Energy conservation : आज के समय में तेजी से बढ़ती हुई जनसँख्या और ऊर्जा की खपत को देखते हुए ऊर्जा संरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बन जाता है। क्योंकि friend’s ऊर्जा हमारे लिए प्रकृति का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है सच कहूं तो इसके बिना जीवन का कोई महत्व ही नहीं है।
हम लगातार नए-नए अविष्कार कर ऊर्जा का भरपूर उपयोग कर रहे हैं और अपने आने वाली जिंदगी को सुख सुविधाओं से भर रहे हैं – नहीं यह कोई गलत बात नहीं है परन्तु जब इस ऊर्जा का उपयोग या ये कहूं दुरूपयोग व्यर्थ चीजों में किया जाए तो यह पूरी तरह से गलत बात है क्योंकि ऐसा करके हम अपना ही नुकशान कर रहे हैं।
कृपया कर यह लेख पूरा पढ़ें क्योंकि अगर आप को पढ़ते हैं और इससे ऊर्जा संरक्षण के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमारा लिखना सफल हो जाता है।
ऊर्जा क्या है – what is energy
ऊर्जा के बारे में लगभग सबको पता ही होगा क्योंकि यह सभी के अंदर विद्यमान होता है, हाँ ये बात अलग है कि आप इस ऊर्जा का उपयोग किस तरह करते हैं।
हमारे अंदर कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं, ऊर्जा को कई रूपों में स्थान्तरित किया जा सकता है। आपने गिरते हुए पानी को देखा होगा उसमे इतनी ऊर्जा होती है कि वह जमीन पर एक छेद बना सकता है।
साधारणतः ऊर्जा दो प्रकार का होता है –
- नवीकरणीय ऊर्जा
- अनवीकरणीय
नवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is renewable energy
नवीकरणीय ऊर्जा प्रदूषण रहित और कभी ख़त्म ना होने वाली ऊर्जा है इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है उदाहरण के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार भाटा ऊर्जा इत्यादि नवीकरणीय ऊर्जा में आते हैं।
अनवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is non-renewable energy
इसके अंतर्गत वे ऊर्जा आते हैं जो एक बार ख़त्म होने के बाद दोबारा प्राप्त नहीं किये जा सकते इन्हे बनने में करोङो साल लग सकते हैं इसके उदाहारण है कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।
ऊर्जा के स्त्रोत – source of energy
ऊर्जा के अनेक स्त्रोत हैं जिनमे से कइयों का उपयोग करके ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) किया जा सकता है। खासकर ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत जिन्हे दोबारा conservation किया, इन्हे विस्तार से जानते हैं –
ऊर्जा के पारम्परिक स्त्रोत – traditional sources of energy
- कोयला
- पेट्रोलियम/ खनिज तेल
- लकड़ी
- प्राकृतिक गैस, इत्यादि।
कोयला (coal) : यह भारत में ऊर्जा उत्पादन का सबसे बड़ा स्त्रोत है, कोयला देश के व्यावसायिक ऊर्जा की मांग का लगभग 67% प्रतिशत पूरा करता है, भारत के कई राज्यों में कोयले का भंडार है जैसे – झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु इत्यादि।
बायोमास या सूखे कार्बनिक पदार्थ (biomass or dry carbonic material) : इसके तहत पेड़ों की सुखी टहनियां, लकड़ी, गोबर, तथा जिव प्राणियों से प्राप्त तेल इत्यादि आते हैं। यह भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो विश्व के ऊर्जा का लगभग 14 प्रतिशत को पूरा करता है,
विकासशील देशों में इसकी मात्रा 43 प्रतिशत तक है इसलिए वनों की लगातर कटाई हो रही है, वह दिन दूर नहीं जब हम पर्यावरण को पूरी तरह नष्ट कर देंगें और खुद को भी।
तेल (oil) : पेट्रोलियम व तेल उत्पाद में कोयले की अपेक्षा अत्यधिक ऊर्जा होती है। असुद्ध पेट्रोलियम (crude oil) से बहुत से कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ प्राप्त होते हैं।
तेल के भण्डार ज्यादातर छिद्रयुक्त चट्टानों से मिलते हैं और दुनिया के ऊर्जा का 40% तेल ऊर्जा से ही प्राप्त किया जाता है। और उसमे से भी 55% केवल मध्य एशियाई देशों से।
प्राकृतिक गैस (natural gas) : प्रकृतिक गैस भी मुख्यतः तेल के भंडारों के पास ही मिलता है इसमें कुछ मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड एवं अन्य ज्वलनशील गैस एथेन एवं प्रीपेन भी रहता है।
परमाणु ऊर्जा (nuclear energy) : इसके उत्पादन के लिए 92U235 का उपयोग किया जाता है, यूरेनियम 235 के विघटन से ऊर्जा प्राप्त किया जाता है। इसका विघटन न्यूक्लियर रिएक्टर में कराया जाता है।
