जैसे-जैसे व्यक्ति का उम्र बढ़ता है, वैसे-वैसे ही उसका अनुभव भी बढ़ता जाता है, परन्तु उसके साथ ही अनेक समस्याएं भी बढ़ती है और इन्ही में से एक है स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या। जिसे हम अक्सर यह कहकर अनदेखा कर देते हैं की ” बढ़ती उम्र में ऐसा ही होता है ” परन्तु हम यह नहीं सोचते या प्लान नहीं करते की बढ़ती उम्र में किस प्रकार अपने स्वास्थ्य का खयाल रखा जा सकता है।
या किस तरह छोटे-मोटे बदलाव लाकर हम अपने आप को जीवन भर स्वस्थ और दुरुस्त रख सकते हैं। तो चलिए आज के लेख में हम इसी विषय पर जानकारी देंगें कि बढ़ती उम्र में कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल।
कुछ कड़वी मगर सत्य बातें बढ़ती उम्र में अपने स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें?
आप ही तय कीजिये की आप जीने के लिए खाते हैं या खाने के लिए जीते हैं। और यह सवाल कोई मजाक नहीं है, यह आपके जीवन भर स्वस्थ रहने का मुख्य मंत्र है हालांकि खाने के लिए जीना कोई गलत बात नहीं है पर एक उम्र के बाद इस विचार को बदला पड़ता है।
स्वाद तो जीवन के लिए जरुरी ही है, इसलिए खाने पिने का सौक रखें और स्वाद का आनंद लें मगर अपने शरीर के मशीन पर भी रहम करें। और बढ़ती उम्र में तो जीने के लिए खाना ही मुख्य मन्त्र होना चाहिए।
भोजन का हमारे स्वास्थ्य से सीधा-सीधा सम्बन्ध है। जैसे जैसे हमारा उम्र बढ़ता जाता है हमारा खान पान का तरीका बदलता जाता है। अलग-अलग उम्र में भोजन के मात्रा के साथ भोजन के तरीकों में भी बदलाव करना पड़ता है। ऐसे में यदि उम्र बढ़ रही है और आप खाना खाने में परेशानी महसूस कर रहें हैं।
तब आप यह करें की सबसे पहले परेशान होना बंद करें और अपने शरीर की जरुरत व पाचन प्रक्रिया को समझे क्योंकि आप हर उम्र के साथ अपनी तुलना तो नहीं कर सकते – ना। कि कल जो मेरा खुराक था वो आज भी रहेगा और आने वाला समय में भी ऐसा ही रहेगा, ऐसा तो कदापि नही होता है।
बढ़ती उम्र के साथ भोजन के लिए रूचि भी ख़त्म हो केवल यही एक समस्या नहीं है बल्कि उसके अलावा उम्र के बढ़ने पर भोजन के पोषक तत्वों को हमारा शरीर सही ढंग से अवशोषित नहीं कर पाता आसान शब्दों में कहे तो – आप जिस भोजन का सेवन करते हैं।
शरीर उस भोजन से सभी पोषक तत्व को प्राप्त नहीं कर पाता हालांकि हम अपने भोजन में सभी प्रकार के पोषक तत्व को शामिल करते हैं बावजूद इसके हमारा शरीर कुछ ही मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण कर पाता है। जिससे की शरीर में आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और स्वास्थ्य सम्बंधित खतरे बढ़ जाते हैं।
बढ़ती उम्र के साथ होने वाली समस्याओं पे एक नजर?
भोजन और पाचन ही बढ़ती उम्र की मुख्य समस्याओं में से एक है। तो चाहिए जानते हैं की किस तरह से हमारा खान-पान हमारे लिए पाचन सम्बंधित समस्या उत्पन्न कर सकता है।
- पेट में गैस बनना, कब्ज
- खाना पचने में दिक्कत, अपच
- पेट में दर्द होना
- अफरा
- मरोड़
- बवासीर
- अल्सर की समस्या
- खाना अरुचि
- पेचिस, पेट ख़राब इत्यादि
बढ़ती उम्र में बीमारियों के पीछे की मूल वजह?
ये बात तो है कि किसी भी बीमारी की समस्या को जानने व उसे समझने के लिए उसके जड़ तक पहुंचना बहुत ही जरुरी है। तो चाहिए यह समझते हैं कि बढ़ती उम्र में पेट सम्बंधित समस्याओं के पीछे क्या-क्या कारण है ?
