Computer virus in hindi : कम्प्यूटर वायरस का नाम, computer के किसी भी उपयोगकर्ता को डराने के लिए काफी है। क्योकि विश्व में ऐसा कोई कम्प्यूटर नहीं होगा जो वायरस (Virus) के संक्रमण से सुरक्षित हो computer virus के अनेकों प्रकार है और यह कई तरह से आपके computer को प्रभावित करता है.
इसे समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के एंटी वायरस व प्रोग्राम भी आतें है। तो चलिए इस लेख में कम्प्यूटर वायरस क्या है (computer virus in hindi) और इसके रोकथाम के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करतें है.
कम्प्यूटर वायरस क्या है – What is computer virus
यह कम्प्यूटर वायरस आखिर क्या है? और यह किस प्रकार कम्प्यूटर को संक्रमित करता है. यह सजीव है की निर्जीव है. आमतौर पर वायरस virus की बात आती है तो हमे सर्दी बुखार वाली वायरस की याद आ जाती है. जो हमे बीमारियों से ग्रस्त कर लेता है, पर ऐसा नहीं है – कम्प्यूटर वायरस कोई सजीव जीवाणु नहीं है.
कम्प्यूटर वायरस क्या है? – कम्प्यूटर वायरस एक छोटा सा प्रोग्राम होता है, जो कम्प्यूटरों में प्रवेश करता है और कम्प्यूटर के प्रोग्रामों में शामिल होकर कार्य में बाधा डालता है.
कम्प्यूटर वायरस के कार्य – functions of computer virus
कम्प्यूटर वायरस computer को इस प्रकार हानि पहुंचाता है –
- वायरस कम्प्यूटर की उपयोगी सूचनाएं नष्ट कर देता है.
- कम्प्यूटर के डायरेक्ट्री में बदलाव कर देता है.
- हार्ड डिस्क व फ्लापी डिस्क को फार्मेट कर देता है
- कम्प्यूटर की गति धीमा कर देता है
- टाइपिंग किये गए शब्दों में बदलाव कर देता है
- फाइल व प्रोग्रामों का डाटा बदल देता है
- कम्प्यूटर स्क्रीन पे बेकार की चीज़े दिखाता है
- कम्प्यूटर के कार्यों में बाधा डालता है
- फाइल के आकार को बदल देता है
- फाइलों को पूरा होने से रोकना
आदि तरीकों से computer virus (in hindi) बाधा डालता है।
कम्प्यूटर वायरस का इतिहास – history of computer virus
किसी भी चीज़ का इतिहास जानना बहुत ही मजेदार होता है हम कम्प्यूटर वायरस का इतिहास क्या है? (history of computer virus) को जानेंगे –
वायरस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम केलोफोर्निया विश्वविद्यालय के एक विघ्यार्थी फ्रेड कोहेन (fred cohen) ने अपने शोध पत्र में किया था। उसके अपने शोधपत्र में दर्शाया था की कैसे computer प्रोग्राम लिखा जाए जो कम्प्यूटर पर एंटर करके उसके सिस्टम पर आक्रमण करे।
सुरुवात में कम्प्यूटर वायरस को ढूँढना बहुत ही कठिन था। virus के बारें में लोगों को 80 के दशक तक पता नहीं था, और लोग मानने को भी तैयार नहीं थे की कोई एसा प्रोग्राम भी होता है जो computer को बाधा पंहुचा सकता है।
आधुनिक वायरस C-Brain नाम के एक वायरस को माना जाता है जो पुरे विश्व में बड़े स्तर पर फैला था, क्योकि इस वायरस में वायरस बनाने वाले का नाम, पता और अधिकार सन 1986 मौजूद था।
और इस प्रोग्राम में दो पाकिस्तानी भाई बासित व अमजत और उनकी कम्पनी का नाम व पूरा पता था। उस समय में वायरस बिलकुल नया-नया था तो लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
सन 1988 के सुरुवात में Macintosh peace नाम का computer virus आया, इसे Richard Brandow ने Macmag पत्रिका में प्रकाशित किया था।
यह computer virus विशेष रूप से मैकिनटाश आपरेटिंग सिस्टम को ख़राब करने के लिए तैयार किया गया था इससे 2 मार्च 1988 को कम्प्यूटर स्क्रीन पे निम्न सन्देश आया –
“रिचर्ड बैन्डॉ, मैकमेग के प्रकाशक तथा इसके कर्मचारी दुनिया के समस्त मैकिनटॉश यूजर्स को विश्व शांति का सन्देश देना चाहते हैं”
फिर वायरस दिन-प्रतिदिन आते गए और इसका इलाज़ की खोज शुरू हो गयी तब Anti virus software का आविष्कार हुआ, जो आज के समय में एक बड़ा व्यापार बन चूका है। लेकिन जैसे-जैसे anti virus software बनते गए वैसे-वैसे नए computer virus भी बनाये जाने लगे।
फिर जाकर कहीं वायरस पर काबू पाया गया परन्तु यह ख़ुशी ज्यादा दिन की नहीं थी फिर एक वायरस (Macro virus) का जन्म हुआ सामान्य वायरस तो एग्जीक्यूटेबल तक ही सिमित थे पर macro वायरस ने माइक्रोसॉफ्ट वर्ड की फाइलों को संक्रमित करना शुरू कर दिया.
