कम्प्यूटर के प्रमुख अंगों की जानकारी | Computer की बेसिक जानकारी

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कम्प्यूटर के प्रमुख अंगों की जानकारी : एक कंप्यूटर User को Computer के विभिन्न भागों की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है तभी वह computer को सफलता पूर्वक संचालित कर पायेगा.

आज के इस लेख में हम computer से सम्बंधित कुछ basic चीजों को जानेगे जो कंप्यूटर के सामान्य जानकारी के दृस्टि से महत्वपूर्ण है और प्रत्येक कम्प्यूटर user के लिए आवश्यक भी –

कम्प्यूटर क्या है – What is Computer in hindi

कंप्यूटर स्वाचालित तथा निर्देशों के अनुसार कार्य करने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस है, जो डेटा संग्रह करता है तथा सॉफ्टवेर व प्रोग्राम के अनुसार, किसी जानकारी को डेटा प्रोसेस, संग्रहित और प्रदर्शित करता है.

कम्प्यूटर के विकास की दिशा में प्रथम प्रयास उन्नीसवीं सदी में चार्ल्स बैवेज ने किया था, इसलिए उन्हें कंप्यूटर का जनक या पितामह कहा जाता है.

कुछ कम्प्यूटर संबंधित फैक्ट्स नीचे दिए गए हैं –

  • भारत में निर्मित प्रथम कंप्यूटर का नांम – सिद्धार्थ है. 
  • विश्व में पहली बार पूरी तरह से इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर ENIAC बना.
  • पहली पीढ़ी का यह कंप्यूटर वेक्यूम ट्यूब पर आधारित था.
  • वर्तमान में कंप्यूटर द्विधारी पद्धति (बाइनरी सिस्टम) पर आधारित है.

आज का युग कम्प्यूटर का युग है. आज जीवन के हर छेत्र में कम्प्यूटर का बोलबाला है. यह वृहद् पैमाने पर गणना करने वाला मशीन है. अर्थात कंप्यूटर एसी युक्ति (device) है, जिससे विविध आकङो का संचयन किया जाता है.

वर्तमान स्वरुप का पहला कंप्यूटर “मार्क -1” था जो सन 1937 ईस्वी में बनाया गया था.

कम्प्यूटर की सुरुवात कब हुई?

कंप्यूटर (computer) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1613 में एक अंग्रेज लेखक रिचर्ड ब्रेथवेट की पुस्तक “द यंग मैन ग्लीनिंग्स” में पाया गया है.

कंप्यूटर के विभिन्न अंग (प्रमुख अंग) – Computer parts

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इनपुट युक्ति

इस युक्ति का उपयोग आकड़ो तथ्यों व निर्देशों को कंप्यूटर के अन्दर सम्प्रेषित करने के लिए किया जाता है, जैसे…… की-बोर्ड, आप्टिक कैरेक्टर रीडर, लाइटपेन, ट्रैकबॉल, आप्टिक मार्क रीडर, मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर, स्केनर जॉयस्टिक आदि.

आउटपुट युक्ति

कंप्यूटर द्वारा संसाधित परिणामो को इन युक्तियो के द्वारा प्रदर्शित या प्राप्त किया जाता है, जैसे – वीडियो डिस्प्ले यूनिट, प्रिंटर, प्लॉटर्स आदि.

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) कंप्यूटर का सबसे प्रमुख भाग है, जो निर्देशों का उपयोग कर सम्पूर्ण कंप्यूटर प्रणाली को संचालित करता है। यह कंप्यूटर का मस्तिष्क या हृदय कहलाता है.

