रायगढ़ के सत्यनारायण बाबा : दुनिया में आश्चर्यजनक कारनामें होते ही रहते हैं, ऐसा ही एक कारनामा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हुआ. जिसके बारे सुनकर, उसपर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल सा हो जाएगा. परन्तु यह बात 100% सत्य है.
रायगढ़ के सत्य नारायण बाबा (हलधर) जिन्होंने 14 वर्ष की बाल्याअवस्था में अपना घर-द्वारा छोड़ दिया से घोर तपस्या के लिए चले गए आज के time पे उन्हें एक ही जगह पर इस तरह बैठे हुए 24 वर्ष से अधिक का समय हो गया हैं.
इस लेख के माध्यम से हम रायगढ़ वाले सत्यनारायण बाबा के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे –
सत्यनारायण बाबा का जीवन परिचय – Biography of Satyanarayan Baba in hindi
नाम | सत्यनारायण बाबा |
बचपन का नाम | हलधर |
जन्म | 12 जुलाई 1984 |
जन्म स्थान स्थान | डूमरपाली, देवरी (रायगढ़) छतीसगढ़ |
बाबा सत्यनारायण के पिताजी | श्री दयानिधि साहू |
बाबा के माताजी | श्री मति हंसमति साहू |
हलधर (सत्यनारायण बाबा) का जन्म 12 जुलाई 1984 को छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले के डूमरपाली ग्राम में एक मध्य्मवर्गीय कृषक परिवार में हुआ, उनका बचपन का नाम हलधर था, हलधर के पिताजी उन्हें सत्यम कहकर पुकारते थे.
हलधर बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के थे, एक बार गांव में ही तालाब के पास स्थित एक मंदिर में हलधर 7 दिनों तक बिना कुछ खाये पिए लगातार तप करते रहे, तभी से ही उन्हें शिव भक्ति में विशेष रूचि दिखाई देने लगी थी, स्कूल में पढ़ते समय वो कही और खोये रहते थे।
हलधर जब 14 साल के थे तब, अपना बस्ता लेकर स्कूल के लिए निकले, परन्तु वे स्कूल नहीं गए वे अपने गांव डूमरपाली से 19 किलो मीटर की दुरी पैदल चलकर कोसमनारा (रायगढ़) पहुंचे, और वही कोसमनारा के खार में कुछ पत्थरो को इकठ्ठा कर शिवलिंग बनाया फिर अपना जीभ काट कर शिवलिंग पर समर्पित कर तपस्या के लिए बैठ गए।
उनकी माँ उन्हें जगह-जगह खोजने ढूंढने लगी, और ढूंढते-ढूंढते कोसमनारा पहुंची, उनकी माँ ने उन्हें घर ले जाने का बहुत प्रयाश किया, बहुत कोसिसो के बाद भी हलधर वहा से नहीं उठे, और आज तक गर्मी, बरसात, ठंढी में एक जगह बैठकर लगातार तपस्या करते रहे, धीरे-धीरे दीन साल बीतते गए और आज उन्हें तपस्या में बैठे हुए लगभग 22 साल हो गए है।
वो किसी से बात नहीं करते, अभी अभी कुछ सालो में उन्होंने अपने ध्यान को तोड़कर इशारे से अपने भक्तो से संवाद कर लेते है, आज की स्तिति में वहा मंदिरो का निर्माण हो गया है और अनेको श्रद्धालु सत्यनारायण बाबा जी का दर्शन करने आते है,
शुरुवात में यहाँ कुछ भी नहीं था, जब खबर आग की तरह फैलने लगी तब यहाँ 24 घंटे भक्तो का पहरा लगने लगा, फिर धीरे से निर्माण सुरु हुआ, कुटिया बनाया गया फिर पानी की व्यवस्था की गयी,
पत्थर के स्थान पर शिव जी का लिंग स्थापित किया गया, धुनि को भी हवन कुंड में बदला गया, बाबा जी जमींन पर बैठे थे, फिर भक्तो के आग्रह अनुरोध पर चबूतरा में बैठने को राजी हुए, दुर्गा माँ का मंदिर भी बनाया गया है।
यहाँ आने वाले भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था की गयी है। परन्तु अपने खुद के स्थान पर छत करने से बाबा जी ने मना किया है, वे सभी मौसमो में खुले आसमान के निचे बैठकर तपस्या करते रहते है।
परन्तु आज तक किसी ने बाबा जी को खाते-पीते नहीं देखा है जो किसी अचरज से कम नहीं है, की कोई व्यक्ति बिना कुछ खाये पिए सभी मौसम को सहते हुए लगातार तपस्या में बैठे रहे, ऐसे दिव्य पुरुष का दर्शन आपको जरूर करना चाहिए, उनके जीवन पर अनेक वीडियो आइडियो केसेट्स भी बनी हुई है।
अभी के समय में व्यक्ति के एक दींन भी बैठ कर ध्यान लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है ऐसे में महज 14 साल की उम्र से अपना जीभ काटकर एक जगह पर गर्मी, बरसात, ठंढी, भूख, प्यास, सब कुछ भूलकर तपस्या में बैठने वाले बाबा की दर्शन की कामना जरूर होनी चाहिए, इस कलयुग में अनेको ढोंगी बाबा मिल जाते है, पर आस्था और विश्वास को बनाये रखने वाले सत्यनारायण बाबा की जय हो.