Chhattisgarh history in Hindi – छतीसगढ़ का इतिहास (संक्षेप में)
छत्तीसगढ़ का इतिहास क्या है – What is the history of chhattisgarh
इस आर्टिकल में छत्तीसगढ़ के इतिहास (Chhattisgarh history) के बारे में जानने वाले हैं. भारत के सभी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ का भी एक अलग इतिहास रहा हैं. छत्तीसगढ़ एक अलग राज्य 1नवंबर 2000 को बना था. नया राज्य बनने से पहले छतीसगढ़ मध्य प्रदेश का भाग हुआ करता था.
छत्तीसगढ़ के इतिहास से संबंधित इस आर्टिकल में हम छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास की बात करेंगे. तो चलिए शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास से.
छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास – Ancient History of Chhattisgarh hindi
छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास 1000 – 1500 ईस्वी से मिलता है. इसका उल्लेख हमारे पौराणिक महाग्रंथ रामायण और महाभारत में भी मिलता हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां पर एक ऋषि जिनका नाम श्रृंगी ऋषि था.
उन्होंने अयोध्या के नरेश दशरथ को पुत्र प्राप्ति के लिए वर दिया था. जिसके बाद भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कौशल मिलता है.
पुराने समय में कौशल राज्य को दो भागों में विभक्त किया था – उतर कौशल और दक्षिण कौशल. दक्षिण कौशल प्रदेश को ही वर्तमान में छत्तीसगढ़ कहा जाता है.
इस क्षेत्र की प्रमुख नदी महानदी है जिसका उल्लेख मत्स्य पुराण, महाभारत इत्यादि में मिलता है. महानदी को उस काल में चित्रोत्पला के नाम से पहचाना जाता था. सन 639 ईसवी में चीनी यात्री हेन्सांग ने यहाँ का दौरा किया था. उसके अनुसार उस वक्त दक्षिण कौशल की राजधानी श्रीपुर थी.
प्राचीन काल में दक्षिण कौशल(छत्तीसगढ़) पर शासन करने वाले प्रमुख वंशो के नाम निम्नलिखित हैं.
- मौर्य वंश
- सातवाहन वंश
- वाकाटक वंश
- गुप्त वंश
- राजर्षि तुल्य वंश
- सोम वंश
- नल वंश
- कलचुरी वंश
छत्तीसगढ़ का नामकरण – Naming of chhattisgarh
किसी समय छत्तीसगढ़ में 36 किले थे. इस कारण इसका नाम छत्तीसगढ़ रख दिया गया.
कालांतर में किलो की संख्या बढ़ती गई. फिर भी इसका नाम छत्तीसगढ़ ही रखा गया. यह भारत के मध्य में स्थित राज्य हैं.
यहां का कुल क्षेत्रफल 135192 वर्ग किलोमीटर है. तीन करोड़ जनसंख्या वाला यह राज्य जनसंख्या की दृष्टि से भारत का 17 वां सबसे बड़ा राज्य है.
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ पहाड़ी पर स्थित सीताबेंग गुफा चित्रों को प्राचीन गुफा के चित्रों में से एक माना जाता हैं. सीताबेंग गुफा के भित्ति चित्र मौर्य काल से संबंधित हैं.
मल्हार में शुंगकालीन एक प्राचीन विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई हैं.
11वीं सदी के दौरान छत्तीसगढ़ के बस्तर प्रदेश पर चोल वंश के शासक राजेंद्र चोल प्रथम और कुलोत्तुंग चोल प्रथम ने आक्रमण किया था.
मध्यकालीन छत्तीसगढ़ का इतिहास – History of Medieval Chhattisgarh
मध्यकाल में छत्तीसगढ़ पर मराठा शासकों का आधिपत्य रहा. यहां 1741 यहां 1741 ईसवी तक नागपुर के भोंसले शासकों का शासन रहा था. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत की बढ़ती ताकत ने यहां अपना कब्जा जमा लिया.
1845 से 1947 तक यह क्षेत्र पूर्ण अंग्रेजों के अधीन रहा. 1845 में जब अंग्रेजों ने यहाँ पर दस्तख दी, तब रायपुर को एक राजधानी का दर्जा मिला.
इसके अलावा 1905 में संबलपुर जिले को उड़ीसा में मिला दिया गया तथा बंगाल के सरगुजा छत्तीसगढ़ में मिलाया गया. मध्यकाल में छत्तीसगढ़ में 17 रजवाड़ी और करीब 30 जमींनदारियां थी.
कलचुरी वंश यहाँ पर सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाला वंश था. उसने 845 ईसवी से 1741 इसी तक शासन किया था.
