भूजल क्या है (सम्पूर्ण विश्लेषण) | What is Ground Water

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ground water in hindi

Ground water : पानी के महत्व को हर सजीव प्राणी (जिसमे जीवन है) जानता है, क्योंकि जीव-जंतु, पेंड-पौधे, शुक्ष्म जीव सभी को जल की आवश्यकता है बिना जल जीवन संभव नहीं है।

क्या आपको पता है कि पृथ्वी पर केवल 3% पानी ही पानी पीने योग्य है, चुकि पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा समुद्र से घिरा हुआ है इसलिए बांकी का 97% पानी समुद्र में खारे जल के रूप में उपस्थित है।

जो 3% मीठा पानी है वह भी पीने के लिए पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है। उसमे से 2% हिस्सा ध्रुवों पर बर्फ के रूप में और बचा 1% हिस्सा नदी, नालों झीलों में उपस्थित है, जो पीने तथा अन्य विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है।

आज के इस लेख Ground water में हम पानी के महत्व और संचयन को सरल शब्दों में जानेंगे।

ग्राउंड वाटर का मतलब क्या है – Ground Water

Ground water = भूमिगत जल | अर्थात ग्राउंड वाटर का मतलब भूमिगत जल होता है।

भूजल या भूमिगत जल क्या है – What is Ground Water

भूजल (Ground water) वह है जो मृदा छिद्रों के बीच में तथा पर्वतीय रचनाओं के खण्डों में स्थित होता है। यह मिटटी से केवल कुछ ही गहराई पे नहीं होता बल्कि यह जमीन के अत्यधिक अंदर पाए जाने वाला मीठे जल का स्त्रोत है।

भूजल (ground water in hindi) की प्रतिपूर्ति स्वयं ही प्राकृतिक रूप से होती रहती है, जो मुख्यतः वर्षा के माध्यम से व अन्य स्त्रोतों सीपों के माध्यम से होती है।

भूजल का उपयोग दैनिक जीवन में विविध गतिविधियों जैसे पीने के लिए, कृषि के लिए, उद्यमों के लिए इत्यादि के लिए बहुतायत में किया जाता है। भूजल के वितरण और प्रसारण को भूजल हाइड्रोलॉजी कहा जाता है।

एक्वीफर्स क्या है (what is aquifers)

Groundwater_aquifer

यह जमीन के अंदर स्थित जल कि एक परत है जिसमे से नलकूपों और हैण्डपम्प के द्वारा पानी निकाला जाता है, सामान्य तौर पर इसे जलभरा (aquifers) कहते हैं। यु तो जमीन के हर हिस्से में पानी और नमी होता है

परन्तु नलकूपों से पानी निकालने के लिए एक्वीफर्स ही उपयोग में आता है क्योंकि अन्य हिस्सों में रंध्र छिद्र बहुत छोटे होते हैं परन्तु एक्वीफर्स (aquifers) का रंध्र छिद्र बड़ा होता है।

एक्वीफर्स (aquifers) में अत्यधिक जल भरे होने का कारण यह है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण सभी जल रीसकर नीचे चले जाते हैं जो एक्वीफर्स में जमा होते हैं।

अवरोध मुक्त एक्वीफर्स का ऊपरी तल water table सतह कहलाता है। water table के नीचे का क्षेत्र जहाँ पर जल से भरा हुआ सभी रंध्र स्थान होता है, phretic क्षेत्र कहलाता है।

हाइड्रॉलोजिकल चक्र क्या है – hydrological cycle

हाइड्रॉलोजिकल चक्र को जल चक्र भी कहा जाता है, पृथ्वी पर जल अलग-अलग रूपों में स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल तीनो में प्रवाहित होता रहता है। जल कभी समाप्त नहीं होता बल्कि यह भिन्न-भिन्न रूपों में परिवर्तित होता रहता है। धरती पर अधिकतर जल सालों तक सुद्ध रूप से बना रहता है परन्तु यह बर्फ, सुद्ध जल, क्षारीय जल इत्यादि के रूप में विभाजित रहता है।

जल एक स्थान से दूसरे स्थान प्रवाहित होता रहता है जैसे -झीलों से नदियों में नदियों से समुद्र में समुद्र से ऊष्मा के रूप में वातावरण और वायुमण्डल में। इस प्रकार अपने प्रवाह चक्र के दौरान जल विभिन्न रूपों जैसे -ठोस, द्रव और गैस के रूप में परिवर्तित होता रहता है।

जल के परिवर्तन में ऊर्जा का अन्तरण भी निहित होता है जो ताप में परिवर्तन का उत्तरदायी है, उदाहरण के तौर पर जब जल भाप के रूप में परिवर्तित होती है तब यह अपने आस-पास से ऊर्जा लेता है इससे वातावरण ठण्डा होता है।

