि अगर माता-पिता अपने छोटे बच्चों पर पढाई का अत्यधिक दबाव बनाते है।

तो इससे बच्चों को मानसिक डिस ऑर्डर जैसी बीमारियां भी हो सकती है। इसलिए बच्चों को जरुरत से ज्यादा डांट कर न पढ़ाये उन्हें प्यार से समझाए 

रटने से अत्यधिक आवश्यक है की बच्चों को समझना

क्लास में हर दिन बच्चा कुछ न कुछ नया सीखता है। कुछ चीज़े उसे समझ में आती है कुछ चीज़े नहीं आती। आमतौर पर शिक्षक व माता पिता द्धारा बच्चे के किसी प्रश्न का हल या जवाब देने के बजाय एसे ही होता है या किताब में लिखा है। बच्चा बेचारा बिना सोचे समझे उसे रट लेता है क्योकि उसे टेस्ट या Exam में अच्छा नंबर जो लाना है। 

और यही रटने की आदत धीरे-धीरे बच्चों के समझ को प्रभावित करता है। जिससे आपके बच्चे की मौलिकता समाप्त हो जाती है, जो आगे चलकर बच्चों की भविष्य को प्रभावित करती हैं। वे सहीं निर्णय नहीं ले पाते और अपनी सूझ-बुझ का प्रयोग नहीं कर पाते। 

नम्बरों के पीछे मत भागें

बच्चों को हमेशा यह ताना देकर न डाटें कि – तुम्हारे नम्बर इतने कम क्यों है ? तुम्हारे दोस्त के नम्बर तो तुमसे कहीं ज्यादा है। इस तरह के ताना से बच्चों को बहुत आहत पहुँचती है और कई बार वे Exam hall में नक़ल करना सुरु कर देते है। 

हर माँ-बाप को यह समझना चाहिए कहीं न कहीं इन कुसंस्कारों के लिए वे स्वयं ही जिम्मेदार है। इसलिए बच्चों का हौशला बढ़ाये, 2-4 नम्बर कम लाने से उनका भविष्य प्रभावित नहीं होगा, बच्चों की जिज्ञासाओं को पूरा करें। उनके प्रश्नो का उत्तर दे, और उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार करें। 

बच्चों को जी भर खेलने कूदने दें

बचपन बहुत ही माशूम होता है। हम बचपन में बेवजह हँसते खिलखिलाते रहते हैं। और बड़े होने पर हंसी जैसे गायब ही हो जाती है, हंसी के लिए बहाने ढूंढने पड़ते हैं। इसलिए बच्चों को रोज शाम को 2 घंटे खेलने के लिए पार्क भेजें।

और खुद भी बच्चों के साथ खेले, बचें बन जाए। खेलकूद से ही शरीर का पूर्ण विकाश होता है, व मन की थकान दूर होती है। बच्चों के लिए तो खेलकूद व्यायाम है।   

होमवर्क को हौवा न बनने दें

बच्चों के लिए अगर सबसे डरावना शब्द कोई है तो वह है होमवर्क (homework). होमवर्क को लेकर के माता-पिता को परेशान नहीं होना चाहिए, क्योकि फिर बच्चा भी तनाव में आ जायेगा। पढाई के लिए एक निश्चित समय तय करें उस समय में सारे काम काज व टीवी शोसल मिडिया को छोड़ कर केवल होम वर्क व पढाई में ध्यान दें।

अगर होम वर्क का दबाव जरुरत से ज्यादा अधिक हो तो parents teacher meeting में इस बात का जिक्र करें, क्योकि खेलना-कूदना, व्यायाम, मनोरंजन आदि homework के कारण प्रभावित नहीं होनी चाहिए।  

बच्चों में शौंक विकसित होने दें

यह बच्चों के लिए बहुत ही जरुरी है। क्योकि बच्चा किस चीज़ में अत्यधिक रूचि रखता है यह उसके भविष्य के लिए उपयोगी हो सकता है। याद रखिये की बच्चों पर आप अपनी hobby न थोपे उन्हें उनकी पसंद की, रूचि hobby का करने दे।   

बच्चों को हर प्रकार की किताबों की ज्ञान का परिचय करवाए 

पाठ्य क्रम के अलावा आप अपने बच्चों को सुविचार-कहानियों अन्य ज्ञान युक्त पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। जिससे उनके मस्तिष्क का बाहरी विकास हो और अनेक नयी-नयी जानकारियां उन्हें प्राप्त हो।   

बच्चों को आत्मविश्वासी, स्वावलम्बी बनाए

जिंदगी में खुद के ऊपर भरोसा करना बहुत ही जरुरी है। संघर्ष में वही विजय हो पाता है जिसे अपने ऊपर भरोसा होता है। इसलिए अपने बच्चों को केवल किताबी कीड़ा न बनाए उसे जीवन जीने की आवश्यक कलाए जैसे धैर्य व साहस भी सिखाये तथा हर प्रकार की जरुरी ज्ञान जो जीवन जीने के लिए जरुरी है, उसे दें।

अंत में यह बात याद रखे की बच्चे छोटे-छोटे रंग-बिरंगे पौधे है, इन्हे प्यार से सफलतापूर्वक बड़ा होने दे। उनके साथ घुल-मिल जाए, क्योकि इसी के बहाने आप भी अपना बचपन जी सकते है। दोस्तों बचपन कब निकल जाता है और बस यादें रह जाती है, पता ही नहीं चलता। फिर आप लाख कोसिस कर लें किसी का बचपन वापिस नहीं ला सकते, आप बच्चों पर अपनी इक्षा, मान्यता नहीं थोपे, बचपन सिखने की उम्र है। उन्हें सिखने दे, मुस्कुराने दें।   

इन्हे भी पढ़ें –

अंतिम शब्द – आशा है की आपको हमारा यह लेख बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ टिप्स बच्चों का बचपन कैसे सवारें (Some tips related to raising children How to ride children’s childhood) पसन्द आये, और आपके काम आये,

अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करें और हमारे Facebook पेज व Pinterest,  Instagram और Twitter को अवश्य लाइक करें। अगर कोई सुझाव हो तो कॉमेंट जरूर करे- धन्यवाद,

Leave a Reply