बुढ़ापे में कैसे रहना चाहिए : बढ़ती उम्र से कभी घबराए नहीं भुढ़ापा तो सबको आनी है क्यों ना इसका आनंद ले (People do not panic due to old age, everyone has to come, enjoy it…
जीवन में बुढ़ापे का आना अनिवार्य है इसके लिए एक कहावत है — जवानी जाकर आता नहीं, और बुढ़ापा आकर जाता नहीं.
बुढ़ापे का नाम सुनते ही हमारे सामने – झुर्रियों से भरा दंत विहीन चेहरा, पोपला सा मुँह, थकी-थकी सी आंखे, कमजोर हाँथ पैर, और अनेक बीमारियों से ग्रस्त शरीर, नजर आता है. जिसे बुढ़ापा कहा जाता है।
कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता की वह बूढ़ा हो, लेकिन बुढ़ापा तो एक दिन सबको आनी है.
बुढ़ापे के लिए कोई निश्चित सीमा रेखा नहीं बाँधी जा सकती, क्योकि आज के समय में देखने को मिलता है कि कइयों को बुढ़ापा 40 साल में ही घेरने लग जाता है तो कुछ को बुढ़ापा 70 साल के बाद आता है.
परन्तु एक दिन ऐसा जरूर आता है और व्यक्ति अपने आपको कमजोर और शिथिल समझने लगता है।
बुढ़ापे से बचने का एकमात्र उपाय संतुलित और कम आहार करें 40 की उम्र के बाद व्यक्ति को अपने खान पान मे पूर्णतः नियंत्रण कर लेना चाहिए। उसे आटा कम से कम खाना चाहिए आटे के बजाय सब्जियां, कच्चे फल, दुध आदि से अपने आहार को पुरा करे
यदि 3, 4 कटोरी उबली हुई सब्जिया और मात्र 2 रोटी का आहार ले लेता है तो बुढ़ापे के नाग-फास से बचा जा सकता है, घी, माखन, अंडा, चर्बी, मांस, गरिष्ट भोजन व मिठाईयाँ को तो त्याग ही देनी चाहिए।
इसके अलावा शराब, सीगरेट आदि को हमेसा के लिए छोङ ही देना चाहिए, ऐसा करने से ही बुढ़ापे के तकलीफ से बचा जा सकता है।
बुढ़ापे में कैसे रहना चाहिए? किस तरह बुढ़ापा जीवन बिताएं Tips जानिए
1. बुढ़ापे में भी हमेसा एक्टिव रहें
बुढ़ापे का निशानी शरीर मे जकड़ और ऐठन है, जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ही शरीर की जोड़ सख्त होने लगती है। और शरीर का लाचीलापन समाप्त हो जाता है। इसका सर्वोत्तम उपाय शारीरिक व मानसिक रूप से निरन्तर सक्रिय बने रहना है
व्यक्ति को चाहिए की वह प्रातः 5 बजे किसी भी स्थिती में उठ जाए, और रात के 9 बजे तक शारीरक व मानशिक रूप से जुटे रहे, कहावत है की आराम बुढ़ापे को न्योता देता है, और निरन्तर कार्य करना बुढ़ापे को पीछे धकेलना होता है।
इसलिए हमेशा यही प्रयास करें की शरीर के अनुरूप कार्य करते रहें, गांवों में अधिकतर लोग सुबह उठ जाते है, महिलाये घर को झाड़ू पोछा करना, गांयों से दूध दुहना, बगीचे पे पानी देना, पूजा पाठ करना, भोजन बनाना आदि काम में निरंतर लगी हुई रहती है, इसलिए 80 वर्ष की आयु में भी वे जवान रहती है बुढ़ापे का कहानी यह है की आप निरन्तर कुछ न कुछ करते रहे, मानसिक कार्य करने वाले है तो कुछ न कुछ अच्छी चीजे पढ़ते रहिये।
