बच्चों को सिखाएं सफलता असफलता के मायने | बच्चों की परवरिश Tips

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बच्चों को सिखाएं सफलता असफलता के मायने | बच्चों की परवरिश Tips

बच्चों की परवरिश और संस्कार से जुड़े कई आर्टिकल मै आपके लिए लेकर आ चूका हूँ, जिनको पढ़कर आप अपने बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर कर सकते हैं।

बच्चों के लिए सफलता और असफलता के मतलब आज इसी सम्बन्ध में मै फिर एक जानकारी आप लोगों से साँझा करना चाहूंगा। कि किस तरह आप अपने बच्चों की सफलता का निर्धारण कर सकते हैं,

क्योकि बच्चें तो एक मोम की तरह होते हैं आप सुरुवाती तौर पर उन्हें जिस दिशा में ढालना चाहों जैसा रूप देना चाहो दे सकते हो।

हर माँ बाप चाहते हैं की उसके बच्चे को जीवन की ऊंची से ऊंची सफलता मिले वह तमाम सफलता के सिखर और खुशियों को प्राप्त करे इस मामले में मेरा एक छोटा सा राय है, मेरे पिताजी एक किसान हैं और उन्होंने अपने समय में अच्छे से पढाई भी करी व अपने जीवन को और बेहतर बनाने के ख्वाब भी देखे, यहां तक के अपने इस ख्वाब के लिए उन्होंने सभी प्रकार की कोशिस भी करनी चाही व करी, 

जितना उनसे हो सकता था। पर उस समय के हालत ही कुछ ऐसे रहें या फैमिली प्रॉब्लम, व अन्य कुछ वजहों से अपने सपने पुरे ना कर पाए। खैर जो भी हो – तो अब उनका ये सोचना गलत तो नहीं है, की उन्होंने जो विफलता और दुःख अपने जीवन में देखा, वही उनके बच्चे को देखना ना पड़े।

या उनका बेटा जीवन में सफल हो या जो सपना उन्होंने देखा था उसे उनका बेटा पूरा करे। 

और यही सोंच हर माँ बाप का होता है की उसका बेटा, उनके उस सपने को पूरा करे जिसे माँ बाप ने कभी देखा था पर किसी वजह से पूरा नहीं कर पाए। अब इन सब का तात्पर्य यह है कि सफलता और असफलता का परिभाषा माता पिता ने बनायीं होती है और वही परिभाषा वे अपने बच्चों पर थोप देते हैं। पर जरा सोचिये परिवरिश का ये नजरिया किस हद तक सहीं है। 

तो सबसे पहले तो आप यह तय कीजिये की आप सफलता को किस नजरिये से देखते हैं, या आपकी नजर में सफलता की क्या परिभाषा है क्या अच्छी नौकरी सफलता है या exam में अच्छे नंबर लाना सफलता है या फिर जो व्यक्ति अधिक धन कमाता है वह सफल हो जाता है। 

देखिये जीवन में संघर्ष और बाधाएं तो आती ही रहती है। यह बात सुनने में भले थोड़ी कड़वी लगे पर हमारे बच्चों को संघर्षों और बाधाओं का सामना करना पड़ेगा और यकीन मानिये उस समय किताबी ज्ञान उनके कितना काम आएगा यह कहना थोड़ी मुश्किल है। 

और दूसरी बात यह की आप रटा-रुटा कर किताबी कीड़ा बनाकर अपने बच्चें को एक अच्छे मुकाम पर तो पंहुचा दोगे, जहाँ से वह खूब पैसा कमा सके परन्तु उस मुकाम पर लम्बे समय के लिए टीके रहने के भावनाओं और आत्मविश्वास की भी तो जरुरत पड़ेगी। 

अब जब आप इन बातों को समज जाते हैं तो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए नीचे दिए गए कुछ बातों का जरूर पालन करें – 

बच्चों को सिखाएं की असफलता से घबराएं नहीं ?

कहा जाता है असफलता हमेसा सफलता की पहली सीढ़ी होती है। इसलिए अपने बच्चों को बताये की अगर वे exam में फैल हो जाते हैं या नंबर कम आता है या अन्य ऐसे कार्यो में असफल हो जाते हैं तब उन्हें निराश होने की जरुरत नहीं है

क्योकि कई मामलों में बच्चें exam को अपना बहुत बड़ा फैलियर मान लेते हैं और ऐसे गलत कदम उठा लेते है, जिसके बाद हम जिंदगी भर अपने आप को कोसते रह जाते हैं कि काश एक बार बोल दिया होता – बेटा exam अच्छे से देना और किसी वजह से नंबर कम आ जाता या फैल हो जाते हो, तो ज्यादा परेशान मत होना जिंदगी में बहुत मौके है और ये कोई बड़ी बात नहीं है तुम्हारे पास और  मौका है। 

अपने बच्चे को जिम्मेदार बनाइये?