जब यह संघनित होता है तब ऊर्जा मुक्त करता है इससे वातावरण गर्म होता है। जल चक्र में वाष्पीकरण के माध्यम से जल का सोधन होता है और फिर वर्षा के माध्यम से सुद्ध जल धरती में जल की आपूर्ति को पूरा करता है। इस प्रकार जल चक्र (hydrological cycle in hindi) पारिस्थतिक-तंत्र के संचालन में भी सहायक है।

जल चक्र की प्रक्रिया के प्रकार (Types of Hydrological Cycle Process)

hydrological
  • वाष्पीकरण के द्वारा
  • वाष्पोत्सर्जन द्वारा
  • संघनन द्वारा
  • वर्षण के माध्यम से
  • अंत स्पंदन से
  • संग्रहण द्वारा
  • व अपवाह के माध्यम से।

हाइड्रॉलोजिकल चक्र का जलवायु पर प्रभाव

जल चक्र एक सौर ऊर्जा आधारित प्रक्रिया है जिसमे सूर्य के ताप पर जल वाष्पीकृत होकर बादलों के रूप में परिवर्तित होता है। यह बादल जलमण्डल से स्थलमण्डल की ओर प्रवाहित होती है।

क्योंकि जलमण्डल की अपेक्षा स्थलमण्डल का तापमान अधिक होता है इससे हवाएं गर्म होकर ऊपर उठती है जिससे स्थलमण्डल का वायुदाब कम होता है। फलतः वायु महासागरों, समुद्रों के ऊपर से होकर स्थलमण्डल की ओर प्रवाहित होती है और इसी के साथ बादल और नमी भी प्रवाहित होती है।

महासागरों या जलमण्डल से 86% वाष्पीकरण होता है और स्थलमण्डल से 14% का वाष्पीकरण होता है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि पृथ्वी का 71% हिस्सा जलमण्डल है बावजूद इसके 86% का वाष्पीकरण होता है।

हमारे स्थलमण्डल का भाग 29% है फिर भी स्थलमण्डल का वाष्पीकरण में हिस्सा केवल 14 है इसका कारण यह है कि स्थलमण्डल में थार, सहारा, अरब जैसे कई शुष्क स्थान है।

इसलिए इसका वाष्पीकरण प्रतिशतता कम है परन्तु बात कि जाए वर्षा की तो महासागर अधिक वाष्पीकरण देने के बावजूद भी स्थलमण्डल की अपेक्षा कम वर्षा पाते हैं – इसका कारण भी स्थलमण्डल का तापमान अधिक होना है।

सतह जल क्या है – what is surface water in hindi

सतह जल उसे कहते हैं जो पृथ्वी में सतह के ऊपर नहरों, नदियों, झीलों नमभूमि और समुद्रों के रूप में होता है। यह वातावरणीय जल और भूजल से भिन्न होता है।

यह जल वाष्पीकरण के माध्यम से धरती से गायब हो जाता है और फिर वर्षा के द्वारा आता है व भूजल (ground water in hindi) बन जाता है। यह पौधों मनुष्यों जीव जंतुओं द्वारा फिर से प्रयोग किया जाता है।

भूजल और सतह जल का उपयोग – Ground water and surface water use hindi

भूजल (ground water in hindi) और सतह जल दोनों अलग-अलग माध्यम है परन्तु प्रायः दोनों में कमी देखी जाती है क्योंकि जल की उपलब्धता उसकी मांग की तुलना में हमेसा कम ही रही है।

भूजल व सतह जल में कमी या हास का मुख्य कारण हम इंशान ही हैं जो जल का अत्यधिक दोहन करके जल संकट जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं। नदी किनारों के निकट एक्वीफर्स का अधिक दोहन के कारण उन्हें कुओं की संज्ञा दी जाने लगी है।

उचित यही होगा कि भूजल पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर सतह जल का उपयोग अनिवार्य कर दिया जाए, जो निश्चित ही एक बेहतर फैसला होगा। और इसी नियम का पालन करके ही जल संकट, जल समस्या जैसी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

जल का उपयोग – use of water in hindi

अगर जल के उपयोग का आकड़ें देखा जाये तो 70% जल का उपयोग खेती के लिए. 25% जल का उपयोग उद्योग धंधों में व 5% जल का उपयोग घरेलु कार्यों के लिए किया जाता है परन्तु यह अनुपात अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रकार से है।

जिन देशों में अधिक उद्योग धंधे है वहा ज्यादातर जल की खपत उद्योग के लिए किया जाता है। भारत में जल के आकड़ें पर ध्यान दिया जाये तो, 90% जल का उपयोग खेती के लिए, 7% जल का उपयोग उद्योग धंधों में व 3% जल का उपयोग घरेलु कार्यों में किया जाता है.

