Quality circle : गुणवत्ता के विषय में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो ना जानता हो क्योंकि यह सभी की जिंदगी से जुड़ा हुआ है। हम हर चीज में बेहतर चाहते हैं और हमें अच्छा लगता है कि बदलाव होता है और चीजों की quality आती रहें, जो कि जरुरी भी है,
तो आज के इस topic – गुणवत्ता चक्र क्या है (what is quality circle) में हम गुणवत्ता चक्र को पूरी तरह समझेंगे…. वो भी बिल्कुल सरल शब्दों में.
गुणवत्ता चक्र क्या है – What is Quality circle
गुणवत्ता चक्र को हम इस तरह से समझ सकते हैं, यह मूलतः श्रमिकों का एक समूह है जो रोजाना आपस में मिलते हैं और कार्य का विश्लेषण कर उसे प्रतिदिन पहले से बेहतर बनाने की कोशिस करते हैं
या यूँ कहें की उसमे गुणवत्ता (quality) लाते हैं. जिसमे सुपरवाइजर एक मुखिया के तौर पर होता है और अपने इस समाधान को प्रबंधक को सौंपता है. गुणवत्ता चक्र (quality circle) के सिद्धांत के अनुसार श्रमिक और प्रबंधन दोनों ही गुणवत्ता और उत्पादकता समस्याओं से अनजान है.
गुणवत्ता चक्र में मानवीय कारक को ध्यान में रखकर प्रशिक्षित किये गए वे विशेषज्ञ होते हैं जिनमे समस्या की पहचान, सुचना का एकत्रीकरण, विश्लेषण, और समाधान आदि skills होते हैं.
- सफलता के लिए जरुरी – swot विश्लेषण?
गुणवत्ता चक्र की अन्य परिभाषाएं – Definition of quality circle
गुणवत्ता चक्र के सिद्धांत के लिए तर्कशास्त्रों ने अलग-अलग परिभाषाएं दी है जो इस प्रकार हैं –
Udupa के अनुसार – “गुणवत्ता चक्र (quality circle) एक सामान कार्य करके वाले मजदूरों का छोटा समूह है जो नियमित रूप से सप्ताह में मिल जुलकर समस्या की पहचान और उसका विश्लेषण करते हैं और उसमे सुधार लाते हैं।
Lozano and Thompson के अनुसार – गुणवत्ता चक्र नियमबद्ध, संस्थागत एक यंत्र है जो श्रमिकों में उत्पादन और सम्मलेन की उत्साह उत्पन्न करती है।
Rehder के अनुसार – गुणवत्ता चक्र किसी कारखाने का कमरा भर नहीं है बल्कि यह एक प्रशिक्षु से लेकर प्रबंधन तक सिखने और पालन करने का विषय है।
Ishikava के अनुसार – गुणवत्ता चक्र पूंजी गुणवत्ता नियंत्रण एक कार्यशाला में कार्य करने हेतु बना एक छोटा समूह है और यह छोटा समूह गुणवत्ता नियंत्रण गतिविधियों के माध्यम से खुद के उत्थान और परस्पर विकास के कार्य में लगे रहते हैं।
गुणवत्ता चक्र का इतिहास क्या है – What is the history of the quality circle
गुणवत्ता चक्र (quality circle) का जन्म जापान से माना जाता है, और इसके जन्म का श्रेय कारू इशिकावा और उनके creators को माना जाता है.
1980 के दशक में गुणवत्ता चक्र (quality circle) पूरी तरह अपने लोकप्रियता के चरम पर था, और जिन-जिन चीजों में गुणवत्ता लाई गयी वे थे –
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए कार्य किया गया
- व्यावसायिक सुरक्षा में गुणवत्ता
- उत्पादन और डिजाइन के क्षेत्र में
- निर्माण के क्षेत्र में भी गुणवत्ता लाई गयी और सुधार किया गया
जापान में गुणवत्ता चक्र (quality circle) को निप्पो वायरलैस और टेलीग्राफ कंपनियों ने सन उन्नीस सौ बैसठ में प्रारम्भ किया और आज के time पे जापान में कुल 36 ऐसी कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है जो गुणवत्ता चक्र (quality circle) के नियमों का पालन करती है.
फिर quality circle का प्रसार व्यापक रूप से चीन में हुआ साथ ही भारत में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता चक्र का प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ. परन्तु जिस गति से quality circle का प्रसार चीन और जापान में हुआ किसी और देश में ना हो सका, हालांकि इसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि गुणवत्ता चक्र (quality circle) के हमेसा से अच्छे परिणाम ही सामने आये हैं.