जिम्मेदारियों को ज्यादातर एक बोझ समझा जाता है, एक 5 साल का बच्चा भी जिम्मेदार हो सकता है, और इसका उल्टा एक 50 साल का व्यक्ति भी अपने जिम्मेदारियों से भाग सकता है।

जिम्मेदारी कोई बोझ नहीं है बल्कि यह तो आपको परिपक्व बनाती है। इसलिए आपको चाहिए के आप बच्चों को घर का छोटा-मोटा काम दें, और बच्चा काम कर लेता है तब उसकी तारीफ कर उसका हौसला बढ़ाये। अगर बच्चा किसी वजह से कार्य नहीं भी कर पाता है तब उसको डाटे नहीं उसे बताएं की यह काम इस तरीके से किया जाता है।

बच्चों को सिखाएं की वो अपने हक के प्रति लड़े?

कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने हक के प्रति लड़ना नहीं जानते, और ऐसा खासकर उन घरों में होता है जहां बच्चों को कहा जाता है कि ‘ चुप रहो, अभी तुम बच्चे हो ‘ चुप रहना एक दिन बच्चों की मानशिक दुर्बलता बन जाती है आपको पता भी नहीं चलता।

इसलिए प्रत्येक माँ बाप को यह चाहिए की वे अपने बच्चो को उन चीजों के लिए ज्यादा फोर्स ना करे जो चीज बच्चे को पसंद ही नहीं है। 

बच्चों को, सिखायें की वे अपने भावनाएं संयमित रखें?

अनेक बच्चों को आपने देखा होगा कि जब वे गुस्सा होते हैं या क्रोध में आते हैं तो सामान फेकना, हाथापाई करना आदि कार्य करते हैं। आखिर क्यों करते हैं बच्चे ऐसा? इसका मतलब यह है कि बच्चा अपना भाव शब्दों से नहीं बता पा रहा, ऐसे में जब बच्चा बड़ा होता है तब लड़ाई-झगडे की स्थिति में या तो अत्यधिक क्रोधित हो जाता है या एकदम चुप।

अपना पक्ष रखना, सहीं गलत का फैसला करना भी बहुत जरुरी है, इसलिए अपने बच्चों को भावनाओं को संयमियत रखने की कला सिखाएं।

अपने बच्चों को पैसे के प्रति जागरूक बनाये ?

आज के समय में हम अपने बच्चों को एक से एक सुविधाएं बचपन से ही दे देते हैं मोबाईल गाड़ी इत्यादि जो जरुरी भी है उनकी सुविधाओं के लिए परन्तु हर माँ बाप को चाहिए कि वे बच्चों को पैसे की अहमियत भी सिखाये और उन्हें बचत करने का सलाह भी दें।

ऐसा नहीं होना चाहिए की आप अत्यधिक पुत्र मोह में उन्हें यह सिखाएं की जितना भी पैसे उड़ाना है बेटे उड़ाओ, जो करना है करो। ऐसा करके आप अपने ही बच्चे का भविष्य बिगाड़ सकते हैं। 

जिराफ से सीखें बच्चों की परवरिश की कला ?

दोस्तों जब जिराफ का बच्चा जन्म लेता है तब वह दस फुट की उचाई से गीरत है। इस वजह से वह दर्द से कराहता है और उठना नहीं चाहता, ऐसे हालात के बावजूद उस जिराफ की माँ उसे तब तक पैर से मारता रहता है जब तक की वह उठ कर खड़ा ना हो जाये। एक जानवर को भी यह मालूम है की गिरने से ज्यादा जरुरी है वापिस खड़ा होना। इसलिए अपने बच्चों को जुझारू बनाइये, सफलता वे अपने आप ढूंढ लेंगें। 

साथ ही प्रत्येक माता-पिता यह ध्यान रखें की कुछ चीजों को बच्चों पर ही छोड़ दे वो सुलझा लेंगे। अधिकतर ऐसा होता है की दो बच्चों के आपस में लड़ाई-झगड़ों को लेकर दोनों बच्चों के माता-पिता आपस में लड़ाई झगडे करने लग जाते हैं। जरा समझिये, बच्चें आज लड़ेंगे झगड़ेंगे कल दोस्त बनेंगे। अगर आप उनकी लड़ाई झगड़ों में उलझने लगें तो उनका विकास कैसे होगा उनमे कार्य कुशलता कैसे आएगी। 

अंतिम शब्द –

आशा है की आपको हमारा यह लेख बच्चों के सफलता के लिए माँ-बाप यह कदम अवश्य उठायें, बच्चों को सिखाएं सफलता/असफलता के मायने (Parents must take this step for the success of children. Teach children the meaning of success / failure in hindi) पसंद आये, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे share जरूर करें और हमारे Facebook page को जरूर follow करें अगर हमारे लिए कोई सुझाव हो तो comment करें – धन्यवाद 

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