लघु प्रेरक प्रसंग in Hindi : जीवन के उतार-चढ़ाव में अनेकों बार ऐसा महसूस होता है कि हम सब जानते हुए भी जीवन के महत्व को समझ नहीं पा रहे हैं यह सरल सा जीवन हमें अत्यधिक कठिन दिखाई पड़ता है इन्हीं पलों के लिए ऐसे छोटे-छोटे कहानियां एवं प्रेरक प्रसंग हमारे जीवन का मार्गदर्शक साबित होते हैं आज के इस आर्टिकल लघु प्रेरक प्रसंग इन हिंदी मैं हमने जीवन को सरल बनाने वाले कुछ छोटे मगर बेहतरीन प्रेरक प्रसंग के समूह को इकट्ठा किया है जिन्हें आप नीचे पढ़ सकते हैं.
विश्वास और भरोसा (लघु प्रेरक प्रसंग in Hindi)
एक बार दो बहुमंजिला इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बांस पकडे एक नट चल रहा था, उस नट ने अपने कंधे पर अपने बेटे को बैठा रखा था, इस नज़ारे को सैकड़ों लोग अपना दम साधे देख रहे थे. अपने क़दमों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हुए, तेज हवा से जूझते हुए अपने और अपने बेटे के जिंदगी दाव पर लगाकर उस कलाकार ने दुरी पूरी कर ली.
भीड़ में उपस्थित सभी लोग ख़ुशी से उछल पड़े, तालियां और सीटियां बजने लगी लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, सेल्फी ले रहे थे हाँथ मिला रहे थे.
इस बीच वह कलाकार माइक पर आया और बोलने लगा – क्या आपको विश्वास है की मै यह दोबारा भी कर सकता हूँ.
भीड़ में लोग चिल्लाने लगे – हाँ…. हाँ…. तुम कर सकते हो.
उसने पूछा – क्या आपको विश्वास है.
भीड़ चिल्लाई – हाँ, हमें पूरा विश्वास है की तुम कर सकते हो, हम तो यह शर्त भी लगा सकते हैं की तुम इसे दोबारा सफलता पूर्वक कर सकते हो.
कलाकार बोला – पूरा, पूरा विश्वास है ना.
भीड़ बोली – हाँ ||
कलाकार बोला – ठीक है कोई मुझे अपना बच्चा दे दे मै उसे अपने कंधे पर बैठाकर रस्सी पर चलूँगा
(चारों तरफ खामोसी, चुप्पी फैल गयी….)
कलाकार बोला डर गए, अभी तो आपको विश्वास था की मै कर सकता हूँ.
(असल में आपका यह विश्वास Believe है. मुझपे भरोसा Trust नहीं है.
वास्तव में मनुष्य को अपने गुरु, अपने काम, अपने ईश्वर पर विश्वास (BELIEVE) तो है परन्तु भरोसा (TRUST) नहीं है.
जीवन में कष्ट तो आना ही है (प्रेरक प्रसंग हिंदी)
एक व्यक्ति बगीचे में गया वहां तेज हवा चल रही थी इन हवा के झोंकों से छोटे-छटे पौधे हील रहे थे.
व्यक्ति ने माली से कहा – इन हवा के झोंकों से यह पौधे गिर जाएंगे इन्हें रस्सी से बांध क्यों नहीं देते?
माली बोला – बाबूजी इन्हें बांधना अच्छा नहीं है. पौधों को रस्सी से बांधने से इनकी जड़ें कमजोर होती हैं जिससे यह पौधे बड़े होकर जल्दी ही गिर जाएंगे पौधों में इतनी ताकत होनी चाहिए कि वह छोटी मोटी बाधाओं से स्वयं लड़ सके जिससे उनकी जड़ें मजबूत हो सके.
ठीक यही नियम जीवन पर भी लागू होता है – कठिनाइयों को झेलना प्राकृतिक की सभी बातों को झेलना सर्दी गर्मी ताप इत्यादि को जलते हुए एकदम मजबूत होना
परंतु आज के आदमी की सोच इसके जस्ट उल्टा है – वह कुछ सहना ही नहीं चाहता, कष्ट उठाना ही नहीं चाहता एक छोटे से बच्चे को हम कपड़ों से इस कदर बांध देते हैं कि जैसे उस पर कोई आंच ना आ पाए, धीरे-धीरे उसकी शहर शक्ति समाप्त हो जाती है फिर वह जीवन के कष्टों से उबर नहीं पाता वह कष्टों के अधीन हो जाता है.
जीवन में यदि मजबूत होना है तो निश्चय ही प्रकृति के साथ जीवन का सामंजस्य होना चाहिए प्रकृति में होने वाले सभी बदलाव को सहने की क्षमता शरीर में विकसित होनी चाहिए यही तो जीवन का मूल मन्त्र है.
‘रास्ते की तलाश’ लघु प्रेरक प्रसंग इन हिंदी
एक राजा अपने राज-काज के कार्यों से मुक्ति चाहते थे अतः उन्होंने राजसिंहासन अपने उत्तराधिकारियों को सौपा और और राजमहल छोड़ कर चल पड़े.
उन्होंने विद्वानों के साथ सत्संग किया, तपस्या की पर फिर भी इनके मन में अतृप्ति बनी रही, मन में खिन्नता का भाव लिए वे तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े, एक दिन चलते-चलते वे काफी थक गए और भूख के कारण निढाल होने लगे.
राजा पगडण्डी से उतरकर एक खेत में रुके और एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे, खेत में आये राहगीर को देखकर एक किसान उसके पास जा पंहुचा, किसान उस राहगीर के चेहरे को देखकर समझ गया की यह राहगीर थका होने के साथ-साथ भूखा भी है.
