नमक का अधिक सेवन से स्वास्थ्य को खतरा होता है. अत्यधिक मात्रा में नमक खाने से इसका क्लोरीन आमाशयिक रस हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन तथा स्त्राव को बढ़ा देता है, जिससे प्रारम्भ में हाइपर एसिडिटी, फिर अल्सर जैसे रोग पैदा होते है, इसलिए हमे नमक का सेवन कम से कम करना चाहिए
नमक से होने वाले नुकसान
नमक कैंसर व ट्यूमर को बढ़ाता है
नमक के प्रभाव से पाचन प्रणाली अति तीव्र गति से विछुब्ध हो भोजन के पाचन, अवशोसन को प्रभावित करती है जिससे शरीर के समस्त भाग के ऊतकों में कास्मेटिक दाब अस्त-व्यस्त होता है।
नमक ज्यादा अवचूषित होने पर शरीर में कैल्सियम के कार्य में बाधा उत्पन्न होता है। हड्डियों के निर्माण, हृदय के निर्माण, हृदय के सुव्यवस्थित कार्य सम्पादन आदि अनेक कार्यो में व्यवधान पड़ता है.
फलस्वरूप अस्थियां कमजोर होती है और शरीर अनेक बीमारियों का शिकार हो जाता है, एक ग्राम नमक 70 ग्राम जल को बांधकर रोक लेता है, ज्यादा दीनो तक ऊतकों में जल के रुकने से, गुर्दे, हृदय, रक्तवाहिनीया व यकृत छतिग्रस्त होने लगते है, नमक कैंसर ट्यूमर का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए कैंसर रोगियों को नमक बिलकुल बंद कर देनी चाहिए
उच्च रक्तचाप, गुर्दे व हृदय रोग में नमक के सेवन से करें परहेज
नमक सोडियम रक्तचाप बढ़ाता है, जिनके परिवार में उच्च रक्तचाप का परेशानी रहा है उन्हें मात्रा एक ग्राम नमक ही दिन भर में लेनी चाहिए। सरीर के आवश्यक कार्यो के लिए मात्रा सौ से 500 ग्राम नमक ही जरुरी है, और इतना नमक तो प्रतिदिन खायी जाने वाली साक सब्जियों अनाज एवं फलो में मिल जाता है,
नमक का सेवन बंद करते ही दो चार सप्ताह में 30 से 75 mm रक्तचाप कम हो जाता है, नमक के अधिक सेवन से किडनी स्टोन भी बनते है
नमक मोटापे का एक प्रमुख कारण है
नमक के अधिक सेवन से मोटापा बढ़ता है, भोजन में अधिक नमक से लार रस का एंजाइम सलाइवा प्रचुर मात्रा में निकलता है, फलतः भूख ज्यादा लगती है. नमक भूख और भोजन को बढ़ा देता है, साथ ही ऊतकों में नमक की मात्रा बढ़ने से पानी का जमाव ज्यादा हो जाता है,
फलस्वरूप मोटापा तथा गुर्दे का रोग स्थाई बन जाता है, यह भी देखा गया है की नमक बंद कर देने से गर्भवती महिलाओ में होने वाले रोग उच्च रक्तचाप, शरीर में सूजन एक्लेम्पसिया, टाक्सिमिया, रक्तहीनता आदि नहीं होते।
आयुर्वेद के अनुसार नमक के अवगुण
हमारे प्राचीन आयुर्विज्ञान शास्त्रों में नमक को अत्यधिक हानिकारक बताया गया है। चरक सहिता के अनुसार नमक के अत्यधिक उपयोग से पित्त कुपित होता है। प्यास, रक्तगति, और रक्तदाब बढ़ जाता है, मोह, मूर्छा, संताप पैदा होता है,
नमक मांस कुरेदता है, कुष्ठ बढ़ाता है, विष बढ़ाता है, और दातो को भी कमजोर करता है झुर्रिया, बालो का सफ़ेद होना, गंजापन, रक्तपित, अम्लपित्त, वात रक्त, इन्द्रलुप्त,और वृद्धावस्था आदि रोग पैदा करता है। नमक से वनस्पत्ति, जीव जगत तथा प्राणियों का तेज़ एवं स्वास्थ दोनों समाप्त होते है।
नमक सेवन के फायदे