जिससे बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी, साथ ही अन्य वायरस की अपेक्षा इस वायरस की क्षति पहुंचाने की क्षमता अधिक थी। इस वायरस ने एक बार फिर anti virus की दुनिया में तहलका मचा दिया।
कम्प्यूटर वायरस कैसे कार्य करता है – How does a computer virus function
क्या आप जानते है की वायरस एक ऐसा computer program है जो स्वयं को दुगना कर सकता है, लेकिन virus एक program है, तो जाहिर है की वह उतना ही नुकशान पहुचायेगा, जितना उसे प्रोग्राम किया गया है उदाहरण के लिए माइकल ऐंजिलो (Michelangelo) कम्प्यूटर वायरस 6 मार्च को डाटा को नस्ट करता है,
क्योकि उसे वैसा ही प्रोग्राम किया गया है। जब वह वायरस पाता है की आज 6 मार्च है, तो डिस्क सेंटर के दिए गए निर्देशों का पालन करता है। अगर हम किसी फाइल को दुगना या डबल करना चाहे तो कॉपी करेगें पर virus खुद ब खुद डबल हो जाता है।
हम जानते है की कोई भी चीज़ तब तक कार्य नहीं करेगा, जब तक हम उसे अनुमति नहीं दे देते। उसी तरह हम वायरस को भी कुछ करने की अनुमति देते है, तब जाकर वह कार्य करता है।
पर सवाल यह उठता है की हम अपने ही computer को नुक्सान पहुंचाने का आदेश वायरस को क्यों देंगे, परन्तु दोस्तों बात यह है की, वायरस प्रोग्रामर एसी तकनीक का प्रयोग किया रहता है, जिससे हम मुर्ख बन जाते है, और virus को कार्य करने के लिए खुद ही active कर देते है।
जैसे वह फाइल के रूप में है तो open करके, इत्यादि के द्धारा। फिर वह धीरे-धीरे पुरे सिस्टम में फ़ैल जाता है। कहने का तात्पर्य यह है की, वायरस खुद से कुछ कार्य नहीं करता उसे हम ही यूजर ही अनुमति देता है।
कम्प्यूटर वायरस कैसे फैलता है – How computer virus spreads
आइये जानते है की कम्प्यूटर वायरस फैलने के क्या कारण है –
- नेटवर्क सिस्टम से (Through Network system)- अगर नेटवर्क में कोई client संक्रमित है और वह दूसरे client के साथ शेयर्ड है तो वह नेटवर्क के माध्यम से दूसरे को भी संक्रमित कर देता है।
- पाइरेटेड सॉफ्टवेयर से (Using a pirated software)- गैर क़ानूनी ढंग से प्राप्त software को pirated कहते है इससे वायरस संक्रमण होता है।
- इंटरनेट से (through internet)- इंटरनेट ही वायरस संक्रमण का मुख्य कारण है, कम्प्यूटर वायरस निर्माता भी वायरस फ़ैलाने के लिए व्यापक रूप से internet का उपयोग करता है।
- डाटा ट्रांसफर से (through secondary storage device)- अगर किसी संक्रमित माध्यम से दूसरे जगल फाइल या डाटा ट्रांसफर किया जाए तब कंप्यूटर वायरस फैलता है।
कम्प्यूटर वायरस का नामकरण कैसे होता है – How computer virus is named
आप ने कम्प्यूटर वायरस के नामों को सुना होगा तो पाया होगा की, इनका नाम बड़े ही मजेदार होतें है, जैसे लूसिफर (Lucifer) डिस्क वासर (Disk washer) ईदी (Eddie) इत्यादि, तो चलिए इसी बारें में जानते है की कम्प्यूटर वायरस का नाम कैसे पड़ा।