मानसिक तनाव
यह तो आप जानते ही होंगे की सभी समस्याओं का मूल जड़ तनाव व चिंता ही है। हमें इस बात को अपने जहन में बिठा के रखना चाहिए की तनाव हमें केवल मानसिक रुप से ही नुकसान नहीं पहुँचता बल्कि यह हमें शारीरिक और भावात्मक रूप से भी भरपूर क्षति देता है।
हम कितना भी कोसिस करते रहते हैं परन्तु उम्र बढ़ने के साथ-साथ तनाव भी बढ़ती है और खत्म नहीं होती। यह बात हर तरीके से सिद्ध हो चूका है की तनाव विशेष रूप से स्वास्थ्य और पाचन पर असर डालता है।
कार्यक्षमता का कम होना
उम्र के बढ़ने के साथ ही शारीरिक क्षमता कमजोर होने लगती है और व्यक्ति सोचता है कि वह आराम करेगा कोई काम नहीं करेगा तो वह ठीक रहेगा। परन्तु ऐसा नहीं है। शरीर एक मशीन है और इस मशीन को बंद कर देना कोई उपाय नहीं है।
आपको हल्की फुल्की एक्टिविटी हमेसा करते ही रहना चाहिए तभी तो आप खाये गए भोजन को पचा पाओगे।
बढ़ते उम्र के साथ अपने अंदर बदलाव
परिवर्तन हर जगह लागु होता है और यह जरुरी भी है। अब आप कहेंगे कि पहले तो मै चार रोटी आराम से खा लेता था और आराम से पचा लेता था पर अभी एक ही रोटी में पेट गड़बड़ हो जाता है।
तो आपको यह समझना पड़ेगा की उम्र के साथ-साथ शरीर कमजोर पड़ता जाता है और इसमे पहले जैसी क्षमताएं नहीं रहती फिर भी आप शरीर पर जोर डालेंगे और जबरजस्ती का रोटी ठूसेंगे तो पाचन सम्बंधित परेशानियां आना तो तय है।
लीवर में बदलाव होना
लीवर हमारे शरीर में पित्त रस का निर्माण करता है यह पित्त रस फैट के पाचन के लिए बहुत ही आवश्यक है क्योकि फैट पानी के अन्य तरल पदार्थों के साथ घुलता नहीं है।
जब हम भोजन का सेवन करते हैं तब यही पित्त रस खाये गए भोजन को छोटे छोटे महीन टुकड़ों में तोड़ता है। जिससे पेट फैट को आसानी से अवशोषित कर लेता है और लीवर पर पड़ने वाले भोजन के अत्यधिक भार को भी दूर करता है। परन्तु जैसे-जैसे उम्र बढ़ता है लीवर में निर्मित होने वाले इस पित्त रस का निर्माण प्रभावित होता है जिस कारण पाचन सम्बंधित अनेक परेशानियां झेलनी पड़ती है।
बढ़ती उम्र में लीवर को स्वस्थ रखने के कुछ तरीकें
- सेव खाये क्योंकि इसमे पेकिटन नामक तत्व होता है जो लिवर को साफ रखता है।
- चुकंदर और गाजर खाना चाहिए क्योंकि इसमें फ्लेवोनाइट और बीटा कैरोटीन लीवर की कोशिकाओं की मरम्मत करता है।
- हरी सब्जियों का सेवन लीवर के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है।
- लहसुन का सेवन करें इसमें लीवर एंजाइम को सक्रिय करने की क्षमता होता है।
- सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद व निम्बू मिलाकर पीना चाहिए।
अब तक आपने बढ़ते उम्र के सांथ होने वाली परेशानियों के बारे में पढ़ा अब हम बढ़ती उम्र में कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल के बारे में व 10 बेहतरीन तरीके बढ़ते उम्र के साथ अपना ख्याल रखने के को पढ़ेंगे
खाना खाने का निश्चित समय सारणी रखें?
आपको चाहिए की आप खाना खाने का एक निश्चित time table तय करें। और जो भी समय आप निर्धारित करें रोजाना उसी समय पर खाना खाने का प्रयास करें क्योंकि समय बेसमय खाना पाचन के लिए सही नहीं है।
स्वाद के चक्कर में अधिक ना खाये?
खाना उतना ही खाये जितना की शरीर की आवश्यकता और मांग है स्वाद के चक्कर में खाना ठूस-ठूस कर ना खा लें हालांकि जीवन में स्वाद लेना भी जरुरी है और कभी कभार यह चलता भी है परन्तु स्वास्थ्य भी तो कही ज्यादा जरुरी है। सो संतुलित खाएं और अच्छा रहे।
पानी पीने में कमी ना करे?