गुणवत्ता चक्र की विशेषताएं – Features of the Quality Circle in hindi
गुणवत्ता चक्र को उसके विशेषताओं के कारण ही जाना जाता है जो निम्न हैं –
- गुणवत्ता चक्र कार्मिकों का एक छोटा समूह है।
- गुणवत्ता चक्र एक ही कार्य क्षेत्र में संगठित किया जाता है।
- गुणवत्ता एक स्वयंसेवी प्रचालन है।
- गुणवत्ता चक्र समस्या निवारण की दृश्टिकोण प्रदान करता है।
- गुणवत्ता चक्र के लिए हुए बैठक और वाद-विवाद से बेहतर परिणाम सामने निकलकर आता है।
- गुणवत्ता चक्र कार्य सम्बंधित समस्याओं की पहचान विश्लेषण एवं समाधान का कार्य करता है।
- गुणवत्ता चक्र हर सप्ताह एक घंटे के लिए आवश्यक है।
- गुणवत्ता चक्र गुणवत्ता, उत्पादकता, लागत में कमी और सुरक्षा आदि में सम्बंधित समस्याओं का निवारण करते हैं।
गुणवत्ता चक्र की धारणाएं – Concepts of the Quality Circle hindi
- श्रमिकों का समूह क्रिएटिव विचार दे पाने में सक्षम हैं।
- काम करने वाले कार्मिक ही अपने कार्य के विशेषज्ञ होते हैं।
- अगर व्यक्ति में कार्य के प्रति समर्पण भाव है तो वह अपने कार्यक्षमता में कितना भी सुधार कर सकता है।
गुणवत्ता सुधार के लिए 5 ‘S’ प्रणाली का उपयोग – Use of 5 ‘S’ system for quality improvement
सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर यह 5 ‘S’ प्रणाली है क्या, तो मै आपको बता दूँ यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कार्य प्रणाली को व्यवस्थित रखते हुए अपव्यव को कम करती है और उत्पादन को बढाती है।
यह दृश्य संकेतों का उपयोग कर तर्कसंगत परिणाम प्राप्त करने में आपकी मदद करती है। आमतौर पर यह विधि किसी भी संगठन द्वारा लागु होने वाली पहली विधि है।
5 ‘S’ संकल्पना के आधारभूत स्तम्भ (foundation pillars of the concept)
- Sort
- Set in order
- shine
- Standardize
- Sustain
ऊपर दिए गए चित्र से आप समझ ही गए होंगे कि 5 ‘S’ एक चक्रीय प्रक्रम है जो एक सतत विकास की प्रक्रिया को जन्म देती है।
SHORT
- यह 5 ‘S’ का पहला S है।
- यह उन चीजों को कार्य प्रणाली से अलग करता है जो वर्तमान समय में उत्पादन की दृष्टि से आवश्यक नहीं है।
- प्रत्येक मद की आवश्यकता का मूल्यांकन करती है।
- इसे रेड टैंगिंग के नाम से भी जाना जाता है।
- संगठनों को सॉर्टिंग से कई फायदे हैं जैसे – टूटे उपकरण, रद्दी माल इत्यादि
SET IN ORDER
- यह विधि दक्ष और प्रभावी संग्रह विधियों को उत्पन्न करती है।
- यह विधि सभी मदों को सरलता से व्यवस्थित करती है ताकि सरलता के साथ इसका लेबलिंग की जा सके।
- यह विधि तभी कामयाब होगी जब 5 ‘S’ के प्रथम शार्ट के द्वारा अनावश्यक मद कार्यक्षेत्र में अलग कर दिए गए हों।
- सतह को रंगना, लेबल स्थापित करना, कार्य-क्षेत्र और स्थानों का रूप रेखा तैयार करना इत्यादि सेट इन ऑर्डर के अंतर्गत आते हैं।
SHINE
- यह विधि सभी मशीनों को स्वस्छ करण करने से सम्बंधित है।
- एक स्वस्छ माहौल में काम करने से कार्मिक मशीनों में हुए गड़बड़ियों को आसानी से देख सकते हैं और उसे साफ़ कर सकते हैं।
STANDARDIZE
- 5 ‘S’ के सभी तीनों स्तम्भों को लागु करने के बाद, अगला स्तम्भ स्टेन्डराइज़ है।
- इसके तहत कार्य क्षेत्र में एक सर्वोत्तम प्रक्रिया का मानकीकरण किया जाता है।
- इस विधि के अंतर्गत तीन चरण शामिल है जो निम्न हैं –
- 5 ‘S’ शार्ट, सेट इन ऑर्डर, शाइन की कार्य जिम्मेदारी प्रदान करना।
- 5 ‘S’ कार्यों को एक नियमियत कार्य के रूप में समाकलित करना।
- 5 ‘S’ को कायम रखने के लिए नियमित जांच करना।
SUSTAIN
- यह सबसे कठिन S है जिसका उदेश्य – उचित रूप से सहीं विधियों और प्रक्रियाओं को कायम रखना है।
- यह विधि नई वर्तमान स्थिति एवं संगठन के कार्य क्षेत्र मानक को परिभाषित करने के प्रति केंद्रित होती है।
