नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे उस भाव, आदर के बारे में उस शिष्टाचार के बारे में जिसे अंग्रेजी में “Thank You“ कहा जाता है और हिंदी में “धन्यवाद “.
“thank you” या “धन्यवाद” एक शिष्टाचार ही नहीं है बल्कि यह तो…. मन, प्राण, और जीवन को धन्य करता हुआ एक भाव है. गौर कीजिये तो पाइयेगा की धन्यवाद शब्द के शुरुआत में ही धन निहित है.
धन्यवाद का मतलब क्या होता है, धन्यवाद क्या है – What Does Thank You mean
धन्यवाद एक शब्द ही नहीं है. अपितु यह एक भाव है जब हम किसी व्यक्ति से बहुत अधिक प्रशन्न होते हैं. तो हमारे हृदय में उस व्यक्ति के लिए कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है. और उस व्यक्ति के प्रति हमारे अंदर की खुसी व प्रसन्नता का शब्द रूप धन्यवाद या thank you है.
आज के समय में हम छोटी-छोटी बातों पे या बात-बात पे धन्यवाद का उपयोग करते हैं. तो चलिए हम इस बात को समझते हैं की धन्यवाद/थैंक्यू बात-बात पर देना क्यों आवश्यक है?
हमारे जन्म के समय से ही घर परिवार, समाज, वातावरण हमारे पालन पोषण एवं विकास में अहम् भूमिका निभाते हैं. हम पूरी तरह से इन सब से जुड़े होते हैं इनके बिना हमारा विकास संभव नहीं है. हमे एक सभ्य प्राणी बनाने में इन्ही का योगदान होता है.
यही कारण है कि जीवन में जब भी जिसने भी छोटे या बड़े रूप में हमारे लिए कोई भी कार्य किया या प्यार भरे कुछ शब्द हमारे लिए कहे तो उनके लिए हृदय से अभिव्यक्ति दिखाते हुए धन्यवाद कारना जरुरी हो जाता है.
पर सबसे बड़ी परेशानी की बात यहाँ पर कुछ है तो वह ये है कि हम दूसरों के सामने या अजनबियों के सामने तो बढ़-चढ़ कर शिष्टाचार दिखाते हैं धन्यवाद देते हैं. परन्तु अपने घर-परिवार में शिष्टाचार को जैसे भूल ही जाते हैं.
याद रखिये जिस प्रकार स्कूल में अध्ययन के बाद गुरूजी को उनके अध्यापन के लिए धन्यवाद देते थें. उसी प्रकार घर के सदस्यों को भी उनके द्वारा किये गए कार्यों के लिए धन्यवाद देंगे तो उनके खिले हुए चेहरे आपको बार-बार उत्साह और प्रेरित करेंगें.
“धन्यवाद” का जीवन में महत्व – Importance of “Thank You” in Life
अल्बर्ट आइंस्टीन सदी के एक महान वैज्ञानिक थे, क्या आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के विषय में यह बात पता है कि दिनभर में वे सौ दफा धन्यवाद देते थे. जब भी आप किसी को धन्यवाद देते हैं तो उस पल आपके मन में दो प्रकार की क्रियाएं होती है.
पहली क्रिया यह की आप प्रसन्न होते हैं, और दूसरी प्रेम, आप हर उस चीज के लिए आभारी होते हैं जो ईश्वर ने आपको प्रदान की है परन्तु रोजमर्रा की जिंदगी में आपने उस पर ध्यान नहीं दिया।
धन्यवाद अभिवादन के सन्दर्भ में एक भिक्षुक की कहानी
एक नगर के सड़क पर एक दृष्टिहीन याचक (भिखारी) भिक्षा मांग रहा था. उस सड़क से आने जाने वाले लोग उसके कटोरी पर कुछ सिक्के डाल दिया करते थे. उस सड़क से एक चित्रकार गुजरा उसने भी याचक की कटोरी पर कुछ सिक्के डाले और एक कागज में कुछ लिखकर उस दृष्टिहीन याचक के पास छोड़कर चला गया. उस भिक्षुक की कटोरी सिक्कों से भर गयी यहाँ तक की सिक्के उसके कटोरी से गिरकर जमीन में भी बिखरने लगे.