पानी हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरुरी है हजारों बीमारी केवल सुबह खाली पेट 2 गिलास पानी पीने से ठीक हो जाता है। शरीर में नमी बनाये रखने के लिए पानी पीना बहुत ही आवश्यक है साथ ही ऐसे रसदार फल का सेवन करें जिससे नमी व पानी प्राप्त हो।
लगातर कार्य करते रहें, एक्टिव रहें?
अब ऐसा नहीं है की केवल काम ही करें आराम भी करना बहुत जरुरी है परन्तु केवल आराम ही ना करें कहने का तात्पर्य है कि जितना संभव हो सके अपने आप को एक्टिव रखें।
कम से कम सुबह-शाम टहलने जाएँ व योगा करें जिससे आपकी शरीर स्फूर्ति से भरा रहेगा व आपका पाचन तंत्र भी अच्छा रहेगा।
अपने आप को फिट रखें, अपना वजन ना बढ़ने दें?
बढ़ा हुआ वजन, मोटापा बहुत से बिमारियों का जड़ है। मोटापा के कितने नुकसान है इन्हे गिनाना मुश्किल है इसलिए इन नुकसान से बचने के लिए अपने आप को फिट रखें और अपना वजन बढ़ने ना दें।
गरिष्ट भोजन को अपने खाने में शामिल नहीं करें?
गरिष्ट भोजन से हमेसा बचना चाहिए एक तो यह आसानी से पचता नहीं दूसरा आपका पाचन सिस्टम उम्र के साथ वैसे भी कमजोर होता जाता है अगर ऐसे में आप गरिष्ट भोजन को अपने मेन्यू में रखेंगे तो आपके शरीर के लिए यह नुकसान दायक होगा।
समय-समय आप अपनी जांच, चेकअप कराते रहें?
समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच कराना अति आवश्यक है। ऐसा ना सोचे की बीमार होऊंगा तभी डॉक्टर के पास जाऊंगा अगर आपका दवाई पहले से चल रहा हो तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य सलाह लें। और डॉक्टर द्वारा बताये गए नियमों का पालन करें।
प्रोबायोटिक को अपने भोजन में शामिल करें?
प्रोबायोटिक का सेवन अवश्य करें इसे दही या ड्रिंक्स से प्राप्त करें व इसके अलावा खमीरीकरण कर बनाई जाने वाली इटली भी प्रोबायोटिक का उदाहरण है। प्रोबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आपकी पाचन में सहायक होते हैं।
भोजन अच्छे से चबा के खाएं और अपने दातों का ख्याल रखें?
भोजन के पाचन की सबसे पहला चरण खाने को अच्छे से चबाना है अगर खाना अच्छे से चबाया गया हो तब पाचन तंत्र को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इसलिए अपने दांतो का ख्याल रखे। दांत और मुँह ठीक है तो आपका पेट और पाचन भी ठीक रहेगा।
पत्तेदार सब्जी-भाजियों और फल को अपने भोजन में शामिल करें?
फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना आवश्यक है इससे बहुत अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स की प्राप्ति होती है। सांथ ही फलों और सब्जियों का सेवन करने से फाइवर प्राप्त होता है जो पेट को साफ करने में मदद करता है।
और याद रखें की जूस से कही बेहतर फल का सेवन करना होता है सो हो फल को ही प्राथमिकता दें। दोस्तों इन बातों को अपने लाइफ में उतार कर एक स्वस्थ और तरोताजा जीवन जी सकते हैं।
पाचन तंत्र के विषय में आयुर्वेद का मत?
आयुर्वेद में अग्नि का सम्बन्ध भोजन के पाचन और मेटाबोल्जिम से होता है। प्रत्येक प्राणी के लिए भोजन बहुत आवश्यक है ऐसा इसलिए क्योंकि भोजन से ही हमें बहुत से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। अगर हमारा शरीर किसी वजह से भोजन का पाचन नहीं कर पाता है तो कहीं ना कहीं इसका कारण अग्नियां ही होती है।
हमारे शरीर में बहुत से अग्नियां कार्य करती है इन अग्नियों में विभिन्न प्रकार की जठराग्नि अन्न के पाचन में मुख्य भूमिका निभाती है और अन्य अग्नियां एक दूसरे की मदद करती है। जठराग्नि भोजन को अवशोषण अवस्था तक ले जाती है। इसके बाद भूताग्नि कार्य कार्य करती है ये पांच तरह की होती है और ये अवशोषित भोजन को टिशू के स्तर पर लेकर जाती है।
अंतिम शब्द
आशा है की आपको हमारा यह लेख 10 बेहतरीन तरीके बढ़ते उम्र के साथ अपना ख्याल रखने के, बढ़ती उम्र में कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल पसंद आये,
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बहुत बहुत सुक्रिया आपका मैडम
बढ़िया लेख