- इस स्तम्भ के बिना बाकीं सारे सारे स्तम्बों की उपलब्धिया जाता दिनों तक नहीं रह पाती।
इस स्तम्भ के लिए अनेक उपकरण हैं जो निम्नलिखित है –
- संकेत वा पोस्टर
- समाचार-पत्र
- प्रदर्शन समीक्षा
- विभागीय भ्रमण
कैजन (Kaizen in hindi)
कैजन क्या है ?- कैजन का मतलब होता है सुधार। कैजन रणनीति कभी ना समाप्त होने वाला सुधार सम्बंधित प्रयास है जिसमे प्रबंधन एवं कार्यकर्त्ता दोनों सामान रूप से शामिल होते हैं। कैजन का संधि विच्छेद करके देखा जाए तो
- कै का मतलब – परिवर्तन।
- जन का मतलब होता है – अच्छे के लिए।
मुख्य रूप से कैजन अल्प सुधार के लिए होता है यह निरंतर प्रयास के रूप में अपनाया जाता है जिसमे संगठन के सभी लोग शामिल होते है। कैजन नवाचार के बिल्कुल विपरीत है इसमें किसी भी प्रकार की निवेश या खर्चे की आवश्यकता नहीं होती है।
इसका सिद्धांत है कि अल्प सुधारों की एक बड़ी संख्या किसी संगठन के बड़े से बड़े सुधारों की तुलना में बेहतर होती है। कैजन का मुख्य उदेश्य हमारी दक्षता को प्रभावित करने वाले नुकशान को कम करना है।
कैजन निति (Kaizen policy in hindi)
कैजन निम्न सिद्धांत पर कार्य करता है –
- कैजन शून्य त्रुटि के संकल्पना के आधार पर कार्य करता है।
- लागत खर्च में कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- सभी उपकरणों की प्रभावशीलता के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- नुकशान को समाप्त करने के लिए व्यापक रूप से प्रयत्नशील रहना।
- ऑपरेटर का सफलतापूर्वक नियंत्रण करना।
कैजन का लक्ष्य (Kaizen target)
- शून्य त्रुटि को प्राप्त कर उसे हमेशा कायम रखना।
- निर्माण प्रक्रिया के लागत व्यय में 30% की कमी का लक्ष्य प्राप्त करना।
कैजन उपकरण (Kaizen tools)
- पी एम विश्लेषण
- Why-Why विश्लेषण
- नुकशानों का सारांश
- कैजन रजिस्टर
- कैजन सारांश-पत्र
कैजन के लाभ (Advantages of kaizen)
- कैजन सभी क्षेत्रों में क्षय को कम करता है – प्रतीक्षा समय, परिवहन, कर्मचारी कौशल, कार्यकर्त्ता प्रस्ताव इत्यादि।
- कैजन सुधार करता है – उत्पादन गुणवत्ता, पूंजी का उपयोग, संचार, उत्पादन क्षमता और कर्मचारी अवधारणा में।
- कैजन शीघ्र परिणाम देता है – अधिक पैसे खर्च होने वाले सुधार कार्यो में ध्यान देने के बजाय कैजन रचनात्मक निवेशों पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- कुल ग्राहक संतुष्टि – किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं।
- लम्बे समय तक प्रयास – कोई जल्दबाज़ी नहीं।
- प्रशिक्षण की अनिवार्यत – ऊंचे पद के अधिकारी से लेकर नीचे पद अधिकारी तक।
- सामूहिक कार्य एवं भागीदारी।
- प्रगति का मापन।
- लगातार गुणवत्ता सुधार।
- कर्मचारियों आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के बीच कुल एवं मुक्त संचार।
कुल उत्पादकता और रख-रखाव – Total productive maintenance
टी. पी. एम क्या है? (what is TPM)
TPM एक अभिनव जापानी संकल्पना इसका जन्म उन्नीस सौ इक्यावन में हुआ, जब जापान में रोकथाम सम्बंधित रखरखाव की संकल्पना प्रस्तुत की गयी।
हालांकि यह संकल्पना usa से ली गयी निप्पोनडेन्सो प्रथम कंपनी थी जिसने उन्नीस सौ साठ में रोकथाम सम्बंधित रखरखाव की प्रक्रिया को लागु किया टी. पी. एस कार्यक्रम का उद्देश्य – कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि करते हुए कार्य संतुष्टि के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।
टी. पी. एम की आवश्यकता क्यों है? (Why is TPM needed)
- तेजी से बदलते हुए आर्थिक वातावरण में हो रहे नुकसान को रोकने के लिए टी. पी. एम की आवश्यकता है।
- उत्पादन गुणवत्ता में कमी लाये बिना उत्पादन करना।
- लागत व्यय को कम करना।