ज्यादातर कम्प्यूटर वायरस का नाम जीन लोगों के द्धारा वायरस का पता लगाया जाता है उनके नाम पर रख दिया जाता है। इसके अलावा वायरस निरोधक प्रोग्रामर (Anti virus programmers) वायरस का नामकरण वायरस के कोड, वायरस के कार्य, वायरस के आकार, वायरस के अतरिक्त प्रभाव व जब वायरस लोड होता है उस समय दिया गया नाम के अनुसार देते है।
इन सब के बावजूद नहीं अगर वायरस का उपयुक्त नाम नहीं मिल पाता है तब anti virus द्धारा कोई भी नाम उसके उदेस्य को देखते हुए दे दिया जाता है। जैसे Disk washer का नाम उसके अन्दर के सन्देश “From disk washer with love” के आधार पर दिया गया था।
परन्तु कभी-कभी ऐसा भी होता है की दो वायरस निरोधक एक ही समय में किसी वायरस का पता लगाते है। ऐसे स्थिति में एक ही कम्प्यूटर वायरस अलग-अलग नाम दे दिया जाता है। जैसे V3000 कम्प्यूटर वायरस जो Mcafee scan द्धारा नामकरण किया गया था.
और Neshot के द्धारा भी पता लगाया गया था इसलिए गुमनाम के नाम से भी जाना जाता है। कई नामों जैसे समस्या को दूर करने के लिए कम्प्यूटर एंटीवायरस रिसर्च आर्गेनाइजेसन (Computer antivirus research organisation) इस प्रकार का मतभेद होने पर वायरस को एक मानक देते है जिससे वह पुरे विश्व में जाना जाता है। और जो पहले का नाम दिया गया होता है उसे उपनाम मान लेते है।
प्रसिद्ध कम्प्यूटर वायरस – Prominent computer viruses in hindi
आज के समय में हजारों प्रकार के कम्प्यूटर वायरस उपलब्ध है। इंटरनेट के आविष्कार से वायरस का भी तेज़ी से आविष्कार हो रहा है, आइये ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण वायरस के बारे में जानते है जो कम्प्यूटर को बहुत तेज़ी से संक्रमित कर रहें है –
1. माइकलएजिलो कम्प्यूटर वायरस – Michelangelo computer virus
यह सबसे अधिक कुख्यात कम्प्यूटर वायरस है इसका नाम एसा इसलिए पड़ा क्योंकि यह वायरस 6 मार्च जिस दिन माइकल एंजिलो का जन्म दीन है उस दिन डाटा को समाप्त करता है। कुछ वायरस निरोधक के द्धारा इसका नाम March 6 virus रखा गया है।
इस वायरस का पता 1991 के मध्य में लगाया गया था तथा इसके बाद anti virus इसे समाप्त कर सकते थे। इस वायरस के कुख्यात होने के पीछे यह भी कारण था की सभी एंटी वायरस शोधकर्ताओं ने 6 मार्च को कम्प्यूटर सिस्टम की सर्वनाश की भविष्य वाणी की थी,
जिसका डर लोगों के दिलों में 1990 के दशक में प्रत्येक 6 मार्च को रहता जो बहुत बाद में गया।
2. डिस्क वाशर कम्प्यूटर वायरस – Disk washer computer virus
इस वायरस का नाम इसके अन्दर के सन्देश “Diskwasher” के कारन पड़ा, यह बहुत ही घातक कम्प्यूटर वायरस था जिसका पता भारत को 1993 के आखरी महीने में लगाया गया।
यह तब तक इंतजार करता था जब तक डिस्क को कुछ संख्या तक एक्सेस न किया जाए तथा जब यह संख्या पूरी हो जाती थी तब यह हार्ड डिस्क को फॉर्मेट कर देता था और फार्मेट के दौरान “From diskwasher with love” सन्देश प्रदर्शित करता था।
यह वायरस इतना खतरनाक था की हार्ड डिस्क में उपस्थित सभी डाटा को समाप्त कर देता था। 1994 के बाद के anti virus सफ्टवेअर इसे समाप्त कर सकते थे।
3. सी ब्रेन कम्प्यूटर वायरस – C-Brain computer virus
