आज के समय में घुटने और जोड़ों का दर्द बहुत ही आम बात है, थोड़ा सा भी कुछ कार्य करने लगो तो दर्द सुरु हो जाता है, आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे की किस प्रकार अपने खान-पान में परिवर्तन और व्याम तथा आयुर्वेदिक तरीको का पालन कर हड्डियों के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
जोड़ों का दर्द हमें हमारी उम्र बता कर देता है, की हम अब कई कार्य को कर पाने में असमर्थ हो चुके है। जोड़ो का दर्द मुख्यतः अर्थराइड के कारण होता है वैसे उम्र के साथ इसका होना एक आम बात है, परन्तु परेशानी यह है आज के समय में युवा पीठी भी इसका शिकार हो चुके है,
इस बिमारी में हड्डियों के ऊपर जो लचीला कार्टिलेज नामक आवरण होता है, वह धीरे-धीरे घिसने लगता है, और इसके बाद हड्डिया आपस में टकराने लगती है, और किसी भी प्रकार की गति जब हड्डियों में होती है, चलने, खड़े होने, आदि में तेज़ दर्द होता और आपकी क्षमता कम हो जाती है, थाइराइट मुख्यतः रीड की हड्डी, घुटने, हाँथ, पैर को प्रभावित करती है.
हड्डियों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार
हड्डियों के दर्द के पूर्ण उपचार के लिए एक योग्य वैध से ही मिले, एलोपेथी में होता यह है की बिमारी के लक्षण को ही दबा दिया जाता है. परन्तु यह जड़ से ख़त्म नहीं हो पाता।
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर चार अवयव से बना होता है – मल, दोष, धातु और अग्नि। आयुर्वेद में अस्थि धातु की श्रेणी में आता है और यह शरीर को दृढ़ता प्रदान करता है, हड्डियों से जुडी कोई भी बिमारी वात दोष के कारण होता है. और वात दोष जिन कारणों से होता है उसकी जानकारी नीचे दी हुई है –
- रात में देर तक जागना
- चिंता करना
- भाग दौड़ भरी जिंदगी
- अकेलापन
- भय और खान-पान की कमी इत्यादि है।
शरीर में वात का स्थान बड़ी आंत है इसलिए आपकी हड्डियों का दर्द और पेट से जुडी समस्याएं, भूख नहीं लगना, खाना नहीं पचंना ये सब एक दूसरे से जुडी हुई है.
अस्थि संधि वात के मुख्य लक्षण
- जोड़ो में सूजन होना।
- जोड़ो में अकड़न।
- हड्डियों का बजना।
- गठिया का दर्द।
Arthritis का एक दूसरा भेद आमवात या गठिया है, गठिया या आम वात अनुवांशिक होता है, वजन का बढ़ जाना, गलत खानपीन या व्याम में कमी गठिया को बढ़ावा देता है, जिन लोगो को अपच या अजीर्ण की शिकायत होती है उन लोगो को गठिया की शिकायत भी ज्यादा होती है।
इस बिमारी में जोड़ो में गांठे पड़ने लगती है, और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है। आयुर्वेद के अनुसार जब जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है और गुर्दे उन्हें समाप्त नहीं कर पाते तब अलग-अलग जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमने लगते है, जिस कारण जोड़ों में सूजन आने लगती है और दर्द होता है
हड्डी व जोड़ों के दर्द से बचाव के उपाय
खानपान से संबंधित सावधानियां बरतनी पड़ेगी और जड़ी बूटी आयुर्वेदिक दवाओं और मालिश आदि कार्य करना होगा
हड्डियों के दर्द से बचाव के लिए उचित खान-पान
- आसानी से पचने वाले भोजन का सेवन करे जैसे – पालक, मेथी, भथुआ, गाजर।
- गर्म पानी पीना चाहिए।
- अनाज में गेहू, ज्वार का प्रयोग कर सकते है।
- घी वाली रोटी खाये।
- सब्जियों में भी घी डाले।
खान-पान में क्या सावधानी बरतें
- बैगन, करेला, पत्तागोभी, आलू, फूलगोभी और हरे मटर का प्रयोग वर्जित है।
- चावल कम मात्रा में खा सकते है।
- गठिया मरीजों को खासकर दाल, पनीर, मुगफली, नहीं खानी चाहिए क्योकि इनसे यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता ह।
- भोजन के बाद सौंफ, गुण, अजवाइन, खाना चाहिए।
खाना कैसे पचाये, जठराग्नि प्रदीप्त करें
- जठराग्नि अर्थात आपकी पाचन शक्ति, जितनी अधिक आपकी खाना पचाने की सक्ति तीव्र होगी, उतनी शीघ्रता से बड़ी आंत में जमा अधपचा अन्न पचेगा, या फिर सरीर से निकल जाएगा।
- जठराग्नि तेज़ करने के लिए आयुर्वेदिक मसाले, जैसे काली मिर्च, इलायची, लौंग, जीरा, लहसुन, अदरक, और सोंठ का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है साथ ही सौफ और अजवाइन खाना पचाने में सहायक है।
- खाना खाने के बाद अदरक के छोटे टुकड़े पर निम्बू का रस निचोड़ कर चूसने से खाना जल्दी पच जाता है।
- खाना खाते समय ठंडा जल नहीं पीना चाहिए, गर्म पानी ही पिए।
- पंद्रह दीनो में एक बार उपवास रखना चाहिए। क्योकि जब तक बड़ी आत स्वस्छ नहीं होगा, तब तक अस्थियो को पर्याप्त पोषण नहीं मिलेगा
आयुर्वेद के अनुसार सफ़ेद तिल कैल्सियम का अच्छा स्त्रोत है, गर्मियों में सफ़ेद तिल को पानी में भीगने के लिए छोड़ दे, अगले दिन तिल के बीजो को पानी से निकाल कर चबा कर खाये।
जाड़े के दीनो में एक चम्मच सफ़ेद तिल के बीज रात में सोते समय चबाकर खाये और उसके बाद एक गिलास दूध पी लें।
हड्डियों के दर्द से बचाव के लिए जड़ी बूटी और मालिश
कई जड़ी बुटिया जिन्हे हम रोज मर्रा की जिंदगी में प्रयोग करते है लाभदायक दर्द निवारक की तरह कार्य करती है, जैसे हल्दी, त्रिफला, गुग्गुल और शतावरी पर इसका प्रयोग आप स्वयं नहीं करे, किसी अच्छे वैद्य की सलाह जरूर ले।
जोड़ो पर गुनगुने तेल की मालिश जरूर करे।
योग्य वैद्य आपको बेहतर चिकित्सा पद्धत्ति की सलाह देंगे, इस पद्धत्ति में तेल में अनेक औषधि मिलाकर आपके पुरे शरीर एवं प्रभावित जोड़ों की मालिश की जाती है। इससे जोड़ो का दर्द धीरे-धीरे कम हो जाता है। अच्छा खाये स्वस्थ रहे
(नोट: प्रयोग से पूर्व अपने वैध या डॉक्टर से सलाह अवश्य लें)
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