- ग्राहकों को भेजे गए उत्पादों का त्रुटिमुक्त होना।
रख-रखाव के प्रकार – type of maintenance
दुर्घटना जनित रुकावट सम्बंधित रखरखाव (Breakdown maintenance)
मशीनों में खराबी आ जाने पर लोग इंतजार करते है और फिर उसका मरम्त का कार्य करते हैं। और यह ध्यान दिया जाता है कि कोई अन्य खराबी ना आये।
निवारक रख-रखाव (Preventive maintenance)
इसमें दैनिक रख-रखाव की चीजे आती है जैसे –
- सफाई प्रक्रिया
- परीक्षण प्रक्रिया
- उपकरण को ख़राब होने से बचाना
- उपकरण का रख-रखाव
आवधिक रख-रखाव (Periodic maintenance)
यह प्रक्रिया समय पर आधारित होती है। इसके अंतर्गत निम्न शामिल है –
- परीक्षण
- सर्विसिंग
- उपकरणों की साफ-सफाई
छोटे समूहों की गतिविधियां – Small groups activities
small groups activities को गुणवत्ता वृत्त के नाम से भी जाना जाता है, यह एक सामान कार्यक्षेत्र के कर्मचारियों का समूह होता है। जो अपने इक्षा से कार्य सम्बंधित समस्याओं की पहचान व विश्लेषण करता है तथा उसका निवारण करता है।
Small groups activities का उदेश्य
- नीतिगत योजनाओ का गठन करना।
- प्रमुख प्रश्नो पर विचार करना।
- समूह में कंपनी की सभी इकाइयों के सदस्यों को शामिल करना।
- कार्य समूहों में आमने-सामने की बात-चीत।
- स्वतंत्र कार्यों के एक समूह के प्रति जिम्मेदारी।
- प्रबंधन और कार्यन्वय प्रक्रियाओं पर नियंत्रण।
Small groups activities के कार्य
- किसी संगठन या विभाग के विकास सम्बंधित कार्यो को करना।
- मानवता का सम्मान एवं एक खुशहाल कार्य-स्थल का स्थापना करना।
- संगठनात्मक संरचना में उपस्थित रुकावटों को दूर कर विचारों के मुक्त आदान-प्रदान की व्यवस्था करना।
- उत्पादों एवं सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना।
- ग्राहकों को संतुष्टि कारण कर लम्बे समय तक के लिए प्रतियोगिता मूलक बने रहना, इत्यादि।
Small groups activities की वास्तविक कार्य
- समस्यों की पहचान करना।
- समस्याओं का चयन
- समस्याओं का विश्लेषण
- समाधानों को उत्पन्न करना
- सबसे उपयुक्त समाधान का चयन करना।
- कार्य योजना की तैयारी।
- प्रबंधन की स्वीकृति
- कार्यान्वय
Small groups activities की विशेषताएं
- यह स्वयंसेवकों का एक समूह होता है।
- इसमे स्थापित नियम एवं प्राथमिकताएं होती है।
- इसमें निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाता है।
- समस्या के समाधान के लिए व्यवस्थित दृश्टिकोण का प्रयोग किया जाता है।
- सर्किल में सभी सदस्यों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
- सदस्यों में सशक्तिकरण की आवश्यकता होती है।
- सदस्यों में वरिष्ठ प्रबंधन की सहयोग की आवश्यकता होती है।
Small groups activities के लाभ
- उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- गुणवत्ता में सुधार होता है।
- कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होता है।
Small groups activities से हानियां
- इससे अपर्याप्त प्रशिक्षण होता है।
- समूह उद्देश्य के प्रति आस्वस्त नहीं होता।
- वास्तविक रूप से समूह स्वेस्छापूर्ण नहीं होता है।
- इसमें प्रबंधन की रूचि नहीं होती।
- ये निर्णय लेने के प्रति सशक्त नहीं होते।
आखिर में
दोस्तों किसी भी संगठन में गुणवत्ता चक्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हालांकि इसका संचालन प्रबंधन के द्वारा किया जाता है लेकिन ये श्रमिकों द्वारा श्रमिकों के लिए क्रियाविन्त किये जाते हैं.
उमीद्द है कि आपको हमारा यह लेख गुणवत्ता चक्र क्या है? (what is quality circle in hindi) आपको पसंद आया हो और आपके काम आया हो इसी तरह की नयी-नयी जानकारियों के लिए हमारे blog पर आते रहें – धन्यवाद.
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