भूमण्डलीय स्तर पर वर्ष 1950 से जल की उपयोगिता में 4% से 8% प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई है तथा कई देशों में उपयोगिता दर पर भिन्नता आई है। स्थिति ऐसी है कि जल के लिए राज्यों और देशों के बीच टकराव बढ़ रहे हैं, उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु और कर्नाटक के मध्य कावेरी नदी के लिए तथा कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के मध्य कृष्णा नदी के जल के लिए विवाद हुआ था।

अनुमान है कि भारत में वर्ष 2028 तक जल को लेकर भारी परेशानियां उठानी पड़ेगी, विश्व स्तर पर देखा जाये तो 31 देश ऐसे हैं जो जल की कमी का सामना कर रहे हैं। अनुमान तो यह भी है कि 2025 तक जल की समस्या से जूझने वाले देशों की कुल संख्या 48 हो जाएगी।

जल का उपचार – water treatment

जल उपचार वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम दूषित जल या बेउपयोगी जल को उपयोग लायक बना सकते हैं और दोबारा उसे अपने दैनिक काम में इस्तेमाल कर सकते हैं इसके अंदर शामिल किया जा सकता है -पेयजल, मेडिकल, उद्यमों इत्यादि अनेक क्षेत्रों में जल को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

जल उपचार की प्रक्रिया में जल को दूषित करने वाले तत्वों और अवांछनीय पदार्थों को अलग करना होता है ताकि जल दोबारा उपयोगी बन जाये, इस प्रक्रिया में हानिकारण ठोसों, बैक्टीरिया, एल्गी, वायरसों, फ़न्जाई, खनिजों-जैसे आयरन, सल्फर, मैगनीज तथा अन्य रासायनिक तत्वों को अलग किया जाता है।

जल संरक्षण एवं प्रबंधन – water conservation and management

पृथ्वी पर उपस्थित सभी जल के माध्यमों का उचित रूप से प्रयोग व जल के प्रति अपने कर्तव्यों को समझकर इसके बचाव के लिए उचित कदम उठाना जल संरक्षण एवं प्रबंधन है इसके लिए निम्न कदम उठाये जा सकते हैं –

जल संरक्षण के लिए उचित प्रयास (ground water in)

  • वर्षा जल के संचयन के लिए ज्यादा से ज्यादा जलाशयों का निर्माण कराना चाहिए।
  • जल के वितरण के लिए पाइप का उपयोग करना चाहिए, जिससे जमीन जल को ना सोख सके और जल में बाहरी गन्दगियाँ भी ना हो।
  • जलाशयों और नहरों को मिट्टी का ना होकर के पक्का बनाना चाहिए ताकि जमीन ज्यादा पानी सोख ना पाए (हालांकि आजकल इस पद्धति का उपयोग लगातार किया जा रहा है)
  • खेतों में सिचाई के लिए बनाये गए नालों को भी पक्का बनाना चाहिए ताकि पानी को ज्यादा से ज्यादा बचाया जा सके।
  • जल के सभी टेंकों को ढक्कनदार बनाना चाहिए ताकि उन्हें ढका जा सके और जल को दूषित होने से बचाया जा सके।
  • बहुत अधिक पैसे खर्च करके बड़े-बड़े जलाशय बनाये जाते हैं बजाय इसके छोटे-छोटे जलाशय का निर्माण कराना चाहिए।
  • पानी का मूल्य लोगों को समझाने के लिए पानी के इस्तेमाल में मूल्य/चार्ज रखने की आवश्यकता है जिससे लोग जल की अहमियत समझेंगें।
  • समुद्र के खारे पानी को पीने लायक उपयोगी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

निष्कर्ष

हम पानी की जरुरत को अच्छे से समझते हैं, और इसकी अहमियत को भी, पानी समाप्त नहीं होता यह जल चक्र के माध्यम से हम तक पहुंच जाता है, परन्तु ज्यादातर पानी समुद्र में चला जाता है।

जिसे उसके खारेपन के वजह से उपयोग में नहीं लाया जा सकता। आज हम भले ही किसी अन्य राज्य व अन्य देश की अपेक्षा पर्याप्त पानी रखते हों, परन्तु हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि कितना भी पर्याप्त पानी क्यों ना हो, लगातार दोहन से एक दिन जल संकट की स्थति निर्मित हो ही जाएगी।

अतः समझदार बनिये जल बचाइए भले ही बड़े-बड़े जागरूकता अभियान का सदस्य ना बनिये परन्तु अपने छोटे-छोटे सावधानियों से आप बहुत हद तक जल बचा सकते हैं।

जितना जरुरी हो उतना जल उपयोग करिये…….याद रखिये आपके छोटे-छोटे कदम देश में परिवर्तन लाने के लिए काफी है… जल ही जीवन है…. ground water का संरक्षण कीजिये – जागरूक बनिये और दूसरों को भी बनाइये

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आखिर मे

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