1795 ई. में छत्तीसगढ़ को आधिकारिक रूप से छत्तीसगढ़ नाम दिया गया.
छत्तीसगढ़ शब्द का पहली बार उपयोग खेरागढ़ के शासक लक्ष्मी निधि द्वारा 1497 में अपने लेख में किया था. इसके अलावा और रतनपुर के राजा राज सिंह देव के आश्रयी गोपाल मिश्र ने अपनी एक रचना(खूब तमाशा) में छत्तीसगढ़ का उल्लेख किया.
आधुनिक छत्तीसगढ़ – Modern Chhattisgarh
आधुनिक छत्तीसगढ़ का निर्माण मध्य प्रदेश से अलग होकर 1 नवंबर 2000 को हुआ था. इससे पहले यह मध्य प्रदेश का एक जिला था.
समय-समय पर कई बार छत्तीसगढ़ को अलग करने की मांग उठाई गई. पहली बार सन 1920 में इसे अलग करने की मांग उठाई गई थी. सन 1924 में रायपुर कांग्रेस सदस्यों ने इसे अलग करने की मांग उठाई. सन 1954 में जब राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया तब स्वतंत्र छत्तीसगढ़ की मांग रखी गई, लेकिन इसे भी ठुकरा दिया गया.
1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा में छत्तीसगढ़ को अलग करने का प्रस्ताव सर्व सम्मित से पारित हुआ.
25 जुलाई 2000 को उस समय के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने लोकसभा में छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक 2000 पारित किया. 25 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति द्वारा नवीनतम बिल को सहमति दी गई.
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के गठन की तारीख निर्धारित की गई. 1 नवंबर 2000 को एक नया राज्य छत्तीसगढ़ बना. छत्तीसगढ़ भारत का 23 राज्य हैं, और इसकी राजधानी रायपुर हैं.
छत्तीसगढ़ की स्थापना किसने की – Who founded Chhattisgarh
सी. डब्ल्यू के अनुसार 10 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर राजपूत शासकों का शासन था. ये राजपूत शासक स्वयं को हैयय के वंशज मानते थे.
हैयय वंश यहाँ का सबसे प्राचीन वंश माना जाता हैं. 10 वीं शताब्दी के दौरान यहां के राजा रतन सिंह ने रतनपुर नमक शहर बसाया. रतनपुर को ही आज वर्तमान में छतीसगढ़ के नाम से जाना जाता हैं.
हैयय वंश ने यहाँ पर 6 शताब्दी तक शासन किया. 14 वीं शताब्दी तक आते आते यह वंशज कई भागों में टूट गया. 16 वीं शताब्दी के अंत तक यहाँ पर मुगलों का आधिपत्य रहा.
मध्यकाल में यहाँ पर चालुक्य वंश का उद्भव हुआ.
राजा अनमदेव ने बस्तर में चालुक्य वंश की स्थपाना की.
1741 में मराठों ने छत्तीसगढ़ पर आक्रमण किया और हैयय वंश को हरा दिया. रघुनाथ सिंह हैयय वंश का अंतिम शासक था. 1758 तक आते-आते मराठों ने छत्तीसगढ़ पर पूर्ण रूप से अधिकार कर लिया था. मराठा साम्राज्य के बिम्बाजी भोंसले यहां के प्रथम मराठा शासक बने थे. मराठों ने यहाँ स्थानीय प्रजा पर अमानवीय अत्याचार किये. मराठों ने आम जनता से अत्यधिक लगान वसूला और उनको खूब लूटा.
1818 तक आते-आते छत्तीसगढ़ पर ब्रिटिश हुकूमत चलने लगी. अंग्रेजों ने छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजस्व क्षेत्रों में हस्तक्षेप किया और उसे बदल दिया. इस कारण छत्तीसगढ़ की जनता में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गुस्सा भरा था. 1857 की क्रांति के समय छत्तीसगढ़ में भी क्रांति की ज्वाला भड़की थी.
सोनखान के जमींदार वीर नारायण ने ब्रिटिशों के खिलाफ युद्ध लड़ा था. वीरनारायण को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी. वीरनारायण छत्तीसगढ़ के पहले शहीद व्यक्ति थे.
छत्तीसगढ़ के बारें में आपने क्या सीखा
इस आर्टिकल में हमने बहुत संक्षेप में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के इतिहास (Chhattisgarh history in Hindi) को समेटा हैं. हमने आपको प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारें महत्वपूर्ण जानकारी दी हैं. छत्तीसगढ़ की हिस्ट्री को लेकर आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं – धन्यवाद,
लेखक – https://pasandhai.in/
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