जल-विद्युत ऊर्जा (hydro electric energy) : यह ऊर्जा सस्ता और बार-बार उपयोग किया जाने वाला ऊर्जा है, पृथ्वी हर साल सूर्य से ऊर्जा ग्रहण करती है. इसे ऊर्जा द्वारा अवशोषित किया जाता है जो वाष्प बनता है फिर वर्षा के माध्यम से यह ऊर्जा हमें दोबारा प्राप्त होता है।
गैर परम्परागत स्त्रोत – non-traditional sources
सौर ऊर्जा – solar energy in hindi
सौर ऊर्जा का उपयोग अपरोक्ष व परोक्ष रूप में मानव कल्याण के लिए किया जाता है, सीधी सौर ऊर्जा विकिरण ऊर्जा होता है जबकि परोक्ष सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो तत्वों से मिलता है, जिसमे सौर ऊर्जा विकिरण पहले निहित होता है।
सौर ऊर्जा को सीधे ताप ऊर्जा के रूप में तथा इन ऊर्जा को बिजली के रूप में बदलकर उपयोग किया जाता है। फोटोवोल्ट बैक्ट्रियां सीधे सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करती हैं।
जब अनेक प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत में सौर ऊर्जा का उपयोग परोक्ष के रूप में किया जाता है तब जैवभार (biomass) ऊर्जा सबसे प्रमुख होता है। जैवभार यहाँ पर उन सभी पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो, प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बने हैं।
इसमें जीवित पौधे तथा उनके सूखे अवशेष आते हैं जैसे – जलीय पौधे, मीठे जल तथा समुद्रीय शैवाल, कृषि अवशेष इत्यादि। इसके अंतर्गत एल्कोहल निर्माण से निकलने वाले अपशिस्ट भी आते हैं।
विश्व की आधी आबादी ऊर्जा के लिए जैवभार (biomass) का उपयोग करती है। भारत के गावों में काष्ट ईंधन के रूप में आज भी उपयोग किया जाता है।
ऊर्जा के अन्य नवीकरणीय स्त्रोत
ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्त्रोत को जानने का मतलब है हम किस तरह ऊर्जा का संरक्षण (energy conservation hindi) कर सकते हैं और दोबारा उपयोग में लाये जाने वाले ऊर्जा के साधनों का उपयोग करके energy conservation के साथ-साथ अपने वातावरण को भी स्वस्छ रख सकते हैं।
जल शक्ति के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण – Energy conservation through water power
जल में भारी मात्रा में स्थितिज ऊर्जा होता है जिसको गतिज ऊर्जा में परिवर्तन कर, टरबाइन द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है। दुनिया के कुल बिजली का एक-चौथाई भाग जलशक्ति से प्राप्त होता है, यह ऊर्जा ताप विद्युत संयत्र से प्राप्त ऊर्जा से सस्ता होता है।
पानी को रोकने के लिए बाँध बनाने में कई पर्यवरणीय समस्याएं उत्पन्न होती है जो इस तरह है –
- भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा जल से भर जाता है जिसमे बहुत से छोटे जीव और उनके आवास नष्ट हो जाता है।
- पोषक युक्त जमीन जिसमे पेंड पौधे उगते हैं नष्ट हो जाता है।
- कृषि योग्य जमीन नष्ट हो जाती है।
- समय के साथ-साथ जल के अंदर गाद और कीचड़ भर जाते हैं इससे बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त जल भरने की क्षमता नहीं रहती।
पवन ऊर्जा द्वारा ऊर्जा संरक्षण
पवन (हवा) का उपयोग करके पंखा घुमाया जाता है और बिजली उत्पादन की जाती है परन्तु इसमें भी एक समस्या है, हवा के द्वारा ऊर्जा हर क्षेत्र में प्राप्त नहीं किया जा सकता इसके लिए द्वीप, तटीय, और पर्वतीय क्षेत्र ही बेहतर होते हैं।
ज्वार ऊर्जा के द्वारा ऊर्जा संरक्षण
समुद्र में उठने वाले उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा से ऊर्जा संरक्षण
गर्म जल के रूप में बह रहे झरनों व सतही जल से टरबाइन को घुमाकर बिजली उत्पन्न किया जाता है।
समुद्रीय तरंग ऊर्जा
पवन (हवा) द्वारा उत्पन्न समुद्रीय तरंगों में भी टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पादित किया जाता है।
अपशिष्ट पदार्थो के द्वारा ऊर्जा संरक्षण
अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा इतना ज्यादा बढ़ चूका है कि चारो तरह जहाँ देखो वहां कचरा ही कचरा दिखाई पड़ता है खासकर शहरों में। हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में घरों से इतना ज्यादा कचरा बाहर करते हैं अगर इनका सहीं से उपयोग किया जाये तो पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है साथ ही भारी मात्रा में Energy Conservation किया जा सकता है।
अपशिष्टों को हम अनेक भागों में बाट सकते हैं जैसे –
- महानगरों से निकला अपशिष्ट
- कृषि अपशिष्ट
- अस्पताल से निकला अपशिष्ट