किसान ने हांड़ी में उबालने के लिए चावल डाले, फिर राजा से कहा – ‘उठो चावल पकाओं जब चावल पक जाये तब मुझे आवाज दे देना हम दोनों इससे पेट भर लेंगें.
राजा मन्त्र मुग्ध होकर किसान की बात सुनने लगा, किसान के जाने के पश्चात उन्होंने खाना पकाना शुरू कर दिया, जब चावल पक गया तब उन्होंने किसान को बुलाया और दोनों भरपेट चावल खाये.
फिर किसान अपने कार्य के लिए चला गया और राजा को पेड़ की ठंडी छांव में नींद आ गयी, सपने में राजा ने देखा की एक दिव्य पुरुष उनके सामने खड़ा है और कह रहा है – “मै कर्म हूँ और मेरा आश्रय पाए बगैर किसी को शांति नहीं मिलती, तुम्हे सब कुछ बिना कर्म किये ही प्राप्त हो गया, तुम पहले से बनी बुनाई प्रणाली का संचालन कर रहे हो इसलिए तुम्हारे जीवन में बेचैनी है, विरक्ति है. तुम कर्म करो, कर्म करने का एक अलग ही सुख है. इससे तुम्हारे भीतर जीवन के प्रति लगाव पैदा होगा
पूर्वजों द्वारा मिली संपत्ति में वह आनंद नहीं है जो अपने कर्मों से प्राप्त वस्तुओं में है.
जागते हुए को कौन जगाये (छोटा प्रेरक प्रसंग in Hindi)
एक व्यक्ति को लगा की वह मर चूका है. वह जिन्दा था परन्तु उसके मन में यह पागलपन सवार हो चूका था की वह मर चूका है. जब उस व्यक्ति को रास्ते में उसका कोई दोस्त मिलता तब वह पूछ बैठता, मित्र तुम्हे पता चला? दोस्त पूछता – किस बात का?
तो वह व्यक्ति कहता की – ‘मै मर चूका हूँ. शुरू-शुरू में तो दोस्तों ने इसे मजाक माना फिर लगा की मामला गंभीर है. परिवार के लोग उसे मनोवैज्ञानिक के पास ले गए.
मनोवैज्ञानिक ने उससे पूछा – अगर हम किसी मृत व्यक्ति को चीरा लगाए तो उससे खून निकलेगा या नहीं?
व्यक्ति ने कहा – डॉ. साहब, कभी मुर्दे से भी खून निकलता है भला, खून तो जिन्दा आदमी को चीरा लगाने पर निकलता है.
मनोवैज्ञानिक इस तरकीब पर बड़ा खुश हुआ, उसे लगा की अब इस समस्या का समाधान निश्चित रूप से हो जायेगा, मनोवैज्ञानिक ने उस व्यक्ति को पकड़ा और दर्पण के सामने ले जाकर उसके हाँथ में चीरा लगा दिया, जिससे उस व्यक्ति के हाँथ से खून के फब्बारे निकलने लगे.
मनोवैज्ञानिक ने पूछा – अब बताओ तुम मरे हो या जिन्दा.
व्यक्ति बोला – डॉक्टर साहब, ग़लतफ़हमी थी मुझे, अभी तक तो मै यही मानता था की मुर्दे में खून नहीं होता, पर आज मालूम पड़ा की मुर्दे में भी खून होता है.
जिसने तय कर लिया की 4 और 5 का योग दस होता है उसे समझाना कठिन है. सोये हुए व्यक्ति को जगाना आसान है. परन्तु जो व्यक्ति सोने का नाटक, बहाना कर रहा है उसे जगाना मुश्किल है.
जीवन का सत्य (Small Prerak Prasang in Hindi)
सिकंदर महान कह रहा है की मरने के बाद मेरे दोनों हाँथ कफ़न के बहार रखे जाये, वसीयत लिखने वाले को यह बात अजीब सी लगी, उसने पूछा – क्षमा करें महान सम्राट, आपकी यह बात मेरी समझ में नहीं आयी आपकी इस इक्षा का कारण क्या है. आपके मन में यह इक्षा कैसे आयी इससे आप क्या सिद्ध करना चाहते हैं?
सिकंदर ने जवाब में कहा – मेरा एक सपना था की मै विश्वविजेता बनूं और दुनिया की सारी दौलत मेरे क़दमों पर हो, मैने बेसुमार दौलत अर्जित भी करी…. परन्तु अर्जित की हुई संपत्ति में से एक कण मात्र भी मै नहीं ले जा पाउँगा, सब कुछ यहीं का यही रह जायेगा, मै दुनिया को यही बताना चाहता हूँ की विश्व विजय और अथाह धन सम्पदा होने के बावजूद सिकंदर इस दुनिया से गया तब उसके दोनों हाँथ खाली थे.
ऐसे बहुत ही कम लोग है जिन्हे यह बात समझ में आती है. अन्यथा आज अधिकतर लोग अपनी धन सम्पदा के मोह में आखिरी दम तक चिपके रहते हैं. आसक्ति से परे होने का तात्पर्य है काम लिया और छोड़ दिया जाये। …. परन्तु कुछ लोगों को संग्रह करने का इतना शौंक होता है की वे अपने घर को कबाड़खाना बना लेते हैं. वे केवल लेना और पकड़ना जानते हैं छोड़ना नहीं.
केवल धन अर्जित करना ही हमारा जीवन नहीं है हम किस लिए जीवित हैं और हमे क्या करना चाहिए यह जानना अति आवश्यक है.
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आखिर में
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