इस कम्प्यूटर वायरस दो पाकिस्तानी भाइयों अमजद और बासित ने 1986 में विकशित किया था लेकिन यह पूरी तरह सत्यापित नहीं है, चुकी वायरस पर उन दोनों भाइयों का सही पता था इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जाता है।
इसका उदेश्य लोगों को अवैध ढंग से सॉफ्टवेयर खरीददारी के लिए प्रेरित करना था, यह दुनिया का सबसे पहला कम्प्यूटर वायरस (world’s first computer virus) था और बूट सेक्टर वायरस था।
4. मैकमैग कम्प्यूटर वायरस – Macmag computer virus
इसकी खासियत यह थी की वायरस जैसा लगता ही नहीं था, यह मॉनिटर पर शांति सन्देश देकर समाप्त हो जाता था। इसकी एक और खासियत यह थी की ये एप्पल मेकिंटॉस कम्प्यूटरों को ही संक्रमित करता था।
Richard brandow ने इस वायरस को बनाया था rechard मैकमैग पत्रिका के प्रकाशक थे तथा इस वायरस का नाम इस पत्रिका पर ही पड़ा।
5. जेरूसलेम कम्प्यूटर वायरस – jerusalem computer virus
इस कम्प्यूटर वायरस को पहली बार हेबरियु विश्वविद्यालय, जेरुसलेम में लगभग 1987 में पाया गया था। इसलिए इसका नाम जेरुसलेम पड़ा। इसकी एक खास बात यह थी की यह केवल शुक्रवार को ही सक्रीय होता था,
यह बहुत खतरनाक कम्प्यूटर वायरस था। यह वायरस शुक्रवार के दिन जिन-जिन फाइलों पर काम किया जाता था उन सभी फाइलों को डिलीट कर देता था। यह अधिकतर com तथा exe एक्सटेंसन वाली एग्जिकयूटेबल फाइलों को नस्ट करता था।
6. कोलम्बस कम्प्यूटर वायरस – Columbus computer virus
इसको दूसरे नामों जैसे 13 अक्टूबर और डाटा क्राइम के नाम से भी जाना जाता है, इसका नाम 13 अक्टूबर इसलिए पड़ा क्यकि इसी दिन इसका सभी कम्प्यूटरों में संक्रमण हुआ। यह भी एक्जिक्यूटेबल फाइलों को संक्रमित कर हार्ड डिस्क के डाटा को नस्ट करता था।
कम्प्यूटर वायरस के प्रकार – Types of computer virus in hindi
कम्प्यूटर वायरस को बहुत से वर्गों में विभाजित किया गया है। तो आइये जानते है की कम्प्यूटर वायरस कितने प्रकार के है –
1. फाइल कम्प्यूटर वायरस – File computer virus
इस प्रकार के वायरस एक्जीक्यूटेबल फाइलों के साथ शामिल हो जातें है। और EXE फाइल एक्जिक्यूट होतें है। तब वायरस भी एक्जीक्यूट होकर सिस्टम को हानि पहुंचाते है।
2. बुट सेक्टर कम्प्यूटर वायरस – Boot sector computer virus
इस प्रकार के कम्प्यूटर वायरस फ्लाफी तथा हार्ड डिस्क के बुट सेक्टर में स्टोर होतें है, जब कंप्यूटर को स्टार्ट करते हैं। तब यह ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने में बाधा डालतें है और यदि ऑपरेटिंग सिस्टम किसी तरह कार्य करने लगे तो कम्प्यूटर के दूसरे भागों को हानि पहुंचाता है।
3. गुप्त कम्प्यूटर वायरस – Stealth computer virus
गुप्त वायरस अपने नाम के अनुसार ही अपनी पहचान छुपता है जिसे कम्प्यूटर यूजर पहचान नहीं पाता।
4. पार्टिसन टेबल कम्प्यूटर वायरस – Partition table computer virus
इस प्रकार के कम्प्यूटर वायरस हार्ड डिस्क की पार्टीशन टेबल को नुकशान पहुंचाता है। इनसे डाटा को कोई खतरा नहीं होता। जब यह हार्ड डिस्क के मास्टर बुट रिकॉर्ड को प्रभावित करतें है तब ये Ram की क्षमता को कम कर देतें है।