इसे दो भागो में विभक्त किया गया हैं –

1. एएलयू (Arithmetic Logic Unit)

इसका उपयोग सभी प्रकार की अंकगडितीय क्रिया जैसे – जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग,  दो संख्याओं में छोटे बड़े का तुलना करना, बराबर हो तो बताना, आदि में किया जाता है।  

2. कंट्रोल यूनिट (Control unit)

यह निर्देश का सही उपयोग व उनको कंट्रोल करने का कार्य करता है। 

मेमोरी यूनिट (संग्रहण इकाई) Memory Unit

यह सामग्री, आकड़े तथा कार्यक्रम को संचित करने के लिए प्रयुक्त की जाती है सम्पूर्ण मेमोरी यूनिट दो भागों में बाटा गया है। 

प्राथमिक मेमोरी (Primary Unit)

यह कम्प्यूटर का स्मृति संग्राहक है जहाँ जानकारी को संचित किया जाता है – इसके 2 रूप है। 

1. रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM – Random Access Memory)

यह परिवर्तनशील (अस्थाई) मेमोरी बदलाव योग्य है यह कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कंप्यूटर में सम्प्रेषित सभी डाटा सीधे रेम में ही स्टोर होता है। 

2. ओनली मेमोरी (ROM – Read Only Memory)

यह एक स्थायी मेमोरी है जो कंप्यूटर के निर्माड के समय ही स्थापित की है इसके मौजूद  केवल पढ़ा जा सकता है।

द्वितीयक मेमोरी (Secondary memory)

यह सुचना को स्थायी रूप से संघ्रह करने के काम आता है, ये अनेक संग्रह पद्धति पर आधारित है जैसे – हार्ड डिस्क फ्लापी डिस्क, सीडी एवं डीवीडी रोम आदि। 

कम्प्यूटर का कार्य – कंप्यूटर के कार्य को चार वर्गों में बाट सकते हैं

  • आकड़ो का संकलन या निवेशन 
  • आकड़ो का संचयन 
  • आकड़ो का संसाधन 
  • आकड़ो का निर्गमन या पुनर्निर्गमन, 

आकड़े कोई भी रूप में हो सकते है, जैसे लिखित, मुद्रित, द्रव्य, दृस्य रेखांकित, यांत्रिक चेष्टा आदि के रूप में हो सकता है। 

कम्प्यूटर के प्रमुख भाग (अंग) – Major Parts of Computer

कम्प्यूटर के 2 प्रमुख प्रमुख भाग होते हैं –

  1. हार्डवेयर
  2. सॉफ्टवेयर

हार्डवेयर (Hardware) 

कंप्यूटर में संलग्न सभी चीज़ो को जिन्हे हम छू सकते है, देख सकते हैं. हार्डवेयर कहा जाता है, इसके अंतर्गत केंद्रीय संसाधन एकक, आंतरिक स्मृति, बाह्य स्मृति निवेश एवं निर्गम इकाई आदि आते हैं.

सॉफ्टवेर (Software)

सॉफ्टवेयर के अंतर्गत कंप्यूटर को संचालित करने वाले प्रोग्रामो (सॉफ्टवेयर) को लिया जाता है, जिसे हम देख सकते है, परन्तु छू नहीं सकते.

कंप्यूटर की भाषाएँ – Computer Languages

कंप्यूटर की भाषाओँ को 3 भागो में बाटा जा सकता है – 

  1. मसीनी कूट भाषा 
  2. असेम्बली कूट भाषा 
  3. उच्च स्तरीय भाषा 

1. मशीनी कूट भाषा (Machine Code Language)

इस भाषा में प्रत्येक आदेश के दो भाग होते है – आदेश कोड, स्थिति कोड, कंप्यूटर के आरंभिक दीनो में प्रोग्रामरो द्वारा कम्प्यूटर को आदेश देने के लिए शून्य तथा एक से विभिन क्रमो का ही उपयोग किया जाता था। यह भाषा समयग्राही थी, इसके कारण असेम्ब्ली एवं उच्चस्तरीय भाषा का प्रयोग किया जाने लगा.

2. असेम्ब्ली भाषा (Assembly Language)

इस भाषा में याद रखे जाने लायक कोड का प्रयोग किया गया, जिसे नेमोनिक कोड कहा गया जैसे –

  • ADDITION को ADD 
  • SUBSTRACTION को SUB 
  • JUMP को JMP आदि,

पर इन भाषा का प्रयोग निश्चित संरचना वाले कंप्यूटर तक ही सिमित था, अतः इन भाषाओ को निम्न स्तरीय भाषा कहा गया.

3. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

उच्च स्तरीय भाषा का विकास का श्रेय IBM कम्पनी को जाता है, FORTRAN नामक पहली उच्च स्तरीय भाषा का विकास इसी कम्पनी के प्रयास से हुआ.

इसके बाद सैकड़ो उच्च स्तरीय भाषा का विकास हुआ, ये भाषाये मनुष्य की बोल-चाल और लिखने में प्रयुक्त होने वाली भाषा के काफी करीब है.

उच्च स्तरीय भाषा निम्न है – 

  • फॉरट्रान (Fortran) : कंप्यूटर की इस भाषा की विकाश IBM के सौजन्य से, के डब्लू बेकस ने सन 1957 ईस्वी में किया था इस भाषा का उपयोग गणितीय भाषा को आसानी से और कम समय में हल करने के लिए किया गया। 
  • कोबोल (COBOL) : कोबोल वास्तव में कॉमन बिजनेस ओरिएंटल भाषा का संछिप्त रूप है। इस भाषा का विकास व्यावसायिक हितो के लिए सुरु किया गया, इस भाषा के संक्रिया के लिए लिखे गए वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते है, सभी पैराग्राफ मिलकर सेक्सन बनाते है, और सेक्सनो से मिलकर डिवीजन बनता है। 
  • बेसिक (Basic) : यह अंग्रेजी के सब्दो बिगनर्स ऑल पर्पस सिम्बॉलिक इंस्ट्रक्शन कोड का सिछिप्त रूपांतरण है। इस भाषा में प्रोग्राम में निहित आदेश के किसी निश्चित भाग को निष्पादित किया जा सकता है, जबकि इससे पहले भाषाओ से पुरे प्रोग्राम को कंप्यूटर में डालना होता था, और प्रोग्राम के ठीक होने पर आगे के कार्य निष्पादित होते थे। 
  • अल्गोल (Algol) : यह अंग्रेजी के अल्गोरिथम शब्द का संछिप्त रूप है, इसका निर्माण जटिल बीज गणित गणनाओ में प्रयोग हेतु बनाया गया था। 
  • पास्कल (Pascal) : यह एल्गोल का परिवर्धित रूप है, इसमें सभी चरो को परिभाषित किया गया है, जिसके कारण यह अल्गोल और बेसिक से भिन्न है। 
  • कोमाल (Komal) : इस भाषा का प्रयोग माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए किया जाता है। 
  • लोगो (logo) : इस भाषा का प्रयोग छोटी उम्र के बच्चो को ग्राफिक रेखानिकृत्यों की शिक्षा देने के लिए किया जाता है। 
  • प्रोलांग (Prolang) : यह अंग्रेजी शब्द प्रोग्रामिंग इन लॉजिक का सछिप्त रूप है, इस भाषा का विकाश उन्नीस सौ तिहत्तर में फ्रांस में हुआ था, इसका विकास कृतिम बुद्धि के कार्यो के लिए किया गया है, जो तार्किक प्रोग्राम में सक्षम है। 
  • फोर्थ (Fourth) : इस भाषा का आविष्कार चार्ल्स मुरे ने किया था, इसका उपयोग कंप्यूटर के सभी प्रकार के कार्यो में होता है इन सभी उच्च भाषाओ में एक समानता है की लगभग सभी में अंग्रेजी के वर्णो (A.B…Z) आदि एवं एंडो अरेबियन अंको (0.2.3.4…आदि) आदि का प्रयोग किया जाता है। 