2. बुढ़ापे से घबराये नहीं बल्कि इसका आनंद लें
बुढ़ापा को हम जीवन में आने से टाल नहीं सकते, पर उससे घबराने की भी जरुरत नहीं है। बुढ़ापे ने निश्चित रूप से बाल झड़ जायेगे, सफ़ेद बाल आ जायेगे, दांत कमजोर हो जाएगा, सरीर की चमड़ी सिकुड़ने लगेगी, हड्डियों में भुरभूरा पन प्रारम्भ हो जाएगा, शरीर की मांशपेसियो में ऐठन व् मरोड़ होंगी ये सब बुढ़ापे के लक्षण हैं
परन्तु बुढ़ापा तो उस दिन से आने की तैयारी कर लेता है जिस दिन आप जन्म लेते है। यह बात अलग है की आप इसे कब तक रोक सकते है, बुढ़ापे में बुद्धिमता से कार्य करिये।
आप प्रयत्न करिये की आप स्वस्थ और संयत बने रहे, जो आपको अच्छा लगे वो कार्य करे खाली कभी भी न बैठे, बच्चो से ज्यादा घुल मिल जाए हर पल का आनंद ले,
नियमित रूप से डॉक्टरों से चेकअप कराये, और यदि शरीर में कमजोरी का रोग आक्रमण कर बैठा है तो उसका सामना कीजिये, जरुरी आयुर्वेदिक औषधि का डाक्टर के परामर्श लेकर सेवन करे,
अगर आखो में कमजोरी बहरापन आदि आ गया हो तो निराश मत होइए, बल्कि ऐसा कुछ करिये की वह आपका गुण बन जाए, इस तरह बुढ़ापा आपको तकलीफ नहीं दे पायेगा।
3. बुढ़ापे में अपना आत्म संतोष बढाए
जीवन का 48 वर्ष परिवर्तन का वर्ष होता है इस उम्र तक कमाइए, खूब परिश्रम कीजिये और जो कुछ बचा है, उसे संभाल कर सही स्थान पर संचित कीजिये,
धन की व्यवस्था ऐसी कीजिये की वह आपकी आमदनी का स्त्रोत बना रह सके, इसके लिए फिक्स डिपोसिट कीजिये, एसा कुछ प्लान कीजिये जो आर्थिक दृस्टि से आपको सहारा दे सके।
48 वर्ष बाद संयमित जीवन बिताने का प्रयाश कीजिये, आत्म संतोष बढ़ाइए, जीवन में जितनी जरुरत है उसके लिए कमाइए और बाकी का समय उस सपने को पूरा करने में लगाइये जिसे आप अभी तक व्यस्त होने के वजह से नहीं कर पाए, जब एक बार मन में आत्मसंतोष आ जायेगा तो आपको जीवन में हल्का पन अनुभव होगा।
जीवन में कमाना और उसके बाद सामाजिक प्रतिस्टा प्राप्त करना अलग-अलग तथ्य है। इस उम्र के बाद ऐसा प्रयत्न कीजिये की सामाजिक प्रतिष्ठा स्थापित हो सके,
ऐसी कोशिस कीजिये की दान पुण्य सामाजिक सेवा कीजिये, दुसरो से अपनी तुलना मत कीजिये बल्कि अपने आप में आत्म सम्मान की प्रवृति लाइए।
इससे बड़ा लाभ यह होगा की आप समाज में घुले मिले रहेंगे, ऐसा अनुभव नहीं होगा की आप निरथर्क हो गए है, अपितु आप समाज का सक्रिय अंग अपने आपको अनुभव करेंगे।
4. अपने आपको परिवार के अनुरूप बनाइये
वृद्धावस्था में व्यक्ति को यह रहता है की मै परिवार का सबसे बड़ा व्यक्ति हु, और मेरा ही हुक्म चलना चाहिए, जबकि परिवार और समाज की परिभाषाये बदल गयी है
इसके बजाय अपने आप को परिवार के अनुरूप ढालने की प्रवृति पैदा करनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखिये जो बाटता रहता है, उससे सभी लोग खुस रहते है, सभी को मुस्कुराहट बाटिये, जिनको सेवा की जरूरत हो उन्हें सेवा बाँटिये,