नमक को एंटी डिप्रेशन दवा भी बताया गया है, यह मानव मूड को खुशहाल बनाता है। तनाव के पलो में लोग तनाव एवं अवसाद से बचने के लिए नमक का सेवन स्वाभाविक रूप से ज्यादा करने लगते है।
नमक का सेवन कब करना चाहिए
नमक का आंतरिक उपयोग घातक होते हुए भी कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका किंचित औषधीय उपयोग प्राणदान भी देता है। बच्चो तथा बड़ो में स्तम्भता, अत्यधिक निम्न रक्तचाप तथा डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की स्थिति में, नीबू रस चीनी, गुड़ या सहद का घोल पिलाने में प्राण रक्षा होती है
एक मुट्ठी नमक कढ़ाई में डालकर मंद आंच में बादामी रंग होने तक भुने, प्रति दस ग्राम नमक जल के साथ खाली पेट ले, प्यास लगने पर थोड़ा जल पिलाते रहे। भूख लगने पर 4 घंटे खाना न दे। बाद में हल्का भोजन दे।
मलेरिया की यह अचूक औषधि है, एक दो बार के ही प्रयोग से मलेरिया दूर हो जाता है – याद रखे उच्च रक्तचाप एवं गुर्दे के रोगी इसका प्रयोग ना करे.
नमक के अन्य फायदे व गुण
(1) पैरों में थकान, पिंडलियों में दर्द व सूजन और अनिद्रा की स्थिति में दस पंद्रह मिंनट तक नमक मिश्रित गर्म जल की बाल्टी में पैर रखे, दाद इत्यादि में नमक का घोल बनाकर साफ़ करे और पट्टी करे, इसमें लसिका स्त्राव व सफ़ेद कड़ो की वृद्धि होती है।
(2) गले का दर्द, दांत दर्द, खांसी होने पर गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करे। न्यूमोनिया, दमा, खासी, मोच, चोट, गठिया, सायटिका, संधिशोध, आमवात, गंडमाला में नमक की पोटली या नमक के गरम पानी में तौलिया भिगोकर तथा निचोड़कर सेक करने से अवरुद्ध ताजन्य वेदना दूर होती है। शीघ्र आराम मिलता है जुकाम, गठिया, इन्फ्लुएंजा, तथा सिर दर्द की स्तिथि में नमक का वास्प लेने से आराम होता है।
(3) गरम पानी में नमक डालकर स्नान करें, थकान व दर्द दूर होता है। शरीर व् चेहरे पर सफ़ेद दाग होने पर नमक का घोल लगाए और दो घुट पी ले। नमक तथा बेरी के पत्तो को पीसकर शहद के साथ चाटने से खासी, बलगम जुकाम, आदि ठंढ प्रवाहक रोग ठीक हो जाते है। नमक मिश्रित गर्म पानी में लहसुन का रस मिलाकर पिने से तीव्र उदर सुल ठीक होता है.
(4) नमक का घोल नाक में टपकने से बेहोशी दूर होती है। जलने पर तेल की परत लगाकर ऊपर के महीन नमक पाउडर की तह जमाये, फफोले नहीं उठेंगे हो जायेगे और जलन दूर होगी। विषाक्त कीड़े अम्ल या अन्य रसायन मुँह के अंदर जाने पर 50 ग्राम नमक पानी में घोलकर पिलाने से उल्टी के साथ विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते है और आराम मिलता है.
(5) मासपेशियो की कमजोरी, मोच, मरोड़ को दूर करने के लिए नमक युक्त ठंढे जल की धारा या पूर्ण टब स्नान दे, त्वचा एवं पैरो की सुंदरता बढ़ाने, बिवाइ से मुक्ति पाने के लिए उसे नमक के पानी में 5 – दस मिनट धोये दस ग्राम नमक, 20 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से माइग्रेन ठीक होता है.
इस तरह नमक कही पर जहर है तो कही औषधि, आवश्यकता है तो इसे सोच-समझ कर उपयोग करने की
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