कम्प्यूटर के विभिन्न अंग व भाग – Different Parts of Computer

  • सी पी यू (CPU) : सेन्ट्रल प्रोसेस यूनिट, कम्प्यूटर का मस्तिष्क है।  
  • रैम (RAM)- रैंडम एक्सेस मेमोरी का संछिप्त रूप है, सामान्य भाषा में कंप्यूटर की मेमोरी (याददास्त) कहा जा सकता है, इसकी गणना मेगाबाइट इकाई में होती है। 
  • रोम (ROM)- रीड ओनली मेमोरी, यह हार्डवेयर का वह भाग है जिसमे सभी सूचनाएं स्थाई रूप में इकठ्ठा रहती है, जो कप्यूटर को प्रोग्राम संचालित करने का निर्देश देता है। 
  • मदर बोर्ड (MOTHER BOARD)- यह सर्किट बोर्ड होता है जिसमे कंप्यूटर के प्रत्येक प्लग लगाए जाते है, सी पी यू रैम आदि यूनिट मदरबोर्ड से ही संयोजित होती है। 
  • हार्ड डिस्क (HARD DISK)- कंप्यूटर के लिए प्रोग्रामो को स्टोर करने का कार्य करता है। 
  • फ्लापी डिस्क ड्राइव (FLOPPY DISK DRIVE)- यह सूचनाओं को संरक्षित व एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर लेना देना आदि कार्य करता है। 
  • सीडी रोम (CD ROM)- कॉम्पैक्ट डिस्क छोटे से आकर में होते हुए भी, बहुत बड़ी मात्रा में चित्रों एवं आकड़ो को ध्वनियों के साथ संग्रह करने में सक्षम होता है। 
  • की बोर्ड (KEY BOARD)- कम्प्यूटर की लेखन प्रणाली के लिए, उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण की-बोर्ड कहलाता है सामान्यतः एक सौ एक की बोर्ड को अच्छा माना जाता है। 
  • माउस (MOUSE)- इसकी सहायता से स्क्रीन पर कंप्यूटर के विभिन्न प्रोग्रामो को संचालित किया जा सकता है, कर्सर को इधर-उधर खिसका कर। 
  • मॉनिटर (MONITOR)- इस पर कंप्यूटर पर निहित जानकारियों को देखा जा सकता है अच्छे रंगीन मॉनिटर में 256 रंग आते हैं मॉनीटर में डाट पिच का उपयोग होता है, डाट पिच में जितने कम नम्बर होते है, स्क्रीन पर उभरने वाली image उतनी ही साफ़ और गहराई के लिए होती है।
  • साउंड कार्ड (SOUND CARD)- यह जरूरी बात को सुनने के साथ-साथ मल्टीमीडिया के बढ़ते प्रयोग के लिए भी आवश्यक है। 
  • प्रिंटर (PRINTER)- इसकी मदद से कंप्यूटर पर अंकित आकड़ो को कागज पर मुद्रित किया जाता है, डाट मैट्रिक्स, इंक जेट, बबल जेट, लेजर जेट प्रमुख प्रिंटर है। 

कम्प्यूटर से सम्बन्धित जरुरी जानकारियां – Computer Related Information

  • कम्प्यूटर की अशुद्धियों को बग (bug) कहा जाता है। 
  • किसी कंप्यूटर या उसके हार्ड डिस्क या किसी चलते हुए कार्यक्रम (प्रोग्राम) का अचानक ख़राब हो जाना या समाप्त हो जाना क्रेश कहलाता है.
  • कम्प्यूटर पर परमाणु परीक्षणों को सबक्रिस्टलीय परीक्षण कहा जाता है। 
  • भारत में सर्वप्रथम नेशनल एयरोनॉटिक्स लेबोरेटरीज (बंगलुरु) ने फ्लोसावर नामक सुपर कंप्यूटर विकसित करने में सफलता पायी थी। 
  • पुणे के सी डेक के वैज्ञानिक ने 28 मार्च उन्नीस सौ अठानवे को प्रति सेकेंड एक खरब गड़ना करने की छमता से युक्त कंप्यूटर परम् दशहजार का निर्माण किया, इसके निर्माण का मुख्य श्रेय c-dac के कार्यकारी निदेशक डा. विजय पी. भास्कर को जाता है। 

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कम्प्यूटर संबंधित अन्य जानकारियां

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अंतिम शब्द 

आशा है की आपको हमारा यह लेख कम्प्यूटर क्या है, कंप्यूटर के प्रमुख भागों की पूरी जानकारी (Computer ke vividh ango par prakash daliye) Computer की Basic जानकारी हिन्दी में पसन्द आये,और आपके काम आये,

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