इस बात का ध्यान रखिये की आप परिवार से ले कम, और दे ज्यादा, इससे आपका परिवार में सम्मान रहेगा, और बुढ़ापा वरदान जैसा लगेगा।
5. परेशानियों का समाधान कीजिये
इस जीवन में निरन्तर फूल ही फूल बिखरे हुए नहीं मिलेंगे, अपितु कभी-कभी कांटो की चुभन भी महसूस होगी, जीवन में बाधा, चुनौतियां, अडचने, कठिनाइया, अवश्य आएँगी, पर इससे विचलित होने की जरूरत नहीं है,
इन परिस्थितियों से संघर्ष की भी जरूरत नहीं है, अपितु इसका समाधान करने की जरूरत है, व्यक्तिगत जीवन या पारवारिक जीवन में बाधाये आये तो अपने अनुभव से इन बाधाओं को सुलझाए।
बुढ़ापे का तात्पर्य है आंतरिक शांति प्राप्त करना और यह आंतरिक शांति धन-दौलत से प्राप्त नहीं होगी इसे बाजार से ख़रीदा नहीं जा सकता, यह तो तभी प्राप्त होगी, जब आपके जीवन में रचनात्मक गुण हो।
6. बुढ़ापे में अपना अकेलापन दूर कीजिये
बुढ़ापे का सबसे बड़ा सत्रु अकेलापन है, इस उम्र तक व्यक्ति में दम्भ, अहंकार अपने अंकुश में रखने की प्रवृति के साथ-साथ अपने आपको बड़ा और समझदार समझने की प्रवृति भी बढ़ जाती है परन्तु परिवार के अन्य सदस्य इस अंकुश को व्यर्थ समझते है।
ऐसे स्थिति में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में तकरार होना लाजमी है, आप चाहे तो इस संघर्ष को टाल सकते है, यदि आपमें नई पीढ़ी को बदलने का सोचा है, तो आप गलत है,
इसके बजाय आप खुद को बदलिए और अपने आप को नए पीढ़ी के अनुरूप बना लीजिये, उनकी राय को सुनिए और उनके अनुभवों का लाभ उठाइये।
इसके अलावा अकेलापन दूर करने के लिए बेटो बहुवो व पोते पोतियो से घुल मिल जाइये बहुओ की कार्य की सराहना कीजिये बेटो के सब्दो को सम्मान दीजिये, बच्चो के साथ खेलिए और अपने आप को अधिक से अधिक व्यस्त रखिये, इससे अकेलापन का आपको पता भी नहीं चलेगा।
सही अर्थो में वृद्धावस्था जीवन का सौंदर्य है, आवस्यकता इस बात की है, की आप अपने आपको युग समय के साथ परिवर्तित करे, योजना बनाये और अपने जीवन को ज्यादा से ज्यादा शारीरिक व मानसिक रूप से व्यस्त रखे,
मन में दया, प्रेम, करुणा, स्नेह की भावना का विस्तार करे और उन्हें समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों में बाटे जिससे आपका जीवन सही सूंदर व्यवस्थित और आनन्द दायक हो सके।
अंतिम शब्द
आशा है की आपको हमारा यह लेख बुढ़ापे से घबराएं नहीं बुढ़ापा जीवन का सुन्दर पल है। बुढ़ापे के लिए बहुत सुन्दर लेख – बुढ़ापे में कैसे रहना चाहिए (Don’t be afraid of old age, old age is a beautiful moment of life. Beautiful article for old age) पसन्द आये, और आपके काम आये,
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