तनाव तो सभी के लिए हानिकारक है, और बच्चो को तो कतई तनावग्रस्त नहीं होना चाहिए, सबसे ज्यादा जरुरी है परीक्षा को हौवा न समझे, इससे डरने की जरूरत नहीं है, वरन डरना तो मौक़ा का एक द्वार है जो ज्ञान की ऒर ले जाती है।
दोस्तों, परीक्षा का खौफ बच्चो में दो कारणों से होता है, एक उनकी उम्र में चंचलता जो स्वाभाविक है, दूसरा भविस्या के प्रति सचेतता की कमी, उन्हें समय का अहसास करा ही नहीं पाती है। एसे में सिलेबस अधूरा रहेगा तो चिंतित होना आम बात है, जरूरत है तो उन्हें ये समझाने की, के अभी भी कुछ समय है, आप कर सकते है।
परीक्षा के पहले का समय (Time before exam)
परीक्षा के समीप आने पर किया गया अध्ययन शीघ्र ही याद हो जाता है, इसलिए घबराये नहीं, सांत मन से अध्ययन करे।
परीक्षा विषयों की है आपकी नहीं
आपको भय इस बात का रहता है की कही परीक्षा में हमारे नंबर अच्छे नहीं आये तो लोग क्या कहेगे, योग्यता पर सवाल उठाएंगे, दोस्तों और रिस्तेदारो, माँ-बाप के नजर में छोटे हो जाओगे, तो इस बात को समझे की कही भी आपकी रिजल्ट में योग्यता नहीं दिया हुआ है, परीक्षा हम इसलिए दिलाते है की हमे आगे बढ़ना है।
चिंता करने से अतरिक्त अंक नहीं मिलते
चिंता हमारी इक्षा सकती को दुर्बल करती है, क्यों जब हम चिंता करते है तो उस समय हम, समस्याओ को अपने से बड़ा समझने लगते है, जो जीवन में किसी भी समय बड़ी नहीं हो सकती, पाठ्यक्रम को समयानुसार छोटे-छोटे टुकड़ो में बाटकर पढ़ना प्रारम्भ करे, सिलेबस शीघ्रता से समाप्त हो जाएगा।
खुद को बेहतर करें (Better yourself in hindi)
नाते-रिस्तेदार, माता-पिता, अपने जमाने की बाते करेंगे की कैसे वे घंटो पढ़ा करते थे। मै आपसे पूछता हु, पाठ्यक्रम तो लिमिटेड है, अगर आप उन्हें तीन महीनो में भली-भाति पढ़ लेते हो तो आपकी कुशलता अधिक नहीं है।
कुशलता को निखारने का प्रयाश करे, और प्रतियोगिता खुद से करे, हो सके तो रिस्तेदारो माता पिता से आर्कमिडीज के प्लवन का सिद्धांत या पाइथागोरस थ्योरम पूछ ले , जरा देखे भी तो की उन्हें कितना याद है, स्वयं को बेहतर करने के लिए नई टेक्नोलॉजी का सहारा लो, विषयवस्तु और सिद्धांत सब समझ में आ जाएंगे।
परीक्षा एक पड़ाव है छात्र जीवन एक स्टेसन की तरह है, पर ज्ञान अर्जित करना जीवन का मकसद है।आपको जिज्ञासु होना चाहिए, नई चीजों को जानने का सौक हो, फिर देखो।
ये वक्त तो अपना है (This time is yours)
टाइम मैनेजमेंट का अर्थ कितनो को पता भी नहीं होता है, टाइम मैनेजमेंट का अर्थ सिर्फ पढाई को उद्देस्य लेकर नहीं बनाया जाता, इसमें खेल और पढ़ाई दोनों के लिए वक्त निकलना है।
पर जब पढ़ो तब एसे पढ़ो की, उस समय सोसल मिडिया, फोन, फेसबुक, वाट्सअप, टीवी इन सब में ध्यान मत भटकाओ, फिर देखो दो घंटे में भी कितना पढ़ा जा सकता है। बेसक पढाई के लिए समय कम भी निकालो पर उस कम समय में पढाई जबरजस्त होनी चाहिए।
ब्रेक लेना तो बनता है बॉस
दो घंटे पढ़ने के बाद कम से कम आधे घंटे का ब्रेक लो, मगर इस ब्रेक में वाट्सअप फेसबुक में मत लग जाओ, घर वालो से बातचीत करो और टीवी पर आप अपना पसंदीदा कार्यक्रम देख सकते हो, फिर 30 से 45 मिनट बाद वापस अपने रूटीन पर आ जाए।
जो विषय पढ़ने में मुश्किल लगते है उन्हें पहले पढ़ें
कुछ विषय आपको पढ़ने में कठिन लगते है, उन्हें पहले पढ़िए, क्योकि पढ़ना तो उसे है ही, अगर उसे पहले पढ़ लिया जाए तो, आप तनाव मुख्त हो जाएंगे, और एसे विषयो को खासकर सुबह पढ़े।
जमकर सोए, पर्याप्त नींद ले (Sleep well, get enough sleep)
कई लोग रात भर, जग कर पढ़ते है फिर सुबह दिन भर सोते है, तो कई पढ़ाई में इतना लिप्त हो जाते है की पर्याप्त नींद भी नहीं लेते, आप लोगो को परीक्षा काल में नींद से समझौता नहीं करना चाहिए, नही तो जो पढ़ा है वह भी भूल जाएंगे, क्योकि जब हम रात में सोते है तब दिन भर का पढ़ा हमारे दिमाग में स्टोर होता है।
परीक्षा हॉल में (exam hall me)
सांत मन से परीक्षा हॉल में जाए। प्रश्नों को ध्यान से पढ़े। उत्तर को स्पस्ट अक्षरों में साफ़ सुथरा लिखे, जरूरी बातो को अंडरलाइन करना और रिवीजन करना न भूले।