नवजात शिशु का मुंडन (चूडाकरण) क्यों किया जाता है?

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नवजात शिशु का मुंडन (चूडाकरण) क्यों किया जाता है

हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार बच्चे के लिए महत्वपूर्ण संस्कार है, जन्म के समय या जब शिशु के दांत आने शुरू हो तब। या फिर बच्चे के तीन वर्ष की उम्र के यह – मुंडन संस्कार (चड़ाकरण) किया जाता है. इस लेख में हम इन्ही बातों को जानेगे कि आखिर क्या मान्यता है इस मुण्डन संस्कार या चूड़ाकरण संस्कार का।

मुंडन संस्कार क्या है?

जैसा की ऊपर बताया गया है नवजात शिशु के सिर के बालों (केशों) को साफ करना (लट को छोड़कर) मुंडन संस्कार कहलाता है। मुंडन संस्कार अनेक महत्व है, तो चलिए मुंडन संस्कार के उन्ही महत्वों को जानते हैं।

चूड़ाकरण (मुंडन) संस्कार क्यों किया जाता है?

चूड़ाकरण संस्कार नवजात शिशु के बल, आयु तथा तेज़ की वृद्धि के लिए किया जाने वाला आठवां संस्कार है. जिसका मुख्य उदेश्य है – हे बालक तुम दीर्धायु हो, कार्य करने में कुशल हो, ऐश्वर्य से परिपूर्ण हो, सभी चीज़ों में समर्थ व सक्षम होने के लिए तथा सुन्दर संतान और बल प्राप्ति के लिए तुम्हारा मुंडन (चूडाकरण) किया जा रहा है। 

चूड़ाकर्म, उपनयन संस्कारों द्वारा नवजात बालक में सभी गुण को विकसित होने की कामना की जाती है इस संस्कार का दूसरा नाम मुण्डन संस्कार है। इसमें सीखा (लट, छत्तीसगढ़ में लिटी) को छोड़कर शेष सभी बालों का मुण्डन किया जाता है।

ऐसा माना जाता है की मुण्डन करने से शिशु सम्बंधित अनेक रोगों से छुटकारा पाया जाता है। नवजात बालक के प्रथम केश का मुण्डन करने से बालक के मस्तिष्क तंतुओं में शीतलता प्राप्त होती है, मुण्डन संस्कार के कारण आगे चलकर बालक का बौद्धिक विकास अधिक क्षमता से होता है ऐसा माना जाता है। 

चूड़ाकरण (मुंडन) संस्कार से सम्बंधित पौराणिक कहानी

हरिवंश पुराण में एक कथा है जिसके अनुसार शिखा (लट) ज्ञानशक्ति के दृष्टि से ही लाभकारी नहीं है बल्कि पराक्रम और तेज के साथ भी इसका गहरा सम्बन्ध है –

महर्षि वशिष्ट का एक बड़ा ही पराक्रमी और विश्विजयी शिष्य था जिसका नाम सगर था, सगर के पिताजी को दुश्मन राजाओं ने योजना बना कर सडयंत्र से मार डाला। तब सगर ने प्रतिज्ञा ली की वह एक-एक राजा को मार डालेगा जिसने उसके पिता जी की हत्या की है।

और फिर सगर ने राजाओं की हत्या करना प्रारम्भ कर दिया। बचें हुए राजा चिंतित हो गए और वे महर्षि विशिष्ट के सरण में जा पहुचें, विशिष्ट से वंदना करने लगे की हमारी प्राणों की रक्षा करें, महर्षि विशिष्ट ने भी प्राण रक्षा का वचन दे दिया। 

विशिष्ट ने सगर को बुलाया और राजाओं की हत्या ना करने की आज्ञा दी। सगर बड़े संकट में पड़ गए एक तरह तो उन्होंने पिता जी के हत्यारों का वध करने का प्रण ले लिया था, तो दूसरी तरह गुरूजी की आज्ञा थी, राजाओं को ना मारा जाये।

फिर बहुत सोंच विचार के बाद यह निर्णय लिया गया, कि राजाओं का (लट,लिटी) सीखा के साथ मुण्डन कर दिया जाये और उन्हें छोड़ दिया जाये, और ऐसा ही किया गया। सीखा (लट) के साथ मुण्डन होने के बाद वे राजायें बिल्कुल प्रभाव शून्य और निर्जीव के सामान हो गए, क्योकि इस तरह मुण्डन हो जाने को मरे हुए के सामान माना जाता था। 

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मुंडन संस्कार से संबंधित अन्य मान्यताएं

  • जब शिशु जन्म लेता है तब उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं, हिन्दू मान्यता के अनुसार मनुष्य का जन्म 84 लाख योनियों में भटकने के बाद होता है इसलिए मुंडन संस्कार करके शिशु का सुद्धीकरण किया जाता है।
  • मुंडन संस्कार करने से शिशु के सिर का रक्त प्रवाह अच्छा रहता है।
  • अन्य जन्मों के पाप को मुंडन संस्कार द्वारा धोया जाता है।
  • शिशु के सुरुवाती बाल के कट जाने के बाद दोबारा उगे बाल अच्छे काले और घनेदार होते हैं।

मुंडन (चूड़ाकरण) संस्कार की विधि और मुंडन करने का सही समय

जब बालक सवा वर्ष के बीच का हो जाये तब उसका मुण्डन कराना चाहिए और सीखा (लट) रहने देना चाहिए। उसके बाद केसों को आटे की लोई में एकत्रित कर किसी नदी में बहा देना चाहिए और जिस दिन चूड़ाकरण संस्कार हो उस दिन नीचे दिए गए मन्त्रों का जाप करना चाहिए। 

चूड़ाकरण (मुंडन) संस्कार मन्त्र या उपनयन संस्कार मन्त्र

| ॐ ह्रीं दीर्घायुत्वाय बलाय वर्चसे ॐ |

(om hreem deerghaayutvaay balaay varchase om)

मुण्डन के बाद दीपक के तेल को शिशु के सिर पर लगाना चाहिए, इसके बाद परिवार के कुल देवता, बुजुर्ग आदि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेना चाहिए। और इस मन्त्र को माता पिता अगले ग्यारह दिन तक रोजाना शिशु के ब्रह्मरंध्र पर हाथ रखकर जाप करें।

मुंडन संस्कार कहाँ कराना चाहिए

आज के समय में मुंडन संस्कार कराने के लिए लोग कई प्रकार के विधयों का इस्तेमाल करते हैं, गांव में ज्यादातर लोग पंडितो को बुलाकर नाई के माध्यम से मुंडन संस्कार कराते हैं।

शहरों में भी लोग पंडित के माध्यम से मुंडन संस्कार कराते हैं परन्तु ज्यादातर लोग सैलून वगरा में जाकर यह संस्कार पूरा करते। कई लोग किसी धार्मिक स्थल पर जाकर पंडितों द्वारा पूजा अर्चना कराने के बाद इस मुंडन संस्कार को पूरा करते हैं, यह कार्य अपने अपने सुविधाओं के हिसाब से किया जाता है।

अंतिम शब्द

आशा है की आपको हमारा यह लेख नवजात शिशु का मुंडन (चूडाकरण) क्यों किया जाता है | चूड़ाकरण संस्कार के बारे में जाने (mundan sanskar hindi) पसंद आये,

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