5. मैक्रो कम्प्यूटर वायरस – Macro computer virus
यह वायरस कुछ विशेष प्रकार के फाइल जैसे डाक्यूमेंट, स्प्रेडशीट आदि को प्रभावित करतें है। यह मैक्रो प्रोग्राम के रूप में छिपे होतें है और प्रयोग किये जाने पर डाटा को हानि पहुचातें है।
कम्प्यूटर वायरस सम्बंधित सिद्धांत – computer virus Related concepts in hindi
देखा जाए तो कम्प्यूटर वायरस के अतरिक्त कुछ ऐसे भी वायरस से मिलते जुलते प्रोग्राम है, जो सिस्टम को नुक्सान पहुचाते है, हलाकि इनकी नुकशान पहुंचाने की तरीका थोड़ा अलग होता है, तो चलिए इस बारें में अच्छे से जानतें है –
ट्राजन (Trojans)- यह ऐसे प्रोग्राम है जो कुछ उपयोगी तथा जानकारी कार्य करने का दावा करते है व एग्जिक्यूट किये जाने पर सिस्टम को हानि पहुचातें है। ऐसे वायरस ज्यादातर किसी विशेष दिन ही अपना कार्य करतें है। और पुरे सिस्टम को फॉर्मेट कर देतें हैं।
यह अपने आप को दुगना करने की क्षमता नहीं रखते है, इसलिए इसे कम्प्यूटर वायरस नहीं कहा जाता है। परन्तु यह भयंकर हानि पहुंचाने की क्षमता रखते हैं।
और इसे वास्तविक वायरस की अपेक्षा लिखना भी आशान है उदाहरण के लिए – PKZ300 है जिसको कई यूजर ने PKZIP का नया वर्जन समझकर डाऊनलोड कर लिया।
बम (Bombs)- यह सामान्य प्रोग्राम में छिपा हुआ होता है। सॉफ्टवेयर में बम भी डालने के उदाहरण मिलते है ताकि चोरी की हुई सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाए तो बम उस कॉपी को हार्ड डिस्क से डिलीट कर दे।
एनसी बम या लैटर बम प्रदर्शन योग्य लेटर सामग्री होतें है। जिन्हे key में सेट किया जाता है उदाहरण के लिए एनसी बम को F3 key में सेट कर दिया जाता है, जब computer यूजर F3 के दबाता है तो सिस्टम का सारा डाटा समाप्त हो जाता है।
वाम (Worms)- यह वायरस के सामान ही है क्योंकि यह अपने आप को दुगना कर सकता है। लेकिन यह वायरस की तरह पूरी एग्जिक्यूट फाइल को फार्मेट नहीं करता यह अपने ही कोड को तेज़ी से दोहराकर हार्ड डिस्क को भरने का प्रयास करता है।
और यह नेटवर्क के माध्यम से दूसरे कम्प्यूटरों को भी संक्रमित करता है।
ईमेल होक्स (E-MAIL Hoaxes)- इस वायरस में मेल भेजकर यूजर को नए प्रकार की वायरस की सुचना देता है और इस जानकारी को अपने दोस्तों तक पहुंचाने को कहता है।
इस वायरस को भेजने वाला एसा दर्शाता है की यह बात सत्य हो इसके लिए कुछ प्रमाण भी बताता है। जिससे यूजर इसे सहीं मान लेता है।
कम्पैनियन (Companions)- यह भी एक हानिकारक प्रोग्राम है लेकिन इसका कार्य करने का तरीका थोड़ा दूसरा होता है। यह एग्जिक्यूटेबल फाइल को नुक्शान नहीं पहुंचाता बल्कि उसी नाम से अलग प्रकार की फाइल Com एक्सटेंसन के साथ बनाता है।
जब यूजर किसी एग्जिक्यूटेबल फाइल को एग्जीक्यूट करता है तो कम्पैनियन प्रोग्राम के कोड एग्जिक्यूट हो जातें है, जिससे हानि होती है।
कम्प्यूटर वायरस निरोधक प्रोग्राम – Computer anti virus program