शाम के समय चित्रकार वापस उस रास्ते से गुजरा और उस भिक्षुक के पास रुका, भिक्षुक ने उसे पहचान लिया और चित्रकार से पूछा की- ऐसा क्या किया आपने, जो आपके जाने के बाद मुझे इतना ज्यादा भिक्षा मिला.
चित्रकार ने कहाँ कि मैने यहाँ यह लिख कर छोड़ा था कि आज का दिन कितना सुन्दर है, पर मै इसे देख नहीं सकता हूँ.
जिसने भी इसे पढ़ा और उसके मन में ईश्वर के लिए धन्यवाद का भाव आया और इस खुसी में उसने आपको दान दिया.
दोस्तों इस प्रकार जिस सत्य को विज्ञान ने अब जाकर स्वीकार किया है भारतीय संस्कृति में यह बात हजारों साल पहले समझ ली गयी थी. तभी तो सनातन धर्म में पाश्चात्य सभ्यता के विपरीत नमस्कार या प्रणाम की सभ्यता है. परिणामस्वरूप गुरुजनो एवं आदरणीय को चरण स्पर्श कर अभिवादन किया जाता है.
नमस्कार में ही शामिल है, धन्यवाद
नमस्कार शब्द की उत्त्पति संस्कृत के “नमस” शब्द से हुई है. जिसका शाब्दिक अर्थ होता है एक आत्मा को दूसरी आत्मा के प्रति आभार प्रकट करना. सभी व्यक्ति में ईश्वर का अस्तित्व मान कर धन्यवाद करने के भाव को ही नमस्कार कहते हैं.
धन्यवाद में निहित है धन
धन्यवाद शब्द के शुरुआत में ही धन निहित है. जीवन में जो भी सकारात्मक (Positive) है वह धन है. जैसे फैक्टरिओं में मालिक के लिए मशीने व कर्मचारी धन हैं. बच्चों के लिए माता-पिता धन है। student के लिए विद्यालय और पुस्तक धन है.
जब हम अपने जीवन में इन सकारात्मक के लिए आभार भाव से भर जाते हैं तो धन्यवाद खुद ब खुद उत्पन्न हो जाती है.
धन्यवाद और हमारे जीवन का सम्बन्ध
हर सुबह व्यक्ति को दो तरह के रास्ते प्रदान करता है एक है कि सुबह का जोश के साथ स्वागत करें और दूसरा अपने सुबह को दुखी होकर सुरुवात करें. इसी कारण तो प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि मुनियों ने सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार का प्रावधान किया है.
जीवन की सभी शक्तियां सूर्य से संचालित है और उन्हें धन्यवाद देकर दिन की सुरुवात करना एक शुभ संस्कार है जो हमें धन्यवाद thank you भाव से भर देता है.
दोस्तों समय एक बार बीत जाने के बाद दुबारा वापस नहीं आता और विचार एक ऊर्जा के सामान है जैसा आप सोचते है जीवन में वही दिशा में कार्य करते है और वही प्राप्त होता है.
इसलिए अपने हर एक पल के लिए जागृत होकर एक्टिव मन से जियें क्योंकि संसार में कुछ भी अकेला नहीं है सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए आस-पास प्रेम बरसाइये और सभी को दिल से धन्यवाद “THANK YOU” कीजिये।
अंतिम शब्द
आशा है की आपको हमारा यह लेख Thank you “धन्यवाद” का जीवन में महत्व, धन्यवाद का मतलब क्या होता है (The importance of “Thank You” in life. What Does Thank you Mean in hindi) पसंद आये.
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आपने बहुत अच्छी जानकारी दी की क्यों हमे धन्यवाद का जायदा से जायदा इस्तेमाल करना चाइये। सबसे अच्छे मुझे वो लगा जो आपने अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में बताया है। ऐसे और अच्छे अच्छे आर्टिकल लिखते रहिये। धन्यवाद
धन्यवाद राहुल जी
Thanks to you for such nice article, Aapka Mangal Ho,🙏
comment ke liye thanks