- आद्योगिक क्षेत्र के अपशिष्ट
- खनन द्वारा निकला अपशिष्ट इत्यादि।
इन सब अपशिष्टों का दोबारा उपयोग में लाया जाना हर तरह से फायदेमंद होगा और ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) भी बेहतर तरीके से होगा।
मानव द्वारा ऊर्जा संरक्षण के तरीके – Energy Conservation Methods
हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसी गलतियां करते रहते हैं जिससे लगातार ऊर्जा का नुकसान होता रहता है, जबकि छोटे-छोटे कदम उठाकर हम ऊर्जा का संरक्षण कर सकते है, उन तरीकों को जानते हैं जिससे ऊर्जा का संरक्षण (Energy conservation) किया जा सके –
- बेफिजूल बिजली का उपयोग बंद करके, केवल आवश्यकता पड़ने पर ही बिजली का उपयोग करें।
- कम वोल्ट का सी एफ एल बल्ब उपयोग करके ताकि ऊर्जा की खपत कम हो।
- ऊर्जा के अनवीकरण साधनों के उअधिक पयोग के बजाय नवीकरणीय साधनों का इस्तेमाल करके।
- साइकल से या पैदल चलने की आदत डालकर, अधिक दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग समझ में आता है परन्तु आज के समय में हम जरा-जरा सी दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग करते हैं जिससे अत्यधिक पेट्रोल खपत होता है, जरा सोचिये एक समय ऐसा आएगा जब पेट्रोलियम खत्म हो जायेगा तब क्या करेंगें ?
- ऐसी, पंखा, लाइट इत्यादि का कम से कम उपयोग करके।
- पंखो को लगातार सर्विसिंग करते रहें ताकि वे जाम ना हो और चलने में कम ऊर्जा का खपत करे।
- मोटर वाहनों को भी समय-समय पर सर्विस कराते रहें ताकि जितना हो सके कम पेट्रोल का खपत हो।
- खाना बनाने के लिए भी सोलर कुकर का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करे।
- रेफ्रिजरेटरों के उपयोग में सावधानी बरते बार-बार उसका दरवाजा ना खोलें।
- सिचाई के लिए भी ध्यान रखे कि पानी सीधे पौधों के जड़ों में जाये ना की व्यर्थ बहे।
- सिचाई पाइप को सीधा रखे कहीं से मुड़ा हुआ ना हो इससे ऊर्जा खपत अधिक होती है।
- और बहुत से तरीके हैं जिनसे आप ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं, उनका पालन करें।
FAQ
ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत क्या है?
ऊर्जा (energy) ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में स्थान्तरिक किया जा सकता है। ऊर्जा के कई भण्डार सिमित है इसलिए ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता है यही ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है।
ऊर्जा के संरक्षण के क्या कारण है?
क्योंकि ज्यादातर ऊर्जा (energy) के संसाधन सिमित है जिन्हे दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता ऊर्जा हमारे लिए अमूल्य है इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है इसलिए ऊर्जा के संरक्षण की आवश्यकता है या यही ऊर्जा संरक्षण का कारण है।
ऊर्जा का अर्थ क्या है?
ऊर्जा (energy) का अर्थ हमारे कार्य करने की क्षमता से है, ऊर्जा के बिना हम बिल्कुल शून्य है हममे हर कार्य को करने के लिए ताकत ही ऊर्जा है।
ऊर्जा संरक्षण क्या है? (What is Energy Conservation)
ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोतों की जनकारी व ऊर्जा के फालतू खपत को रोकना तथा ऊर्जा का सही दिशा में खपत करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है।
ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) हमारे जीवन में ऊर्जा के महत्व और इसकी आवश्यकता को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) मनाया जाता है।
निष्कर्ष
ऊर्जा का हमारे जीवन में महत्व को आप अच्छे से समझ चुके हैं साथ ही ये भी समझ चुके हैं कि ऊर्जा के सिमित भण्डारण अत्यधिक है जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं इसलिए ऊर्जा के प्रति अपने दायित्व को समझे और ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) के दिशा में काम करें।
आखिर में
हमें comment के माध्यम से जरूर बताये कि आपको हमारा यह लेख ऊर्जा संरक्षण क्या है (what is energy conservation in hindi) कैसा लगा क्योंकि आपकी प्रतिक्रिया ही हमारा मोटिवेशन है।
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हमसे किसी प्रकार की शिकायत, सलाह, या सुझाव हो तो बेजिझक पूछे – धन्यवाद।
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So beautiful
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका दिव्यांशु जी