आइये अब जानतें है की वायरसों के रोकथाम के क्या उपाय है। हम जानते ही है की जिस गति कम्प्यूटर वायरस सामने आया है उसी प्रकार अनेक anti virus सॉफ्टवेयर ने अपना एक उद्योग जगत स्थापित किया है।
एक सोंच यह भी की जो anti virus सॉफ्टवेयर के निर्माता है वहीँ नए-नए वायरस के जन्मदाता भी है। तो चलिए anti virus उपायों को जानते हैं
1. प्रीवेंटर
anti virus प्रोग्राम virus को कम्प्यूटर के अन्दर प्रवेश करने से रोकती है। ताकि कम्प्यूटर संक्रमित न हो। ये प्रिवेटर्स प्रोग्राम एग्जिक्यूट के दौरान विशिस्ट वायरस सिग्नेचर्स को स्कैन करके या वायरस जैसी व्यवहार वाले प्रोग्राम को ढूंढकर कार्य करतें है।
हलाकि प्रिवेंटर के बहुत से लाभ है परन्तु इसकी खामियां भी निकली जाती है की। प्रिवेंटर अपने उपयोग हेतु मेमोरी लेता है। और सिस्टम की स्पीड को कम कर देता है, चुकि यह प्रोग्राम एक्जीक्यूट के दौरान वायरस ढूंढता है। साथ ही नए वायरस को ढूंढने में उतने भी ज्यादा सक्षम नहीं होतें है।
2. चेक समर
चेक समर का प्रयोग एग्जिक्यूटेबल फाइल को सामग्री में बदलाव की सुचना देने के लिए करतें है। जब कोई वायरस कम्प्यूटर के अन्दर प्रवेश करता है तब वह आवश्यक रूप से एक्जिक्यूटेबल फाइलों में बदलाव लाता है।
इस स्थिति में चेक समर प्रत्येक एक्जिक्यूट फाइलों से जुडी हुई चेक सम अथवा सांयकालीन रिडनसी चेक से सम्बंधित सुचना को रखता है। व कोई भी बदलाव होने पर यूजर को सूचित करता है। चेक समर यूजर को केवल बदलाव के सम्बन्ध में सूचित कर सकता है।
परन्तु यह किसी भी प्रकार का वायरस संक्रमण से कम्प्यूटर की सुरक्षा नहीं कर सकता साथ ही गुप्त वायरस का भी पता नहीं लगा पाता।
3. स्कैनर
यह प्रोग्राम यूजर को बताता है की कम्प्यूटर संक्रमित है की नहीं, यह केवल संक्रमण की सुचना देता है, यह संक्रमण को समाप्त नहीं कर सकता।
4. रिमूवर
जब कोई कम्प्यूटर सिस्टम वायरस से ग्रषित हो जाता है तब इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ विशेष कम्प्यूटर प्रोग्राम होतें है जो पूरे सिस्टम में वायरस की जांच करतें है। व बाद में वायरस को समाप्त कर उसे ठीक करतें है।
इस प्रकार के प्रोग्राम को anti virus program कहते है। उदाहरण के लिए Norton anti virus प्रोग्राम।
5. नॉर्टन एंटीवायरस
इसके द्धारा अधिकतर कम्प्यूटर वायरसों को पकड़ा जाता है। यह इ मेल के द्धारा आये हुए वायरस को भी बहुत आसानी से पकड़ सकता है। नारटन एंटी वायरस का प्रमुख कार्य वायरस को पकड़कर उसे फ्लापी या हार्ड डिस्क से हटाना है।
यदि नारटन एंटी वायरस को पहले से ही इंसटाल कर लिया जाए तो यह फाइलों को साथ ही साथ जाचता रहता है। इसे Executing करने के लिए प्रोग्राम मेनू में स्थित Norton anti virus पर क्लिक करें फिर Norton program scheduler पर क्लिक करतें है।
फिर Scheduler विंडों प्रदर्शित होता है। जिसे प्रदर्शित Scan बटन पर क्लिक करने पर यह अपना काम सुरु कर देता है.
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अंतिम शब्द
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